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Tag: डॉ. प्रताप मोहन “भारतीय”

प्यार की पहली नज़र
कविता

प्यार की पहली नज़र

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** उस नज़र के सदके जाऊं जब तुमसे प्यार हुआ। उस नज़र पर कुर्बान जाऊं जब तुम्हारा दीदार हुआ। ******* जब देखा तुम्हे पहली बार हम सुध-बुध खो बैठे। पहिली नज़र में ही अपना दिल हार बैठे। ******* तुम्हारे कातिल नयनों ने किया था मुझे घायल देख के तुम्हारा सौंदर्य मैं हो गया था पागल। ******* तुम्हारे नयन नक्शे पर मैं फिदा हो गया। खुद से तुमको आज तक जुदा नही कर पाया। ******* मत ऐसे सज-संवर के निकला करो बाजार में। हम अपना सब कुछ लूटा देंगे तुम्हारे प्यार में। ******* प्यार की पहली नज़र का भूत अभी तक मुझपर चढ़ा है। परन्तु उसकी तरफ से एक भी कदम आगे नहीं बढ़ा है। परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः ...
दिल की गहराईयों में …
कविता

दिल की गहराईयों में …

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** तुम्हारी याद मुझे हर वक्त आती है। दिल की गहराईयों में समा जाती है। ******** इतना लम्बा साथ था कैसे भूलूंगा तुम्हे। जब तक जिंदा रहूंगा याद करता रहूंगा तुम्हें। ******* जब कभी तुम्हारी कही कोई बात याद आती है। फिर तुम्हारी मोहिनी सूरत मेरे सामने आती है। ******* तुम रहती हो मेरे दिल में कोई तुम्हें नही निकाल पायेगा। किराया दो या मत दो पर यह तुम्हारा घर कहलायेगा। ******** मैं किसी को याद नही करता दिल की गहराइयों से। केवल एक तुम हो जो रहती हो दिल की गहराइयों में। ******** जब तक जिंदा हूं तुम्हे याद करता रहूंगा। हर जन्म में तुमसे मिलने की फरियाद करता रहूंगा। परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ कि उपरोक्त रचना पूर...
न जन्म सहज न मृत्यु सहज
आलेख

न जन्म सहज न मृत्यु सहज

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** पुराने समय में महिलाएं प्रसव घर पर ही करती थी। उस समय दाईया होती थी जो सुरक्षित प्रसव कराती थी। अस्पताल जाने की जरूरत ही नहीं पड़ती थी। न कोई ज्यादा खर्च न कोई झंझट सरलता से प्रसव हो जाता था। वर्तमान युग में प्रत्येक प्रसव अस्पताल में हो रहा है और डॉक्टर पैसा कमाने के चक्कर में साधारण प्रसव के स्थान पर आपरेशन द्वारा प्रसव कराते है। बच्चे के जन्म के साथ परिवार में खुशियां आती है और प्रसव आपरेशन द्वारा होता है तो डॉक्टर का बिल बढ़ जाता है इसलिए आपकी खुशी के साथ साथ डॉक्टर भी खुश हो जाता है। पहिले जब कोई व्यक्ति बीमार या दुर्घटना ग्रस्त होता था तो डॉक्टर यथा संभव साधनों द्वारा उसका उपचार करते थे। उनकी भावना मरीज को ठीक करने की होती थी। जब हमारा उद्देश्य सही होता है तो स्वयं भगवान आपकी मदद करने के लिए आ जाते है और अक्स...
आज की खुशी
कविता

आज की खुशी

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** आज की खुशी क्यों? खुशी हर रोज होना चाहिए। सभी को रोज प्रसन्न रहना चाहिए। ******* आज नही बल्कि हर पल खुश रहा करो। खुशियों के गीत रोज कहा करों। ******* खुशी मन की भावना है जो बाजार में नही मिलती जब मन होता है खुश तो चेहरे पर स्वयं प्रकट होती । ******* हजारों परेशानियां हो मत घबराया करों। हर परिस्थिति में मुस्कुराया करों। ******* हर काम आसान हो जाता है जब हमारा मन खुश हो जाता है। ******* खुश होता है मन तो चेहरे पर रौनक आ जाती है। उदासी हमसे कोसो दूर भाग जाती है। ****** खुद भी खुश रहें और रखें दूसरों की खुशियों का ध्यान। तभी आप बन पायेंगे सबसे महान। ******* परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ कि उपरोक्...
मैं देश नही बेचता
लघुकथा

मैं देश नही बेचता

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ********************  बनारसी दास जी सताधारी पार्टी के बहुत बड़े नेता था। बहुत ही तिकड़मी और प्रभाव शाली थे। वे जब भी गाड़ी से अपने ऑफिस जाते थे तो एक ट्रैफिक सिग्नल पर उनकी मुलाकात एक बच्चे से होती थी वह बच्चा कभी गुब्बारे बेचता कभी फल बेचता था।सीजन के हिसाब से कुछ न कुछ बेचता रहता था। आज भी जब बनारसी जी की गाड़ी सिग्नल पर रुकी। तो बच्चा छाता लेकर के बनारसी दास के पास आया और उनसे खरीदने के लिए बिनती करने लगा। बनारसी दास जी ने इस बच्चे से पूछा- तुम रोज नई-नई चीजें बेचते हो? ऐसी कौन सी चीज है जो तुम नहीं बेचते हो? साहब मैं देश नही बेचता हूं। यह कहकर बालक चुप हो गया परन्तु उस वक्त बनारसी दास जी के चेहरे से रंगत उड़ रही थी। परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता ...
आखरी साड़ी
लघुकथा

आखरी साड़ी

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ********************  रेनू एक मध्यम परिवार की बहु थी। उसको कपड़ो का बहुत शौक था। दिन में दो बार कपड़े बदलना उसकी आदत में शुमार था। उसकी अलमारी में कभी खत्म न होने वाले कपड़ो का भंडार था। इसके बाद उसका मन आज एक और साड़ी खरीदने के लिये ललियात था। रक्षा बंधन आने वाला था और उसने सोचा कि यह नई साड़ी मैं रक्षा बंधन को पहनूगी। शाम को उसका पति राजेश जब घर आया। पति को नाश्ता देकर रेनू ने कहा बाजार चलिए आज एक साड़ी लेनी है। राजेश थका हुआ घर आया था इसके बाद भी उसने ना न की और फटाफट रेनू के साथ बाजार को निकल पड़ा। राजेश और रेनू शहर के एक सबसे बड़े शो रूम पर पहुंचे। रेनू ने ढेर सारी साड़ियां देखी। उनमे से एक साड़ी रेनू को पसंद आ रही थी परन्तु रेनू का मन पास वाले एक शो रूम में साड़ियां देखने का था। सेल्समेन को यह अनुभव हो गया कि रेनू को यह साड़ी पस...
हरे भरे खेत
कविता

हरे भरे खेत

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** जब हो हरे भरे खेत तो किसान को तस्सली मिलती है। उसकी की गयी मेहनत फली भूत दिखती है। ****** हरे भरे खेत देखकर किसान खुश हो जाता हैं। और सपनों की दुनियां में खो जाता हैं। ******* हरे भरे खेत किसान की मेहनत का परिणाम है। अपनी जीविका को देता अंजाम है। ****** हरियाली आंखो को भाती हैं। प्रकृति में चारों ओर खुशी छा जाती है। ******* अगर खेत हरे भरे रहेंगे तो देश में खुशहाली आयेगी। और अन्नदाता किसान की जिंदगी बदल जायेगी। परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा ...
पत्थर हुआ इंसान
कविता

पत्थर हुआ इंसान

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** आजकल इंसान नही रहा इंसान । हो गया है पत्थर समान। ******* प्रत्येक इंसान अपनी दुनियां में खो गया है। इसलिये शायद भावना शून्य हो गया है। ****** समाज में होनी वाली घटना का उस पर कोई असर नहीं होता है। वह तो केवल अपनी मस्ती में मस्त होता है। ****** चाहे हो जाय हत्या चाहे हो जाय बलात्कार उसके कानों पर जूं नही रेंगती। उसको तो केवल अपनी पड़ी रहती हैं। ******* दया,करुणा और सहनुभूति आजकल इंसानों में नहीं मिलती इसलिये दुनियां में अब खुशहाली नही दिखती। ****** अब इंसानियत खो चुका है इंसान। इसलिये पत्थर दिल हुआ है इंसान। ******* परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है। ...
जमाना आजकल
कविता

जमाना आजकल

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** जमाना जैसा था कल वैसा आज है। कभी नही बदलेगा in शायद हमसे नाराज हैं। ******* जमाना हम से मिलकर बनता है। जब हम सुधरेंगे तो जमाना बदलता है। ******* जमाने को दोष मत दीजिए झाकिए अपने गिरेवान में। सब कुछ पता लग जायेगा देखकर अपने गिरेबान में। ******* जमाने को किसी की परवाह नही है। यह बात सौ प्रतिशत सही है। ******** अगर बदलना चाहते हो जमाने को तो बदलाव स्वयं से करो। टांग खींचना लोगों की बंद कर अच्छे काम करो। ******* आजकल हर आदमी अपनी मस्ती में मस्त हैं। अपने दुख से नहीं बल्कि दूसरो की खुशी से ग्रस्त हैं। ******** परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी क...
मैने सोचा इश्क करू
कविता

मैने सोचा इश्क करू

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** इश्क करने के लिये सोचना नही पड़ता। वो स्वयं ही हो जाता हैं। मन किसी की यादों में खो जाता है। ****** इश्क कोई काम नहीं जो इसे सोच कर करें। दिल जिस पर आ जाये उसी से इश्क का इजहार करे। ****** इश्क करे तो इजहार जरूर करे। एक तरफा प्यार कभी परवान नही होता। ****** सुंदर चेहरा देखकर इश्क न करें। सूरत के साथ सीरत की भी जांच करें। ****** कोई आपकी सूरत से इश्क करते है कोई आपकी दौलत से इश्क करते है। इस दुनियां में सच्चे प्रेमी बहुत कम ही मिलते हैं। ****** परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिच...
लम्हों में सिमटी ज़िंदगी
कविता

लम्हों में सिमटी ज़िंदगी

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** ज़िंदगी लम्हों में सिमटी है। खुशी और गम में बंटी है। ******* कुछ लम्हें खुशी के होते हैं। कुछ लम्हें दुःख देते हैं। और हम ज़िंदगी भर यूं ही रोते हैं। ******* लम्हा जिंदगी का एक क्षण है। जो बदलता हर पल है। ******* लम्हें चाहें क्षण भर के हो। पर याद उम्र भर की होती हैं। इसी के सहारे हमें गम या खुशी नसीब होती है। ******* कभी फुरसत के लम्हें होते है कभी काम के लम्हें होते हैं। परन्तु हर वक्त मेरे प्रियतम मेरी यादों में होते है। ******* चुरा लो खूबसूरत लम्हें इस जिंदगी से क्योंकि कितनी बाकी है जिंदगी? किसीको पता नहीं। ******* लम्हों पर भारी पड़ गई है महंगाई। इसलिए फुर्सत के लम्हें नहीं मिलते मेरे भाई। ******* अफसोस न कीजिए बुरे लम्हों को। बुरे थे इसलिये जल्दी चले गये । *****...
स्वास्थ्य ही सब कुछ है
कविता

स्वास्थ्य ही सब कुछ है

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** अच्छा स्वास्थ्य ही हमारे जीवन का आधार है। बिना अच्छे स्वास्थ्य के जीना बेकार है। ******** धन चला गया तो वो दोबारा वापस आ जायेगा। परन्तु स्वास्थ्य की कमी को कोई दूर नही जब कर पायेगा। ******* जब आदमी स्वास्थ्य होता है। तभी हर चीज का आनंद लेता है। ******* करोड़ों रुपये भी बेकार है। यदि आप बीमार है। ******** पहले अच्छा स्वास्थ्य बाद में सारे बाकी काम। खुद भी पालन करें और जमाने को दे ये पैगाम। ******* समय पर खाना, समय पे सोना यदि यह कर लिया। तो जिंदगी में कभी नहीं पड़ेगा रोना। ******* स्वास्थ्य व्यक्ति से ही स्वास्थ्य राष्ट्र बनेगा। यदि होंगे हम बलशाली तो सारा विश्व हमसे डरेगा। ******* परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ पूर्व...
तेरा अहसास …
कविता

तेरा अहसास …

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** दूर होकर भी जो तुम्हारे पास होने का कराता है आभास वही कहलाता हैं अहसास। ******* जब भी मुझे तुम्हारे पास होने का एहसास होता है वह पल मेरे लिए बहुत खास होता है। ******* अहसास से हमें मानसिक बल मिलता है। उसी के आशा से सुनहरा कल मिलता है । ******* अहसास खत्म होने से रिश्ता खत्म हो जाता है क्योंकि बंधन रिश्तों का नहीं बल्कि अहसास का होता है। ******* दूर रहकर भी तेरा अहसास होता है। तू सामने नही पर हर ख्वाब में साथ होता है। ******* अहसास आशा उम्मीद जगाये रखता है। दूर होकर भी प्रियतम को पास बनाए रखता है। ******* जीने के लिये जैसे जरूरी है सांस। वैसे ही जरूरी है हर वक्त तेरा अहसास। परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा क...
मैं ना होती तो …
कविता

मैं ना होती तो …

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** किसी के होनें न होने से दुनियां नहीं रुकती है। सीटे खाली होती हैं तभी तो भरती है। ******* उनके न होने से कुछ फर्क नही पड़ेगा। सूरज पूरब से उगता है वही से उगेगा। ****** यह हमारा वहम है कि मेरे न रहने पर क्या होगा? वही होगा जो कि भगवान को मंजूर होगा। ******* "मैं" शब्द अहंकार का प्रतीक है इसे अपनी ज़िंदगी से हटाए। और अपनी जिंदगी को अच्छे से आगे बढ़ाए। ******* मैं ना होती तो जरूर और कोई आयेगा। शायद मुझसे अच्छा कर जायेगा। ******* हम तो बस यही दुआ करते रहें। हम रहे या न रहें बाकी सब सलामत रहें। परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, ल...
मृदुल वाणी
कविता

मृदुल वाणी

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** हमारी वाणी ही हमारी पहिचान हैं। बिना वाणी के हमारा शरीर बेजान है। ****** वाणी मधुर हो तो सुनने में आनंद आता है। और कठोर हो तो मन खराब हो जाता है। ******* मीठी वाणी बोलने वाला तीखे मिर्च भी बेच देता है। कठोर वाणी बोलने वाला मिठाई भी नहीं बेच पता है। ******* नफरत करते है सभी कठोर वाणी बोलने वाले से। प्यार करते है सभी मृदुल वाणी बोलने वालों से। ******* मीठी वाणी से पराये भी अपने हो जाते हैं। कड़वा बोलने से अपने भी दूर हो जाते है। ******* कोई गीत गाता है कोई भाषण देता है। जब उनकी भाषा होती है मृदुल तो सुनने में आनंद आता है। ******* मधुर वाणी हमें तरक्की के रास्ते पर ले जाती है। कठोर वाणी हमें ऊपर से नीचे गिरती है। ******* यदि आप चाहते है जिंदगी में आगे बढ़ना। तो हमेशा अपनी वाणी ...
कड़ी मेहनत के बिना
कविता

कड़ी मेहनत के बिना

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** कड़ी मेहनत के बिना सफलता नहीं मिलती हैं। बिना कुआं खोदे प्यास नही बुझती है। ****** मेहनत के साथ जब अच्छी किस्मत होती है। तब ही हमारी जिंदगी अच्छे से संवरती है। ****************** एक मजदूर दिन भर धूप में तप कर दो-चार सौ रूपये कमाता है। एक अफसर आफिस में बैठ कर दिन भर लाखों रूपये रिश्वत खाता है। ****** किस्मत अच्छी हो तो लाटरी भी निकल आती है। किस्मत खराब हो तो सारी कमाई भी डूब जाती है। ****** मेहनत के साथ-साथ यदि अच्छी किस्मत मिल जाये। तो दिन दुगनी, रात चौगुनी लक्ष्मी जी आपके घर आये। ******* केवल किस्मत के भरोसे न बैठे मेहनत भी करते जाय। इस प्रकार अपनी जिंदगी को संवारते जाय। ******* हमारी तकदीर भी अच्छे कर्मों से लिखती है। बुरे कर्म और कामचोरी में जिंदगी बिगड़ती है। परिचय : डॉ. प्र...
खुद की खोज कर
कविता

खुद की खोज कर

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** दुनियां दारी के चक्कर में हमने खुद को भुलाया है। हम कौन हैं ये आज तक कोई समझ नहीं पाया है। ******* सारे जमाने की खबर हमें होती है। पर हम कौन है? यह जानने की कोशिश हमसे नही होती है। ******* सबसे पहिले आप खुद पर दे ध्यान । जब आप स्वास्थ्य रहेंगे तो ही सब पर दे पायेंगे ध्यान। ****** जिसने खुद को समझा है उसने खुदा को पाया है। बाकी ने तो अपना जीवन व्यर्थ में गावायां है। ******* में कौन हूं? दुनियां में क्यों आया हूं? इन प्रश्नों को जिसने हल किया है। वास्तव में जिंदगी जीने का मजा उसने लिया है। ****** भले करें चिंता जमाने की परन्तु खुद का भी ध्यान रखें। सबके साथ चलते रहें पर खुद का भी ध्यान रखें । परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शप...
तेरे जाने के बाद
कविता

तेरे जाने के बाद

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** आयेगी बहुत तेरी याद तेरे जाने के बाद। दिल करेगा फ़रियाद तेरे जाने के बाद। ****** जब जाना था छोड़कर तो आई ही क्यों थी। जब साथ नहीं था निभाना तो आई ही क्यों थी। ****** ये तेरी बेवफाई हमें बहुत तड़पायेगी। दिन तो कैसे भी कट जायेगा रात नहीं गुजर पायेगी। ****** सच्चा प्यार करने वाले दूसरे के लिये जान देते है। खुद को तन्हा कर दूसरे का जीवन गुलजार कर देते है। ****** मेरा दिल तेरी अमानत है। नही रहेगा दूसरा कोई तेरे जाने के बाद। ****** नहीं भुला पाऊंगा कभी तुम्हारी याद। मरते दम तक तुमको करता रहूंगा याद। परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानिया...
बचपन
कविता

बचपन

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** उम्र हो गई है अब मेरी पचपन। नहीं भूल पाया हूं अब तक बचपन। न किसी की चिंता थी न कोई फिक्र थी। दुनियां में कुछ भी होता रहे हमारी जिंदगी बेखबर थी। हमेशा अपनी मस्ती में मस्त रहते थे। मां को छोड़कर अन्य किसी से नहीं डरते थे। "माल्या"नही थे फिर भी जहाज चलाते थे। बरसात के पानी में कागज़ की नांव चलाते थे। सारा दिन खेलना कूदना सारा दिन मस्ती करना रोना और हंसना कभी चुप नही रहना। व्यापार का खेल खेलकर लाखों रुपये कमाए। तब शायद आज हम सच्चे व्यापारी बन पाए। चिंता और तनाव शब्द हमारे शब्द कोश में नहीं था। जिंदगी में एक अलग प्रकार ही का मजा ही था। बीत गया बचपन बस उसकी यादें अब शेष है। मेरे जीवन में बचपन का महत्व विशेष है। परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क-...
अन्न-जल
संस्मरण

अन्न-जल

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** मैं बद्दी (हि.प्र.) में रहता हूं और मेरी बुआ दमोह(म.प्र.) में रहती हैं। तीन महीने पहिले बुआजी का फोन आया। उन्होंने बताया कि २५ दिसंबर को मेरे पोते की शादी है और तुम्हे जरूर आना है। वैसे भी शादी के अवसर पर ढेर सारे रिश्तेदारों से मुलाकात हो जाती है इसलिए मेरा भी प्रयास रहता है कि मैं इस प्रकार के प्रत्येक कार्यक्रम में जरूर उपस्थित रहूं। २५ दिसम्बर को उनके यहां शादी थी मैने २३ दिसम्बर को अपना रेल आरक्षण करा के रख लिया। मैं २३ दिसम्बर को बस से दिल्ली के लिए रवाना हुआ क्योंकि दिल्ली से आगे के लिये रेलगाड़ी में आरक्षण करा के रखा था। बस जैसे ही दिल्ली की सीमा में घुसी ट्रैफिक बहुत जाम था एक से डेढ़ घंटा इस ट्रैफिक से निकलने में लग गया। बस से उतर कर ऑटो से रेलवे स्टेशन की ओर बढ़ा यहां पर भी ट्रैफिक में जाम लगा हुआ था। स...
सारे धर्म नेक है
कविता

सारे धर्म नेक है

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** सभी धर्मो का करे सम्मान। भारतीय संविधान देता है यह पैगाम। हमारे देश की सबसे बड़ी विशेषता धर्म निरपेक्षता। एक देश-अनेक धर्म करते रहो अच्छे कर्म। मत पालो भ्रम अच्छे है सारे धर्म। धर्म निरपेक्षता का उदाहरण भारत में पाया जाता हैं। यहां हर मुस्लमान भी दीवाली मनाता है। पाले अपने धर्म को और करे दूसरो का सम्मान सब एक दूसरे मे मिलकर रहें हिंदू हो या मुसलमान। सारे धर्म अच्छे है सारे धर्म नेक है। एक है भारत देश पर यहां धर्म अनेक है। गुरुद्वारे के लंगर में सभी लोग जाते है। ईद की सेवईया हिंदू भाई भी खाते हैं। अपने धर्म को शिद्दत से निभाये। न करे ऐसे काम कि दूसरे को तकलीफ हो जाय। कहीं अली की जय है कहीं बजरंगबली की जय है। हमारे देश में तो सारे धर्मो की जय है। परिचय : डॉ. प्रताप...
मेरी मां
कविता

मेरी मां

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** जन्मदाता है मां जिंदगी उसी से शुरू होती हैं। चाहे हमारे बच्चे हो जाय फिर भी मां की जरूरत होती हैं। एक छोटा अक्षर है मां जिसमे पूरी दुनिया समाई है। धरती पर मां भगवान के रूप में आयी हैं। मां ही प्रथम शिक्षक मां ही भगवान है। मां के बिना यह दुनियां वीरान है। चोट मुझे लगती है दर्द उनको होता है। अगर मैं बीमार हो जाऊं तो उनका जीना हराम हो जाता हैं। जब तक न पहुँचूँ घर बार-बार फोन लगती है। मुझे कुछ भी हो जाय, तो रोने लग जाती हैं। मां डांट भी प्यार से लगती है। मेरे उज्जवल भविष्य के लिये, अपना वर्तमान दाव पर लगती हैं। अब नहीं रही मां उनकी यादें ही शेष है। अब मां की स्मृतियां ही मेरे लिये विशेष है। परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं ...
सच्चाई की राह में
कविता

सच्चाई की राह में

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** बहुत कांटे मिलेंगे सच्चाई की राह में। बहुत लोग रोड़ा लगायेंगे सच्चाई की राह में। आसान नहीं है चलना सच्चाई की राह में। दोस्त दुश्मन बन जायेंगे सच्चाई की राह में। ये दुनियां सच्चाई पसंद नहीं करती है। झूठ बोल कर अपना गुजारा करती है। जो भी सच्चाई की राह में चला है। उसको अपनो ने ही छला है। झूठ का कोई भविष्य नहीं सच हमेशा जीतेगा। चलते रहिये सच्चाई की राह पर भविष्य उज्जवल रहेगा। परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच ...
रोशनी का त्योंहार
कविता

रोशनी का त्योंहार

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** दीपावली है रोशनी का त्योहार इसे मनाये दिल के अंदर का अंधेरा हटाये। दियो से जगमग रोशनी आती है मन को प्रफुल्लित कर जाती है। किसी गरीब के घर को भी करें रोशन करने का प्रयास तभी सच्ची खुशी का होगा आपको आभास। अंधेरो को निगलती है रोशनी काश सबके दुखों को निगल जाय रोशनी। एक दीपक भी अंधेरे को खा जाता है। रोशनी देकर आपके जीवन में बहार लता है। इस दीपावली पर नफरतों के दिये जलाओ और। खुशियों का प्रकाश पाओ। परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं,...
मुसाफिर
कविता

मुसाफिर

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** जो व्यक्ति कर रहा होता है सफर। उसे ही हम कहते है मुसाफिर। ****** इस दुनिया में हम मुसाफिर है मगर हमने यहां के स्थायी निवासी की गलत फहमी पाल ली है। ****** यदि अच्छा मिल जाता हैं हमसफर तो बहुत अच्छे से कटता है मुसाफिर का सफर। ****** अपने सफर को खुशनुमा बनाये, जब भी बने मुसाफिर समान कम ले जाये। ****** मंजिल मिल जाने पर पूरा हो जाता हैं सफर फिर चलने वाला नहीं होता मुसाफिर। ****** थक सा गया हूं जिंदगी के सफर में, अब मुझसे मुसाफिरी नहीं होती । ****** इस जिंदगी में कभी खुशी कभी गम आते है, परंतु मुसाफिर हर दौर में मुस्कुराते हैं। परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है। ...