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Tag: कंचन प्रभा

पेड़
कविता

पेड़

कंचन प्रभा दरभंगा (बिहार) ******************** पेड़ धरा की खूबसूरती पेड़ दया की जैसे मुर्ति पथिक को देते है राहत करते हृदय से हिफाजत पेड़ों से मिलता फल फूल फर्नीचर शाखा जड़ मूल पेड़ों को काट काट कर धरती का ना अन्त करो पेड़ों को दे कर सम्मान जीवन अपना बसंत करो पेड़ काट रहे है मानव आक्सीजन पी रहें है दानव अब जंगल सुना दिखता है हवा यहाँ पैसे से मिलता है अच्छे दिन के बाट से कितने दिन चल पाओगे हवा खरीदोगे भले हाट से साँस कहाँ से लाओगे . परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, ...
न्याय
कविता

न्याय

कंचन प्रभा दरभंगा (बिहार) ******************** हमारे देश का ये एक अभिशाप है प्रत्यक्षदर्शी भी अन्धे बन जाते है फिर ऐसा लगता है मेरे देश का ये कैसा इन्साफ है? ये कैसा इन्साफ है? न्याय न्याय वो करते जाते जिनके सर पर ना छत है ना आस है न्याय फिर मिल जाता है उनको सत्ता, पैसा और महल जिनके पास है ये कैसा इन्साफ है? ये कैसा इन्साफ है? प्रशासन भी साथ उन्ही का देती जिनसे उनकी पैसों की बुझती प्यास है न्याय कहाँ मिलता है उसको जिन्हे रोटी, कपड़ो की हमेशा तलाश है ये कैसा इन्साफ है? ये कैसा इन्साफ है? देख देख कर ये दुर्गति होता दुख मुझे अपार है भ्रष्टाचार अगर कम नही हुआ तो एक दिन भारत का विनाश है ये कैसा इन्साफ है? ये कैसा इन्साफ है? पर कुछ तो अच्छा हुआ देश मे अब दिख रहा कुछ साल में मोदी जी अगर रहे सलामत हो रहा उनका बेहतर प्रयास है अब होता इन्साफ है। अब होता इन्साफ है। . परिचय :- ...
फिर भी मै पराई हूँ
कविता

फिर भी मै पराई हूँ

कंचन प्रभा दरभंगा (बिहार) ******************** कैसी ये दुनिया है हरजाई जिसने ये एक शब्द बनाई मैं कौन हूँ घर कहाँ है मेरा सब कहते मुझको तो पराई जब मैं इस धरती पर आई सबकी लाड़ से मुस्काई सब ने फिर मुझे याद दिलाया लड़की तो होती है पराई ये क्या अम्मा तु ही बता दे तु तो अपना राज जता दे या तुझ मे भी वही बात समाई तु भी मुझको कहे पराई फिर सब ने मुझे किया विदाई साजन के घर डोली चढ़ आई सबसे मिल जुल घर तो बसाई फिर भी मैं कही गई पराई ये तो पिया का घर कहलायी ससुराल मे भी मै कही गई पराई भगवान ने ही ये नियम बनाई औरतों के लिये घर कहाँ बनाई . परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने ह...
बौनी उड़ान
कविता

बौनी उड़ान

कंचन प्रभा दरभंगा (बिहार) ******************** ये उड़ान अभी बौनी है मुझे ऊपर बहुत ही जाना है । ये थकान अभी थोड़ी है मुझे अन्त समय तक निभाना है। आसमां को छूने की तमन्ना नही है दिल मे अनपढ़ो को आसमान से मिलवाने ले जाना है। ये उड़ान अभी बौनी है मुझे ऊपर बहुत ही जाना है.... पर्वतों पर चढ़ जाऊँ ये चाहत नही है मन मे माँ पिता के चरणों तक ही जा कर रुक जाना है। ये उड़ान अभी बौनी है मुझे ऊपर बहुत ही जाना है.... ये सोचती नही हूँ कि भगवान मिले मुझको हँस कर मिलूँ मै सब से और मुझे जिन्दगी से चले जाना है। ये उड़ान अभी बौनी है मुझे ऊपर बहुत ही जाना है.... लिखती हूँ मैं शब्दों को पिरोती हूँ मोतियों की तरह ये तो बस एक झोपड़ी है मुझे कविताओं का महल बनाना है। ये उड़ान अभी बौनी है मुझे ऊपर बहुत ही जाना है.... ये थकान अभी थोड़ी है मुझे अन्त समय तक निभाना है.... . परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लह...
चंदा को धरती पर लाऊँ
कविता

चंदा को धरती पर लाऊँ

कंचन प्रभा दरभंगा (बिहार) ******************** कभी दिल करे आसमां के पंछी के संग दौड़ लगाऊँ कभी गर्मी मे मटके मे घुस कर मै भी ठंढ़ा हो जाऊँ तारों के संग मै जी भर आँख मिचौली खेलूँ कभी सूरज के ऊपर चढ़ कर चादर ओढ़ कुछ देर सो लूँ कभी दिल करे तितली के पीठ पर बैठ कर आसमान की सैर लगाऊँ कभी हाँथी को चुटकी मे ले कर मै भी उससे आँख लड़ाऊँ कभी दिल करे दोस्तो के संग मै नदी के ऊपर करुँ पढ़ाई चार मंजिले इमारत पर भी मै बिन सीढ़ी करुँ चढ़ाई कभी दिल करे टेलीविजन मे घुस कर सारे चाकलेट मै ही खा लूँ कभी रेडियो मे घुस कर मै बन्दर मामा गाना गा लूँ कभी दिल करे गर्मी की छुट्टियों मे चंदा मामा के घर उड़ कर जाऊँ मम्मी पापा से मिलवाने चंदा मामा को धरती पर लाऊँ . परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प...
बालमन
कविता, बाल कविताएं

बालमन

कंचन प्रभा दरभंगा (बिहार) ******************** टीचर से मेरा एक सवाल दे दो मुझको इसका जवाब पापा क्यों ना पहने साड़ी? दीदी को क्यों ना मूछें दाढ़ी? टी वी में कितने लोग समाते! पर क्यों ना वो बाहर आते? सूरज क्यों ना धरती पर टहले? लोरी से कैसे मुन्नी बहले? टीचर से मेरा एक सवाल दे दो मुझको इसका जवाब मुझको बता दो इसका राज क्या पशुओं को ना लगती लाज? पक्षी क्यों ना पहने चड्डी? उनको क्या ना होती हड्डी? नदियों से क्यों ना निकले आग? कौआ क्यों ना छेड़े राग? टीचर से मेरा एक सवाल दे दो मुझको इसका जवाब कौन सी मछली जल की रानी? जीवन कैसे उसका पानी? कौन सा बन्दर पहने पजामा? कैसे है वो मेरा मामा? बिल्ली को मौसी क्यों कहना? क्या वो है मम्मी की बहना? टीचर से मेरा एक सवाल दे दो मुझको इसका जवाब .... . परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, ...
बस थोड़ा सा इन्सान बनो
कविता

बस थोड़ा सा इन्सान बनो

कंचन प्रभा दरभंगा (बिहार) ******************** बस थोड़ा सा इन्सान बनो कभी तो तुम भगवान बनो गरीबों पर जरा रहम करो बस थोड़ा सा इन्सान बनो मजहब सबका एक है झगड़ो ना परेशान बनो भीड़ भरी इस दुनिया मे बस थोड़ा सा इन्सान बनो ये धरती है बड़ी खूबसुरत तुम ऐसे ना शैतान बनो दो पेड़ लगा दो फूलों के बस थोड़ा सा इन्सान बनो नारी का चीर हरण करके तुम ऐसे ना हैवान बनो स्त्री का सम्मान करो तुम बस थोड़ा सा इन्सान बनो . . परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३...
अधिकार मिले सबको
कविता

अधिकार मिले सबको

कंचन प्रभा दरभंगा (बिहार) ******************** सबको ये अधिकार है अपने अधिकार को भी जाने अपना विकास अपनी सुरक्षा अपने कर्तव्यों को भी जाने महिला को भी मिले अधिकार बालक पर ना हो अत्याचार शिक्षा का अधिकार सभी को मिले राष्ट्र का प्यार सभी को यौन शोषण पर लगे प्रतिबंध बेहतर बने सबका सम्बन्ध बालिका भी पढ़ने जाये जग मे अपना नाम कमाए सबको आजादी का अधिकार सबको सीखने का अधिकार नही बनाओ शिक्षा को व्यापार दे दो निर्धन को पढ़ने का अधिकार बाल मजदूरी बन्द करो अपनी आवाज बुलंद करो हो गरीब या हो लाचार सबको आगे बढ़ने का अधिकार अभिव्यक्ति की आजादी हो कम उम्र मे ना शादी हो किसी के साथ ना हिंसा हो हर दिशा मे बस अहिंसा हो देश का हर व्यक्ति पाये भोजन कपड़ा और आवास फैलता जाये हर क्षेत्र में उन्नति और प्रेम का प्रकाश . . परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार आप भी अपनी कविताएं, क...
पानी का महत्व
कविता

पानी का महत्व

कंचन प्रभा दरभंगा (बिहार) ******************** पानी बिन हम जीवित रह नहीं सकते पानी की महत्ता हम कह नही सकते। पानी से धरा पानी से सजीव पानी से ही जीवन की नीव गर्मी मे प्यास हम सह नहीं सकते पानी की महत्ता हम कह नही सकते। पानी से ही होता सब काम पानी का कोई दे ना सकता दाम पानी के बिना पशु भी रह नही सकते पानी की महत्ता हम कह नही सकते। अपने छत पर रोज पानी जरूर डालें पक्षी भी अपनी अपनी प्यास बुझा लें पानी बिना पक्षी भी रह नही सकते पानी की महत्ता हम कह नही सकते। . . परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail....
सुर्य के प्रताप से
कविता

सुर्य के प्रताप से

कंचन प्रभा दरभंगा (बिहार) ******************** मंडप प्रभा जाल से धरा गोद बाल से कभी हथेली चूमती कभी खिले सुर्यमुखी विधाता ये अजीब सा उद्भ्ट प्राण गीत सा पथिक के पाश बँध कर कविता या छन्द कर किसी के मुख चूम कर विश्व पूर्ण घूम कर डरा नही घटा नही क्षेत्र मे बँटा नही जग हुआ महान मुग्ध आसमान सुर्य के प्रताप से तिमिर तेज ताप से . . परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या ...
सहरा में चलते चलते
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सहरा में चलते चलते

********** कंचन प्रभा दरभंगा (बिहार) सहरा में चलते चलते तन्हा जब थक गये हम जहनो दिल पर कोई तिशनगी गुजरने लगी बारहा ऐसा होने लगा और एक अजाब सा आया सहरा के इस धुँध में उनकी सूरत दिखी तो चाँद वहाँ रौशन हुआ वह दास्ताँ बन गया याद नहीं कब उनके ख्वाब मेरी आँखो में मुनब्बर हो गये और बरस पड़े दो बूंद सुखे सहरा की गलियों में पता नही फिर कब सहर हुई कब रात हो गई चलते चलते सहरा में . . परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करे...
जाड़े की दस्तक
कविता

जाड़े की दस्तक

********** कंचन प्रभा दरभंगा (बिहार) जाड़े की धूप खिलने लगी है। जाड़े की धुँध उठने लगी है। छत पर रजाईयाँ सजने लगी है। आँगन में चटाईयाँ बिछ्ने लगी है। रंग बिरंगे फूल खिलने लगी है। तितली फूलों पर उड़ने लगी है। पत्तों पर ओस चमकने लगी है। सिंगरहार पेड़ों पर सजन लगी है। आँगन में आचार सूखने लगी है। दरवाजे दरीचे खलने लगे हैं। माँ भाभियाँ स्वेटर बुनने लगी हैं। शायद जाड़ें की दस्तक मिलने लगी है। . परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूच...
बेटियाँ
कविता

बेटियाँ

********** कंचन प्रभा दरभंगा, बिहार बेटियाँ घर की रौनक है बेटियाँ घर की शान है                जिस घर में बेटी नही वो घर बहुत सुनसान है।                 फूलों की खुशबू है सँझा का दीपक है                  जिनके घर में बेटी है वो पिता बहुत महान हैं।                   बेटी दो कुल की जननी बेटी माँ की परछाई                    जब घर की बेटी करे पढ़ाई वो घर जग में नाम कमाए।                      बेटी को पढ़ा लिखा कर देश का करो कल्याण                     बेटी पढ़े तो मिल जाये माता पिता सबको सम्मान। . लेखिका का परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हि...
हिन्दी की अभिलाषा
कविता

हिन्दी की अभिलाषा

********** कंचन प्रभा दरभंगा, बिहार हिन्दी की अभिलाषा है ये सम्पूर्ण एक भाषा है हिन्दी मे सादगी है हिन्दी मे है अपनापन हिन्दी हमारी आशा है हिन्दी की अभिलाषा है हिन्दी के है छन्द निराले लगते जैसे रस के प्याले हिन्दी नही तो निराशा है हिन्दी की अभिलाषा है गद्य पद्य दोनों रूप अनोखे लगते ठंडी हवा के झोंके हिन्दी छात्र की जिज्ञासा है हिन्दी की अभिलाषा है होता पूर्ण व्याकरण ज्ञान बढाता है जग में सम्मान हिन्दी स्वर्ण तराशा है हिन्दी की अभिलाषा है कभी कविता कभी कहानी सुनते कवियों की जुबानी हिन्दी बिना हताशा है हिन्दी की अभिलाषा है ये सम्पूर्ण एक भाषा है . लेखिका का परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, ...
धरोहर
कविता

धरोहर

********** कंचन प्रभा दरभंगा, बिहार किसी के लिए घर धरोहर किसी के लिए जेवर मेरे लिये मेरे पूजनीय माँ पिता और गुरु धरोहर किसी के लिए व्यवसाय धरोहर किसी के लिए गाड़ी मोटर मेरे लिए तो पिता के द्वारा दिये हुए संस्कार धरोहर देश के लिए महल धरोहर कोई गुम्बद या ताजमहल मेरे लिए तो मेरी माँ के दिये थोड़े से लाड़ धरोहर किसी के लिए खेत धरोहर किसी के लिए भौतिक वस्तु मेरे लिए तो अनमोल है मेरे गुरु का ज्ञान धरोहर . लेखिका का परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे...
मेरी सहेली
कविता

मेरी सहेली

********** कंचन प्रभा दरभंगा, बिहार वो तुम थी। जिसकी तलाश थी मुझे                    वो तुम थी। जिसकी आस थी मुझे                    वो तुम थी। जिसे ढूंढा हर कली में                     वो तुम थी। जिसे पाया हर गली में                     वो तुम थी। जो मेरी हमजुबां बनी                      वो तुम थी। जो मेरी कहकशाँ बनी                      वो तुम थी। मैं बंधी जिसके पाश मे                      वो तुम थी। जिसे पाया हमेशा पास मे                      वो तुम थी। जब दूर जाती हो आँखे नम हो जाती है                       वो तुम हो। जब पास आती हो उदासी कम हो जाती है                        वो तुम हो। . लेखिका का परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी र...
परम्परा
कविता

परम्परा

********** कंचन प्रभा दरभंगा, बिहार परम्परा में बंधी ये औरत परम्परा से रची ये औरत               परम्परा के नाम पर बहुत यातना सही ये औरत                परम्परा ने मारा उसको परम्परा ने किया है घायल                 परम्परा के आड़े आ कर घुट घुट जीती रही ये औरत                   परम्परा नसीब है उसका परम्परा नसीहत है                     हर परिवार का मान बढाती परम्परा में बंधी ये औरत . लेखिका का परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० प...
दो अजनबी
कविता

दो अजनबी

********** रचयिता : कंचन प्रभा मैं नही जानती कि तुम कौन हो ? कौन हो जिससे मेरे जीवन की डोर बन्धेगी पर तुम कहीं हो यह मैं जानती हूँ एक प्रतिबिम्ब सा तुम भी यही सोचते होगे वो कौन है कौन है जिसके पाश में मैं बँध जाऊंगा पर वो कही है यह मै जानता हूँ एक परछाइ सी हम दोनो नही जानतें कि मेरे 'तुम' और तुम्हारी 'वो' कौन है और कहाँ है पर हम दोनो जानते है कि मेरे 'तुम' तुम हो और तुम्हारी 'वो' मैं हूँ फिर भी हम अजनबी हैं . . लेखिका का परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के ...
माँ 
कविता

माँ 

********** रचयिता : कंचन प्रभा वो महिला है, जो दर्प हो सकती है। वो वनिता है, जो परित्यक्ता हो सकती है। वो दुहिता है, जो अनाथ हो सकती है। वो कलत्रा है, जो विधवा हो सकती है। वो सलिल है, जो कृशानु हो सकती है। वो निरधि है, जो व्याकुल हो सकती है। वो ध्रुवनंदा है, जो मलिन हो सकती है। वो सविता है, जो अस्त हो सकती है। वो उर्वी है, जो नष्ट हो सकती है। पर वो माँ है, जो निर्मम नहीं हो सकती है . लेखिका का परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर मेल कीजिये मेल करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने मोबाइल पर या गूगल पर w...