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वो बच्चा
कविता

वो बच्चा

चंद्र शेखर लोहुमी जबलपुर (मध्य प्रदेश) ******************** वो बच्चा न जाने कहाँ खो गया है कोई ढूंढ लाओ गले से लगा लूं जो रहता था हरदम थिरकता-फुदकता यहाँ से वहां तक न जाने कहाँ तक कहता था मामा जो चंदा को नभ के तारों को कहता था मोती प्रभु के तैराता था नावें कागज की अक्सर बरसते पानी में घर से निकल कर कभी गुल्ली डंडा कंचों की खन-खन बहुत खीजता था वो करने को मंजन वो बचपन न जाने कहाँ खो गया है ll साइकिल के टायर को लकड़ी से चलाना कपडे की गेंदों पर हॉकी जमाना कभी बंदरों सा पेड़ों पर चढ़ना उतरना चढ़ना और फिर कूद जाना लकड़ी की तखती पर कालिख लगाना दवात के पेंदे से जम के रगड़ना बड़े भैया की किताबों पे यूँ नाज करना जैसे हो गहना घर का पुराना धरोहर पर इतराना अब खो गया है ll नहीँ होता जूता तो चप्पल पहनना चप्पल हो टूटी तो यूँ ही दौड़ जाना घंटे की टन-टन जो स्कूल से आती सारी मस्ती न जाने कहाँ भाग जाती प्रार्...