Monday, December 23राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

Tag: गगन खरे क्षितिज

महात्मा गांधी
कविता

महात्मा गांधी

गगन खरे क्षितिज कोदरिया मंहू (मध्य प्रदेश) ******************** हे राम जीने की जीवनशैली को परिपूर्ण कर समाज राष्ट्र को नई दिशा देकर, राम जो ईष्ट है हम सबके अन्तर आत्मा से उनकी अंतिम सांसों से निकला, बापू महात्मा गांधी से अमर वाणी बनकर हे राम, हे राम, हे राम भारत की अन्तरात्मा में बस गए है। एकता, अखंडता, धर्मनिरपेक्षता सनातनधर्म की पहचान बनें इंसानियत को सर्वोपरि रखा चल पड़े सबको जोड़ने, जुड़ने स्वतंत्र भारत के लिए जनहित में, देशहित में, हिंसा के खिलाफ थे अंहिसा से जीत लिया भारत को प्रगतिशील भारत की नींव रखी इसलिए आज भी भारत की अन्तरात्मा में बस गए। मां का स्वरूप लिए उनका पूरा साथ दिया पत्नी ने सारथी बन अग्रणीय रही मां कस्तूरबा गांधी उन्हें कभी अपने पथ से विचलित नहीं होने दिया गगन मातृभूमि के लिए, स्वतंत्र भारत के लिए अपनी जिम्मेदारियों कभी पिछे नहीं ...
तेरे चरणों की धूल पाकर मां
कविता

तेरे चरणों की धूल पाकर मां

गगन खरे क्षितिज कोदरिया मंहू (मध्य प्रदेश) ******************** मां तूने मुझे जन्म नहीं दिया संसार में लाकर जो अमृतपान कराया में धन्य हो गया तेरे चरणों की धूल पाकर मां, इस खूबसूरत दुनिया में अमर हो गया। परिस्थितियां चाहे जैसी भी रही मां तूने मुझे जन्म दिया धूप छांव से बचाकर एक नैक इंसान बनाया, मर्यादा में जीना सिखलाया। संसारिक जीवनशैली में परिवर्तन लाकर ईश्वर में आस्था का पाठ पढ़ाकर जीवन दान मां दिया तेरे चरणों की धूल पाकर मैं अमर हो गया। परमसत्य है मां, ईश्वर का स्वरूप है मां, तेरी छवि सबसे है निराली मां, मां सरस्वती शारदा का रूप, अन्नपूर्णा का रूप, जगत जननी तू कहलाई मां, क्या नहीं कहलाई मां निस्वार्थ भाव सार्थक प्रयास, जिज्ञासाओं का गगन प्रतिक व सकारात्मक सोच प्रेरणा देती रही हैं मां तेरे तेरे चरणों की धूल पाकर मैं अमर हो गया। ...
गुरूब्रम्हपद को  नमन
कविता, स्तुति

गुरूब्रम्हपद को नमन

गगन खरे क्षितिज कोदरिया मंहू (मध्य प्रदेश) ******************** अमन चैन शांति का जब पाठ पढ़ाते हैं, हमारी संस्कृति सभ्यता संस्कारों परम्पराओं का भारतीयता लिए मातृभाषा शब्दों में उभर कर ब्रह्मा विष्णु महेश का सार्थक स्वरूप हर भारतीयों में नज़र आती हैं। गुरू की महिमा गुरू ही जाने, गुरु गोविंद दोनों खड़े काके लागूं पाय बलिहारी गुरु आपकी जो गोविंद दियो बताए, जाने प्रतिभा लक्ष्य साधकर समर्पित एकलव्य ने परिभाषा किया गुरूचरणों में, अमृततुल्य निस्वार्थ अपनी प्रतिभा से गुरूपद निखार दिया जनमानस में भारतीयता लिए नज़र आतीं हैं। प्रलोभन निस्वार्थ भाव से जो भारतीयता में मिलती हैं समर्पण भाव सृष्टिकर्ता ईश्वर के प्रति एकरूपता विश्व में कहीं नहीं मिलती तभी तो भारतीयता गुरूचरणों में पथप्रदर्शक बनकर के आ जाती हैं। सदीयों से जिन्दगी सुख दुःख का मेला है महापुरुषों ने हम...
अमृतपान करातीं हैं मां
कविता

अमृतपान करातीं हैं मां

  गगन खरे क्षितिज कोदरिया मंहू (मध्य प्रदेश) ******************** जीवन देने वाली मां मर-मर कर तुम्हें जन्म देकर अपने खून अमृत बनाकर अमृतपान करातीं हैं मां। अपनी भूख प्यास मिटाकर हर परिस्थितियों में आत्मनिर्भरता और संघर्षपूर्ण जीवन में तुम्हें अमृतपान करातीं हैं मां। खूबसूरत विशालकाय इस सुंदर दुनिया में लाकर, अनमोल इस धरा पर जीना सिखाती हैं मां। ज्ञान का वह सागर जिसमें ढुबकर ईश्वर भी जन्म लेते हैं सांसारिक मर्यादा रहकर मां ने निसंकोच उन्हें भी गुणवान बनाया अमृतपान कराया मां ने। प्राकृतिक सौंदर्य की जननी भी हैं मां सृष्टिकर्ता ने अद्भुत प्रकाशमान बनाया मां को सूर्य का प्रकाश भी फिका ऐसा व्यक्तित्व से गगन रोशन किया हैं तभी तो मां ईश्वरीय शक्ति का प्रतीक है हमें जीवन दान दिया है अमृतपान कराया है मां ने। परिचय :- गगन खरे क्...
रंग पंचमी इन्दौर की
कविता

रंग पंचमी इन्दौर की

  गगन खरे क्षितिज कोदरिया मंहू (मध्य प्रदेश) ******************** गेरों और गुलाल, रंगों का है संगम, सज धजकर टोलियां निकलती हैं, मस्ती के रंगों में गुलाल अबीर से अहिल्या राजबाड़ा चौक सराबोर हो जाता हैं रंगों की रंग पंचमी देखी है इन्दौर की। हंसी मजाक ठिठोली करते नहीं किसी से भेदभाव यही दिखती हमारी संस्कृति सभ्यता परम्पराओं और एकता और आत्मविश्वास अंखण्ड धर्मनिरपेक्ष भारत की भारतीय रंग में, रंग पंचमी बस इन्दौर की। तीज़ त्यौहार हर उत्सव उल्लासपूर्ण अपनात्व के रंगों में सराबोर हुआ करता है गगन जहां सभी को सम्मान दिया जाता हैं, ऐसी जन्मभूमि है विकास यहां अहिल्या बाई होलकर की आत्मा से जुड़ी, आत्मीय रंगों से खेली जाती है होली रंग पंचमी इन्दौर की, रंग पंचमी इन्दौर की, रंग पंचमी इन्दौर की। परिचय :- गगन खरे क्षितिज निवासी : कोदरिया म...
बंसत का अभिवादन
कविता

बंसत का अभिवादन

गगन खरे क्षितिज कोदरिया मंहू (मध्य प्रदेश) ******************** मन प्रभात करता प्रफुल्लित ह्रदयवाटिका में पुष्प सुमन की भांति जब बंसतरूपी आंगन में खिलकर आता है हर दुःख दर्द जमींदोज होकर खुशहाली चारों दिशाओं में विराजमान हो जाती हैं। खूबसूरत धरा पर ऋतु राज़ बंसत हो जाता हैं कुन्दन सा निखार हर जीवनशैली के मधुमास पर छाकर इन्द्रधनुष की तरह ऊंचाई पर विराजमान हो जाता हैं । हर सुबह महकती है गुलज़ार होता गुलशन, फूलों की खूबसूरती लिए बहारों का अभिनन्दन करते हुए गगन सृष्टि को मुस्कुराने का एक निश्चित मौसम परिवर्तन का सुन्दर सा बंसत करता अभिवादन हैं। परिचय :- गगन खरे क्षितिज निवासी : कोदरिया मंहू इन्दौर मध्य प्रदेश उम्र : ६६वर्ष शिक्षा : हायर सेकंडरी मध्य प्रदेश आर्ट से सम्प्रति : नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण भोपाल मध्यप्रदेश सेवानिवृत्त २०१४ साहित्य में कद...
भाव में छिपें हैं भगवान
कविता

भाव में छिपें हैं भगवान

गगन खरे क्षितिज कोदरिया मंहू (मध्य प्रदेश) ******************** भाव में छिपें हैं भगवान, और कण कण में विराजमान हैं भगवान, मन मंदिर में ध्यान लगावोंगे अपने पास ही पाओगे भगवान। निस्वार्थ उनका मार्गदर्शन जिस पर तुम चलोंगे अगर भटक भी जाओगे स्मर्णकर ईष्ट को तुरंत दिशा दिखायेंगे प्रभु जो कण कण में विराजमान हैं वहीं तो मार्ग दिखायेंगे। हम स्वार्थ वश अपना ही अहित कर बैठते हैं जबकि प्राकृतिक ने निस्वार्थ भाव से हमें सब कुछ दिया है गगन खूबसूरत दुनिया के मालिक बना दिया हम अपनी ही सृष्टि को उजाड़ने में लगे हैं जहां जीवन नहीं चांद और मंगल पर कृत्रिम जीवनशैली के लिए अपनी धरा को विरान बना रहा है आधुनिक आदमी नहीं सूझता उसे अब कोई मार्ग ईश्वर की आस्था सेबी भाग रहा है कैसे सुलझायेंगे बारूद ढेर परिचय :- गगन खरे क्षितिज निवासी : कोदरिया मंहू इन्दौर मध्य प्रदेश...
प्यार मोहब्बत में छिपा
कविता

प्यार मोहब्बत में छिपा

गगन खरे क्षितिज कोदरिया मंहू (मध्य प्रदेश) ******************** प्यार एक ऐसा शब्द है, संसार में ममता और आराधना छिपी है। मोहब्बत एक ऐसा अल्फाज़ है, दुनिया में जन्नत का रास्ता छिपा है व आरज़ू की मन्नतें छिपी है। जीवन का सार ही प्रेम प्यार, मोहब्बत है, इंसानियत को जीवित रखने को, मानवता बचाने के लिए यशु फिर जीवित हो गया, नफ़रत मिटाने को उसमें ईश्वर की आत्मा छिपी है। कुदरत का करिश्मा ही कहें, गीता, कुरान, बाईबल, गुरू ग्रन्थ साहिब पथ-प्रदर्शक रहे, धर्म निरपेक्षता लिए हमारा संविधान भारतीयता की पहचान लिए विश्वदर्पण में इंसानियत की तस्वीर छिपी है। धर्म और मजहब की परिभाषा ही बदलने लगी है इस कलयुग में हिंसा सिर्फ हिंसा आधुनिकता की दौड़ में, चोला पहनकर गगन ईश्वर को भी धोखा दे रहे हैं, खून खराबे में देखो जन्नत ख़ुदा की कहीं नजर नहीं आ रही है जैसे कहीं गुम या छि...
उभर आती हो तुम ग़ज़ल बनकर
कविता

उभर आती हो तुम ग़ज़ल बनकर

गगन खरे क्षितिज कोदरिया मंहू (मध्य प्रदेश) ******************** अपने अल्फाजौं को सजाया है तुम्हारे लिए खुबसूरत ग़ज़ल के रूप में, सामने जब भी आते हो एक नये अंदाज में संवर जाती हैं जिन्दगानी मेरी, बन के लबौं पर आ जाती हो ग़जल बनकर । आरज़ू यही है बस तुम्हारी खुशी में ही है छिपी मेरी खुशी, उल्फत में जलजाने की परवाने की तरह चाहत लिए संवर जाती है जिन्दगी मेरी एक नई ग़ज़ल बनकर । परिंदों की उड़ान भरने लगती जब मेरी तमन्नाएं खूबसूरत असमान के क्षितिज पर नई तस्वीर बन जाती हो तुम मेरी ग़ज़ल बनकर। खिलते कुसुम पर मुस्कुराती शबनम, उषा की किरणों की हंसीन लालीमा लिए गगन अल्फ़ाजौं में उनकी मासूमियत संवर जाती हैं, एक नये अन्दाज लिए और लबौं पर उभर आती हो तुम ग़ज़ल बनकर । परिचय :- गगन खरे क्षितिज निवासी : कोदरिया मंहू इन्दौर मध्य प्रदेश उम्र : ६६वर्ष शिक्षा : हा...
पंचतत्व मे विलीन होकर में सदगति पांऊगा
कविता

पंचतत्व मे विलीन होकर में सदगति पांऊगा

गगन खरे क्षितिज कोदरिया मंहू (मध्य प्रदेश) ******************** सोचता हूं मैं पंचतत्व में विलीन होकर सदगति में पाऊंगा। दुःखी न होना मेरे लिए सन्तावना अपने पराये सभी से मेरी यही हैं, ईश्वर के प्रति आस्था लिए प्रभु के चरणों में समर्पित होकर नवजीवन में फिर पाऊंगा। सृष्टि को खूबसूरत, शांति एवं धर्य संयम धीरज से सकारात्मक सोच के साथ, मनमोहक सबसे प्रिय इंसान के लिए सृष्टिकर्ता पालनकर्ता ईश्वर ने निस्वार्थ भाव से बनाई है ये दुनिया इस दुनिया के पालनार्थ में सृष्टि पर बार-बार आऊंगा। अच्छे बुरे कर्मों का हर बार फल मुझे ही पाना है गगन सांसारिक सुख दुःख मौह माया जीवन चक्र इस धरा पर इंसानों को समय की गति से बांधा है, जीवन और मृत्यु के पालने में खुद ईश्वर ने अपने आपको ढाला है, पालनार्थ बार-बार में आंऊगा पंचतत्व में विलीन होकर सदगति में पांऊगा। परिचय :-...
गुरू
कविता

गुरू

गगन खरे क्षितिज कोदरिया मंहू (मध्य प्रदेश) ******************** अमन चैन शांति का जब पाठ पढ़ाते हैं, हमारी संस्कृति सभ्यता संस्कारों परम्पराओं का भारतीयता लिए मातृभाषा शब्दों में उभर कर ब्रह्मा विष्णु महेश का सार्थक स्वरूप हर भारतीयों में नज़र आती हैं। गुरू की महिमा गुरू ही जाने, गुरु गोविंद दोनों खड़े काके लागूं पाय बलिहारी गुरु आपकी जो गोविंद दियो बताए, जाने प्रतिभा लक्ष्य साधकर समर्पित एकलव्य ने परिभाषा किया गुरूचरणों में, अमृततुल्य निस्वार्थ अपनी प्रतिभा से गुरूपद निखार दिया जनमानस में भारतीयता लिए नज़र आतीं हैं। प्रलोभन निस्वार्थ भाव से जो भारतीयता में मिलती हैं समर्पण भाव सृष्टिकर्ता ईश्वर के प्रति एकरूपता विश्व में कहीं नहीं मिलती तभी तो भारतीयता गुरूचरणों में पथप्रदर्शक बनकर के आ जाती हैं। सदीयों से जिन्दगी सुख दुःख का मेला है महापुरुषों ने...
ए जिंदगी
कविता

ए जिंदगी

गगन खरे क्षितिज कोदरिया मंहू (मध्य प्रदेश) ******************** ए जिंदगी में कितना खुश नसीब हूं मन की आहट सांसों का निरंतर चलना, सुबह का खिलना एक मधूर मुस्कान के साथ स्वागत, अभिनन्दन, अभिनन्दन शुभ प्रभात नई ऊर्जा के साथ है ईश्वर तेरा अभिवादन करता हूं नतमस्तक हूं प्रथम कुसुम खिलें उषा की किरणों के साथ एक प्यारी सी मिठी सी मुस्कान लिए समर्पित हूं ईश्वर अभिनन्दन, अभिनन्दन में सर झुका कर करता हूं। शशि चंद्र धुमिल हुए, प्रखर लालिमा लिए प्रकट समय-चक्र सूर्य नारायणन गतिशीलता लिए एक नई दिशा जिंदगी को देने अपनी ऊर्जा से पथ प्रदर्शक, मार्गदर्शन करने जागो नई उमंग लिए मिठी सी मुस्कान के साथ है ईश्वर शुभ प्रभात की नई किरणों के साथ अभिनन्दन अभिनन्दन करता हूं। सरिता की पावन जल लहरें, जल प्रपातों से करती अटखेलियों निखार रही परिंदों कलाबाजियां शिखर पर हैं प्रातः उषा काल में दि...
कोहिनूर सी चमक है मेरी बेटी में।
कविता

कोहिनूर सी चमक है मेरी बेटी में।

गगन खरे क्षितिज कोदरिया मंहू (मध्य प्रदेश) ******************** कोहिनूर सी चमक है मेरी बेटी में की दर्पण भी देख आश्चर्य चकित हो जाता हैं। मन मेरा उसे देख व दिल मेरा ख़ुशी से बाग़ बाग़ हो जाता हैं। मधुबन की बेला भी शर्मा जाती हैं। मौसम भी सुहाना होकर उसका अभिनन्दन करता है। प्रभाकर अपनी प्रभात किरणों से कोहिनूर सी अभा देकर उसे देख मुस्कुराती शबनम भी पीघल जाती हैं। अठखेलियां खेलती हवाओं और कोयल, मोर, पपीह भी झुमने लगते हैं। खुशहाली मन की मेरी नूरे नज़र कोहिनूर सी चमक मेरी बेटी हैं। दर्पण भी दैख आश्चर्य चकित हो जाता हैं तोहफा है, मेरे लिए वह कोहिनूर सा, दिल मेरा ख़ुशी से बाग़ बाग़ हो जाता हैं। परिचय :- गगन खरे क्षितिज निवासी : कोदरिया मंहू इन्दौर मध्य प्रदेश उम्र : ६६वर्ष शिक्षा : हायर सेकंडरी मध्य प्रदेश आर्ट से सम्प्रति : नर्मदा घाटी ...
प्यार भरा अंलिगन
कविता

प्यार भरा अंलिगन

गगन खरे क्षितिज कोदरिया मंहू (मध्य प्रदेश) ******************** गुलाबी-गुलाबी मौसम बन रहा है । बरखा की छोटी-छोटी बुन्दौ ने मौसम बदल दिया है । माटी की मेंहकी-मेंहकी सुंगध ने मानो मन के भीतर तक तर-बतर कर दिया है । आई ये रूत सुहानी हरियाली की, बादलों की गड़गड़ाहट और बार-बार बिजली का कड़क जाना, अन्दर ही अन्दर डर सुकून भरी मस्ती लिए हवाओं का छूकर चलें जाना मानों दिल के करीब यादौं का सिलसिला फिर बरखा ने बना दिया। सावन भादों के अल्हड़ वो दिन, मस्ती भरे झुलें, उनकी प्यार भरी लहराती जुल्फें काली घटाओं का एहसास कराती, नादान उन्मुक्त हंसी मंजर गगन हर पल यादौं की मुस्कुराहट बनकर अंलिगन करना उनका बरखा ने दिखा दिया। परिचय :- गगन खरे क्षितिज निवासी : कोदरिया मंहू इन्दौर मध्य प्रदेश उम्र : ६६वर्ष शिक्षा : हायर सेकंडरी मध्य प्रदेश आर्ट से सम्प्रति ...
साहित्य के धरातल पर
कविता

साहित्य के धरातल पर

गगन खरे क्षितिज कोदरिया मंहू (मध्य प्रदेश) ******************** साहित्य के धरातल पर भावनाएं ही सुन्दर प्रेरणा बनकर जन्म लेती हैं। दिल को छूले मन को सुकून मिलता हैं और जनमानस की प्रेरणा बन जाती हैं मेरी कलम। सृजनकार हर परिस्थितियों में अपनी पहचान बना लेता है। जहां न पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि, जहां चाह नहीं वहां जीने की राह निकल लेता कवि और प्रेरणा बन जाती हैं मेरी कलम। चमत्कार तो नहीं करतीं जिम्मेदारी का एहसास कराती, बहुत नाज़ है उस पर अद्भुत हैं कलम मेरे लिए भगवान बन गई हैं मेरे लिए मेरी कलम। मां बहन बेटी की तरह वह एक पिता की जिम्मेदारी का अहसास कराती सांसारिक धरातल पर प्रेरणा स्वरूप हैं मेरी कलम। विपत्तियों से घिर गई है ज़िन्दगी, हैवानियत का शिकार हो गई मासूम जिन्दगी, और तो और महामारी करोना से लाशों का ढेर बन गई हैं जिन्दगी व बेबस हो गई ...
तोहफा जिन्दगी का
कविता

तोहफा जिन्दगी का

गगन खरे क्षितिज कोदरिया मंहू (मध्य प्रदेश) ******************** कल भी मेरा था, आज भी मेरा हैं ये जग भी मेरा है फिर किस बात की चिंता है, सब अपने पराये है ये दुनिया तो एक रेन बसेरा है। ये धरती ये आसमां खूबसूरत दुनिया का तोहफा है। मुस्कुराते, गुनगुनाते हुए आज के सफ़र को अपनी खुशी समझो यही प्यार का तोहफा है। जाने अनजाने मुलाकात उस रब से हो जाये प्रीत की रीत चंदन की खुशबू की हवाओं में बिखेर देना ताकि सांसौं को मिलें एक नया तोहफा। जानते हों रब से बात तो एक मजाक था मैं ईश्वर को अपने अन्दर देखता हूं, अपनों में देखता हूं, चंचल है, चकोर है, नित नये स्वरूप लिए दिखाई देते हैं गगन जब गहरी नींद में होता हूं मेरे करीब आकर बैठ जाते हैं सपनों का सागर लिए मधुबन में कहते यही प्रिय तुम्हारा तोहफा है। परिचय :- गगन खरे क्षितिज निवासी : कोदरिया म...
हमारे आंगन में
कविता

हमारे आंगन में

गगन खरे क्षितिज कोदरिया मंहू (मध्य प्रदेश) ******************** हवाएं जो बिगड़ी है देखना तुम एक दिन फिर बहारें चमन में अपना रंग बदलेगी और खिल जायेगी चारौं दिशाएं बसंत खिलकर आयेगा हमारे आंगन में। बिगड़े हालात सब सुधर जायेंगे मधुबन में फिर कोई गुनगुनायेगा, सुबह फिर खिल उठेगी उषा की लालीमा लिए हर पुष्प पर कुसुम की खूबसूरत मुस्कुराहट होगी और दबे पांव नया बंसत अपने बंसती रंग लिए आयेगा हमारे आंगन में। हर चेहरे पर नूर ही नूर होगा शबनम सी मुस्कुराहटों की चमक लिए, महामारी करोना काल से हम जीत जायेंगे गगन सकारात्मक सोच लिये ये काले बादल भी छट जायेंगे और मुस्कुराता बसंत फिर खिलकर आयेगा हमारे आंगन में। परिचय :- गगन खरे क्षितिज निवासी : कोदरिया मंहू इन्दौर मध्य प्रदेश उम्र : ६६वर्ष शिक्षा : हायर सेकंडरी मध्य प्रदेश आर्ट से सम्प्रति : नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण भोपाल मध्यप्रदेश सेवानिवृत्त २०१४...
सुख का सागर
कविता

सुख का सागर

गगन खरे क्षितिज कोदरिया मंहू (मध्य प्रदेश) ******************** बचपन में मेंने कितनी शरारत की मां कभी तूने मुझे कुछ न कहकर अनदेखा कर बस थोड़ा सा मुस्कराई मां बड़ा होकर सब भूल जायेंगे जब जिम्मेदारी आयेगी, समझ जायेगा प्रेरणा बनी रही सागर की तरह मां। धैर्य, धीरज की अनमौल मुरत थी मां, स्वर्ण कमल की आभा लिए हर परिस्थितियों से निपटना वह जानती थी, दुःख सुख से कभी न घबराती, मौसम बदलते ही चन्द्रकला सा निखार आ जाता था मां हमेशा तेरे प्यार दुलार में कोई कमी नही आई तेरे चरणों में देखा सुख का सागर मां। कभी भेद नहीं किया अपने व परायों में तूने मां, अपने हाथों से तुमने भरपूर ममता लुटाई मां, बीती बातें जानकर गगन मां को कभी भूला नहीं पाया मां सदा देखा तेरे चरणों में स्वर्ग सा सागर मां। परिचय :- गगन खरे क्षितिज निवासी : कोदरिया मंहू इन्दौर मध्य प्रदेश उम्र : ६६वर्ष शिक्षा : हायर सेकंडरी मध्य प्रद...
मौत का निमंत्रण
कविता

मौत का निमंत्रण

गगन खरे क्षितिज कोदरिया मंहू (मध्य प्रदेश) ******************** जिंदगी का कोई भरोसा नहीं इस सुखद वातावरण में मुस्कुराकर मुझे अलविदा कहना कोई ग़म न करना और न ही आंसू बहाना अगर आ जाये निमंत्रण मौत का शुक्रिया अदा करना उस ईश्वर का एक खुशहाल जिंदगी जीये इस लॉकडाउन महामारी में। जीओ और जीने दो सफल हो सभी की जिंदगी मानवता जिन्दा रहे हर इंसान में सुख दुःख में खड़ा रहें, एक दूसरे की भावनाओं को समझे व अपनी जिम्मेदारी को न लाये गगन कभी मलाल अपने मन में जीये स्वतंत्रता लिए इस लॉकडाउन महामारी में। परिचय :- गगन खरे क्षितिज निवासी : कोदरिया मंहू इन्दौर मध्य प्रदेश उम्र : ६६वर्ष शिक्षा : हायर सेकंडरी मध्य प्रदेश आर्ट से सम्प्रति : नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण भोपाल मध्यप्रदेश सेवानिवृत्त २०१४ साहित्य में कदम : २०१४ से भारतीय साहित्य परिषद मंहू, मध्य प्रदेश लेखक संघ मंहू इकाई, महफ़िल ए साहित्य कोद...
संजीवनी बूटी कहा ढुढोगें
कविता

संजीवनी बूटी कहा ढुढोगें

गगन खरे क्षितिज कोदरिया मंहू (मध्य प्रदेश) ******************** तबाह कर दिये जंगल पठार, पर्वत, बची थी खेती जमीन उस पर भी बना लिए पत्थर के जंगल मानवता इंसानियत भी खत्म होती जा रही है, बतलाऔ कहा ढुढोगें अब संजीवनी बूटी और मर रहा है आदमी। हां हां कर मचा विश्व में कृत्रिम आक्सीजन के लिए इस लॉकडाउन महामारी में, उजाड़कर सृष्टि को जो खूबसूरत है, कभी तुमसे कुछ नहीं मांगा बल्कि दिया हमेशा अतुलनीय अनमौल उपहार, आज आदमी बन गया है, आदमी का दुश्मन और मर रहा है आदमी। शैतानी दिमाग पाया है, ईश्वर में भी आस्था कम हो गई है, कुछ अविष्कार क्या कर लिया, ईश्वर को झुठलाने लगा है गगन और तो और अपनी गलती छुपाने के लिए कलयुगी दुहाई देकर बच जाना चाहता है, देख नहीं रहा अपनी गलती आज मर रहा है आदमी। परिचय :- गगन खरे क्षितिज निवासी : कोदरिया मंहू इन्दौर मध्य प्रदेश उम्र : ६६वर्ष शिक्षा : हायर सेकंडरी मध्य प्रदे...
मुझे अफसौस रहेगा
कविता

मुझे अफसौस रहेगा

गगन खरे क्षितिज कोदरिया मंहू (मध्य प्रदेश) ******************** वक़्त कभी रूकता नहीं, समय के चक्र को खुद आदमी ने अवरूद्ध कर दिया साथ ही मौत का जिम्मेदार हैं, मौत के सौदागर बन गये हवाओं में ज़हर नहीं घुला, पत्थरों के जंगल आज की समस्या है, वन उपवन, जल-थल उजाड़कर अब आंसू बहा रहा है। फिर उसने आकर कहा मौत हूं मैं पहचाना हमदम हूं तेरी, तेरी जिज्ञासा को जानकर आई हूं करीब तेरे आदमी आदमी का दुश्मन है, ज़िन्दगी का उसके लिए कोई मायने नहीं वहां ईश्वर को झुठलाने लगा है, उसकी बनाई सृष्टि को अणु परमाणु हथियारों से तबाही मचाने वाला है। अगर समय रहते नहीं जागा तो महाप्रलय आयेगा सब नष्ट हो जायेगा। मौत हमेशा समय के चक्र साथ होगी परन्तु जिन्दगी नहीं फिर कई युगों तक मुझे जिंदगी के आने का इंतजार रहेगा मुझे कभी दोष न देना मुझे दुःख है पत्थर दिल नहीं गगन इंसानौं की तबाही याद रहेगी हम दर्द साथी में आंसू बहाती रह...
एक स्वर्णिम संध्या
कविता

एक स्वर्णिम संध्या

गगन खरे क्षितिज कोदरिया मंहू इन्दौर (मध्य प्रदेश) ******************** खूबसूरत संध्या स्वर्णिम आभा का संदेश देकर गुज़र गई। निशा भी खूबसूरत ख्वाबौं को देकर चली गई। प्रभात की किरणें शबनम के मोती की तरह प्यार भरा माहौल सनम तुम्हारे बिना दे गई। अब इंतजार कर, इंतजार कर हर आहट कहने लगी अपने आप से जिन्दगी, मधुर मधुशाला के लिए तड़फने लगी। कभी जो मय पिलाई थी, अपने मुस्कराते नयनौं से, कशमकश माहौल को पाने के लिए तड़प उठी थी गगन एक मोहब्बत की रोशनी के लिए जिन्दगी बेबस लाचार सी लगने लगी और खूबसूरत संध्या स्वर्णिम आभा का संदेश देकर गुज़र गई। परिचय :- गगन खरे क्षितिज निवासी : कोदरिया मंहू इन्दौर मध्य प्रदेश उम्र : ६६वर्ष शिक्षा : हायर सेकंडरी मध्य प्रदेश आर्ट से सम्प्रति : नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण भोपाल मध्यप्रदेश सेवानिवृत्त २०१४ साहित्य में कदम : २०१४ से भारतीय साहित्य परिषद मंहू, मध्य ...
मां तेरे चरणों में
कविता

मां तेरे चरणों में

गगन खरे क्षितिज कोदरिया मंहू इन्दौर (मध्य प्रदेश) ******************** शीश झुकाऊं मां तेरे चरणों में पल पल ध्यान करूं मां और शीश तेरे चरणों में झुकाऊं मां। जब जब तेरा स्मृण करूं आंखें खोलूं तेरा सुन्दर रूप दिखें मेरी मां। ज्ञान दीप जले तेरे आंचल में मां, तू जननी है मां इस सृष्टि की नहीं भेद भाव किसी से करती तू मां। नहीं कोई वजूद मेरा मां, और नहीं कोई तेरे सिवा मेरा मां। तू धनी अपनी ममता की मां, सरणागत हूं मां ख़ाली हाथ आया था, खाली हाथ जाऊंगा तेरा आशीष मिल जाए जीवन मेरा तर जाये मां। तेरे दर आतें सभी दिन दुखियारें मां, सभी की मनोकामना करती पूरी मां गगन भी खड़ा शिश नमाये पुष्प सुमन आरती लिए हाथ जोड़कर भक्ति भाव से तेरे चरणों में हूं मां। परिचय :- गगन खरे क्षितिज निवासी : कोदरिया मंहू इन्दौर मध्य प्रदेश उम्र : ६६वर्ष शिक्षा : हायर सेकंडरी मध्य प्रदेश आर्ट से सम्प्रति : नर्मदा घ...