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Tag: उषा बेन मांना भाई खांट

टूटा दिल
कविता

टूटा दिल

उषा बेन मांना भाई खांट अरवल्ली (गुजरात) ******************** दिल टूटा है, मैं टूटी हु, साथ देने वाला कोई नही। सपने टूटे हैं, अपने रूठे है समझने वाला कोई नही। जिसे समझा था अपना सबकुछ, वो ही साथ छोड़ गया। इस भीड़ मैं न जाने कहा वो खो गया। अरे...ये क्या ? उसे और कोई मिल गया, बेचारा दिल...फिर से टूट गया। तुमको देखती थी तो, ऐसा लगता था तुम सिर्फ मेरे हो... अब तुम्हें देखती हु तो, लगता हैं कितनी पागल थी मैं... अब तुम्हें इस दिल से निकाल दूँगी मैं अपने आप को संभाल लुंगी मैं, बेशक... ये सब इतना आसान नहीं है फ़िर भी, तुम्हारी खुशी के लिए सब कर लूंगी मैं। प्यार का इजहार करने वाली थी मैं अच्छा हुआ तुमने मेरी आँखे खोल दी, अब ये उषा पहले वाली उषा नहीं रहेगी, MSG क्या ? मेरे नाम के नोटिफिकेशन के लिए भी तरस जाओगे।... परिचय :- उषा ...
रोके ना रुके अखियाँ
कविता

रोके ना रुके अखियाँ

उषा बेन मांना भाई खांट अरवल्ली (गुजरात) ******************** रोके ना रुके अखियाँ बस तुमको ही देखना चाहें अखियाँ, तुमसे दूरी अखियों को काँटों की तराह चुभती हैं। तुम्हें किसी और के साथ देख के जलती हैं अखियाँ.....। मेरी आँखों मे तुम बसे हों मेरी सासो मे तुम ढले हो, मेरी आँखों को तुम्हें देखने की आदत है एक बात कहु ? क्या ईजाजत हैं ? मेसेज तुम करते नही, बात तुम करते नही , मेरे मेसेज का जवाब नही देते फिर कैसे कहते हो प्यार करता हु....। अपनी इस आदतो को सुधारों मेरी अखियों की शिकायतो को दूर करो प्यार करते हो तो प्यार को जताओ हमारे रिश्तें को अटूट बनाओ... अपनी अखियों में मुझको बसाओ बेपनाह प्यार जताओ मुझे अपने घर की लक्ष्मी बनाओ हमारा एक छोटा सा घर-संसार बसाओ मेरी खुली आँखों के सपने को पुरा करो बस यही चाहती हैं मेरी अखियाँ....। रोके ना रुके अखियाँ बस तुम...
क्या है समाज…?
कविता

क्या है समाज…?

उषा बेन मांना भाई खांट अरवल्ली (गुजरात) ******************** क्या है समाज...? मैं पूछती हु क्या है समाज ? लड़का- लड़की में भेदभाव करता है समाज... लड़को को आजादी और लड़की को बंधन में बाँधता है समाज...। मुँह पर तारीफ और पीठ- पीछे हीन बाते करता है समाज...। इक्कीस मी सदी के लोग यह कैसा जीवन जीते है ...... हर-पल समाज-समाज की रट लगाते रहते है...। मैं मानती हुँ... ! हर इंसान समाज के आधीन होता है... समाज क्या कहेगा यह सवाल सब के दिल में होता है...। अपनी इस सोच को मिलकर बदलते है...... एक आधुनिक एवं नवीन विचारशील समाज की रचना करते हैं...। परिचय :- उषा बेन मांना भाई खांट निवासी : वालीनाथ ना मुवाडा, जिला- अरवल्ली (गुजरात) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ की रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय ह...
बचपन
कविता

बचपन

उषा बेन मांना भाई खांट अरवल्ली (गुजरात) ******************** कभी मेरे चहरे पर खुशी होती थी, गमों से दूर का रिश्ता था, आज जो कुछ हुँ मैं, उससे अच्छा तो मेरे बचपन का जीवन ही अच्छा था। कोई कुछ भी कहे, उनकी बातो का, मुझे जरा भी बूरा नही लगता था, आज जो कुछ हुँ मैं, उससे अच्छा तो मेरे बचपन का जीवन ही अच्छा था। दिन भर खेलती रहती थी, ना पढ़ाई की चिंता थी, ना नौकरी पाने की तमन्ना थी, आज जो कुछ हुँ मैं, उससे अच्छा तो मेरे बचपन का जीवन ही अच्छा था। स्कूल जाती थी, मैडम से रोज मार खाती थी, उनकी मार का मुझ पर कोई असर नहीं होता था, आज जो कुछ हुँ मैं, उससे अच्छा तो मेरे बचपन का जीवन ही अच्छा था। बचपन पुरा हुवा बड़े हुए, जिंदगी में एक नया मोड आ गया, इस नये मोड से अच्छा तो मेरे बचपन का जीवन ही अच्छा था। आज जो कुछ हुँ मैं, उस से अच्छा तो मेरे बच...