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Tag: कन्हैया साहू ‘अमित’

गणपति स्तुति – कुण्डलिनी छंद
स्तुति

गणपति स्तुति – कुण्डलिनी छंद

कन्हैया साहू 'अमित' भाटापारा (छत्तीसगढ़) ******************** अधिनायक अधिपति 'अमित', अभिनंदित अधिलोक। शुभदाता करिये शमन, शरणागत का शोक।। शरणागत का शोक, विश्वमुख वरदविनायक। प्रथम नमन अवनीश, अष्टमंगल अधिनायक।। गुणवंता गुणनिधि गुणिन, गौरीसुत गणराज। सुखदायक शंकरसुवन, सिद्ध कीजिए काज।। सिद्ध कीजिए काज, जयति जय जगत नियंता। 'अमित' अथक अनुनीत, गुणाकर हे गुणवंता।। मोदक, मेवा, मधु सहित, मनोभाव मनुहार। मैं मूरख मतिमंद मति, अर्चन हो स्वीकार।। अर्चन हो स्वीकार, मिले मुझको चरणोदक। 'अमित' अकिंचन भेंट, भावमय मेवा मोदक।। सदा सहायक भक्त के, स्वामी सिद्ध समर्थ। विघ्न विनाशक विघ्नहर, कर सुविमल अव्यर्थ।। कर सुविमल अव्यर्थ, आप ही हो अवधायक। 'अमित' विनय स्वीकार, रहो अब सदा सहायक।। परिचय : कन्हैया साहू 'अमित' (शिक्षक) निवासी : भाटापारा (छत्तीसगढ़) घोषणा : मैं यह शपथ पू...
वंदनीय विद्या विज्ञापक – शिक्षक चालीसा
चौपाई

वंदनीय विद्या विज्ञापक – शिक्षक चालीसा

कन्हैया साहू 'अमित' भाटापारा (छत्तीसगढ़) ******************** दोहा :- जगहित जलता दीप सम, सहज, मृदुल व्यवहार। शिक्षक बनता है सदा, ज्ञान सृजन आधार।। चौपाई :- जयति जगत के ज्ञान प्रभाकर। शिक्षक तमहर श्री सुखसागर।।-१ वंदनीय विद्या विज्ञापक। अभिनंदन अधिगुण अध्यापक।।-२ आप राष्ट्र के भाग्य विधाता। सदा सर्वहित ज्ञान प्रदाता।।-३ जन-जन जीवनदायी तरुवर। प्रथम पूज्य हैं सदैव गुरुवर।।-४ शिक्षित शिष्ट शुभंकर शिक्षक। विज्ञ विवेचक विनयी वीक्षक।।-५ अतुलित आदर के अधिकारी। उर उदार उपनत उपहारी।।-६ लघुता के हो लौकिक लक्षक। सजग, सचेतक सत हित रक्षक।।-७ वेदित विद्यावान विशोभित। प्रज्ञापति हो, कहाँ प्रलोभित?-८ अंतर्दर्शी हैं आप अभीक्षक। प्रमुख प्रबोधी प्रबुध परीक्षक।।-९ विद्याधिप विभु विषय विशारद। उच्चशिखर चमके यश पारद।।-१० विश्व प्रतिष्ठित प्रबलक पारस। ढुनमुनिया मति के दृढ़ ढ...
राष्ट्रप्रेम की कुंडलिया
कुण्डलियाँ

राष्ट्रप्रेम की कुंडलिया

कन्हैया साहू 'अमित' भाटापारा (छत्तीसगढ़) ******************** मातृभूमि चंदन है माटी यहाँ, तिलक लगाएँ भाल। जोड़ें मन संवेदना, रखिए खून उबाल।। रखिए खून उबाल, देशहित को अपनाएँ। गर चाहें अधिकार, कर्म पहले दिखलाएँ।। कहे अमित यह आज, हृदय से हो अभिनंदन। अपना भारत देश, यहाँ की माटी चंदन।। तिरंगा- १ रंग तिरंगा देखिए, भारत की है शान। वैभव पूरे देश का, जनगण मन की आन।। जनगण मन की आन, एकता का यह दर्पण। एक सूत्र में राष्ट्र, करें सब प्राण समर्पण।। कहे अमित यह आज, गगन दिखता सतरंगा। सदा उठाकर भाल, करें हम नमन तिरंगा।। तिरंगा- २ ध्वजा तिरंगा देखकर, अरिदल भी घबराय। साथ हवा के शान से, झंडा जब लहराय।। झंडा जब लहराय, गगन में अतिशय फर-फर। केसरिया को देख, शत्रु सब काँपे थर-थर।। कहे अमित यह आज, लगे रिपु कीट पतंगा। आन-बान यह शान, राष्ट्र की ध्वजा तिरंगा।। तिरंगा- ३ ...