रोना
डॉ. जयलक्ष्मी विनायक
भोपाल (मध्य प्रदेश)
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रोने में कोई बंदिश नहीं
रोने में कोई मनाही नहीं
रोने में टैक्स नही लगता
रोने को कोई नहीं रोकता।
जब इच्छा हुई रोलो
रोना व्यक्तिगत भावना है
आंसू हमारी संपत्ति है
रोलो हल्के हो जाओ।
सारी समस्याओं का हल रोना
किसी को इससे आपत्ति नही
रुंधे गले से रो, हिचकियां ले रो
अविरल रो, सिसक के रो।
आर्तनाद करो, चीख के रो
छुपके रो, असहाय हो तो रो
छाती पीट के रो, रुदाली बनो
बेतहाशा, फफक के रो।
रोना एक ऐसी कुंजी है
जो हर विपदा से बचने हेतु
राहत का ताला खोलती है
रोना आंखों को धोता है
रोना मन को निर्मल करता है।
अश्रुसिक्त नयन
सौन्दर्य सूचक, मनमोहक
आकर्षण के द्योतक
कमल नयन, मृगनयन
रोने के पश्चात, मन में उत्साह,
उम्मीद के संचारक आंसू,
पुनः हंसी और मिलन का
स्वागत करते हैं ।
परिचय :- भोपाल (मध्य प्रदेश) निवा...