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Tag: डॉ. भवानी प्रधान

मेरे पिताजी
संस्मरण

मेरे पिताजी

डॉ. भवानी प्रधान रायपुर (छत्तीसगढ़) ******************** जिस तरह माँ को परिभाषित करने के लिए शब्द कम पड़ जाते हैं वैसे ही पिताजी की अहमियत को समझना आसान नहीं है। बात उन दिनों की है, जब मेरी शादी हो गई थी, और मैं एक बच्चे की माँ बन गई थी। मम्मी -पापा मुझसे मिलने हॉस्पिटल आये थे। बगल के सोफ़े में बैठे मम्मी-पापाजी बातें कर रहे थे। कह रहे थे- बिटिया जब छोटी थी और जब इसकी तबियत ख़राब रहती, तब एक इंजेक्शन लगवाने के लिए भी तैयार नहीं होती थी। बोलती थी डॉ. अंकल मुझे जितना गोली देना है दे दीजिए पर इंजेक्शन मत लगाइयेगा, और आज इतने बड़े आपरेशन के लिए कैसे तैयार हो गई। माँ बोली अब हमारी बेटी बड़ी हो गई है और आज तो हमारी बिटिया को दुनिया का सबसे बड़ा सुख मातृत्व सुख मिला है, तो भला आपरेशन के लिए कैसे मना करती। सच में वह बातें सुनकर मैं भावविभोर हो गई थी। पिताजी सब जानते थे, पर कभी बोलते नहीं थे। ह...
स्वर्ग सी धरती
कविता

स्वर्ग सी धरती

डॉ. भवानी प्रधान रायपुर (छत्तीसगढ़) ******************** धरती ओढे हरियाली चुनर मनमोहक लगे सुन्दर अपार मंद-मंद मुस्कुराई धरा रंग बिरंगे फूलों की डाली वृक्षों का हो सघन विस्तार होले -होले चले शीतल बयार प्रकृति की सौंदर्य निखरे आज खिल उठे वन उपवन आज अलबेली अपनी वसुंधरा रानी सरसों फुले पीली धानी खेतों में लहराये फसलें सारी हरियाली प्रतिक खुशहाली का मद में भरकर झूम रही उपवन की डाली -डाली वृक्षों पर खग कलरव तान नाचे वन में मोर पंख पसार पीहू -पीहू पपीहा करें आज आम्र में कोयलिया कूक रहीं मृग विचारते मधुबन में आज सरिता की निर्मल जल धारा मेघ मिलाते धरती अम्बर कण-कण नव जीवन स्पंदित श्यामल तन पर सुमन सुगन्धित अलबेली अनुपम अतिसुन्दर लगती चराचर आनंद की अनुभूति पर्यावरण लगे सुरभित मनभावन धरा की मिट्टी हो उपजाऊ छलकाये प्रकृति प्रेम गगरिया जीव जगत में तब हो उजियारा . परिचय :- डॉ. भवानी प...
अक्षय वट
कविता

अक्षय वट

डॉ. भवानी प्रधान रायपुर (छत्तीसगढ़) ******************** भारत भूमि त्यौहारों का देश विविधताओं का है समावेश प्रकृति संरक्षण का देता सन्देश वट मूल के नीचे बैठे महेश प्रकृति के सृजन का प्रतीक छाया लेते आते जाते पथिक जेठ मास अमावस तिथि मानते सब वट सावित्री सुहागिने रखती व्रत उपवास पति आरोग्यता का आश वट जैसी घनी प्रेम हो अटल सौभाग्य मेरा हो वट वृक्ष कराता धार्मिकता वैज्ञानिकता, अनश्वर का शोध कराता दीर्घायु, अमरत्व बोध दुनियां में वट वृक्ष अकेला दीर्घायु और अलबेला कल्पांत प्रलय काल में खड़ा मुस्कुराता अकेला यह त्रिमूर्ति का प्रतीक ब्रम्हा, विष्णु और शिव वसुंधरा हमारी माता है नदी, ताल तलैया वस्त्र आभूषण वृक्ष वनस्पतियाँ जीवन दायिनी उसकी घनी शीतल छांव में आते जाते पथिक सुस्ताते स्वच्छ वायु थके को डेरा इसकी डाली चिड़ियों का बसेरा जाने कितने युगों से बड़ा हरा-भरा शांत खड़ा . परिचय :- ड...
कहती है धरती सुनो
कविता

कहती है धरती सुनो

डॉ. भवानी प्रधान रायपुर (छत्तीसगढ़) ******************** कहती है धरती सुनो बहुत कुछ बदल दिया घर बंदी ने प्रकृति के रंग निखर आये पेड़ों के पत्तों का रंग भी कुछ ज्यादा ही गहरा हुआ फूलों की रौनक बढ़ गई शुद्ध हो गई हवा भी सदियों बाद आसमान का नीलापन निखर आया बढ़ गई तारों की चमक चाँद भी मुस्कुराने लगा कहती है धरती सुनो वर्षों बाद शहरों में कोयल की कुक सुनाई दे रही कहीं हंसों के जोड़े लौट आये सड़कों पर कहीं हिरणों के झुंड दिख रहे पर्यावरण ने स्वच्छता शुद्धता का रंग ओढ़ लिया निर्मल हुईं नदियाँ मुस्कुराते बह रहीं घाट किनारे अठखेलियाँ करती मछलीयाँ दिख रही कहती है धरती सुनो जंगल हो या समुन्दर सहज रूप को जाना यह सुन्दर सुखद बदलाव सहअस्तित्व का दे रही सीख हमें . परिचय :- डॉ. भवानी प्रधान जन्म : २४ फरवरी महासमुंद (छ.ग.) पिता : श्री गौतम भोई माता : श्रीमती बिलासिनी भोई पति : श्री शेषदेव प्रधा...