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Tag: डॉ. कोशी सिन्हा

बार-बार जल जाने को
कविता

बार-बार जल जाने को

डॉ. कोशी सिन्हा अलीगंज (लखनऊ) ******************** बार-बार जल जाने को बार-बार मर जाने को बार-बार मिट जाने को प्रतिवर्ष आ जाता है रावण अन्याय और अत्याचार असत पूर्ण दुर्व्यवहार का होकर प्रतीक और कटु और कटुतर बनकर लेकिन, रावण ही नहीं आता है बारम्बार! आते राम भी हैं बारम्बार कलेवर बदल बदल कर। अन्याय के ध्वंस हित अत्याचार के विध्वंस हित रुक नहीं पाते हैं राम वह भी आते हैं प्रतिवर्ष रूप, वेश भूषा बदल-बदल कर हम पहचान नहीं पाते हैं पर, वह आते अवश्य हैं। परिचय :- डॉ. कोशी सिन्हा पूरा नाम : डॉ. कौशलेश कुमारी सिन्हा निवासी : अलीगंज लखनऊ शिक्षा : एम.ए.,पी एच डी, बी.एड., स्नातक कक्षा और उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं में अध्यापन साहित्य सेवा : दूरदर्शन एवं आकाशवाणी में काव्य पाठ, विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में गद्य, पद्य विधा में लेखन, प्रकाशित पुस्तक : "अस्माकं संस्कृति...
जय माँ कात्यायिनी
कविता

जय माँ कात्यायिनी

डॉ. कोशी सिन्हा अलीगंज (लखनऊ) ******************** नमो नमो माँ जयतु कात्यायिनी दु:ख मेंटनी धूम्रलोचन माते कालग्रासिनी अघमोचिनी शुम्भ निशुम्भ मर्दिनी विनाशिनी पाप वारिणी चुण्ड मुण्ड को यमलोक प्रेषिणी जय भवानी महिषासुर त्रिशूल संहारिणी दुर्गे शिवानी जगत हित प्रगटी कात्यायिनी मातु भवानी परिचय :- डॉ. कोशी सिन्हा पूरा नाम : डॉ. कौशलेश कुमारी सिन्हा निवासी : अलीगंज लखनऊ शिक्षा : एम.ए.,पी एच डी, बी.एड., स्नातक कक्षा और उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं में अध्यापन साहित्य सेवा : दूरदर्शन एवं आकाशवाणी में काव्य पाठ, विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में गद्य, पद्य विधा में लेखन, प्रकाशित पुस्तक : "अस्माकं संस्कृति," (संस्कृत भाषा में) सम्मान : नव सृजन संस्था द्वारा "हिन्दी रत्न" सम्मान से सम्मानित, मुक्तक लोक द्वारा चित्र मंथन सृजन सम्मान, महात्मा गाँधी शांति सम्मान आदि स...
आओ माँ कुष्माण्डा
स्तुति

आओ माँ कुष्माण्डा

डॉ. कोशी सिन्हा अलीगंज (लखनऊ) ******************** काषाय कल्मष सब जिनसे हैं हारे हे कुष्माण्डा देवी, आओ हमारे द्वारे नवरातों में तेरे भक्त लगाते गुहारे शैलजा भवानी आओ हमारे द्वारे कर जोड़ करें हम‌ विनती तिहारे दु:ख क्लेश सब मिटा दे तू हमारे जय माता दी, कह, भक्त बुलाते सारे गिरिजा भवानी, आओ हमारे द्वारे शक्ति, स्फूर्ति, ज्योति तेरे ही सहारे क्षमा ज्ञान, दया मातु तेरे ही आधारे शत्रु-दल का करे तू ही तो संहारे हे माता पार्वती, आओ हमारे द्वारे स्वागत हेतु लाये हैं नैवेद्य हम सारे आकर बढा जगदम्बिके मान हमारे करुणामयी ! हम हाथ हैं देखो पसारे मातेश्वरी!आ भी जाओ हमारे द्वारे। परिचय :- डॉ. कोशी सिन्हा पूरा नाम : डॉ. कौशलेश कुमारी सिन्हा निवासी : अलीगंज लखनऊ शिक्षा : एम.ए.,पी एच डी, बी.एड., स्नातक कक्षा और उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं में अध्यापन साहित्य सेवा : दूरदर...
पितर हमारे
कविता

पितर हमारे

डॉ. कोशी सिन्हा अलीगंज (लखनऊ) ******************** पितृ पक्ष में सारे पितर हमारे आशीषों संग धरा पर हैं पधारे स्वागत है मन -प्राण व आत्मा से उनके प्रेम से हृदय हमने हैं सँवारे शुभ्र स्नेह व आशीषों से भरे हम जीते हैं उनकी स्मृतियों के सहारे प्रतिदान उनके‌ दान का है असंभव भाव-सुमन अर्पित, फल्गु के किनारे उनके बताये आदर्शों पर चलकर हम बनायें उन्हें, सदा ही परम सुखारे। परिचय :- डॉ. कोशी सिन्हा पूरा नाम : डॉ. कौशलेश कुमारी सिन्हा निवासी : अलीगंज लखनऊ शिक्षा : एम.ए.,पी एच डी, बी.एड., स्नातक कक्षा और उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं में अध्यापन साहित्य सेवा : दूरदर्शन एवं आकाशवाणी में काव्य पाठ, विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में गद्य, पद्य विधा में लेखन, प्रकाशित पुस्तक : "अस्माकं संस्कृति," (संस्कृत भाषा में) सम्मान : नव सृजन संस्था द्वारा "हिन्दी रत्न" सम्मान से सम्मानित, मु...
शिव महिमा
स्तुति

शिव महिमा

डॉ. कोशी सिन्हा अलीगंज (लखनऊ) ******************** तुम ही आदि अनादि अनन्त हो घट-घट वासी सर्व दिग् दिगन्त हो गौरा को अमर कथा गुहा में सुनाये उभय कपोतों को भी सहज अमर बनाये सर्वत्र व्याप्त अविनाशी समान्त हो त्रिनेत्र धारी अविकल व प्रशान्त हो सहज प्रसन्न होते, हो अति ही भोले अंग भस्म रमाते, हो गले सर्प डाले सर्व हितकारी शिव सर्वत्र रमन्त हो त्रिशूलधारी डम-डम डमरू बजन्त हो हलाहल पीकर नीलकंठ कहलाये जटा बाँध गंगा, गंगाधर कहलाये भक्तन हितकारी, सदा सर्व सुखन्त हो उर्ध्व अध विराजित, नितान्त एकान्त हो। परिचय :- डॉ. कोशी सिन्हा पूरा नाम : डॉ. कौशलेश कुमारी सिन्हा निवासी : अलीगंज लखनऊ शिक्षा : एम.ए.,पी एच डी, बी.एड., स्नातक कक्षा और उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं में अध्यापन साहित्य सेवा : दूरदर्शन एवं आकाशवाणी में काव्य पाठ, विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में गद्य, पद्य ...
हरी-हरी बालियाँ
कविता

हरी-हरी बालियाँ

डॉ. कोशी सिन्हा अलीगंज (लखनऊ) ******************** हरी-हरी सी मधुरिम ये बालियाँ खिली धरा की हैं रोमावालियाँ अनाज की सोंधी महक इनमें हैं हर होंठ की खुशी है फूलोंवालियाँ धरा की स्वर्णिम आभा इनसे हैं आकाश की ओर बढती ये बालियाँ हवा के संगीत संग डोलती झूमती नृत्य कर रही हैं ये घुंघरूवालियाँ सूरज की चमक से चमकेंगी ये यही तो हैं घर-घर की खुशहालियाँ। परिचय :- डॉ. कोशी सिन्हा पूरा नाम : डॉ. कौशलेश कुमारी सिन्हा निवासी : अलीगंज लखनऊ शिक्षा : एम.ए.,पी एच डी, बी.एड., स्नातक कक्षा और उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं में अध्यापन साहित्य सेवा : दूरदर्शन एवं आकाशवाणी में काव्य पाठ, विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में गद्य, पद्य विधा में लेखन, प्रकाशित पुस्तक : "अस्माकं संस्कृति," (संस्कृत भाषा में) सम्मान : नव सृजन संस्था द्वारा "हिन्दी रत्न" सम्मान से सम्मानित, मुक्तक लोक द्वारा चित्र मंथन...
हिन्दी हमारी
कविता

हिन्दी हमारी

डॉ. कोशी सिन्हा अलीगंज (लखनऊ) ******************** हिन्दी तन है, हिन्दी मन है, हिन्दी है अभिलाषा हिन्दी ही तो है हम सबके मन से निकली भाषा शब्दों का अखंड संसार भरा हुआ है इसके अन्दर भावों को व्यक्त करने का आसार है इसके अन्दर फैशनेबुल अँग्रेजियत में तो है इक परायापन सीधी सरल हिन्दीपन में तो है सरल अपनापन सक्षम है उठाने को ज्ञान व विज्ञान का अतुल भंडार संभाले है विकट व्याकरण का विषम व्यापार हिन्दुस्तान‌ की पावन भूमि से है यह निकली मन प्राण में रमती सरकती हुई है यह चली बहती गंगा की की तरह निर्मल है हमारी हिन्दी स्वदेश के भाल पर यह सुशोभित है ज्यों बिन्दी नमन करें, शमन करें हम हिन्दी के पुरोधाओं की गायें, लिखें, पढें व डाले एक हवि हम समिधाओं की। परिचय :- डॉ. कोशी सिन्हा पूरा नाम : डॉ. कौशलेश कुमारी सिन्हा निवासी : अलीगंज लखनऊ शिक्षा : एम.ए.,पी एच डी, बी.एड....
राखी का धागा
कविता

राखी का धागा

डॉ. कोशी सिन्हा अलीगंज (लखनऊ) ******************** राखी धागा है शुभ्र स्नेह का निश्छल, निर्मल, निष्कलुष नेह का भोले बचपन की मोहक स्मृतियों का भोलेपन की नोंकझोंक भरी विसंगतियों का लड़ झगड़ कर मनाने का अपना हिस्सा बाँटने का सीखने व सिखाने का अनूठा बंधन है प्यार का तोड़े से टूटे नहीं, ऐसे प्यार का रचा बसा है इसमें अपनापन अन्तरंगता का अनोखापन। थाल सजा कर लाई बहना बाँधेगी आज राखी बहना अपने भाइयों की कलाइयों पर सृजेता की सूक्ष्म कलाइयों पर प्राणवन्त तुलसी की कलाइयों पर देश के प्रहरियों की कलाइयों पर राष्ट्र के सीमा रक्षकों की कलाइयों पर, देश के कर्णधारों की कलाइयों पर बहनों का रक्षा-सूत्र शुभ्र दिव्य उज्ज्वल परम पवित्र बने भंडार अजस्र शक्ति का ज्ञान चरित्र की महा युक्ति का सत्व गुणों के महा उत्थान का देश-प्रेम के महा प्रमाण का शुभ्र, शुभ-शुभ कल्याण का...
हे कैलाशपति
कविता, भजन, स्तुति

हे कैलाशपति

डॉ. कोशी सिन्हा अलीगंज (लखनऊ) ******************** हे कैलाशपति ! हे गिरिजापति ! हम भक्त हैं तेरे, भोले भाले हे जगतपति! हे गौरीपति ! तुम सगरे जग से हो निराले हे देवाधिदेव ! महेश हो तुम तेरी महिमा को पार न पावे त्रिलोक के स्वामी हो तुम लंगड़ा, गिरि पर चढ जावे तेरी भक्ति की शक्ति से स्वामी असंभव सब संभव हो जावे हे योगी महा ! हे अन्तर्यामी ! तुम से प्रलय में, लय हो जावे हे त्रिशूल धारी ! डमरू निनाद कर भक्ति की डगर, आज बता दे हे विषपायी! गंगा को बहा कर पावनता की लहर, अब जगा दे। परिचय :- डॉ. कोशी सिन्हा पूरा नाम : डॉ. कौशलेश कुमारी सिन्हा निवासी : अलीगंज लखनऊ शिक्षा : एम.ए.,पी एच डी, बी.एड., स्नातक कक्षा और उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं में अध्यापन साहित्य सेवा : दूरदर्शन एवं आकाशवाणी में काव्य पाठ, विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में गद्य, पद्य विधा में लेखन, प्रकाशित पुस्त...
होली खेलत हैं कन्हाई
कविता

होली खेलत हैं कन्हाई

डॉ. कोशी सिन्हा अलीगंज (लखनऊ) ******************** होली खेलन को आये हैं कन्हाई रंग और गुलाल लेके हैं छुपाई ग्वाल बाल संग लेके पिचकारी सखियन पर मारि‌ रहे हैं फुहारी प्रेम के रंग से गगन हुआ लाल राधिका, गोपिका सब हुई निहाल मधुमय मधुर रंग भरी यह होली ब्रज वनितायें सब उनकी होली परिचय :- डॉ. कोशी सिन्हा पूरा नाम : डॉ. कौशलेश कुमारी सिन्हा निवासी : अलीगंज लखनऊ शिक्षा : एम.ए.,पी एच डी, बी.एड., स्नातक कक्षा और उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं में अध्यापन साहित्य सेवा : दूरदर्शन एवं आकाशवाणी में काव्य पाठ, विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में गद्य, पद्य विधा में लेखन, प्रकाशित पुस्तक : "अस्माकं संस्कृति," (संस्कृत भाषा में) सम्मान : नव सृजन संस्था द्वारा "हिन्दी रत्न" सम्मान से सम्मानित, मुक्तक लोक द्वारा चित्र मंथन सृजन सम्मान, महात्मा गाँधी शांति सम्मान आदि से सम्मानित। निरन्तर लेखन कार्...
मकर संक्रांति
कविता

मकर संक्रांति

डॉ. कोशी सिन्हा अलीगंज (लखनऊ) ******************** धूमिल कोहरे के गर्त्त से निकल कर आया देखो पूरब में लाल सूरज उग कर है आया सप्त घोड़े पर सवार होकर, यह सूर्य देवता धनु राशि से मकर राशि पर है आज आया दक्षिणायन से होकर और उत्तरायण आकर सूरज ने सबको है, आज सुख सरसाया शुभ कर्म सारे सभी के, ठहर से गये थे शुभ कर्मों हित द्वार है, आज खुलवाया काले सफेद तिल की और खिचड़ी की तरह मिले जुले से मौसम ने है, द्वार खटकाया झेल रहे थे पीड़ा, भीष्म शर-शय्या पर उनकी दुस्सह व्यथा हटने का क्षण आया कहर ढाती, सिहरती शीत-लहर के मध्य बसंत की धीम आहट लेकर है आज आया परिचय :- डॉ. कोशी सिन्हा पूरा नाम : डॉ. कौशलेश कुमारी सिन्हा निवासी : अलीगंज लखनऊ शिक्षा : एम.ए.,पी एच डी, बी.एड., स्नातक कक्षा और उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं में अध्यापन साहित्य सेवा : दूरदर्शन एवं आकाशवाणी में काव्य पाठ, विभिन्न पत्र...
काशी
कविता

काशी

डॉ. कोशी सिन्हा अलीगंज (लखनऊ) ******************** महिमामय शिवत्व को प्रकाशित करती काशी शिव के पावन त्रिशूल पर विराजित काशी नृप हरिश्चन्द्र की सत्य साधना बताती काशी राम चरित के रचयिता तुलसीदास की काशी पंडितों, विद्वानों, संगीतज्ञों, गुणज्ञों की काशी गंगा के अति पावन जल को सरसाती काशी भौतिकता में अध्यात्म की अलख जगाती काशी शिव की अवर्णनीय दुति दमकाती काशी सगरे जग में पावनता की छटा दिखाती काशी धरा पर पुनीत धर्म की ध्वजा लहराती काशी रहते हैं यहाँ अर्द्धनारीश्वर ईश्वर अविनाशी पुण्य सलिला अविरल गंगा है यहाँ सुखराशी मोक्षदायिनी, सुखदायिनी यव कल्याणी काशी नत मस्तक हैं आकर यहाँ सब भारतवासी। परिचय :- डॉ. कोशी सिन्हा पूरा नाम : डॉ. कौशलेश कुमारी सिन्हा निवासी : अलीगंज लखनऊ शिक्षा : एम.ए.,पी एच डी, बी.एड., स्नातक कक्षा और उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं में अध्यापन साहित्य सेवा : द...
सुपावन बेला
कविता

सुपावन बेला

डॉ. कोशी सिन्हा अलीगंज (लखनऊ) ******************** सुपावन बेला अमावस की, यामिनी का दीप श्रृंगार रूप अनूठा आज धरा का, अनुपम छवि नयन भर निहार ।।१।। माँ लक्ष्मी कमलासन बैठी, विराजे आकर के‌ गणेश अन्न व धन बरसाने वाली, गणपति बुद्धि देते अपार।‌।२।। नमामि बिष्णु पत्नी भवानी, करो कल्याण अखिल जग का खड़े हैं दीपमाला लेकर, विनय करते हैं बार -बार।।३।‌। ज्योति अपनी छिटकाओ माँ, कलुष क्लेश रह न जाये माँ दया करो हे गणपति तुम भी, दो हमें बुद्धि का भंडार।।४।। हर कोना प्रकाशित हो यहाँ, हर चेहरे हों खिले खिले विवश बेचारा न हो कोई, खुशियाँ आयें पंख पसार ।।५।। परिचय :- डॉ. कोशी सिन्हा पूरा नाम : डॉ. कौशलेश कुमारी सिन्हा निवासी : अलीगंज लखनऊ शिक्षा : एम.ए.,पी एच डी, बी.एड., स्नातक कक्षा और उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं में अध्यापन साहित्य सेवा : दूरदर्शन एवं आकाशवाणी में काव्य ...
यह जीवन है
कविता

यह जीवन है

डॉ. कोशी सिन्हा अलीगंज (लखनऊ) ******************** रेल की दो पटरियाँ विछी हैं ज्यों दो क्यारियाँ साथ चलती हैं अनवरत बढती रहती हैं सतत रिश्तों की भी होती हैं संग बढने वाली पटरियाँ एक दूसरे पर जब चढ जाती हैं लिपट जाती हैं प्रेम वश ईर्ष्या वश कटुता वश तब भूचाल होता है संकट विशाल होता है। आहत होता है क्षत-विक्षत होता है तन-मन भी और आत्मा भी। बढने दो जीने दो अपने सुलक्ष्य पर यही प्रशांत मन है यही जीवन है परिचय :- डॉ. कोशी सिन्हा पूरा नाम : डॉ. कौशलेश कुमारी सिन्हा निवासी : अलीगंज लखनऊ शिक्षा : एम.ए.,पी एच डी, बी.एड., स्नातक कक्षा और उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं में अध्यापन साहित्य सेवा : दूरदर्शन एवं आकाशवाणी में काव्य पाठ, विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में गद्य, पद्य विधा में लेखन, प्रकाशित पुस्तक : "अस्माकं संस्कृति," (संस्कृत भाषा में) सम्मान : नव सृजन संस्था द्वा...
हिन्दी और हम
कविता

हिन्दी और हम

डॉ. कोशी सिन्हा अलीगंज (लखनऊ) ******************** (१४ सितम्बर २०२१ को हिंदी दिवस पर राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच द्वारा आयोजित अखिल भारतीय कविता सृजन प्रतियोगिता विषय हिंदी और हम में प्रथम स्थान प्राप्त कविता।) पंक्तियाँ - १२ गोमुख से जैसे आकर गंगा निर्मल निकली देवभाषा संस्कृत से पावन हिन्दी प्रबल निकली।।१।। धरा को सरस सुहावन, पतित पावन बनाती सुरसरी सरकती सचल निकली।।२।। भाव-भाषा, ज्ञान-विज्ञान को संग लेकर हिन्दी प्रमुदित, हर्षित, चहुँदिश सजल निकली।।३।। जन-मन को हरषाती, अति पुलक बढाती देश-विदेश बढती, सरसाती सकल निकली।।४।। गद्य-पद्य में कवि व लेखकों को अपनाती गौरव-गान गाती, गीतों में मचल निकली।।५।। गाय, गंगा, गीता सी परम पावनी हिन्दी जन-मन भाती हिन्दी, सर्वत्र सबल निकली।।६।। परिचय :- डॉ. कोशी सिन्हा पूरा नाम : डॉ. कौशलेश कुमारी सिन्हा निवासी : अलीगंज लखन...
हमारी आन बान शान है हिन्दी
कविता

हमारी आन बान शान है हिन्दी

डॉ. कोशी सिन्हा अलीगंज (लखनऊ) ******************** हमारी आन बान शान है हिन्दी हमारी अपनी पहचान है हिन्दी आँग्ल भाषा आये या कि जाये यही हमारी भूषित भाल बिन्दी कलेवर भाव भाषा व ज्ञान के अप्रतिम क्षमता हैं पहचान के नित नये आयाम को गढती सरकती, बहती और बढती विविध बोलियों को अपनाती अपनी छाप सर्वत्र छोड़ आती यही तो कैलाशपति की नन्दी यही है हमारी अपनी हिन्दी इसमें तुलसी सूर कबीर मीरा केशव भूषण मतिराम धीरा प्रसाद, पंत, महादेवी, निराला दिनकर मैथिली शरण आला अनगिन मनीषियों के विचार व्यक्त हुये हैं लेकर सदाचार वहन करती ज्ञान की गंगा इसमें रहते मुरलीधर त्रिभंगा यह भाषा नहीं वरदान है हिन्दी स्वदेश का स्वाभिमान है हिन्दी हृदय में बसी हुई आन है हिन्दी हमारी यही पहचान है हिन्दी। परिचय :- डॉ. कोशी सिन्हा पूरा नाम : डॉ. कौशलेश कुमारी सिन्हा निवासी : अलीगंज लखनऊ शिक्षा : एम....
पहली शिक्षक माँ होती है।
कविता

पहली शिक्षक माँ होती है।

डॉ. कोशी सिन्हा अलीगंज (लखनऊ) ******************** पहली शिक्षक माँ होती है। प्रारम्भिक पाठशाला माँ होती है फिर, पिता और घर-परिवार वाले अडोस पड़ोस और सब दुनियाँ वाले सब होते हैं शिक्षक जिन्दगी को समझाने वाले शिक्षक कल -कल बहती नदिया चलते रहना सिखाती सखियाँ पत्थरों से टकराते झरने सिखाते गिर कर उठने ऊपर फैला विस्तीर्ण आकाश कहता ऊँचे उठो, भर लो मन में उजास ऊँचे कठोर पर्वत बनाते संकल्प मजबूत यह विशाल धरती सँभाले है जगती लहराती कोमल पत्तियाँ आशाओं की जगाती लहरियाँ शिक्षा का अनुदान सर्वत्र फैला है निधान प्रकृति अखिल शिक्षक है जीवन सदा नत मस्तक है। परिचय :- डॉ. कोशी सिन्हा पूरा नाम : डॉ. कौशलेश कुमारी सिन्हा निवासी : अलीगंज लखनऊ शिक्षा : एम.ए.,पी एच डी, बी.एड., स्नातक कक्षा और उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं में अध्यापन साहित्य सेवा : दूरदर्शन एवं आकाशवाणी में काव्य पाठ...
नीचे धरती ऊपर आसमान
कविता

नीचे धरती ऊपर आसमान

डॉ. कोशी सिन्हा अलीगंज (लखनऊ) ******************** नीचे धरती ऊपर आसमान है ठहरा वहाँ तक अपना यह तिरंगा है लहरा बलिदानों की गाथा है इसमें छुपी हुई प्रेरणा का असीम श्रोत है इसमें गहरा आज गायेगा हर भारत वासी स्वर से स्वाभिमान, आत्म निर्भरता को छहरा आपदाओं व विपदाओं को झेलकर अभी-अभी देश अपना, है यह उबरा अरूप अदृश्य, कुटिल कठोर कोविड वायरस का था आक्रामक सा चेहरा फिर भी, यातनाओं, प्रताडनाओं की कुटिल चालों से जरा भी नहीं सिहरा बढता रहे देश हमारा, नित सुमार्ग पर चरित्र व संयम का रहे, इस पर पहरा जय जय भारत ! जय हो प्यारा तिरंगा प्रति वर्ष क्षितिज पर यों ही जाये लहरा। परिचय :- डॉ. कोशी सिन्हा पूरा नाम : डॉ. कौशलेश कुमारी सिन्हा निवासी : अलीगंज लखनऊ शिक्षा : एम.ए.,पी एच डी, बी.एड., स्नातक कक्षा और उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं में अध्यापन साहित्य सेवा : दूरदर्शन ...
गज और ग्राह
स्तुति

गज और ग्राह

डॉ. कोशी सिन्हा अलीगंज (लखनऊ) ******************** प्यासे गज ने सरवर में पग डुबाया घात लगाये बैठा ग्राह, दबे पाँव आया चींखा गज चींघाड मार करुण स्वर में ग्राह ने उसका पाँव, निज मुँह में दबाया इधर उधर दृष्टि फिरा कर हो व्याकुल गज ने रक्षा हेतु सबको खूब बुलाया कारण रुप ! हे करुणाकर ! हे अविनश्वर रक्षा हेतु विह्वल हो के गुहार लगाया हे त्रिपुरारि ! हे मुरारी ! हे परमेश्वर ! मैं आकुल, अधम अति, तुम्हें भुलाया सुन करुण पुकार उठ भागे दीनेश्वर हो सवार, गरुड को सरपट दौड़ाया ग्राह को चक्र से कर निहत अपनी आकुल गज को ग्राह से मोक्ष दिलाया करुणामय भगत हितकारी जगदीश्वर भगत हित, निज करुणा को बरसाया। परिचय :- डॉ. कोशी सिन्हा पूरा नाम : डॉ. कौशलेश कुमारी सिन्हा निवासी : अलीगंज लखनऊ शिक्षा : एम.ए.,पी एच डी, बी.एड., स्नातक कक्षा और उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं में अध्यापन...
आज के युवा और आज के वृद्ध
कविता

आज के युवा और आज के वृद्ध

डॉ. कोशी सिन्हा अलीगंज (लखनऊ) ******************** युवा सुबह में भी सोये हैं चादर तान पार्क में, वृद्धों की स्फूर्ति देख हूँ हैरान ।।१।। सुबह जागते जल्दी, लगाते दण्ड व बैठक ऊर्जा ओज दिखाते और लगाते ध्यान।।२।। जाग कर जगाते सबको, ललक दिखाते सारे कर्म झट करते, इनकी पुलक महान।।३।। सोकर आँख मलते, उठते घिसटाते बढते ब्रश मंजन करते ये, युवा हैं बड़े खिसियान।।४।। आलस में डूबे, उनींदे देख युवा को लगता युवा हो गये हैं बूढ़े और बूढ़े हुये हैं जवान।।५।। परिचय :- डॉ. कोशी सिन्हा पूरा नाम : डॉ. कौशलेश कुमारी सिन्हा निवासी : अलीगंज लखनऊ शिक्षा : एम.ए.,पी एच डी, बी.एड., स्नातक कक्षा और उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं में अध्यापन साहित्य सेवा : दूरदर्शन एवं आकाशवाणी में काव्य पाठ, विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में गद्य, पद्य विधा में लेखन, प्रकाशित पुस्तक : "अस्माकं संस्कृति," (संस्कृत भा...
लक्ष्मण ने खींची मर्यादा की रेखा
कविता

लक्ष्मण ने खींची मर्यादा की रेखा

डॉ. कोशी सिन्हा अलीगंज (लखनऊ) ******************** लक्ष्मण ने खींची मर्यादा की रेखा थी यह अपनत्व भरी सुरक्षा की रेखा सीता साध्वी सुलक्षिणी गुणखानी कुल वंश मर्यादा उससे ही थी जानी था चित्त व्याकुल, अशांत व आकुल चिन्ताओं के उठ गिर रहे थे बुलबुल धर साधु वेश कपटी रावण आया भिक्षानंदेहि, की गुहार है लगाया सतवन्ती कर्त्तव्यनिष्ठ प्रिया रघुवर लेकर भिक्षा आयी, देने को सत्वर जान मर्म रेख की, छली ने बाहर बुलाया किंचित रुकी, पुन: भिक्षा देने, कदम बढाया असुर विनाशन हित कैकेयी बनी ज्यों कारण सीता भी, दु:ख सहने हित, बढ चली अभगन यह लक्ष्मण रेख, रामकथा का है शिलालेख संपूर्ण कथा की संरचना का भी है आलेख। परिचय :- डॉ. कोशी सिन्हा पूरा नाम : डॉ. कौशलेश कुमारी सिन्हा निवासी : अलीगंज लखनऊ शिक्षा : एम.ए.,पी एच डी, बी.एड., स्नातक कक्षा और उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं में अध्यापन साहित्य स...