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Tag: डॉ. राजीव डोगरा “विमल”

मेरा बचपन
कविता

मेरा बचपन

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** भुला बिसरा बचपन याद आता है अबोहर की गलियों में खेला हुआ बचपन याद आता है। नई आबादी का दुर्गा मां का सुंदर मंदिर याद आता है। गंगानगर रोड का पर माँ काली का अद्भुत दरबार याद आता है। कॉलेज रोड पर खिलखिलाता यौवन याद आता है। लगड़ी की टिक्की का खटा मीठा स्वाद याद आता है। शहर की गलियों में साथ घूमता वफादार दोस्त याद आता है। मुझे मेरा बचपन ही नहीं मेरा शहर अबोहर याद आता है। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्...
मेरा मुर्शिद
कविता

मेरा मुर्शिद

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** मेरी महफिल में अगर तुम आओ तो सारे शहर के गम ले आओ उन गमों को मेरे मुर्शद की एक मुस्कुराहट से घायल कर जाओ। मेरी महफिल में अगर तुम आओ तो सारे शहर के दर्द भरे अश्क़ ले आओ उन अश्कों को मेरे मुर्शद की एक निगाह से कायल कर जाओ। मेरी महफिल में अगर तुम आओ तो सारे शहर के जख़्म ले आओ उन जख्मों को मेरे मुर्शद के एक नाम से भरकर चले जाओ। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र क...
बेईमान व्यक्तित्व
कविता

बेईमान व्यक्तित्व

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** वक्त का व्यक्तित्व है वरना कौन जानता यहां किसी को? पद की गरिमा है वरना कौन करता यहां सम्मान किसी का? दिल की हसरत है वरना कौन करता यहां इश्क़ किसी को? दुआ होती कबूल यहां वरना कौन करता यहां बंदगी खुदा की? परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहान...
आज़ाद पुरुष
कविता

आज़ाद पुरुष

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** उठो देश के लोगों खुद के अधिकारों को ज़रा एक बार पहचानो। निकलकर झूठे किरदारों से खुद के व्यक्तित्व को ज़रा एक बार निखारो। सत्ता सत्ताधारियों की नहीं सत्ता को अजमाने वालों की सदा होती आई है। खुद की अजमाईस कर खुद की एक सत्ता ज़रा एक बार बनाना सीखो। उठो देश के लोगो खुद के अंदर के सत्य पुरुष को ज़रा एक बार पहचानो। आज़ाद पुरुष की तरह सत्य के लिए एक बार ज़रा जीवन जी कर देखो। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मं...
महादानव
कविता

महादानव

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** जीवित नहीं मुर्दे हो तुम महानगर के महामानव नहीं महादानव हो तुम। अपने मतलब के लिए बनाते हो हर किसी को अपने ख्वाबों का परिंदा फिर कहते हो अब भी मैं हुँ सब में जिंदा। शर्म कर्म बेच कर अपनी दो टके के लोगों को कहते हो सब को किरदार मेरा है अब भी सबसे उम्दा। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानिय...
वास्तविक रहस्य
कविता

वास्तविक रहस्य

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** गली-गली फिरती युवती बन राधा प्रेम भयो न कोई। गली-गली फिरते संत बन योगी ध्यान मग्न न कोई। गली-गली फिरते साधक बन तपस्वी चिंतन करत न कोई। गली-गली फिरते ज्ञानी बन सुविज्ञ आत्मज्ञान करत न कोई। गली-गली फिरते अनुरागी बन कृष्ण आत्म समर्पण करत न कोई। गली-गली फिरते नायक बन योद्धा आत्म द्वंद्व करत न कोई। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं,...
शांति नववर्ष
कविता

शांति नववर्ष

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** नया साल नया पैगाम लाया नफ़रत के बगीचे में महोब्बत का गुलाब खिलाया। छोड़ चुके हैं जो हमें उनको भी हमारा मुस्कुराना याद आया। जलते हैं जो हमारे कार्य से उनको भी हमारा काबिल किरदार याद आया। हार चुके हैं जो जीवन से उनको भी अपना कोई जिंदादिल यार याद आया। थक चुके है जो निज के युद्ध से उनको भी शांति का पैगाम याद आया। नया साल विश्व शांति की अद्भुत सौगात लाया। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परि...
मावठा
कविता

मावठा

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** सर्दी की पहली बरसात उपवन में छाई महीनों के बाद बाहर। छाई हरियाली खेतों में और छिटकी सूर्य की पहली लाल किरण बागों में। दूर वनों में पसरा गहरा कोहरा और घरों में गर्माहट कर रहा काला कोयला। हिमपात हो रहा पहाड़ों पर और बह रहा शीतल स्वच्छ जल नदी नलों में। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां...
भगवती वंदना
स्तुति

भगवती वंदना

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** मां भगवती सदैव आपकी शरण रहूँ भले दुखों का प्रहार हो भले सुखों की बाहर हो। मां भगवती सदैव आपकी चरणवन्दना करुँ भले लोग मेरे खिलाफ़ हो भले लोग मेरे साथ हो। मां भगवती सदैव आपका चिंतन मनन करुँ भले नर्क की यातना झेलू भले स्वर्ग के आमोद-प्रमोद में रहूँ। मां भगवती सदैव आपके उन्माद में रहूँ। भले मुझ में सिद्धि वास करें भले मुझ में रिद्धि उल्लास करें। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छाय...
दीप
कविता

दीप

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** दीप जलते नहीं जलाए जाते है। मोहब्बत की नहीं निभाई जाती है। खुशियां आती नहीं लाई जाती है। अपने बनते नहीं बनाए जाते है। कर्म दिखाए नहीं किए जाते है। हमसफर दिखाया नहीं बनाया जाते है। सत्य समझाया नहीं समझा जाता है। श्री राम बनाए नहीं कर्मो से बना जाता है। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, ...
जगदंबा स्तुति
स्तुति

जगदंबा स्तुति

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** सदा प्रसन्ना मां जगदंबा मम ह्रदय तुम वास करो। लेकर खड़ग त्रिशूल हाथ में मम शत्रुदल संहार करो। चड-मुंड के मुंड धारण कर्ता मम संकट का भी हरण करो। तंत्र विद्या की प्रारंभा देवी शत्रु तंत्र, मंत्र, यंत्र का शमन करो। चौसठ योगिनी संगी कर्ता मम योग विद्या उत्थान करो। रक्तबीज का रक्त पान कर्ता मम शत्रुदल रुधिर पान करो। भैरव के संग नृत्य कर्ता मम शत्रुदल अटहा्स कर ध्वंस करो। जय जय जय मां जगदंबा काली मम ह्रदय तुम सदैव वास करो। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी ...
आधुनिक घुसपैठिए
कविता

आधुनिक घुसपैठिए

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** सदियों का संताप अब ठहर सा गया है। घरौंदो से निकल कर आधुनिकता की दहलीज़ पर बह सा गया है। तराशा हुआ आदमी महानगर की गुलामगिरी में ढह सा गया है। भौतिकता का घुसपैठिया नगर से गांव तक छा सा गया है। विश्वबंधुत्व मुआयने के शिखर में बंगड़ मेघ की भांति रह सा गया है। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानिया...
भौतिक सत्ता
कविता

भौतिक सत्ता

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** जिंदगी जोंक सी रक्त पान कर रही है। मौत के नगर में जिंदगी से खिलवाड़ कर रही है। काले उजले दिन में देश का गणतंत्र सुखे पत्ते की तरह ठिठुर कर अस्फुट हो शिकायत कर रहा है। भौतिकता का कंकाल महानगर की दहलीज लांघकर विक्षुब्ध कर सब को महाविनाश कर रहा है। देश की राजसत्ता पंख उखाड़ कर मध्य वर्ग के जनसत्ता के नाम पर रंगमहल का चुनाव कर रही है। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के ...
कुवलय
कविता

कुवलय

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** कला का पुरस्कार अब मिलता नहीं है चित्र विचित्र होकर भी कोई बिकता नहीं। घर की वापसी अब कोई करता नहीं प्रजातंत्र के लिए कोई लड़ता नहीं। सभ्यता व संस्कृति से अब कोई डरता नहीं श्रमिक के लिए किसी से कोई भिड़ता नहीं। अमल-धवल महामानव अब कोई मिलता नहीं निदाग कुवलय सा शख्स कोई दिखता नहीं। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्...
रणचंडी
कविता

रणचंडी

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** उठो देश की बेटी अब कब रणचंडी बनोगी। कब तक बनकर घर की लक्ष्मी ओरों पर उपकार करोगी। कब तक दुराचारों को सह कर अबला बनोगी। दया,ममता तो रखती हो मगर अपने लिए मान- सम्मान कब रखोगी। कब तक घर की चारदिवारी में रहकर सबके कटू वचन सुनोगी। घर-घर में रहते है दरिंदे कब तुम उनके लिए अब रणचंडी बनोगी। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक...
आंतरिक गुलाम
कविता

आंतरिक गुलाम

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** आजाद हुए हम गौरो से मगर अभी नही हुए औरों से। जीत चुके हैं हम औरों से मगर हारे हुए हैं अभी अपने विचारों से। छोटे को बड़ा, बड़े को छोटा समझना अभी छोड़ा नहीं। जाति-पाति के कठोर नियमों से मुख भी अभी मोड नहीं। क्षितिज से आर जीवन से पार अभी कुछ देखा नही । धर्म कर्म के नाम पर शोषण अभी तक छोड़ा नही। जीवन के तराजू पर कभी खुद को तोला नही। महोबत के नाम पर जिस्म का शोषण अभी तक छोड़ा नही। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हि...
ताड़व
कविता

ताड़व

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** मृत्यु तुम क्यों आ रही हो यू क्यों बार-बार मुस्कुरा रही हो? क्या प्रलय करता हुआ जल तुमको भाँता है? क्या सड़ती हुई लाशें तुम्हें सुकून देती है? क्या तुमको कभी किसी ने पुकारा है? क्या तुमको कभी किसी ने ठुकराया है? किस क्रोध में तुम बरस रही? किस दर्द में तुम तूफा बन बहक रही? क्या देवों की भूमि में आ बसे है राक्षस? तुम जिनका अब नरसंहार कर रही? परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छ...
राहु
कविता

राहु

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** राहु हूँ नई राह दिखता हूँ। पथ पर अग्रसर कर अपार सफलता दिलवाता हूँ। कर्म बुरे करते तो रोग, शत्रुता और ऋण बढ़ाता हूँ। शुभ कर्मो पर धनार्जन के नये मौके दिखलाता हूँ। शुक्र, शनि, बुध मित्रों संग मिलकर राज पाठ का अधिकारी भी बनाता हूं। १८ साल की महादशा में सब के रंग दिखलाता हूँ। तभी तो अपने रंग में रंगा रह कर कैपुट कहलाता हूँ। जापता जो नाम मेरा महादशा में उसके बिगड़े हर काम बनाता हूँ। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हि...
अजीब दास्तां
कविता

अजीब दास्तां

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** अंदर ही अंदर लोग कफ़न ओढ़ रहे है मोहब्बत के नाम पर दफन हो रहे है। देखते नहीं सुनते नहीं समझते भी नहीं बस मोहब्बत के नाम पर गम ढो रहे है। अपनों का परायों का यहां कोई भेद नहीं अपने मतलब के लिए बस छल कर रहे है। जीत का हार का किसी को कोई मतलब नहीं बस अपने रुतबे के लिए औरों को गिरा रहे है। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी...
सामना
कविता

सामना

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** रुख पहाड़ों की तरफ किया तो समझ आया जन्नत इस धरा पर भी है। रुख बादलों की तरफ किया तो समझ आया बदमाशी इनमें भी है। रुख बहती नदी की तरफ किया तो समझ आया जीवन का बहाव इनमें भी है। रुख हरे-भरे खेतों की तरफ किया तो समझ आया जीवन का अंश इनमें भी है। रुख वृक्षों की तरफ किया तो समझ आया जीवन की समझदारी इनमें भी है। रुख डूबती हुई नाव की तरफ गया तो समझ आया जीवन का अंतिम पड़ाव इनमें भी है। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष...
बदलियां गल्ला
आंचलिक बोली, कविता

बदलियां गल्ला

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** (पहाड़ी कविता) अज्ज कल बदलना लग्गियां तेरियां गल्लां तेरे शहरे दे मौसमे सैंई। अज्ज कल बदलना लग्गा। तेरा अंदाज गिरगिटे दे रंगे सैंई। अज्ज कल बदलना लग्गा तेरा प्यार तेरे रुसदे चेहरे सैंई। अज्ज कल बदलना लग्गा तेरा व्यवहार तेरियां नजरा सैंई। अज्ज कल बदलना लग्गे तेरे जज्बात तेरे लफ्जां सैंई। अज्ज कल बदलना लग्गी मेरी अहमियत तेरी बदलिया सोच्चा सैंई। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने पर...
हिमाचल गान
कविता

हिमाचल गान

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** उच्च हिमालय बहती नदियां कल कल करती झरनों की आवाजें फैली हरियाली, सुगंधित सुमन महके समीर, बहकी कलियाँ ऐसी गोद हिमाचल की जय-जय-जय हिमाचल की। ऊंचे वृक्ष, नीची नदियां कर्कश करती चट्टानें चहकते पक्षी, महकती फसलें सरसराहट करता पानी गरजते बादल, बसरते घन ऐसी गोद हिमाचल की जय-जय-जय हिमाचल की। बाल ग्वाल, लाल गाल मदमस्त धूप, अनंत गगन मीठी बातें, ठंडी रातें धौलाधार की श्रंखलाएँ देवों की भूमि, सनातन की आन ऐसी गोद हिमाचल की जय-जय-जय हिमाचल की। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। ...
जीवांत जीवन
कविता

जीवांत जीवन

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** बढो़गे जीवन में तो उड़ते रहोगे जीवांत पक्षी की तरह नहीं तो टूट कर बिखर जाओगे किसी शाख के मुझराये पत्ते की तरह। जीवांत हो तो जीना पड़ेगा सूर्य चांद की तरह नहीं तो पड़े रहोगे शमशान की जली बुझी हुई राख की तरह। जीवांत हो तो महकते रहोगे किसी सुगंधित फूलों की तरह नही तो मुरझा जाओगे किसी टूटे बिखरे फूल की तरह। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते...
कुछ भी नही
कविता

कुछ भी नही

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** न कोई शिकवा न कोई शिकायत। न कोई दर्द न कोई हमदर्द। न कोई अपना न कोई पराया। न कोई सुख न कोई दुख। न कोई चोर न कोई शोर। न कोई राही न कोई हमराही। न कोई जीत न कोई हार। न कोई रक्षक न कोई भक्षक। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी...