आलोक
जया आर्य
भोपाल म.प्र.
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बुझा हुआ है दिल का कोना
आलोकित उसको कर दें,
वक्त फागुनी आ गया है
दिल का दिया जला ले।
खोलें खिड़की और दरवाज़े
खुली हवा में जी लें,
वक्त फागुनी आ गया है
मन आलोकित कर लें।
सूरज ने भी किरण बिखेरी
कीट पतंगे झूमे
ईश्वर ने दुनिया रच डाला
हम सब संग संग जी लें।
नहीं भरोसा है राहों का
अगले पल क्या होगा,
जीवन के इस पगडंडी को
हम आलोकित कर दें।
परिचय - जया आर्य
जन्म : १७ मई १९४७
निवासी : भोपाल म.प्र.
शिक्षा : तमिल भाषी अंग्रेज़ी में एमए.
उपलब्धि : ग्रेड १, हिंदी उदघोषक आकाशवाणी मुम्बई, जगदलपुर और भोपाल में कार्यरत। अध्यक्ष शांतिनिकेतन महिला कल्याण समिति।
प्रख्यात उद्घोषिका होते हुए उभरते हुए उदघोषकों को प्रशिक्षित किया। जेलों में कैदियों पढ़ने लिखने हेतु प्रेरित किया, जेल मंत्री से सम्मानित। झुग्गी इलाकों में ९५० महिलाओं और बच्चो को साक्षर व्यावसायिक प्रशिक्ष...