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Tag: डॉ. सर्वेश व्यास

जियो तो ऐसे जियो
आलेख

जियो तो ऐसे जियो

डॉ. सर्वेश व्यास इंदौर (मध्य प्रदेश) ********************** अपने कर्तव्यों के प्रति निष्ठावान, रिश्तो के प्रति समर्पित, धीर-गंभीर प्रवृत्ति, कर्तव्यनिष्ठ, जीवन को संजीदगी से जीने वाले, अल्प आयु में अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन करने वाले व्यक्तियों में प्रायः अपरिभाषित रूप या अनचाहे रूप से छुपी हुई एक आत्मग्लानि, शिकायत, मलाल, वेदनाा, संताप, अवसाद, व्यथा रहती है कि उन्होंने अल्प आयु में अपने कर्तव्यों को स्वीकार कर, उनका निर्वहन करना प्रारंभ कर दिया वह पूर्णतः दूसरों के लिए जीते रहे इस कारण वे अपने जीवन को पूर्णतः अपने तरीके से नहीं जी पाएl जीवन का उन्मुक्त आनंद नहीं ले पाए l कर्तव्य के पालन में उन्होंने बहुत कुछ पीछे छोड़ दिया l अतः वे लोग कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए, रिश्तो के प्रति ईमानदार रहते हुए, उन्हें निभाते भी हैं और घुटते भी रहते हैं l उन्हें लगता है कि यह कर्तव्य, यह आ...
जब उनसे बात हुई
कविता

जब उनसे बात हुई

डॉ. सर्वेश व्यास इंदौर (मध्य प्रदेश) ********************** कल जब उनसे बात हुई, ऐसा लगा मानो जिंदगी से मुलाकात हुई, तपते रेगिस्तान में बरसात हुई l उनसे बात करने की खुशियां मेरे द्वार थी, मेरे जीवन के पतझड़ में प्रकृति की बहार थी l ईश्वर करे यह बहार, यह खुशियां सदा मुझसे मिलती रहे, उनकी मधुर, सुरीली वाणी मेरे कानों में जीवन अमृत घोलती रहे l मेरा खुदा जानता है मुझे उनके तन की नहीं, पवित्र मन के चाह है, यह जानते हुए भी वह अनजान है, मेरे जीवन में इसी बात की आह है ल अब तो बस वह मेरे भावों को पढ़ ले, मेरे पवित्र मन को स्वीकार कर ले l अब तो ईश्वर कुछ ऐसे संयोग बनाए, मेरी जिंदगी, मेरी खुशियों से मुझे मिलाऐ l तमन्ना है जब उनसे मेरी मुलाकात हो, तब जुबान से नही मन से मन की बात हो l डरता हूं मेरी इन बातों से वह नाराज ना हो जाए, उनसे आसरूपी जो खुशी है, कही व...
प्रेम का वास्तविक स्वरूप
आलेख

प्रेम का वास्तविक स्वरूप

डॉ. सर्वेश व्यास इंदौर (मध्य प्रदेश) ********************** अपने मित्र के व्हाट्सएप स्टेटस पर प्रथम बार गीत सुना "मुझे तु राजी लगती है जीती हुई बाजी लगती है" प्रेम का यह स्वरूप जब देखा तो लगा हम यह कहां आ गए? जिस प्रेम की पराकाष्ठा भक्ति है, जो प्रेम उस निर्गुण निराकार परमात्मा को सगुण साकार स्वरूप में धारण करने के लिए विवश कर देता है, वह एक हार जीत की बाजी हो गया। मेरे विचारों में यह प्रेम का सबसे विकृत रूप है। प्रेम तत्व मे तो दो होता ही नहीं है, प्रेम की पराकाष्ठा एक तत्व में विलीन हो जाना है और यदि प्रेम मे जब द्वेत भी होता है तो उस में समर्पण होता है, त्याग होता है, हारना होता है। प्रेम की किताब में या प्रेम के जगत में "जो जीता है वास्तव में वह तो हार ही गया है और जो हारता है वही वास्तव में जीता है" किसी शायर ने क्या खूब कहा है "जो डूब गया सो पार गया, जो पार गया सो डूब गया" आज की युव...
गीता जयंती विशेष
कविता

गीता जयंती विशेष

डॉ. सर्वेश व्यास इंदौर (मध्य प्रदेश) ********************** इस बार २५ दिसंबर २०२० को मार्गशीर्ष मास शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि है, जिसे मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। इस दिन गीता जयंती का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। गीता ऐसा ग्रंथ है जो कि बुद्धि की शरण में जाने के लिए व्यक्ति को प्रेरित करता है। वह पूर्ण वैज्ञानिक तरीके से मन को वश में करने का मार्ग बताता है। इसी संदर्भ में प्रस्तुत है कविता- हे मन हे मन, जो तुझे प्राप्त है उसकी कद्र नहीं और अप्राप्त के पीछे भागता है। जैसे कोई कामि पुरुष सर्वगुण संपन्न पत्नी को छोड़ पड़ोसन को ताकता है।। इन कामनाओं का स्वभाव भी अजीब सा, समझ में नहीं आता है। पेट भरता हूं जितना उनका, उतना खाली रह जाता है।। सुख-चैन की आहुति देकर, मैंने इनको पाला है। सच कहूं तो ऐसा लगता, जैसे आग में घी डाला है।। काम, क्रोध, मद, लोभ से भरा मन, तो गंदा नाला है। मत उलझ मर जाएगा यह तो...
भैया बोल कर चली गई
कविता, हास्य

भैया बोल कर चली गई

डॉ. सर्वेश व्यास इंदौर (मध्य प्रदेश) ********************** कविता की प्रेरणा- बात उन दिनों की है, जब मैं दसवीं कक्षा में पढ़ता था। परीक्षा के दिन चल रहे थे, रात में महत्वपूर्ण प्रश्न मॉडल पेपर बांटे जाते थे। जब लड़कियों को पेपर की जरूरत होती थी, तो वह लड़कों से हंसकर बात करती थी, उन्हें बुलाती थी। लड़के समझते थे, हंसी मतलब........! बेचारे लड़कियों के पेपर के इंतजाम के चक्कर में रात भर जागते थे, पेपर पहुंचाते थे और खुद का पेपर बिगाड़ते थे। लड़कियों को प्रथम लाने में वे नींव का पत्थर बनते थे। यह क्रम आखरी पेपर तक चलता था। परीक्षा पूर्ण होने के पश्चात लड़की उन्हें घर बुलाती, नाश्ता करवाती, चाय पिलवाती और विदाई समारोह स्वरूप (फेयरवेल) अंत में धन्यवाद भैया कह कर विदा कर देती। बेचारा लड़का शब्द-विहीन, अपनी सी सूरत लेकर विदा हो जाता। उसी घटना को स्मरण कर आज यह कविता लिखने की प्रेरणा हुई। अचानक व...
सखी भाग- २
कहानी

सखी भाग- २

डॉ. सर्वेश व्यास इंदौर (मध्य प्रदेश) ********************** मैं उन सभी रसिक एवं विज्ञ पाठकों का हृदय से आभारी हूं, जिन्होंने मेरी कहानी "सखी" को पढ़ा और पसंद किया। लेकिन कुछ पाठकों का तर्क था कि कहानी और आगे बढ़ सकती है, उसे बीच में ना छोड़ा जाए और आगे बढ़ाया जाए तो एक कोशिश की है, उसे आगे बढ़ाने की, तो प्रस्तुत है कहानी का दूसरा भाग :- विश्वास एवं सखी की बातचीत लगातार होने लगी। जिस दिन विश्वास की सखी से बात होती उस दिन विश्वास मन ही मन मुस्कुराता रहता, वह दिन भर खुश एवं प्रसन्न रहता, उसे ऐसा लगता मानो अंदर ही अंदर उसे कोई गुदगुदी कर रहा हो। उधर सखी की हालत भी ऐसी ही थी, लेकिन बातों ही बातों में विश्वास को यह महसूस हुआ कि सखी की बातों में कोई गहरा अर्थ छुपा हुआ है, सखी कुछ कहना चाहती हैं, कुछ जताना चाहती है और विश्वास उसे समझ नहीं पा रहा है। कहते हैं ना "अरथ अमित-आखर थोरे"। अतः विश्वास अब...
सखी
कहानी

सखी

डॉ. सर्वेश व्यास इंदौर (मध्य प्रदेश) ********************** कहते हैं तीन चीजें ईश्वर एक साथ कभी नहीं देता- १ सुंदरता/ रूप- रंग २ सादगी/ सरलता/सहजता/विनम्रता और ३ तीव्र मस्तिष्क/ मति/ पढ़ने में तेज। अगर किसी के जीवन में यह तीन चीजें हो तो उस पर तथा उससे जुड़े हुए लोगों पर ईश्वर की असीम कृपा होती है। आज की कहानी ऐसी ही एक लड़की की है, जिसका नाम है- सखी। सखी एक छोटे से शहर में रहने वाली एक सुंदर, सुशील और विनम्र लड़की है। उसकी सुंदरता की बात करें तो चंद्रमा के समान मुख वाली एवं शीतलता लिए हुए, हिरनी सी आंखों वाली एवं चंचलता लिए हुए, गज गामिनी एवं हथिनी सी गंभीरता लिए हुए। सादगी की प्रतिमूर्ति, अहंकार रहित, लेश मात्र भी घमंड नहीं, ना पढ़ाई का और न ही अपने रूप रंग का। मानो विनम्रता शब्द उसके लिए ही बना हो, वाणी शहद सी मीठी और मुस्कान जीवन रस का संचार कर दे। अत्यंत संकोची एवं शर्मिली, लेकि...
गुरू कृपा
आलेख

गुरू कृपा

डॉ. सर्वेश व्यास इंदौर (मध्य प्रदेश) ********************** सब मंचन्ह ते मंचू एक, सुंदर बिसद विशाल। मुनि समेत दोउ बंधु तँह बैठारे महिपाल।। श्रीरामचरितमानस       सब मंचों से एक मंच अधिक सुंदर, उज्जवल और विशाल था। स्वयं राजा ने मुनि सहित दोनों भाइयों को उस पर बैठाया। प्रसंग है कि श्री राम लक्ष्मण अपने गुरु विश्वामित्र जी के साथ सीता स्वयंवर देखने जनकपुर पधारें ।यज्ञशाला में दूर-दूर के देशों के बड़े प्रतापी एवं तेजस्वी राजा पधारे थे। राजा जनक जी ने अपने सेवकों को बुलाकर आदेश दिया कि तुम लोग सब राजाओं को यथा योग्य स्थान पर बिठाओंं और सेवकों ने जाकर सभी राजाओं को यथा योग्य स्थान पर बिठाया। वही जब अपने गुरू श्री विश्वामित्र जी के साथ दो नवयुवक राजकुमार राम और लक्ष्मण पधारें तो उठकर राजा जनक स्वयं गए एवं उन्हें सबसे सुंदर, उज्जवल और विशाल मंच पर उत्तम आसन पर बैठाया, जबकि उस सभा में कई प्रतापी श...
अनोखा बंधन
कहानी

अनोखा बंधन

डॉ. सर्वेश व्यास इंदौर (मध्य प्रदेश) ********************** प्रस्तावना:- व्यक्ति अपने सामाजिक जीवन में कई लोगों से मिलता है, जुुुड़ता है, बिछड़ता है, लेकिन इस भीड़ मेे कुछ लोगों से ऐसे मिलता है और जुुुड़ता है, जैसे जनम-जनम का साथ हो। सामने वाला कब, कहाँ और कैसे उसके इतने निकट आ जाता है कि कुछ पता ही नहीं चलता। कोई कहता है, कि यह पूर्व जन्म का अधूरा कर्ज है, जो मनुष्य इस जनम में पूरा करता है और कोई कहता है कि कुछ रिश्ते और कुछ फर्ज पूर्वजन्म मे अधूरे रह जाते हैं, उन रिश्तो का प्रभाव इतना गहरा होता है, कि मानव को उन रिश्तो की पूर्णता एवं उस फर्ज की प्रतिपूर्ति हेतु इस जन्म में आना पड़ता है। प्रकृति उन्हें मिलाती है, वे उन रिश्तो से भागने की कितनी भी कोशिश क्यों न करे, पर प्रकृति किसी न किसी बहाने उन्हें बार-बार सामने खड़ा कर देती है। हालांकि व्यक्ति इन रिश्तो को कभी परिभाषित नहीं कर पाता है लेक...
सच्चे मित्र
संस्मरण

सच्चे मित्र

डॉ. सर्वेश व्यास इंदौर मध्य प्रदेश ********************                                      जिंदगी की उपादोह में व्यक्ति ने अपने आपको इतना उलझा लिया है कि कभी पीछे मुड़कर देखने का मौका ही नहीं मिलता। आजकल व्यक्ति के चिंतन का मुख्य बिंदु है, भविष्य में क्या करना है? कैसे करना है? इस भागा दौड़ी में वह अपने आप को ना जाने कहां छोड़ आया है? जिसे खोजने के लिए उसे समय चाहिए, जो शायद आज उसके पास नहीं है। इसी भागा-दौडी़ और उपादोह बीच अचानक कोरोना आया, लाक डाउन हुआ, गाँव रुक गया, शहर रुक गया, देश रुक गया, विदेश रुक गया और सबसे बड़ी बात मनुष्य रुक गया, हाँ-हाँ मनुष्य रुक गया। जहां यह कोरोना बहुत सारी समस्याएं लेकर आया, वही यह एक अवसर लेकर आया-खोजने का। किसको? अपने आप को और अपनों को। यह अवसर लाया उस यात्रा पर पीछे जाने का, जिस यात्रा के किसी मोड़ पर हम अपने आपको और अपनों को पीछे छोड़ आए थे। मैंने स...
हमने क्या-क्या देखा
आलेख

हमने क्या-क्या देखा

डॉ. सर्वेश व्यास इंदौर (मध्य प्रदेश) ********************** जब से हमने कोरोना को देखा ना पूछो, हमने क्या-क्या देखा इंसान में हमने भक्षक को देखा इंसान में हमने रक्षक को देखा इंसान को हमने लूटते देखा इंसान को हमने लुटाते देखा पकवान खाते अमीरों को देखा ठोकरें खाते मजदूरों को देखा धनवानोंं को भंडार भरते देखा गरीबों को रोड़ पर मरते देखा विदेशों से लोगों को आते देखा देश में लोगों को पैदल जाते देखा स्वास्थ्यकर्मी पुलिस और निगम कर्मी के रूप में भगवान को देखा उनसे दुर्व्यवहार करने वाले हैवान को भी देखा लोगों की सेवा करते साधक योगी को देखा स्वस्थ होकर धन्यवाद देते रोगी को देखा दूरदर्शन पर महाभारत व रामायण को देखा दुनिया को व्यायाम और योग में परायण देखा साथ समय बिताते परिवार को देखा बैर भाव की गिरते दीवार को देखा जब से हमने कोरोना को देखा ना पूछो, हमने क्या-क्या देखा . परिचय :-  डॉ. सर्वेश व्यास ...