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भगति म मन ल लगाबो
आंचलिक बोली, भजन

भगति म मन ल लगाबो

खुमान सिंह भाट रमतरा, बालोद, (छत्तीसगढ़) ******************** छत्तीसगढ़ी भजन भगति म मन ल लगाबो चल भईया भगति म मन ल रमाबो रे जिनगी ले मुक्ति हम पाबो रे भव सागर ले तर जाबो रे चल भईया भगति म ... चल दीदी अमृत गंगा म डुबकी लगाबो जी राम कथा म मन ल रमाबो जी जिनगी ल सुफल बनाबो... (२) शबरी ल जानने, मीरा ल मानेन भगति के मिशाल हे..(२) मोर भाई.. बढ़ निक लागे तुलसी के बानी जिनगी बर हावे...( २) संजोए मोर भाई राम कथा ल गांव- गांव..(२) पहुंचाबोन जी जिनगी ल सुफल बनाबो भव सागर ले तर जाबो जी... चल भईया चल दीदी भगति म मन ल लगाबो जी... जिनगी ले मुक्ति हम पाबो जी दुनिया म अंजोर बगराबो जी भव सागर ले तर जाबो जी मोर भईया मोर दीदी भगति म मन रमाबो जी... परिचय :- खुमान सिंह भाट पिता : श्री पुनित राम भाट निवासी : ग्राम- रमतरा, जिला- बालोद, (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह...
परिवर्तन का आगाज
कविता

परिवर्तन का आगाज

खुमान सिंह भाट रमतरा, बालोद, (छत्तीसगढ़) ******************** आओ सौपे तन-मन-धन और जीवन को नव प्रयत्न, नव सृजन और परिवर्तन को परिवर्तन ऐसा कि जिसमें असर हो प्रखर हो, परिवर्तन ऐसा कि जो यकिनन परिवर्तन हो परिवर्तन का आगाज हुआ वह हमसे दूर नहीं पर हमारे पास हुआ बालोद आयोजित समाजिक कार्यक्रम सफलता पूर्वक आगाज हुआ जहां विशाल जनसंख्या लिए सामाजिक बंधुओं का आगमन व जनहित सुकृत काज हुआ परिवर्तन जिसका आगाज़ हुआ जिस भांति विकट परिस्थितियों में भी राम दूत बनकर घर-घर जाकर समाजिक संगठन की महत्ता का संचार किया धीरे-धीरे लोगों में जागरूकता आई समाज को जागृत कर नई कीर्तिमान स्थापित करने का सर्वजन में आशा कि नई किरण छाई और फिर सबने मिलकर विचार किया समाज में क्रांति लाए कैसे ? संगठित समाज की महत्ता सब को बताए कैसे फिर मंनथन से निर्णय निकला जहां-तहां समाजिक बन्धु का निवास है ...
मैं बदल रहा हूं …
कविता

मैं बदल रहा हूं …

खुमान सिंह भाट रमतरा, बालोद, (छत्तीसगढ़) ******************** मेरे जाने या अंजाने में कोई गलतियां गर हुआ है उसका अफसोस है मैं उन गलतियों से बहुत कुछ सीख रहा हूं मैं हरदम परेशानी का कारण हुआ करता था अब ये गलतियां न हो पाये दोबारा इसका बेहतर विकल्प ढूंढ रहा हूं लाख आये राह में कांटे उन कांटों में भी सुंदर फूल ढूंढ रहा हूं जिम्मेदारी के बंधन में बंध जाऊ इस कदर कि मेरे अपने भी कभी न हो पाए तर-बतर मेरे उन सारी हरकतों को अब विराम कर रहा हूं दुनिया में इस प्रेम से बंधे रिश्ते का जो हमें दर्जा दिऐ हो मैं उसे बेहतर ढंग से निभा सकूं अब उसका मैं सूत्र ढूंढ रहा हूं मैं बदल रहा हूं ... परिचय :- खुमान सिंह भाट पिता : श्री पुनित राम भाट निवासी : ग्राम- रमतरा, जिला- बालोद, (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलि...
जनम दिन के बधाई
आंचलिक बोली, कविता

जनम दिन के बधाई

खुमान सिंह भाट रमतरा, बालोद, (छत्तीसगढ़) ******************** छत्तीसगढ़ी कविता जस किरती बाढ़य तोर, समे होवय सुखदाई। जनम बछर के प्रियांशी बिटिया ल, घेरी बेरी बधाई। दाई ददा के दुख पीरा म अपन हरदम साथ तैय देबे। अऊ डोकरा बाबा के तैय बन जाबे संगवारी जी जिनगी ल जे हार चुके हे, आंखी में जेखर आंसू भरे हे। दुखिया जान के हाथ बढ़ाबे, अईसे ओकर करबे तैय ओकर भलाई जी सादा जीवन अऊ उच्च विचार ले अपन जीवन ल सुघ्घर कर जाना हे घर परिवार अऊ संगी साथी संग मया पिरित के बंधना म अईसे तैय बंध जाबे, चाहे कतको मजबूरी होवय। दाई-ददा के संग अपन सपना ल सिरतोन करे बर, पढई-लिखई म अभी ले तैय जुड़ जाबे जी सगरो पराणी के आशीर्वाद मिलय अऊ तोर सपना कभु झन खाली होवय। मान अऊ मर्यादा के हितइशी बन, घर समाज के रखवाली होवय। जनम देवईया महतारी के अंचरा म, सबके होवय सहाई जी। अऊ जनम बछर के प्रियांशी ...
गजब मिठाते अऊ गजब सुहाते
आंचलिक बोली, लघुकथा

गजब मिठाते अऊ गजब सुहाते

खुमान सिंह भाट रमतरा, बालोद, (छत्तीसगढ़) ******************** एक दिन के बात आय समारू घर म कोनो नई राहय घर के जम्मो लईका सियान हर अपन ममा घर घुमे बर चल देते। फेर क घर ह पुरा सुन्ना होगे समारु जईसे तईसे दिन भर बिताए के बाद म संझा के बेरा होगे, तब समारू हर नंग्गत के अघाए भुखाय घलो रथे कबार कि बहिनिया कुन बोरे बासी भर ल खाय रथे। समारु लकर धकर हाडी कुरिया म जईसे मुच्चा ल उठआईस त पाते कि कुरवी म एको कन अन्न के दाना नई राहय। ये सब ल देख समारु भुख पियास म तरमिर-तरमिर करे लागिस फेर क करय गघरा म पानी भराय राहय समारू गघरा ले लोटा भर पानी निकाल सांस भर के पीये लागिस, अईसे-तईसे करके समारू कुछ समय बिता डरिस। फेर वोहर रोज अन्न के दाना खाय बिना वोला नींद घलो नई आवय समारू हाडी कुरिया म जेवन बनाय बर भीड़ जथे जइसे आगी सपचाय बर छेना लकड़ी ल देखते त सबे हर सिरा गे रईथे। ये सब ल देखत समारू के मति फेर छरिया ज...
कोशिश
कविता

कोशिश

खुमान सिंह भाट रमतरा, बालोद, (छत्तीसगढ़) ******************** कोशिश जब करते हैं मेहनत रंग ला जाती है हौसला गर कर गुजरने का पथ आसान हो जाती है दीपक स्वयं जलकर सब के जीवन को रौशन कर जाती है संघर्ष जितनी गहरी होती है परिणाम उतना ही शोर मचाती है कामयाबी जब मिलती है गुलशन में भी बहार आ जाते है ... परिचय :- खुमान सिंह भाट पिता : श्री पुनित राम भाट निवासी : ग्राम- रमतरा, जिला- बालोद, (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindiraksha...
नवा सोच अऊ नवा उमंग
गीत

नवा सोच अऊ नवा उमंग

खुमान सिंह भाट रमतरा, बालोद, (छत्तीसगढ़) ******************** (छत्तीसगढ़ी गीत) नवा सोच अऊ नवा उमंग युवा शक्ति के जब होथे गठन सुवा गीत के तर्ज म समर्पित रचना... तरी हरी नाना मोर नाना रे नाना हो चलो युवा शक्ति ल जागाबो.. महिमा बढ़ भारी हे युवा शक्ति के ग भईया युवा होय के फरज ल निभाबो...।। मारबो गुलाटी भेदभाव ल भईया भाईचारा के गठरी म बंधा जाबो आवत हमर नवा पीढ़ी खातिर बर रद्दा सुघ्घर गढ़ जाबो.. चलो जुर - मिल सुंता के बीड़ा उठाबो हमर संस्कृति अऊ परंपरा उजियार करे बर कंधा से कंधा मिलाबो ... युवा शक्ति मिशाल बनके ग भईया सभ्य समाज गढ़ जाबो... तरी हरी नाना मोर नाना रे नाना युवा शक्ति ल जागाबो.. परिचय :- खुमान सिंह भाट पिता : श्री पुनित राम भाट निवासी : ग्राम- रमतरा, जिला- बालोद, (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्...
अमृत की धारा
गीत

अमृत की धारा

खुमान सिंह भाट रमतरा, बालोद, (छत्तीसगढ़) ******************** ओ ओ ओ ओ .. राम भगति ध्यान में ध्यान जो लगाएं ... भवसागर से मुक्ति वह पाए, तुम्हारे भगति में तुम्हारी भगति में...२ हो ओ हो ओ हो.. पत्थर स्पर्श किया जो तुमने श्रापमुक्त हुए अहिल्या माई तुम्हारी भगति से, मां सबरी के जुठे बेर तुमने जो खाए ममता की भाग जो बढ़ाए तुम्हारी भगति ने ....२ हो ओ हो ओ.. गणिका को ज्ञान से अवगत करवाएं कुरूक्षेत्र में अर्जुन को गीता सार है सुनाई तुम्हारी भगति ने....२ हो ओ हो ओ.. मीरा ने पी लिया था विष का जो प्याला, वह बन गई अमृत की धारा तुम्हारी भगति में...२ हो ओ हो ओ... परिचय :- खुमान सिंह भाट पिता : श्री पुनित राम भाट निवासी : ग्राम- रमतरा, जिला- बालोद, (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। ...
“सिरतोन म संस्कार नंदा जाही का”
आंचलिक बोली, कविता

“सिरतोन म संस्कार नंदा जाही का”

खुमान सिंह भाट रमतरा, बालोद, (छत्तीसगढ़) ******************** छत्तीसगढ़ी बिटिया रानी महतारी ले कहिथे दाई तै तो बड भागी हो गेस वो अपन जिगर के टुकड़ा ल दुरिहा डारें, तोर मया मोर बर थोरकुन नई पल पलईस सुने हव महतारी बर लईका मन आंखी के तारा होथे फेर देखत हव मैय तो नामे हव मोर संजोए सपना म पानी फेर दे बड दिन ले मोरों एक ठन आस रीहिस सुने हव महतारी मन लईका ऊपर कोनो आंच नई आवन दे फेर ये कईसन टाईप ले लापरवाही ? महु ल तो घालो एक बार अपन छाति ले ओधा लेतेस, अऊ खंधेडीं म बिठाके धुमा लैय आतेस वो दुरूग अऊ भिलाई फेर नई ...! तहु ह दुनिया बर एक झन मिसाल बन गे वो अपने लईका के मुंह म पेरा गोंजे अऊ आनी-बानी के जिनिस चबरहा कुकर ल खावाए देखेव तोर मया ल मोर मन कलप जथे वो सिरतोन म घर अऊ परिवार दुरिहाय खातिर तैय तो बड़े जन उदिम निकाल डरें ... परिचय :- खुमान सिंह भाट पिता : श्री पुनि...
नई दिशा
कविता

नई दिशा

खुमान सिंह भाट रमतरा, बालोद, (छत्तीसगढ़) ******************** राग अनुराग गीत हम गाएंगे प्रकाशमान हो चहुं ओर ऐसा ऐसा दीप हम जलाएंगे गर राह में कांटे आए मुस्कान प्रतीक वह पुष्प सा हम खिल जायेंगे पिछड़े समाज की मान- मर्यादा को पूर्ण स्वरूप में लाएंगे परिवेश जैसा भी हो समाज को नई दिशा हम दिखलाएंगे खंडित रहने से कुछ नहीं होता है जग में संगठन की ताकत सर्वजन को हम बतलाएंगे चाहे लाख आए परेशानी बस भरोसा खुद पर कुछ कर गुजरने का दम वह दर्पण स्रदिस हम बन जाएंगे परिवेश जैसा भी हो समाज को नई दिशा हम दिखलाएंगे जागरूक स्वयं होकर समाज की महत्ता सर्वजन तक हम फैलाएंगे करेंगे मेहनत खुद को मिसाल हम बनाएंगे इन्हीं नेक इरादों से हम ध्रुव तारे सा चमककृत कर जाएंगे जात-पात, ऊंच-नीच ईष्र्या-द्वेष के बंधन से मुक्त हो समाज ऐसा सूत्र हम बनाएंगे ना रहेगी छुआछूत का कोई अंश एक...
मान लेना कहना ल मोर
गीत

मान लेना कहना ल मोर

खुमान सिंह भाट रमतरा, बालोद, (छत्तीसगढ़) ******************** मान लेना कहना मोर कोरोना कहर चलत हे चारो ओर ग भईया मोर हे बहिनी मोर मान लेना कहना ल मोर दु गज दूरी अऊ मास्क जरूरी हे हाथ तय सेनेटाईजर ले मांज लेना रे मान लेना कहना ल मोर ग भईया मोर हे बहिनी मोर मान लेना कहना ल मोर भीड़ - भाड़ जगह म नई जाना हे एक दूसर ले दुरिहा रहिके गोठियाना हे अऊ कोरोना टीका सबझन लगवाना हे जेकर ले खुलही हमर जिंदगी के किवाड़ वो मान लेना कहना ल मोर ग भईया मोर हे बहिनी मोर मान लेना कहना ल मोर बैरी कोरोना संगी हमला सतावत हे कहुं कोरोना त कहुं ओमीक्रान बनके आंखी दिखावत हमिला दिखावत हे जिनगी के करलव ग हियाव मान लेना कहना ला मोर ग भईया मोर हे बहिनी मोर मान लेना कहना मोर कोरोना जागरूकता सबझन म जगाना हे लईका सियान कोरोना टीका सबोझन लगवाना हे खुद के बचाव म सबे के सुरक्षा हे भेदभा...
हमर गांव सुघ्घर गांव
आलेख

हमर गांव सुघ्घर गांव

खुमान सिंह भाट रमतरा, बालोद, (छत्तीसगढ़) ******************** जिसकी गोद में मेरा बीता है बचपन, जिसकी सेवा के लिए अर्पण है मेरा तन-मन-धन। जिसके नीर का हर एक बूंद अमृत और अन्न का हर एक कण छप्पन भोग है मेरे लिए वही मेरा बैकुंठ और वही देवलोक है। जिसका हर एक चौंक मेरा चार धाम है, मुझे गर्व है कि मेरा जन्म भूमि पावन रमतरा ग्राम है स्वच्छ , सुगंधीत व ताजी हवा गांव की ओर अनायास ही खींच लाती है। ग्राम वासियों का आपसी प्रेम और भाईचारा की भावना की तो बात ही निराली है। जिस प्रकार फूल बगीचे की शोभा पहले है और डालियों की शोभा बाद में है ठीक उसी प्रकार यहां के निवासी जाति, धर्म और ऊंच- नीच की नहीं बल्कि इंसानियत की शोभा पहले है। तीन सौ परिवारों के १६५० लोगों को अपनी गोद में आश्रय दिया हुआ हमारा गांव यहां आजीविका का मुख्य साधन कृषि है, और कुल जनसंख्या के आधे से अधिक लोग कृषि कार्य पर निर्...
जो भूल गए
कविता

जो भूल गए

खुमान सिंह भाट रमतरा, बालोद, (छत्तीसगढ़) ******************** जो भूल गए इतिहास हमारा मैं उसे बतलाया करता हूं निद्रासन में सोए समाज को मैं जगाया करता हूं सुनो ध्यान से आज मैं तुमको ज्ञान की बात बतलाता हूं आदिकाल और स्वर्ण काल को वर्तमान में खींच लाता हूं मैं हूं वह जो अपनी कलम से रीतिकाल को जगाया करता हूं मेवाड़ मराठा राजपूत और वीरांगना लक्ष्मीबाई का गुण गाया करता हूं जो भूल गए इतिहास हमारा मैं उसे बतलाया करता हूं सुनो ध्यान से आज मैं तुमको ज्ञान की बात बतलाता हूं मैं रूढ़िवादी समाज में परिवर्तन की विविध आयाम लाया करता हूं भावनाओं को शब्दों में उकेर कर मानव में मानवता का प्रेम जगाया करता हूं पिता पुत्र सा स्नेह हो राजा प्रजा में ऐसा अटूट बंधन बनाया करता हूं जो भूल गए इतिहास हमारा मैं उसे बतलाया करता हूं सुनो ध्यान से आज मैं तुमको ज्ञान की बात बतलाता हूं वक्...
मेरा बालोद महान
गीत

मेरा बालोद महान

खुमान सिंह भाट रमतरा, बालोद, (छत्तीसगढ़) ******************** मेरा बालोद महान मेरा बालोद महान... गंगा मैया, रानी माई, सियादेवी मंदिर विशाल है तांदुला, खरखारा जलाशय की प्राकृतिक सौंदर्य ता बेमिसाल है शिवनाथ की तांदुला नदी बालोद की शान है मेरा बालोद महान मेरा बालोद महान... वन भैंसा भालू शीतल जंगल की शान है स्वयंभू गणेश मूर्ति है विराजमान मेरा बालोद महान मेरा बालोद महान... सरई वीजा खम्हार के जंगल खिले चार, महुआ, तेंदूपत्ता, हर्रा, बहेड़ा, आंवला मिले महापाषाणीय स्मारक शिव कपिलेश्वर है धाम बालोद (दल्लीराजहरा) खनिज संपदा का पूरे विश्व में है बखान मेरा बालोद महान मेरा भारत महान... देखो-देखो छत्तीसगढ़ की शान मेरा बालोद महान... देवी देवताओं का प्राण प्रतिष्ठा मिलाप राजाराव पठार है सर्व समुदाय जहां एकजुट हो जाए यह एकमात्र आधार है रेला पट्टा गौण नृत्य स...
कृष्ण मय हो जाए जीवन
कविता

कृष्ण मय हो जाए जीवन

खुमान सिंह भाट रमतरा, बालोद, (छत्तीसगढ़) ******************** शब्दों तक न होकर सीमित कृष्ण सा साकार कर जाए निश्छल प्रेम उदगार कर समूचे परिवेश को संदेशा दे जाए अनुकरणी है उनकी वाणी वैसे ही उनका जीवन है समूचा जीवन संकट का है संघर्ष और नेक इरादों में जीवन को सफल बनाएं प्रतिकूल परिस्थितियां आए गर जीवन में कृष्ण सा मुस्कुराते हुए ही जवाब दे जाए अग्रणी रहे परोपकारी बने एक दूजे में परस्पर भाईचारे की भावना विकसित कर जाएं स्वार्थ कभी हावी न होने दें निस्वार्थ भाव के बंधन में ऐसा बंध जाएं सामर्थ नजरिए को समझकर विश्वास जमा कर जीवन पथ पर आगे बढ़ जाएं... परिचय :- खुमान सिंह भाट पिता : श्री पुनित राम भाट निवासी : ग्राम- रमतरा, जिला- बालोद, (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी...
बारिश का मौसम
कविता

बारिश का मौसम

खुमान सिंह भाट रमतरा, बालोद, (छत्तीसगढ़) ******************** इंतजार की घड़ी हुआ खत्म भूरे-काले बादल वर्षा की चांदनी बूंदे धरती के चरणकमल पखारे सूखी मिट्टी की ढेर पथरीली मैदान नजरें जिधर भी निहारते हरी भरी वसुंधरा नजर आए देख परिदृश्य ह्रदय शांति भर आए... संगत मधुर बड़ी है कुदरत की फल स्वरुप पल रहे जो प्राणी भुरे-काले बादलों की छांव हरे भरे पेड़ों का रूप रंगों का संयोजन चमत्कृत करता... गीली राह तस्वीर बनाएं इन गलियों को हम कैसे भूल जाए जल से संभव मानव जीवन धरती का श्रृंगारगार बढ़ाएं हरियाली से वातावरण अनुकूल हो जाए... पौधों की कुलगियो पर कंधे सा फेरती जाए बदलता पल-पल प्रकृति स्वरूप अपना दिखलाएं भुरे- काले बादलों की झुंड धरती पर वर्षा बनकर बिखर जाए... परिचय :- खुमान सिंह भाट पिता : श्री पुनित राम भाट निवासी : ग्राम- रमतरा, जिला- बालोद, (छत्तीसगढ़) घोषणा प...
वो स्कूल की यादें
कविता

वो स्कूल की यादें

खुमान सिंह भाट रमतरा, बालोद, (छत्तीसगढ़) ******************** वो स्कूल की यादें, वो छेड़िया की बातें जो हम कभी भूल ना पाते वो छेड़िया की हवा डोमन होटल का भजिया लहसुन मिर्चा की चटनी। वह दोपहर का लंच साइकिल स्टैंड का हड़कंप वो बघेल सर जी का खौफ, वो प्रिंसिपल सर जी का रौब वो एन.पौसारिया मैडम जी का स्नेही दुलार और वो सी.पी.मैडम जी का मार के साथ प्यार वो चेलक सर जी का हिंदी में इंटरेस्ट वो साहू सर जी का गणित परफेक्ट वो एच. आर. हिरवानी सर जी का कवक, शैवाल और जीवाणु वायरस क्लास में हो जाता था हर बच्चा सीरियस वो लास्ट बेंच का मज़ा हर परेड में मिलती की सजा वो छेड़िया भरदा की सड़कें ना जाने कितने लड़कों के दिल धड़के वो स्कूल की यादें वो छेड़िया स्कूल की बातें जो हम कभी भूल ना पाते ... परिचय :- खुमान सिंह भाट पिता : श्री पुनित राम भाट निवासी : ग्राम- रमतरा, जिला- बालोद, (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं ...
जीवन उत्थान मार्ग
कविता

जीवन उत्थान मार्ग

खुमान सिंह भाट रमतरा, बालोद, (छत्तीसगढ़) ******************** योग, जीवन उत्थान मार्ग है योग, षष्टांग-अष्टांग मिलन है योग, साधन संयम ध्यान समाधि प्राकृती परिभाषा है योग, मंत्र योग, लययोग, राजयोग और हठयोग का ज्ञान है योग, मनका रंजन एवं उसका विस्तार है योग, आत्मा से परमात्मा का मिलन है योग, चेतन केंद्रित का साधन है योग,जगत कल्याण के लिए अर्पित है योग, आत्मा साक्षात्कार अनुभव है योग, परब्रह्म-जीवात्मा अविरल संबंध है योग, मन एवं प्राण का आधार है योग, प्रकृतिधर चेतन पथ प्राप्ति है योग, अणु परमाणु संबंध है योग, मनुष्य से आध्यात्मिकता का बोध है योग, पंच तत्व दर्शन है योग, ज्ञान अनंत है जानो यह सब कोय, योग, करें सोय जीवन मंगलमय होए परिचय :-  खुमान सिंह भाट पिता : श्री पुनित राम भाट निवासी : ग्राम- रमतरा, जिला- बालोद, (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित म...
गुरु वहीं जो जीना सीखा दे
कविता

गुरु वहीं जो जीना सीखा दे

खुमान सिंह भाट रमतरा, बालोद, (छत्तीसगढ़) ******************** गुमनामी के अंधेरे से उजाले की पहचान करा दे तराश दे हिरे की तरह दुनिया के रास्ते पे चलना सीखा दे कर देता है कायाकल्प सबका सच और झूठ से साकार करा दे मार्ग सच्चा दिखाऐ हमेशा पराये में भी अपनों का अहसास करा दे जलकर स्वंय दीपक की भांति शिष्य की नई पहचान दिलादे मुश्किलों से लडने की हौसला बढादे वह इतना समझदार बना दे बतलाऐ जीवन का सूत्र जीत जाना ही सब कुछ नहीं हारकर जीतने की हुनर सीखा दे गुरु वहीं जो जीना सीखा दे आपकी आपसे पहचान करा दे... परिचय :-  खुमान सिंह भाट निवासी : रमतरा, बालोद, छत्तीसगढ़ आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिं...
मिजाज मौसम का बदल रहा है
कविता

मिजाज मौसम का बदल रहा है

खुमान सिंह भाट रमतरा, बालोद, (छत्तीसगढ़) ******************** देख यह कैसा है छाया, विलक्षण परिवर्तन लिए मौसम है आया। बर्फबारी हो रही है भुकंप आ रहा है, समुचे भू- पटल पर विनाश का काला बादल छा रहा है। दृश्य देख यह ख्याल आ रहा है, मिजाज मौसम का बदल रहा है। वध्वंस होकर प्रकृति, अपनी स्वरुप दिखलाया। कड़ाके की गर्मी में, शीत के कहर है छाया। वृक्ष के उपकार को, अंधा मानव समझ न पाया। देव तुल्य पीपल का भी, कुल्हाड़ी से काट गिराया। दिखावा के दौर में, मनी प्लांट के पौधे घर में लगाए। देख तेरी मुर्खता, तुलसी माता लज्जा से सिर अपनी झुकाए। निशा काल में शीतल वायु न दे पाए, वह ये ! मानव तुने कैसा पथ अपनाया? प्रकृति का श्रृंगार मिटाकर, नव निर्मित उद्योग कल कारखाना है लगाए। देख तेरे इन हरकतों से, मिजाज मौसम का बदल रहा है। मानव तुम कितनी प्रगति कर भी, सक्षम हो जाओ फिर भी, प्रकृति के समक्ष खुद पेश...
कमाल कर दिया
कविता

कमाल कर दिया

खुमान सिंह भाट रमतरा, बालोद, (छत्तीसगढ़) ******************** बिखरे परिवार को तुने एकता की माला से पिरो कर घर की मर्यादा को तुने पल भर में ज्ञात करा दिया समाजिक दुरी की महत्ता हम सबको बता दिया वह ! रे कोरोना तुने कमाल कर दिया... युवा पीढ़ी को मंदिरापान से दूर कर निशा मुक्त समाज का मार्ग प्रशस्त कर दिया... वह ! रे कोरोना तुने कमाल कर दिया... मानव की बेवजह ईच्छाओ में पाबंद कर जीवन निर्वाह हेतु आवश्यक रोटी , कपड़ा और मकान की महत्ता हम सबको बता दिया वह ! रे कोरोना तुने कमाल कर दिया... अंधविश्वास भेदभाव घटा कर विज्ञान चिकित्सा के प्रति विश्र्वाश कायम कर दिया धैर्यवान आपसी तालमेल संतोष पूर्वक जीवन जीने की नई राह दिखा दिया वह ! रे कोरोना तुने कमाल कर... किसान, सैनिक, चिकित्सकों के प्रति सम्मान का भाव जगा दिया पडौ़स संगा संबंधी आमजन में आपसी भाईचारे की भावना बढ़ा दिया दानवीरता की भावना बढ़ा ...
मोहे देखन दे
गीत

मोहे देखन दे

खुमान सिंह भाट रमतरा, बालोद, (छत्तीसगढ़) ******************** मोहे देखन दे असीघाट को गए छोड़ गोस्वामी जी, जाने गए वो किधर ढूंढे सबकी नजर, मोहे देखन दे, गुरु महिमा देखन दे पहली बार श्री कबीर दास जी ने काशी (लहर तालाब) में लिया अवतार हो... ऐकश्र्वरवादी विश्व में फैले ऐसा किया विचार हो... ईश्वर एक है दूजा न कोए जाना सब संसार ऐसा हुआ उदगार मोहे देखन दे, गुरु महिमा देखन दे... दुसरी बार श्री तुलसीदास जी ने जग में अवतार हो... सपना जो स्वामी जी का था उसको किया साकार हो... रामचरितमानस सबके सनमुख आये जाना सब संसार ऐसा हुआ उदगार मोहे देखन दे, गुरु महिमा देखन दे... तीसरी बार श्री घासीदास जी ने जग में लिया अवतार हो... सर्वधर्म - समभाव विश्व में फैला ऐसा किया प्रचार हो जाना सब संसार मोहे देखन दे गुरु महिमा देखन दे...   परिचय :-  खुमान सिंह भाट निवासी : रमतरा, बालोद, छत्तीसगढ़ आप भी अपनी ...