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Tag: जसवंत लाल खटीक

रक्षाबंधन
कविता

रक्षाबंधन

जसवंत लाल खटीक देवगढ़ (राजस्थान) ******************** राखी का त्यौहार आया, संग में खुशियां हजार लाया। भाई-बहन का सच्चा प्यार, प्रेम के धागे में पूरा समाया।। बहन अपने पीहर आयी, घर में फिर से रौनक छायी। बाबुल के बगिया की चिड़िया, फिर से घर में बहार लायी।। सबके चेहरे खिले-खिले, हंस-हंस कर सब बात़े करते। सब बचपन को याद करके, फिर से जीने की आस करते।। माथे पर तिलक लगा कर, कलाई पर राखी बांधती है। जीवन भर प्यार के संग-संग, बहन रक्षा का वचन मांगती है।। कहती है मेरे प्यारे भैया, तुम राखी की लाज रख देना। मां- बाप की सेवा करना, और उनको दुःख तुम मत देना।। शराब का सेवन मत करना, गाड़ी हेलमेट पहन चलाना। घर पर राह तकते बीवी-बच्चे, उन पर खूब प्यार लुटाना।। बहन तो इतना ही चाहती, अपने घर का मान बढाती। बहन बड़े प्यार से भाई की, कलाई पर राखी सजाती।। बहन बेटी जिस घर में होती, उस घर में सदा खुशियां आती...
प्रीत का रोग
कविता

प्रीत का रोग

जसवंत लाल खटीक देवगढ़ (राजस्थान) ******************** (हिन्दी रक्षक मंच द्वारा आयोजित अखिल भारतीय कविता लेखन प्रतियोगिता में प्रेषित कविता) प्रीत का रोग लगा मुझे, नींदे उडी रात की। तुम अलबेली शाम हो, मेरे प्यारे गाँव की।। प्रेमरस में खो जाता, इंतजार में कटे रतिया। हे खुदा उससे मिला, बरसती है ये अंखिया।। चाँद देख उसे याद करू, तारों की मैं सैर करु। तेरे प्यार में पागल हूँ, सपनो में तेरी मांग भरु।। तेरी एक झलक पाने, दिन भर मैं राहे तकता। पागल प्रेमी आवारा मैं, खाना पीना भी तजता।। तुझसे मैं आँखे मिलाता, शर्म से नैन झुक जाते। कोमल हाथो के स्पर्श से,रोम-रोम मेरा महकाते।। तेरे ख़ातिर जीवित हूँ मैं, तेरे ही सपने बुनता। चलता अगर मेरा राज, हमसफ़र तुझे चुनता।। सुनो तुम मेरी बन जाओ, परी बना कर रखूंगा। जीवन के इस सफर में, पलकों पे बैठा के रखूंगा।। बारिश का मौसम सुहाना, आ गयी बरसात भी। तुम ...
तूने गजब कर डाला
कविता

तूने गजब कर डाला

जसवंत लाल खटीक देवगढ़ (राजस्थान) ******************** वाह रे, कोरोना ! तूने तो गजब कर डाला, छोटी सोच और अहंकार को, तूने चूर-चूर कर डाला।। वाह रे, कोरोना ! ...... पैसो से खरीदने चले थे दुनिया, ऐसे नामचीन पड़े है होम आईसोलोशन में, तूने तो पैसो को भी, धूल-धूल कर डाला।। वाह रे, कोरोना ! ...... धुँ-धुँ कर चलते दिन रात साधन, लोगों की चलती भागमभाग वाली जिंदगी, तूने एक झटके में सारा जहां, सुनसान कर डाला।। वाह रे, कोरोना ! ...... दिहाड़ी करने वाले मजदूर, खेत पर काम करते गरीब किसान, तूने तो इनको बिल्कुल, कंगाल कर डाला।। वाह रे, कोरोना ! ...... अमीरी मौज कर रही बंद कमरों में, गरीबों को अपने घर आने के खातिर, कोसों पैदल चलने को, मजबूर कर डाला।। वाह रे, कोरोना ! ...... लोग कहते थे सौ-सौ रुपये लेती है पुलिस, देखो ! सुने चौराहों पर खड़ी हमारी सुरक्षा खातिर, हम सब लोगों का, विचार बदल डाला।। वाह ...
जिंदगी एक पहेली
कविता

जिंदगी एक पहेली

जसवंत लाल खटीक देवगढ़ (राजस्थान) ******************** कभी हंसाती है, कभी रुलाती है .. कभी दगाबाज, तो कभी बन जाती सहेली है ...! सच तो यही है दोस्तों...!! जिंदगी एक पहेली है ..! ! याद है मुझे वो बचपन के दिन... जब बात-बात पर रो देते थे, अब कंधो पर बोझ आ गया ... अब तो सिर्फ दिल रोता है, और आँखे अकेली है..! सच तो यही है दोस्तों ..! ! जिंदगी एक पहेली है..!! एक मौत के खातिर .. जिंदगी का जहर पी रहे है, सुख चेन से कोई नाता नहीं ... लगता है ऐसे ही जी रहे है, अरे! मेरे इन हाथो में तो... बिना लकीरों की हथेली है..! सच तो यही है दोस्तों...!! जिंदगी एक पहेली है ...! ! ना जाने कितने मोड़ आते है .. हर पल सबक सीखा जाते है, चार दिन की जिंदगी यूँही निकल जाती है .. और हम ढंग से जी भी नही पाते है, आखिर में श्मशान ही हमारी हवेली है ..! सच तो यही है दोस्तों..!! जिंदगी एक पहेली है..!! चंद कागज के टुकड़ो...