Saturday, September 21राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

Tag: कुमार जितेन्द्र

रंगो का त्योहार है होली
कविता

रंगो का त्योहार है होली

कुमार जितेन्द्र बाड़मेर (राजस्थान) ******************** आओ बच्चों रंग लगाएं ! रंगो का त्योहार है होली !! दौड़े-खेल रंगीन रंगो से ! मस्ती का त्योहार है होली !! रंग-बिरंगे कपड़े पहने ! रंगो का त्योहार है होली !! आओ बच्चों रंग लगाएं ! रंगो का त्योहार है होली !! संग-ढ़ोल से झूम उठे ! संस्कृति का त्योहार है होली !! रंगीन गीतों से गूँज उठे ! गीतों का त्योहार है होली!! आओ बच्चों रंग लगाएं ! रंगो का त्योहार है होली !! बड़े-बुजुर्गों का रखे ध्यान ! प्रेम का त्योहार है होली !! वाद-विवादों से न घिरे ! एकता का त्योहार है होली !! आओ बच्चों रंग लगाएं ! रंगो का त्योहार है होली !! मिठाई-पकवान ख़ूब खाए ! खुशियों का त्योहार है होली !! नशीले पदार्थों से दूर रहे ! शांति का त्योहार है होली !! आओ बच्चों रंग लगाएं ! रंगो का त्योहार है होली !! रासायनिक रंगो का त्याग करें ! प्यार के रंगो का त्योह...
दुःख के अनगिनत रूप
कविता

दुःख के अनगिनत रूप

कुमार जितेन्द्र बाड़मेर (राजस्थान) ********************   स्वार्थ निस्वार्थ भाव से रहे प्राणी, सारा जग सुख ही सुख। पनप गई स्वार्थ की भावना, ढेर लगेंगे अनगिनत दुःख के।। ईर्ष्या अच्छे विचार, श्रेष्ठ कर्म, सुख के है साथी अपने। जाग गई ईर्ष्या मन में, जाग उठेंगे अनगिनत दुःख।। छल - कपट जीवन का आधार है विश्वास, सार्थक जीवन बनाए विश्वास। कोशिश हुई छल-कपट की, रोक न सकेंगे अनगिनत दुःख को। मोह-माया इस धरा के सभी जीवो में, मनुष्य जीवन है सर्वश्रेष्ठ। क्षण भर की मोह-माया से, दिखेंगे दुःख के अनगिनत रूप।। . परिचय :- नाम :- कुमार जितेन्द्र (कवि, लेखक, विश्लेषक, वरिष्ठ अध्यापक - गणित) माता :- पुष्पा देवी पिता :- माला राम जन्म दिनांक :- ०५. ०५.१९८९ शिक्षा :-  स्नाकोतर राजनीति विज्ञान, बी. एससी. (गणित) , बी.एड (यूके सिंह देवल मेमोरियल कॉलेज भीनमाल - एम. डी. एस. यू. अजमेर) निवास :-  सिवाना, जिला...
नव वर्ष
कविता

नव वर्ष

कुमार जितेन्द्र बाड़मेर (राजस्थान) ******************** विश्वास चारों ओर अंधेरा छाया, अंधविश्वास का है पहरा। रखे विश्वास की बागडोर, होगी रोशनी नई किरणों से। मिट रहा है घनघोर अंधेरा, आज है नया साल हमारा।। संघर्ष तप रे कोमल कोमल हृदय, इंसान की स्वार्थ ज्वाला में। तप रे मृदु-मृदु तन, सूर्य की तीक्ष्ण ज्वाला में। बीत रहा है संघर्ष का अंधेरा, आज है नया साल हमारा।। उल्लास प्रातः काल नई किरणों से, पंछियों की प्यारी सी गूँज से। फूलों की महकती खुशबू से, रंगीन सवेरा बोल रहा है। नए साल के उल्लास में, मिलकर करे अभिनन्दन।। . परिचय :- नाम :- कुमार जितेन्द्र (कवि, लेखक, विश्लेषक, वरिष्ठ अध्यापक - गणित) माता :- पुष्पा देवी पिता :- माला राम जन्म दिनांक :- ०५. ०५.१९८९ शिक्षा :-  स्नाकोतर राजनीति विज्ञान, बी. एससी. (गणित) , बी.एड (यूके सिंह देवल मेमोरियल कॉलेज भीनमाल - एम. डी. एस. यू. अजमेर) निवास...
हम अपने कर्तव्य के प्रति कितने प्रतिबद्ध है, या केवल औपचारिकता पूरी करते हैं?
आलेख

हम अपने कर्तव्य के प्रति कितने प्रतिबद्ध है, या केवल औपचारिकता पूरी करते हैं?

कुमार जितेन्द्र बाड़मेर (राजस्थान) ******************** कर्तव्य अर्थ :- किसी भी कार्य को पूर्ण रूप देने के लिए सजीव व निर्जीव दोनों नैतिक रूप से प्रतिबद्ध हैं। तथा दोनों कर्तव्य के साथ अपनी भागीदारी का पालन करते हैं। हम जानते हैं कि कर्तव्य से किया गया कार्य हमे एक विशेष परिणाम उपलब्‍ध करवाता है। जो वर्तमान एवं भविष्य के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इंसान को कर्तव्य का प्रभाव केवल इंसानों में ही नजर आता है। परन्तु इस धरा पर इंसान के अलावा पशु - पक्षी और निर्जीव वस्तुएँ भी अपना महत्वपूर्ण कर्तव्य अदा कर रहे हैं l यह किसी को नजर नहीं आता है l क्योकि वर्तमान में इंसान अपने स्वार्थ को पूरा करने में दिन - रात दौड़ भाग कर रहा है। उसके लिए एक पल भी किसी को समझने का नहीं है l आईए कर्तव्य को विभिन्न विश्लेषण के साथ समझने का प्रयास करते हैं। मनुष्य अपने कर्तव्य के प्रति प्रतिबद्ध :- मनुष्य ...
जन्मभूमि
कविता

जन्मभूमि

कुमार जितेन्द्र बाड़मेर (राजस्थान) ******************** जन्मभूमि श्रेष्ठ है कर्मभूमि से । जन्मभूमि सर्वश्रेष्ठ है स्वर्ग से ।। माँ के गर्भ में कदम ताल से । जन्मभूमि का एहसास हुआ ।। जन्मभूमि पर कदम बढ़ाए । जननी जन्मभूमि मुस्कुराए ।। जन्मभूमि श्रेष्ठ है कर्मभूमि से । जन्मभूमि सर्वश्रेष्ठ है स्वर्ग से ।। कैसे भूल जाऊ जन्मभूमि । जन्मभूमि पर पला बढ़ा ।। जन्मभूमि तुम्हें देखकर। यादें सजी सपने साकार ।। जन्मभूमि श्रेष्ठ है कर्मभूमि से । जन्मभूमि सर्वश्रेष्ठ है स्वर्ग से ।। जिंदगी की भाग दौड़ में । दौड़ लगाई कर्मभूमि में ।। कर्मभूमि से पहुचे जन्मभूमि । जननी जन्मभूमि मुस्कुराए ।। जन्मभूमि श्रेष्ठ है कर्मभूमि से । जन्मभूमि सर्वश्रेष्ठ है स्वर्ग से ।। इंसान भरा स्वार्थ ईर्ष्या से । अश्रु बहने लगे जन्मभूमि से ।। जब उड़ गए प्राण पंखेरू । तन मिल जाए जन्मभूमि में ।। जन्मभूमि श्रेष्ठ है कर्मभूमि स...
कृत्रिम संकल्प
कविता

कृत्रिम संकल्प

कुमार जितेन्द्र बाड़मेर (राजस्थान) ******************** कृत्रिम संकल्प, कृत्रिम इंसान l लिया संकल्प पेड़ लगाने का ll फोटो खिंचवा के दिखाने का l एक दिन सुर्खियां में आने का ll सेल्फी खिच, इंसान मुस्कुराए l धरा चिंतित, पौधे मुरझाए ll कब बड़े होंगे छोटे पौधे l बूढ़े पेड़ चिंतित खड़े ll सोचने को मजबूर हुए पेड़ l सब एक दिन के माली खड़े ll कौन पानी - कौन खाद देंगा l ये कैसा संकल्प लिया इंसान ll कृत्रिम संकल्प, कृत्रिम इंसान l लिया संकल्प पेड़ लगाने का ll परिचय :- नाम :- कुमार जितेन्द्र (कवि, लेखक, विश्लेषक, वरिष्ठ अध्यापक - गणित) माता :- पुष्पा देवी पिता :- माला राम जन्म दिनांक :- ०५. ०५.१९८९ शिक्षा :-  स्नाकोतर राजनीति विज्ञान, बी. एससी. (गणित) , बी.एड (यूके सिंह देवल मेमोरियल कॉलेज भीनमाल - एम. डी. एस. यू. अजमेर) निवास :-  सिवाना, जिला - बाड़मेर (राजस्थान) सम्प्रति :- वरिष्ठ अध्यापक सम्म...
बेटी हूं
कविता

बेटी हूं

********** कुमार जितेन्द्र बाड़मेर (राजस्थान) हें! माँ में आपकी बेटी हूं, हें! माँ में खुश हूं, ईश्वर से दुआ करती हूं आप भी खुश रहे, ख़बर सुनी है मेरे कन्या होने की, आप सब मुझे अजन्मी को, जन्म लेने से रोकने वाले हो, मुझे तो एक पल विश्वास भी नहीं हुआ, भला मेरी माँ, ऎसा कैसे कर सकती है , हें! माँ बोलो ना बोलो ना, माँ - माँ मेने सुना सब झूठ है, ऎसा सुनकर में घबरा गई हूं, मेरे हाथ भी इतने नाजुक है, की तुम्हे रोक नहीं सकती, हें! माँ कैसे रोकू तुम्हें, दवाखाने जाने से, मेरे पग इतने छोटे, की धरा पर बैठ कर जिद करू, हें! माँ मुझे बाहर आने की बड़ी ललक है, हें! माँ मुझे आपके आगन को, नन्हें पैरो से गूंज उठाना है, हें! माँ में आपका खर्चा नहीं बढ़ाऊँगी, हें! माँ में बड़ी दीदी की, छोटी पड़ी पायजेब पहन लूंगी, बेटा होता तो पाल लेती तुम, फिर मुझमे क्या बुराई है, नहीं देना दहेज, मत डरना दुनिया से, बस मुझे...