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Tag: डाॅ. रेश्मा पाटील

खुद शर्म आज शर्मिंदा है
कविता

खुद शर्म आज शर्मिंदा है

डाॅ. रेश्मा पाटील निपाणी, बेलगम (कर्नाटक) ******************** विपक्ष का मुद्दा मणिपुर सरकार का राजस्थान सब राज नेताओं ने मील के कर दिया इस देश का बंटाधार।। जनता गयी तेल लगाने, जिसे जीना है जीए, जिसे मरना है मर जाए बस मेरी प्यारी कुर्सी कभी ना जाए बस यही हमारी तमन्ना और यही हमारा एजेंडा भाई जो कुछ हो रहा है उस पर तो जनता शर्मिंदा है हम नही हम ने तो कब की शर्म बेच खाई तभी तो हम राजनेता है भले ही खुद शर्म आज शर्मिंदा हो हम बेशर्मो की तरह ही बयान बाजी करेंगे दुनिया मे भला कोन दूध का धुला है, जो हम पे आरोप धरेंगें जनता के सेवक बस कहने की बात है साहब असलियत मे तो हम सम्राटों के भी सम्राट है भला हमे काहे का डर दुनिया में नही बची अक्ल दो हमारा क्या दोष? जनता को नही समझ आती बात तो हम क्या करे हम सब तो कब से चीख-चीख कहे रहे है की हम झूठे मक्कार है बस...
मेरी बिटिया रानी
कविता

मेरी बिटिया रानी

डाॅ. रेश्मा पाटील निपाणी, बेलगम (कर्नाटक) ******************** आँखों की ठंडक तू, दिल का सुकून तू सून मेरी बिटिया रानी जान तू, जहान तू कुलोंका है मान तू, वंशो की आन तू संसकृतीयोंका मिलाफ तू , मानवता की शान तू शक्तीस्वरूपा वरदा भक्ति का गुमान तू संपदा सुखदा मोक्षदा वात्सल्य की खान तू पुर्वजोंगी आस तू भविष्य का प्रकाश तू जननी है अवतारों की मातृत्व का अर्श तू आंगण मे खेलती परमात्मा की छाँव तू, घर की है शोभा मेरे, सपनों का संसार तू नाज़ हो मानव को तुझ पे ऐसा करना काम तू परिचय :-  डाॅ. रेश्मा पाटील निवासी : निपाणी, जिला- बेलगम (कर्नाटक) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं,...
अब इसी बात का डर है !
कविता

अब इसी बात का डर है !

डाॅ. रेश्मा पाटील निपाणी, बेलगम (कर्नाटक) ******************** अब शराबियों का कोई डर नहीं है बदमाशों के खौफ से भी गली नहीं कांपती शराब अपनी बोतल में ठंडी पडी होती है तिजोरियों के ताले बदमाशों के हाथ लगे हैं डर बंदूक का नहीं है डर तलवार का भी नहीं है अब मुझे रंगों से डर लगता है पड़ोस में रहने वाले पड़ोसी का अब पड़ोसी कट्टरता से हरा हो गया है धर्मांधता से भगवा हो गया है हठधर्मी से नीला हो गया है मुझे नहीं पता कि भारत में कितने गांव और कस्बे हैं लेकिन हर गांव में हर शहर में भारत है अब डर लगने लगा है की भारत का अंत हो रहा है यहां धर्मों की घोषणा के साथ विविधता से भरी गली हिल गई है और दिल्ली सोने का नाटक कर रही है और खर्राटे ले रही है दिल्ली क्या अब कभी जागृत नहीं होगी? मुझे अब इस बात का डर है नाथूराम गांधी की मूर्ति के सामने खड़े हैं लेकिन गांधी की ...
आंसू
कविता

आंसू

डाॅ. रेश्मा पाटील निपाणी, बेलगम (कर्नाटक) ******************** आँखो के फुलवारी में आंसू महकते हैं दुनिया के दामन को प्यार से भिगोते हैं अस्थाओंका विश्वास छलकाते हुये अरमानों की माला पिरोते हैं अश्को की नमी से दिल को सिंचते हैं प्यार के गुलशन में फूलों को खिलाते हैं ममता के आँचल में कारवाँ चलते हैं दिल की बात जूबातक लाते हैं कभी दर्दे दिल की दवा बन जाते हैं कभी प्यार की दुवा बन जाते हैं कभी खामोशी की जबा बन जाते हैं अक्सर दिल का हाल बया कर जाते हैं परिचय :-  डाॅ. रेश्मा पाटील निवासी : निपाणी, जिला- बेलगम (कर्नाटक) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अ...
कैसे श्रीराम लिखूं
कविता

कैसे श्रीराम लिखूं

डाॅ. रेश्मा पाटील निपाणी, बेलगम (कर्नाटक) ******************** सब दंभ भरा दिखावा रहे गया जहा उस जमाने का कैसे गूणगाण लिखूं यहा रोज हरण होती मानवता फिर कैसे श्रीराम लिखूं। ना नारी मे अब सीता दिखती ना नर मे कहीं राम दिखे जहाँ टुकड़े-टुकड़े हो श्रध्दाये बिखरी वहा कैसे राधेश्याम लिखूं। जलता समाज दहेज की आग मे बिकता दुल्हा मंडी मे जहाँ रोज सती की जाती दुल्हन वहां कैसे सियाराम लिखूं। जहाँ महिला आरक्षण की धूम मची और गर्भ मे भी नहीं सुरक्षित बेटियां इस जमाने मे अब माँ के दिल का क्या हाल लिखूं। जहाँ गली-गली रावण, दुःशासनों की भरभार भरी और दिखे नहीं द्रौपदी का घनश्याम कहीं वहाँ कैसे नारी को निर्भया लिखूं। जहाँ शिक्षा व्यवस्था की मंडी लग गयी और परीक्षाएं बेमानी हो गयी जो सिर्फ कमाई का पाठ पढ़े उसको को क्या विद्यावान लिखूं। बेरोजगार और बेकार युवा यहा मारे-मारे फिरते है सिर...
ये दिल सुनता जा
कविता

ये दिल सुनता जा

डाॅ. रेश्मा पाटील निपाणी, बेलगम (कर्नाटक) ******************** तू तो पहले ही कदम मे डगमगा गया ये दिल मंजिल का रास्ता तो सम॔दरे आतिश से जाता है तू ने की है मोहब्बत जिससे उसकी तमन्ना तो सारा जहाँ करता है पाने की उसे लगन है तुझे तो, तू जान ले तेरी हर घडी आजमाइश है जिस शय की आरजू सै तुझे ये दिल वो शय तो बडी अनमोल है तू क्या मोल दे पायेगा उसका, की वहा सारे जहाँ की दौलत बेमोल है सच्चे प्यार के दो आंसुओं मेे, तुलता है परमात्मा क्या वो तुलसी दल तू उसे दे पायेगा जीवात्मा तेरी तो हर बात झूठी है प्यार झूठा, नफरत भी झूठी है इकरार झूठा और इन्कार भी झूठा है बता ये दिल आखिर तू दुनिया मे क्यों टूटा है जो आस तूने लगायी इन्सा के फितरत से दगा तो तुझे मिलना ही था, तेरे अपने कर्मों से किसी शक्स को अपना प्यार कैसे कहा तूने ये दिल तेरा प्यार तो कोई और है ...
सृजन
कविता

सृजन

डाॅ. रेश्मा पाटील निपाणी, बेलगम (कर्नाटक) ******************** शीतल-शीतल चंदा की किरण है। महकी-महकी आज पशन है। तरल-तरंग मनमें उमडे है उमड-उमड मन गीत है गाता। सुख है, दु:ख है समझ ना पाये मन भी बडा चपल चंचल है। डाल-डाल पर भँवरा मंडराये कली-कली को फूल बनाये। दूर कही बांसुरी बजाए राधा-राधा किशन बुलाए। मनवा महके, तनवा दहके सृष्टी का कैसा सृजन है। परिचय :-  डाॅ. रेश्मा पाटील निवासी : निपाणी, जिला- बेलगम (कर्नाटक) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके ...
सृजन
भजन, स्तुति

सृजन

डाॅ. रेश्मा पाटील निपाणी, बेलगम (कर्नाटक) ******************** शितल-शितल चंदा की किरण है। महकी-महकी आज पशन है। तरल तरंग मन में उमडे है उमड-उमड मन गीत है गाता। सुख है, दु:ख है समझ ना पाये मन भी बडा चपल चंचल है। डाल-डाल पर भँवरा मंडराये कली-कली को फूल बनाये। दूर कही बांसुरी बजाए राधा-राधा किशन बुलाए। मनवा महके, तनवा दहके सृष्टी का कैसा सृजन है। परिचय :-  डाॅ. रेश्मा पाटील निवासी : निपाणी, जिला- बेलगम (कर्नाटक) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके...
गोकुलाष्टमी
आलेख

गोकुलाष्टमी

डाॅ. रेश्मा पाटील निपाणी, बेलगम (कर्नाटक) ******************** आज गोकुलाष्टमी... गोकुलाष्टमी भगवान श्रीकृष्ण ने श्रावण मास में जन्म लेकर श्रावण मास को सिद्धि/पूर्णता प्रदान की है। श्री कृष्ण अवतार का मूल सूत्र भक्ति है। श्रीकृष्ण का जन्म ऐसे स्थान पर हुआ था कि उन्होंने भक्ति के साथ शुरुआत की। वे गोपियों के संपर्क में आए। दर्शन और अध्ययन बाद में आए। कोई नहीं जानता कि भगवान के जलक्रीड़ा उनके बचपन की थी। श्री राम के अवतार में भगवान को जानने वाले सभी ऋषियों ने मोक्ष की इच्छा के साथ उन्हें गले लगाने की इच्छा व्यक्त की। बाद में जब श्रीकृष्ण अवतार में यहां आए तो पिछले जन्मों के सभी ऋषि गोपाकन्या के रूप में पैदा हुए, बचपन तक उनके साथ खेल खेले और उन्हें गले लगाया। उसके बाद, जब भगवान मथुरा गए, तो वे केवल साढ़े ग्यारह वर्ष के थे। भगवान कृष्ण के आदर्श को आंखों के सामने रखना चाहिए। जब वे गोकुल में...
परमप्रीय
कविता

परमप्रीय

डाॅ. रेश्मा पाटील निपाणी, बेलगम (कर्नाटक) ******************** हर मन में तुम्ही बसे हो सब ग्रंथो का अर्थ हो तुम हर धर्म का आधार हो तुम सब पंथो ने किया तुम्हे वर्णित सब संतो ने किया तुम्हे प्रणीत सब शास्त्रों के हो तुम्ही कर्णित निराकार साकार तुम्ही हो सृष्टि का आभास तुम्ही हो जीवन का आधार तुम्ही हो जो पुकारे तुम्हे दिल से होते हो तुम उसे सहाई फिर चाहे हो वो कोई प्रणाई जो प्रेम करे तुम्हें अंतर से जो प्रेम करे तुम पे ह्रदय से सुनते हो तुम उसकी दुहाई फिर चाहे वो तुम्हे किसी रूप में फिर देखे वो तुम्हे किसी रूप में आते हो पास उसी रूप में भूला के उसके सारे अवगुण लगा लेते हो उसे ह्रदय से भाग्य उसका किया न जाये वर्णित ईश्वर पुकारो, अल्लाह कहो बुलाओ चाहे उसे जिजस राम कहो, रहीम कहो कन्हैया कान्हा मनमोहन पुकारो रसुलुल्लाह कहो चाहे महबुबे खुदा कहो चाहे...
काश्मीर की आत्मव्यथा
कविता

काश्मीर की आत्मव्यथा

डाॅ. रेश्मा पाटील निपाणी, बेलगम (कर्नाटक) ******************** नभ उदास है धरती सूनी तीनों लोक सुनो त्राहि पुकारे कर्म नहीं है, धर्म नहीं है इन्सा का कोई भरम नहीं है चहुँओर है छाया अंधेरा माँगे लहू है जगत ये सारा क्यो विफल हुई कश्यप की तपस्या स्वर्ग बसाया नर्क बना है ईश्वर अल्लाह दो नाम तिहारे फिर क्यों इनमें जंग छिड़ी है तेरी रचना न तुझसे सँभलती ये कैसी माया है बरसती क्या व्यर्थ हुआ है बलिदानी येशू स्तंभित खडी गौतम की वाणी मानव में दानव संचारे लुप्त हुई मानवता सारी कब आओगे कहो कन्हाई गीतावाला वचन निभाने परिचय :-  डाॅ. रेश्मा पाटील निवासी : निपाणी, जिला- बेलगम (कर्नाटक) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय ए...
सबको लगेगा
कविता

सबको लगेगा

डाॅ. रेश्मा पाटील निपाणी, बेलगम (कर्नाटक) ******************** सबको लगेगा टीका। कोरोना पड़ेगा फीका।। वैक्सिनेशन सेंटर जाओ। टीके से जीवन बचाओ।। अपना जीवन सबको प्यारा। टीका लगे जो जग से न्यारा।। टीकाकरण अभियान हमारा। सबको दे जीवन सहारा।। मानव-मात्र एक समान। टीकाकरण यज्ञ महान।। एक-दूजे को दे सम्मान। सबको टीका लगे समान।। हम बदलेंगे-युग बदलेगा। टीकाकरण सफल बनेगा।। टीके का सम्मान जहाँ है। कोरोना का अवसान वहाँ है।। युवा शक्ति अब आगे आओ। सबको आज टीका लगवाओ।। पहला सुख निरोगी काया। टीके का सुअवसर आया।। आपसी दूरी,मास्क लगाए। आओ सब टीका लगवाए।। जिम्मेदार नागरिक कहलाए। अपना टीका अवश्य लगवाए।। परिचय :-  डाॅ. रेश्मा पाटील निवासी : निपाणी, जिला- बेलगम (कर्नाटक) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक ह...
पत्नी कहती है
कविता

पत्नी कहती है

डाॅ. रेश्मा पाटील निपाणी, बेलगम (कर्नाटक) अगर आपकी पत्नी कल यह सवाल करे तो परेशान न हों। क्योंकि वह कुछ भी गलत नहीं मांगती है। विचारोत्तेजक शोकाकुल उनका एक ही सवाल.... मेरा बदन हल्दी तेरे नाम की। मेरा हाथ मेहंदी तेरे नाम की। मेरी मांग सिंदूर तुम्हारे नाम का। मेरा माथा बिंदिया तुम्हारे नाम की। मेरी नाक नथनी तुम्हारे नाम की। मेरा गला मंगलसूत्र तुम्हारे नाम का। मेरी कलाई (चूड़ियाँ) चूड़ा तुम्हारे नाम का। मेरे पैर पायल, बिछिया सब तुम्हारे नाम की। और हाँ बड़ों का नमन मै करू, और ...... अखंड सौभाग्यवती भव केवल आपको आशीर्वाद। वटपूर्णिमा का मेरा व्रत, आपको जीवन का उपहार। मुझे घर संभालना है, दरवाजे पर लगी नेम प्लेट आपकी है। मेरा नाम है लेकिन उससे आगे, पहचान आपकी है। बस इतना ही ... मेरा पेट मेरा खून मेरा दूध और बच्चे ? आपके...
गुमसुम बैठ न जाना साथी !
कविता

गुमसुम बैठ न जाना साथी !

डाॅ. रेश्मा पाटील निपाणी, बेलगम (कर्नाटक) ******************** गुमसुम बैठ न जाना साथी ! दीपक एक जलाना साथी ! !! सघन कालिमा जाल बिछाए, द्वार देहरी नज़र न आए, घर की राह दिखाना साथी ! दीपक एक जलाना साथी !! घर औ' बाहर लीप-पोतकर, कोने-आंतर झाड़-झूड़कर, मन का मैल छुड़ाना साथी ! दीपक एक जलाना साथी !! एक हमारा, एक तुम्हारा, दीप जले, चमके चौबारा, मिल-जुल पर्व मनाना साथी ! दीपक एक जलाना साथी !! आ सकता है कोई झोंका, क्योंकि हवा को किसने रोका ? दोनों हाथ लगाना साथी ! दीपक एक जलाना साथी !! परिचय :-  डाॅ. रेश्मा पाटील निवासी : निपाणी, जिला- बेलगम (कर्नाटक) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशि...
जिंदगी
कविता

जिंदगी

डाॅ. रेश्मा पाटील निपाणी, बेलगम (कर्नाटक) ******************** हूँ परेशान मगर, नाराज़ नहीं हूँ ! झूठे सपनों की, मोहताज़ नहीं हूँ ! जी हूँ ग़मों में भी मज़े के साथ, मैं बिगड़े सुरों का, साज़ नहीं हूँ ! देख लिए सभी ने सितम ढा कर, मैं उनकी तरह, दगाबाज़ नहीं हूँ ! रिश्तों को निभाया जतन से मैंने, पर चुप रहूँ मैं, वो आवाज़ नहीं हूँ ! ईमान से जीने की आदी हूँ, मैं कोई दिल में छुपा, राज़ नहीं हूँ ! शान से जियो मुझे ,मै जिंदगी हू कोई पापों की सजा नही हू! परिचय :-  डाॅ. रेश्मा पाटील निवासी : निपाणी, जिला- बेलगम (कर्नाटक) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्...
पानी पर तैरती पार्टी…
आलेख

पानी पर तैरती पार्टी…

डाॅ. रेश्मा पाटील निपाणी, बेलगम (कर्नाटक) ********************  आपके जन्मदिन के अवसर पर बापूजी एक तरफ सूखा दिन और दूसरी तरफ इस कुलीन समाज की यह महंगी ड्रग पार्टी! क्या विरोधाभास है !! एक तरफ भीगे सूखे से किसानों की आंखों में आंसू! एक तरफ तो इतना पैसा है कि ये लोग नहीं जानते कि इसका क्या करें! पैसा कहां से आता है, यह तो हम जैसे मध्यम वर्ग के लोग नहीं जानते! इतने पैसे से वे शिष्टाचार और नैतिकता के बारे में बात नहीं कर सकते! यह भी सच है! लेकिन अपने माता-पिता के पैसे के आदी ये अमीर बच्चे आदी हैं! वे व्यापार नहीं करते हैं! अभी भारत में ड्रग नेटवर्क को देख रहे हैं!युवा पीढ़ी को इससे कैसे बचाएं? यह एक बड़ी, बहुत बड़ी चुनौती है! कल मुंबई गोवा क्रूज पर मिले ड्रग्स की पार्टी को देखकर लगता है कि भारत को व्यवस्थित रूप से परेशान करने की साजिश में कई दुश्मन कामयाब हो रहे हैं! अब होगी जांच! ह...
लालकिला
कविता

लालकिला

डाॅ. रेश्मा पाटील निपाणी, बेलगम (कर्नाटक) ******************** इस प्राची ने देखा वो मंजर जो कभी किसी ने सोचा न था शर्मसार खडा तिरंगा था सब का अपना अपना झंडा था सत्ता अपने अधिकारों पे अडी रही जनता कर्तव्य बिसार गयी देखा जो बवाले लालकिला वीरों की कुर्बानी रोयी रक्षक मेरे कुछ समझ ना पाये किस पे बंदूक चलानी है सीना ताने अपने ही लाल खडे आगे तो बस शौर्यता का गुमान गया इतिहासो के पन्नों को क्यू आज ये हिंद बिसार गया मुगलों की आन बान कभी था भारत की जान और शान हुवा वो लालकिला बस आज आपने ही पुतोंसे पशेमान हुवा आज उसे भूला वो इतिहास का पन्ना याद आया अपने ही पीता के अंगों पे विषमलता बेटा देखा भाई ने भाई का कत्ल किया मूक साक्षी खडा था लालकिला कितने बादशाह बदलते देखे कितने तख्ते पलटते देखे मुगलों के गृहकलह से आहत अंग्रेजो का दास हुवा फिर भी माँ भारती के ...