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Tag: ओंकार नाथ सिंह

आगरम सागरम
कविता

आगरम सागरम

ओंकार नाथ सिंह गोशंदेपुर (गाजीपुर) ******************** आगरम सागरम बुद्धि के नागरम कर कृपा मुझ पर कर दे मुझे निर्भयम हर समय लीन तुझमे सदा मैं रहूं अपनी विपदा कभी ना किसी से कहूं हो एके करम करते जाएं धरम कर कृपा मुझ पर कर दे मुझे निर्भयम है तुममें सब सब तुममें है पर्वत सागर सब तुममें है कोई कुछ भी कहे ना कोई भरम कर कृपा मुझ पर कर दे मुझे निर्भयम ओंकार कहता हे दिव्य दया निधिम ना क्षमता मेरी कहूं मैं केही विधिम हुई उसकी कृपा पहुंचा शिखरे चरम कर कृपा मुझ पर कर दे मुझे निर्भयम आगरम सागरम बुद्धि के नागरम कर कृपा मुझ पर कर दे मुझे निर्भयम परिचय :-  ओंकार नाथ सिंह निवासी : गोशंदेपुर (गाजीपुर) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहा...
अभिलाषा
कविता

अभिलाषा

ओंकार नाथ सिंह गोशंदेपुर (गाजीपुर) ******************** सृजन तो दिल की उद्गार है। दिनों दिन बढ़े, सब लिखे सब पढ़े, आदान-प्रदान होता रहे यही जगत व्यवहार है।। कौन हारा कौन जीता, अभी सभी है रीता रीता, सीखने को ही तो सभी तलब गार है। नर्सरी के ही सब सही, उच्च शिक्षा में सब नहीं, सरस्वती की याचना में ही सबका उद्धार है।। ना तेरा है ना मेरा है दिल से हो सृजन कह रहा ओंकार है। परिचय :-  ओंकार नाथ सिंह निवासी : गोशंदेपुर (गाजीपुर) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अप...
धनुआ क माई
लघुकथा

धनुआ क माई

ओंकार नाथ सिंह गोशंदेपुर (गाजीपुर) ******************** मेरे पड़ोस के ही गांव सोना का पूरा में कल्लू सेठ अपनी धर्मपत्नी के साथ रहा करते थे जिनको एक लड़का धनंजय नाम का था घर और गांव के लोग उसे धनुआ कह कर बुलाते। कुछ दिन के बाद कल्लू का एक्सीडेंट हो गया वो बचाया नहीं जा सका धनुआ और उसकी मां पर तो वज्रपात ही हो गया। स्थानीय लोगों द्वारा सरकार से पैरवी करा कर धनुआ की मां को ३००००० लाख रु. की सहायता मुख्यमंत्री राहत कोष से मिल गए। अनुदान पा कर मां बेटा बहुत खुश हुए अब जैसे तैसे गाड़ी चलने लगी इसके अतिरिक्त इनके पास आयका अन्य स्रोत नहीं था गरीब की औरत पूरे गांव की भौजाई भौजाई.... गांव के लोगों की राय से धनुआ का नाम एक अच्छे अंग्रेजी स्कूल में लिखवा दिया गया अब पैसों की आवश्यकता महसूस होने लगी गांव के कुछ लोग धनुआ की मां को भऊजी पांव लगी कहने लगे धनुआ की मां चीढ़ती थी धीरे-धीर...
आखिरी शाम
कविता

आखिरी शाम

ओंकार नाथ सिंह गोशंदेपुर (गाजीपुर) ******************** ए संवत् २०७७ की आखिरी शाम है, जो लिपट कर मुझ से ये कह रही है कि, एक बार गले तो लगा लो, अलविदा तो मैं खुद हो रही हूँ.. कभी मैं जीता, कभी वक्त जीत गया, इसी कशमकश में, यह संवत् २०७७ बीत गया.. तारों भरी रात अलविदा कह रही है, अब लफ़्ज नम हो रहे हैं, धड़कन थमने सी लगी है, पर... विक्रम संवत् २०७८ ये कह रही है, उठ.. ईश्वर को नमन कर, नव वर्ष का स्वागत कर.. अलविदा २०७७ स्वागत २०७८ परिचय :-  ओंकार नाथ सिंह निवासी : गोशंदेपुर (गाजीपुर) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित क...
आगरम… सागरम…
कविता

आगरम… सागरम…

ओंकार नाथ सिंह गोशंदेपुर (गाजीपुर) ******************** आगरम सागरम बुद्धि के नागरम कर कृपा मुझ पर कर दे मुझे निर्भयम हर समय लीन तुझ में सदा मैं रहूं अपनी विपदा कभी ना किसी से कहूं हो एके कर्म करते जाए धर्म कर कृपा मुझ पर कर दे मुझे निर्भयम है तुम में सब सब तुम में है पर्वत सागर सब तुम में है कोई कुछ भी कहे ना कोई भरम कर कृपा मुझ पर कर दे मुझे निर्भयम ओंकार कहता हे दिव्य दयानिधिम ना क्षमता मेरी कहुं मैं केहि बिधिम कर कृपा मुझ पर कर दे मुझे निर्भयम आगरम सागरम बुद्धि के नागरम कर कृपा मुझ पर कर दे मुझे निर्भयम परिचय :-  ओंकार नाथ सिंह निवासी : गोशंदेपुर (गाजीपुर) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते...
भोला ना भईल दर्शनवां
भजन

भोला ना भईल दर्शनवां

ओंकार नाथ सिंह गोशंदेपुर (गाजीपुर) ******************** https://youtu.be/iA7yWdwj8d8 भोला ना भईल दर्शनवां बीतल जाला सवनवां ना भोला ना भईलं दर्शनवां बीतल जाला सवनवां ना बादल गरजे चमके बिजुरिया रिमझिम बुनिया रात अनरिया नया रोगवा चलल बा करोनवां बीतल जाला सवनवां ना भोला......... हर मंदिर के वंद केवरिया बहरे खाढ बाटे सिपहिया चला बहरे से करब अरचनवां बीतल जाला सवनवां ना लीखे ओंकार ई त सवनी कजरिया ना लागे काहू क नजरिया रही अगले बरस क अरमनवां बीतल... ... भोला ना भईलं....... परिचय :-  ओंकार नाथ सिंह निवासी : गोशंदेपुर (गाजीपुर) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। https://youtu.be/4NSBGzwFVpg आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्री...