नर्स दिवस
किशनू झा “तूफान”
ग्राम बानौली, (दतिया)
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फ्लोरेंस की वह पावन,
बेटी नर्सिंग कहलाती।
देखभाल को सदा मरीजों के,
घर -घर तक जाती है।
फ्लोरेंस की वह पावन,
बेटी नर्सिंग कहलाती।
उपयोग सदा ही करती है,
वह शारीरिक विज्ञान का।
देखभाल में ध्यान रखे वह,
रोगी के सम्मान का।
कितनी मेहनत संघर्षो से,
एक नर्स बन पाती है
फ्लोरेंस की वह पावन,
बेटी नर्सिंग कहलाती है
सदा बचाती है रोगी को,
दुख, दर्दो, बीमारी से ।
भेदभाव को नहीं करे वह,
नर रोगी और नारी से।
देख बुलंदी को नर्सों की,
बीमारी डर जाती है।
फ्लोरेंस की वह पावन,
बेटी नर्सिंग कहलाती है।
देती शिक्षा और सुरक्षा,
बीमारी से बचने की।
कला नर्स को आती है,
रोगी का जीवन रचने की।
असहाय मरीजों की केवल,
परिचायक ही तो साथी है।
फ्लोरेंस की वह पावन,
बेटी नर्सिंग कहलाती है।
देखभाल का जिसके अंदर,
एक अनोखा ग्यान ...