Thursday, November 7राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

Tag: डॉ. अर्पणा शर्मा

चीत्कार उठा ये हृदय मेरा
कविता

चीत्कार उठा ये हृदय मेरा

डॉ. अर्पणा शर्मा उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** चीत्कार उठा ये हृदय मेरा अश्रु नही समाते है, इतने निर्दयी, इतने पापी कैसे इंसान कहाते है एक निर्बल ने थामा कसकर जिसको वो रक्षक समझा था उसने ही झोंक दिया पशुओं में रक्षक नही वो भक्षक था पशुओं में भी अपनेपन के हम भाव उजागर पाते है इतने निर्दयी, इतने पापी कैसे इंसान कहाते है... कैसे सभ्य समाज कहूँ मैं दुष्टों की इस टोली को जान न पाया जो साधु की निर्बल मीठी बोली को जो थे दुनिया का दुख हरते वो ही दुख अब पाते है... इतने निर्दयी, इतने पापी कैसे इंसान कहाते है.. भीड़ भरी दुष्टों की थी इंसान कही न नज़र आया कुछ ही पल में अलग हो गई प्राणों से झरझर काया एक निरिह प्राणी को सब मिल मिट्टी में मिलते है.... इतने निर्दयी, इतने पापी कैसे इंसान कहाते है.... पल-पल जिसने है प्रभु मेरे केवल तेरा ही नाम जपा सदाचार और सद्व्यवहार का जिसने था संसार रचा क...