मां
डॉ. भगवान सहाय मीना
बाड़ा पदम पुरा, जयपुर, (राजस्थान)
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मां की परिभाषा संसार।
ममता ईश्वर का आकार।
मां करती जीवन साकार।
बिन तेरे यह जग बेकार।
मां ईश्वर का अहसास,
जन्नत होता मां का प्यार।
मां.....
मां बिन प्रभु भी लाचार।
चुकता नहीं मां का उपकार।
मां खुश होती है,
जग में जीवन अपना वार।
मां.....
मां अनगिनत तेरे प्रकार।
तूं ही दुनिया की सरकार।
भिन्न नहीं ईश्वर से मां,
बनता नहीं बिन मां संसार।
मां.....
संतान में मां होती संस्कार।
मां ही जग की तारनहार।
प्रकृति संवारने में होती,
ईश्वर को मां की दरकार।
मां की परिभाषा संसार।
ममता ईश्वर का आकार।
परिचय :- डॉ. भगवान सहाय मीना (वरिष्ठ अध्यापक राजस्थान सरकार)
निवासी : बाड़ा पदम पुरा, जयपुर, राजस्थान
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौ...