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Tag: डाॅ. अहिल्या तिवारी

इंतजार
कविता

इंतजार

डाॅ. अहिल्या तिवारी रायपुर (छत्तीसगढ़) ******************** दहलीज़ को इंतजार है किसी अपने का जो पार कर गया है सदियों पहले, किसी की आशा किसी की उम्मीद को किसी की झोली राह तकती है दिन-रात, और वो दहलीज़ मैं ही तो हूँ। आंगन को इंतजार है किसी पहुना का जो आने वाला है खुशियों की गठरी लिए, सदियों पहले आई थी एक पाती उसकी चौंरे के तुलसी में पानी चढ़ाते समय और वो आंगन मैं ही तो हूँ। खेतों को इंतजार है उस मालिक का जिसके कंधे पर फसल पकते थे, खलिहानों के जमीन की सोंधी खुशबू अब भी मुझसे पूछती उसका पता वो खेत और खलिहान मैं ही तो हूँ। चौराहे को इंतजार है उस मुसाफिर का जो बसा गया था एक गांव जाते-जाते, उस गांव की धरती फिर से बुलाती हैं पीपल के छांव तले गुनगुनाने के लिए सदियों से खड़ी हूँ आंखें बिछाए, वो चौराहा मैं ही तो हूँ.....। . परिचय :-  डाॅ. अहिल्या तिवारी जन्म : २१ अक्टूबर निवास : रायपुर, छत...
मैं इंसान होना चाहती हूँ
कविता

मैं इंसान होना चाहती हूँ

डाॅ. अहिल्या तिवारी रायपुर (छत्तीसगढ़) ******************** मैं इंसान होना चाहती हूँ न हिन्दू न मुसलमान, दुनिया के दिलों की मैं ईमान होना चाहती हूँ। दुनिया मेरी दौलत नहीं हक़ नहीं टुकड़ों पर, चार दिनों की दुनिया में मैं मेहमान होना चाहती हूँ। मिट गए जो अमन पर हो कर परे जग से, हर जन्म में दिल का मैं अरमान होना चाहती हूँ। दे सके जो दान जीवन को जीवन का, ऐसे धरा के लाल पर मैं कुर्बान होना चाहती हूँ। जाने कैसे सीख जाते कुछ लोग आग का खेल, जलाते घर भाई का, यहाँ मैं नादान होना चाहती हूँ। जगह नहीं फूलों के लिए दिलों में एकत्र हो गए पत्ते, स्वार्थ के सूखे पत्ते उड़ाने मैं तूफान होना चाहती हूँ। बिकती ज़िन्दगी पलों की मौत दुआएँ देता है, हर साँस होती दर्द भरी मैं बेजान होना चाहती हूँ। दे दस्तक धरती तले थाम सीने में गगन, प्यार बो कर यहाँ मैं आसमान होना चाहती हूँ। क्यों बने कहानी मेरी हँसने हँसाने के...