Thursday, November 7राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

Tag: डॉ. अरुण प्रताप सिंह भदौरिया “राज”

जीत होगी तुम्हारी
कविता

जीत होगी तुम्हारी

डॉ. अरुण प्रताप सिंह भदौरिया "राज" शाहजहाँपुर (उत्तर प्रदेश) ******************** अतीत से प्रेरणा लो, भविष्य को संवारो, जो बीता उसे भूल जाओ, जीवन में आशा की किरण लाओ, इंसान इतिहास दोहराता है हमेशा, मात पर मात खाकर पछताता है हमेशा, तुम दुनिया की परवाह मत करो, सत्कर्मों के साथ आगे बढ़ो, सफलता चूमेगी तुम्हारे चरण, हो जाओगे तुम अजर-अमर, इंसान चला जाता है दुनिया से, कर्म ही रह जाते हैं उसकी निशानी, मृत्यु सत्य है सत्य रहेगी, उसके नाम से क्यों है इतनी हैरानी, अतीत में मत तलाशो अपना जीवन, अपने वर्तमान को संवारो, सत्कर्म के पथ पर अग्रसर रहो, चाहें हो तुम्हें कितनी ही परेशानी, न हैरान हो, जीत होगी तुम्हारी। परिचय :-  डॉ. अरुण प्रताप सिंह भदौरिया "राज" निवासी : शाहजहाँपुर (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स...
पितृ दिवस प्रतियोगिता
कविता

पितृ दिवस प्रतियोगिता

डॉ. अरुण प्रताप सिंह भदौरिया "राज" शाहजहाँपुर (उत्तर प्रदेश) ******************** पितृ दिवस पर, बेटा पिता के पास आया. साथ में नया शर्ट पैंट लाया. अपने हाथों से, उनका मुह धुलाया. पिता मन ही मन हर्षाया. आज सूरज, पश्चिम में कैसे निकल आया. पिता अबाक् था, उसी घर में रहने बाला बेटा. बरसों बाद उनके पास था. पिता ने उसके चेहरे पर, प्रश्न वाचक दृष्टि दौड़ाई. आज पितृ दिवस है, उसने यह बात बताई. बोला जल्दी से कपड़े पहनो, मुझे देर हो रही है. तुम्हारे साथ सेल्फी लेनी है. आफिस में प्रतियोगिता चल रही है, तुम्हे फोटो में खूब मुस्कुराना है. दूसरों के पिता से, ज्यादा खुश हो यह दिखाना है. प्रतियोगिता में जिसका पिता, ज्यादा खुश नजर आयेगा. पितृ दिवस की प्रतियोगिता में, वही पहला पुरस्कार पायेगा. परिचय :-  डॉ. अरुण प्रताप सिंह भदौरिया "राज" निवासी : शाहजहाँपुर (उत्तर प्र...
वापस हम न आयेंगे
कविता

वापस हम न आयेंगे

डॉ. अरुण प्रताप सिंह भदौरिया "राज" शाहजहाँपुर (उत्तर प्रदेश) ******************** हमसे मिलने वाले हमको, ख्वाबों में ही पायेंगे हम जो चले गये तो, वापस फिर न आयेंगे कर्मो के काँधे पर चढ़कर, खुद्दारी की चिता सजायेंगे मिट्टी से पैदा होकर हम, मिट्टी में मिल जायेंगे साथ न जायेगा मेरे कुछ, सबको खाली हाँथ दिखाएंगे जो कुछ संचय किया है हमने, सब छोड़ यहीं पर जायेंगे जब सब रोयेंगे जाने पर मेरे, हम धीरे से मुस्कायेंगे उस दुनियाँ में जाकर, वापस हम न आयेंगे परिचय :-  डॉ. अरुण प्रताप सिंह भदौरिया "राज" निवासी : शाहजहाँपुर (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं,...