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Tag: आशा जाकड़

पूनम का चाँद
कविता

पूनम का चाँद

आशा जाकड़ इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** शरद पूनम चंद्रमा की शीतल चांदनी। तन मन को सुखदायक है मन भावनी।। पवन का स्पर्श कपोंलों को गुदगुदाता।411 तन- मन आनंदित खुशी के गीत गाता।। पक्षियों का कलरव खूब मन को भाता। गुनगुनी धूप का झोंका मन को सुहाता।। चाँद की रश्मियाँ प्रीतम की याद दिलाती। वो पुरानी स्मृतियाँ मन्द-मन्द मुस्काती।। शरद चंद्र की चांदनी देती सुखद आभास। दिखाता नई डगर, नए लक्ष्य का एहसास।। चांद की कोमल रश्मियाँ देती नयी ऊर्जा नई ताकत नव ऊष्मा प्रेरक कर्म ही पूजा।। नवरात्रि में करते हमसब मां की आराधना शरद पूनम की पूर्ण ऊर्जा से करते वन्दना।। चंद्रमा की शीतल किरण ऊर्जा युक्त खीर मिटा देती सब जन के तन- मन की पीर।। परिचय :- आशा जाकड़ (शिक्षिका, साहित्यकार एवं समाजसेविका) शिक्षा - एम.ए. हिन्दी समाज शास्त्र बी.एड. जन्म स्थान - शिकोहाबाद (आगरा) न...
कैसा आया रे वसंत
कविता

कैसा आया रे वसंत

आशा जाकड़ इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** सखि कैसा आया रे वसन्त जीवन का हो गया मानो अन्त ? पेड़-पौधे खामोश लग रहे निर्जीव मानो जैसे सो रहे पलाश तो ऐसे लग रहे मानो अंगारे से दहक रहे किस -किस का होवेगा अन्त ? सखि कैसा आया रे वसन्त ? युद्ध की चल रही आँधियाँ मौत की सुना रही कहानियाँ वीरों की बता रही जवानियाँ आन पर मर मिटी छत्राणियाँ गूँज बलिदान की दिक-दिगन्त सखि कैसा आया रे वसन्त ? वीरों ने पहना बसंती चोला सिर पर बांधा कफन का सेहरा तोड़ा गाँव-परिवार से नाता रणभूमि से बस उनका नाता सर्वत्र तूफानों का न कोई अंत सखि कैसा आया रे वसन्त ? रण में युद्ध-बाजे बज रहे , शस्त्र ले सैनिक आगे बढ़ रहे ऊपर बर्फीली आँधियाँ बहे सीने पर गोलियाँ सह रहे। कर रहे दुश्मन से भिड़ंत। सखि कैसा आया रे बसंत ? परिचय :- आशा जाकड़ (शिक्षिका, साहित्यकार एवं समाजसेविका) शिक्षा - एम.ए...
महामना पंडित मदन मोहन मालवीय
कविता

महामना पंडित मदन मोहन मालवीय

आशा जाकड़ इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** माँ भारती की महान सन्तान महामना पंडित मदन मोहन मां मुन्नी देवी, पिता ब्रजनाथ उनके चरण शत-शत नमन शिक्षा के थे वह अनुपम प्रेमी ५ वर्ष आयु से विद्यारंभ किया बाधाएं आई, पढना नही छोडा अध्यापन किया और पढ़ाई की महात्मा गांधी जी के बहुुत प्रिय युग के आदर्श पुरुष कहलाते पंडित मदनमोहन को महामना इस उपाधि से सम्मानित किया बसंत पंचमी को स्थापना की बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की विश्वविद्यालय के कहलाए प्रणेता एनी बेसेंट ने भी दिया सहयोग प्राचीन सभ्यता-संस्कृति के साथ आधुनिक ज्ञान का किया समर्थन शिक्षा की समृद्धि के लिए किया पूरा जीवन देेश उत्कर्ष समर्पण बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में ज्ञान का अनुपम दीप जलाया भारत ही नहीं सम्पूर्ण जगत में कण-कण प्रकाशित कराया।। परिचय :- आशा जाकड़ (शिक्षिका, साहित्यकार एवं समाजसेविका) शि...
भारत देश महान
गीत

भारत देश महान

आशा जाकड़ इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** भारत देश महान वंदे मातरम् करते इसे प्रणाम वंदे मातरम् छब्बीस जनवरी का यह दिन हम सबको याद दिलाता है बलिवेदी पर चढ़-चढ़ कर इस आजादी को पाया है झंडे को झुकाए शीश वंदे मातरम् भारत देश महान वन्दे मातरम्।। राम कृष्ण की जन्मभूमि है गौतम की यह तपोभूमि है कबीरा की ये समर भूमि है गांधी की यह कर्मभूमि है थे तेरे पूत महान वंदे मातरम भारत देश महान वंदे मातरम।। गंगा की यहां पावन धारा नदियों का यहां संगम प्यारा कश्मीर महके केसर प्यारा महके दक्षिण चंदन सारा प्रकृति का है वरदान वंदे मातरम। भारत देश महान वंदे मातरम।। सत्य अहिंसा यहां की शान शिवाजी पर हमें अभिमान पद्मिनी सी करती हैं जौहर आन पे मर मिटने को तत्पर झांस रानी हमारी शान वन्दे मातरम भारत देश महान वंदे मातरम।। विज्ञान ने भी धूम मचाई अंतरिक्ष तक दौड़ लगाई नार...
हिम जैसे अटल
कविता

हिम जैसे अटल

आशा जाकड़ इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** अटलजी सचमुच थे तुम हिम जैसे अटल। भारतमाँ के सच्चे सपूत थे अद्भुत विरल।। शरीर दिव्य हो गया आवाज मौन हो गई, अटलजी की आत्मा आज अमर हो गई। बात कहते थे सटीक शांत मन निर्मल, अटलजी सचमुच थे तुम हिम जैसे अटल। मौन है आज आस्मां मौन है सारी जमीं, मौन है शीतल पवन मोहन है मां भारती। देश- प्रेम अलख जगाई थे हृदय निश्छल, अटलजी सचमुच थे तुम हम जैसे अटल। शब्दों का भंडार, भावनाओं का ज्वार थे कुशल राजनीतिज्ञ, भाषण धुआंधार थे। आरोप-प्रत्यारोप से विरोधी हो जाते तरल, अटलजी सचमुच थे तुम हिम जैसे अटल। समुद्र सम गंभीर थे, स्पष्टवादी धीर थे, प्रेम-शांति के मसीहा, सच्चे कर्मवीर थे। सत्यनिष्ठ, स्वाभिमानी, थे मन के सरल, अटलजी सचमुच थे तुम हिम जैसे अटल। जीवन-युद्ध विजेता कष्टों में भी हंसते, बाधाओं को परे हटा राह स्वयं चुनते। थे संघर्षर...
आओ दिव्यांगों का सम्मान करें
कविता

आओ दिव्यांगों का सम्मान करें

आशा जाकड़ इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** आओ दिव्यांगों का सम्मान करें उन्हें भी कुछ खुशियां प्रदान करें मन दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो बंजर भूमि में फूल खिलते जो‌ मिला, खुश हो स्वीकारें परिस्थितियों भी दास बनते उनके मनोबल को बढ़ाकर हम कुछ तो पुण्य करें।। एक द्वार बंद करता ईश्वर तो दूसरा अवश्य खोलता आंखों की रोशनी छीनता अन्तर्मन में रोशनी भरता।। नयन हीनों के कंठ सरस्वती मधुर गायनका सम्मानकरें।। गिरतों को जो सहारा देते सबसे बड़ी है मानव सेवा दिव्यांगों के भाव समझते सबसे बड़ी है अर्चन देवा।। दिव्यांगों की भावनाओं का तन मन से प्रणाम करें।। जहां उन्हें अंधियारा लगे हम रोशनी का जहां बनाएं जहां-जहां वे चढ़ना चाहे ऊंची-ऊंची सीढ़ी बनवाए।। नई प्रतियोगिताएं शुरू करके उनमें नव उत्साह भरेंगे। खेलकूद, पढ़ाई या संगीत सभी में पाई है अपूर्व जीत पर्वत पर चढ़ने ...
हाहाकार
कविता

हाहाकार

आशा जाकड़ इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** कोरोना ने मचाया हाहाकार कृष्णजी लगा दो नैया पार बेचारे बच्चे पूछ रहे हैं कब हम बाहर निकलेंगे? कब हम स्कूल जाएंगे ? कब हम मैदान में खेलेंगे ? सुन लो भक्तों की पुकार कृष्णजी लगा दो नैया पार।। बड़े -बूढ़े प्रार्थना कर रहे, घर में कब तक बंद रहेंगे? हाथ धोए सब परेशान हुए शुद्ध हवा कब सांस लेंगे ? जीना हो गया अब दुश्वार, कृष्णजी लगा दो नैया पार।। मजदूर बेचारे बिलख रहे दाने -दाने को तरस रहे हैं। कामकाज सब छूट गए, घर बार अब टूट रहे हैं।। दाने-दाने को हुई दरकार कृष्णजी लगा दो नैया पार।। जब-जब होवे धर्म की हानि तब तब तुम जग में आते हो कोरोना दानव ताण्डव नृत्य क्यों नहीं अब चक्र उठाते हो? वादे को करो अब साकार। कृष्णजी लगा दो नैया पार।। मानवता अब जाग गई है सर्वत्र सेवा भावना आ गई डॉक्टर, पुलिस, कर्मचारी तन मन...
गुरु नवचेतना वर दो
कविता

गुरु नवचेतना वर दो

आशा जाकड़ इंदौर म.प्र. ******************** ज्ञान चाहता है अंतर्मन हर्षित हो जाएं जन जन करते मन में हम यह प्रण शिक्षा का करें अभिनंदन अनुपम प्रकाश भर दो गुरु नवचेतना वर दो। चारों ओर है घोर अंधेरा कर सकते हो तुम उजेरा ज्ञान का होवे यहाँ बसेरा सुख सूर्य का रोज सवेरा ऐसी शक्ति भर दो। गुरु नवचेतना वर दो। नफरत और ईर्ष्या मिट जाए ऊंच-नीच का फर्क मिट जाए जाति-पांति का भेद मिटजाए परस्पर समता भाव लहराए ऐसा ज्ञान भर दो। गुरु नवचेतना भर दो। आज समय की मांग पुकारे कर सकते हो तुम्हें उबारे तुम्ही हो भारत के रखवाले राष्ट्र निर्माता पूज्य हमारे ऐसे गुरु भक्ति दो। गुरु नवचेतना भर दो।। जगती का उद्धार तुम्हीं हो मुक्ति का सही मार्ग तुम्हींहो प्रेम का सद्व्यवहार तुम्हीं हो नैया की पतवार तुम्हीं हो बुद्धि विकास वर दो। गुरु नवचेतना वर दो।। परिचय :- आशा जाकड़ (शिक्षिका, स...
गजानन सुनलो हमारी पुकार
कविता

गजानन सुनलो हमारी पुकार

आशा जाकड़ इंदौर म.प्र. ******************** गजानन सुनलो हमारी पुकार। गजानन लाओ खुशियां अपार।। विघ्नों के हर्ता हो कष्टों के हर्ता हो मंगलदायक तुम सुखों के कर्ता हो भर दो समृद्धि का भंडार गजानन लाओ खुशियांँ अपार।। कोई काम शुरू हम करते पहले नाम तुम्हारा ही लेते हर संकट करे निवार। गजानन लाओ खुशियाँ अपार।। अज्ञान का छाया है अंधेरा कर सकते हो तुम्ही उजेरा ज्ञान की रोशनी अपार गजानन लाओ खुशियाँ अपार।। विपदाओं का लगा है डेरा कोरोना का है रूप घनेरा। कृपा की कर दो बौछार। गजानन लाओ.खुशियां अपार। कोरोना को तुम दूर भगाओ कष्टों से तुम मुक्ति दिलाओ करो मानवता का उद्धार गजानन लाओ खुशियां अपार गजानन सुन लो हमारी पुकार।। परिचय :- आशा जाकड़ (शिक्षिका, साहित्यकार एवं समाजसेविका) शिक्षा - एम.ए. हिन्दी समाज शास्त्र बी.एड. जन्म स्थान - शिकोहाबाद (आगरा) निवासी - इंदौर म.प्र....
आओ साथी अयोध्या चलकर राम- पर्व मनाएँ
कविता

आओ साथी अयोध्या चलकर राम- पर्व मनाएँ

आशा जाकड़ इंदौर म.प्र. ******************** राम हमारी अयोध्या जन्मे कण-कण राम बसे हैं, सरयू नदी के तट पे अयोध्या पावन नगरी बसे हैं। पावन नगरी अयोध्या को हम राम- नगरी बनाएँ, आओ साथी अयोध्या चलकर राम- पर्व मनाएँ। राजा दशरथ परम प्रतापी अयोध्या नरेश हुए थे, कैकेई सुमित्रा और कौशल्या के चार पुत्र हुए थे। राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न के दर्शन कर आएँ, आओ साथी अयोध्या चलकर राम- पर्व मनाएँ। राम हैं मर्यादा पुरुषोत्तम परम पूज्य कहलाए, सीता मैया आदर्श जननी जग में पूजी जाएँ। राम सीता के मंदिर को हम जाकर शीश नवाएँ, आओ साथी अयोध्या चलकर राम- पर्व मनाएँ। राम की महिमा गाने से ही कष्ट निवारण होता, राम नाम लेने से ही बस मोक्ष प्राप्त हो जाता। हम भी आज राम दर्शन से थोड़ा पुण्य कमाएँ, आओ साथी अयोध्या चलकर राम पर्व मनाएँ। परिचय :- आशा जाकड़ (शिक्षिका, साहित्यकार एवं समाजसेविका) शिक्षा -...
आज होली खेलें अपने आंगन में
कविता

आज होली खेलें अपने आंगन में

आशा जाकड़ इंदौर म.प्र. ******************** आज होली खेलें अपने आंगन में। रंगों का त्योहार मनाएं फागुन में।। टेसू के रंग यूँ बरसाए , तन मन पीला हो जाये। ईर्ष्या-नफरत दूर रहे, मन प्रेम से भर भर जाए। रिश्तो के फूल खिलाए गुलशन में। आज होली खेले अपने आंगन में। हरा रंग हम ऐसे बरसाए , कण-कण हरियाली होजाए । जन-जन की भूख मिटे , घर पर खुशहाली आजाए। मेहनत के फूल खिलाए उपवन में। आज होली खेलें अपने आंगन में। वंशी कीतुम तान सुनाओ, राधा बन हम रंग बरसाएं। रंग पिचकारी भर-भर के , मन का सार संसार लुटाएं। हम तुम दोनों रास रचाए मधुबन में। आज को खेलें अपनी आंगन में। .परिचय :- आशा जाकड़ (शिक्षिका, साहित्यकार एवं समाजसेविका) शिक्षा - एम.ए. हिन्दी समाज शास्त्र बी.एड. जन्म स्थान - शिकोहाबाद (आगरा) निवासी - इंदौर म.प्र. व्यवसाय - सेन्ट पाल हा. सेकेंडरी स्कूल इन्दौर से सेवानिवृत्त शिक...
सिसक रहे आज होली के रंग
कविता

सिसक रहे आज होली के रंग

आशा जाकड़ इंदौर म.प्र. ******************** सिसक रहे आज होली के रंग। महंगाई ने करदिया रंग बदरंग।। लाल रंग अब लहू बनके बह रहा पीत वर्ण कायर बन छुपकर रोरहा हरी-भरी वसुंधरा अब कहाँ रही? ऊंची-ऊंची इमारतें आस्माँ छू रही। रह गया बस अब होली का हुड़दंग महंगाई ने कर दिया रंग बदरंग।। बच्चों की पिचकारी औंधे मुंह पड़ी, बिन पानी-रंग टंकी शुष्क सी पड़ी। महंगाई-मार रंग फुहार फीकी पड़ी, फागुनी बयार मन्द-शांत चल पड़ी। बिन पानी कैसी होली पिया के संग। महंगाई ने कर दिया रंग-बदरंग पावन पर्व अस्त-व्यस्त हो रहे , पर्वों की गरिमा क्षत-विक्षत रो रहे। वन-उपवन टेसू के फूल मुरझा रहे खाद्य पदार्थ-भाव आस्माँ छू रहे। मथुरा भी गाये बिन होली सूने अंग महंगाई ने कर दिया रंग-बदरंग।। परिचय :- आशा जाकड़ (शिक्षिका, साहित्यकार एवं समाजसेविका) शिक्षा - एम.ए. हिन्दी समाज शास्त्र बी.एड. जन्म स्थान - शिक...
औरत
कविता

औरत

आशा जाकड़ इंदौर म.प्र. ******************** पराधीनता का है नाम न उसकी कोई पहचान न अपना कोई काम उसका कुछ अपना नहीं सोचा हुआ सपना नहीं जन्म से मृत्यु तक अधीन अन्यथा है वह श्री विहीन है देवी, पूज्यनीया और जननी, जो अपने लिए नहीं, औरों के लिए जीती है। आंखों में आंसू लेकर, औरों को खुशियां देती है। ममता, त्याग, दया की देवी पल-पल, जीती-मरती है। पढ़ी-लिखी होने पर भी, पुरुषों से कम आती जाती है। दहेज के कारण आज भी, भ्रूण हत्या का शिकार होती है। बचपन से लेकर मरण तक जीवन भर चुप रह सहती है। घर-परिवार को संभाल कर, देश की बागडोर भी संभालती है। पर, परतंत्रता में ही उसका अस्तित्व है। स्वतंत्र होकर तो और भी परितंत्र है। वो बेटी, बहना, पत्नी, मां बनती है, तभी तो औरत का गहना पहनती है। आदर्श की बलिवेदी पर वही आग में झोंकी जाती है पवित्रता की आड़ में, वही छली जाती है। सांसें ...
नई सुबह आ रही
कविता

नई सुबह आ रही

आशा जाकड़ इंदौर म.प्र. ******************** नई सुबह आ रही विश्वास दीप जलेंगे नव उमंग जाग रही नये गीत रचेंगे।। खेत की माटी बोल रही, ओ कर्मवीर उठ जाओ। प्राणों में अब हुंकार भरो, मेहनत की फसल उगाओ। नई रोशनी आरही अंधविश्वास दूर भगेंगे नई सुबह आ रही विश्वास दीप जलेंगे।। जीत उसे हासिल होती, आशा के बल पर जीते। बाधाओं को दूर हटाके, वे नील गगन छू लेते। कर्म-आँधी चलरही श्रम- फूल खिलेंगे। नई सुबह आ रही विश्वास दीप जलेंगे।। सारे बंधन तोड कर, नई ऊर्जा से भर दें। खौफ का साया जहाँ, हौंसलों के पंख दे दें। नई लहर आ रही आत्मविश्वास जगेंगे। नई सुबह आ रही विश्वास दीप जलेंगे। चुनौतियों का सामना करो, भाग्य भरोसे बैठो नहीं। पुरुष हो पुरुषार्थ करो , बाधाओं से डरो नहीं। कर्मभूमि सज रही ज्ञानदीप जलेंगे। नव उमंग जाग रही नये गीत रचेंगे।। परिचय :- आशा जाकड़ (शिक्षिका, साहित्यकार एव...
मकर संक्रांति
कविता

मकर संक्रांति

आशा जाकड़ इंदौर म.प्र. ******************** मकर संक्रांति का पावन पर्व। हम भारतीय करते इस पर गर्व। तिल गुड़ की है इसमें मिठास दूर करती रिश्तों की खटास। तिल- गुड़ रखते काया निरोग खाओ-खिलाओ तिलगुड़-भोग। प्रेम-भाव से खूब उड़ाओ पतंग हिल-मिल रहो सभी के संग। गुड़ से मीठे रिश्ते महकते रहें परस्पर सम्बन्ध चहकते रहे। जीवन में खुशियों का रंग भरदे वासंती खुशनुमा उल्लास भरदे। रखो ऊँचा उठने की स्वकामना दूसरों को आगे बढ़ने की प्रेरणा। संक्रांति पर सभी को शुभकामना उउन्नति सफलता यश की कामना ।।   परिचय :- आशा जाकड़ (शिक्षिका, साहित्यकार एवं समाजसेविका) शिक्षा - एम.ए. हिन्दी समाज शास्त्र बी.एड. जन्म स्थान - शिकोहाबाद (आगरा) निवासी - इंदौर म.प्र. व्यवसाय - सेन्ट पाल हा. सेकेंडरी स्कूल इन्दौर से सेवानिवृत्त शिक्षिका) प्रकाशन कृतियां - तीन काव्य संग्रह - राष्ट्र को नमन...
मान
लघुकथा

मान

आशा जाकड़ इंदौर म.प्र. ******************** अरी  सुलक्षणा कल "हरतालिका तीज" है, याद है ना। अरे माँ मैं तो भूल ही गई थी। अच्छा हुआ आपने याद दिला दिया, ठीक है कर लूँगी। "अरे माँ आपने अभी तक चाय नहीं बनाई सुबह-सुबह किसको फोन करने बैठ गयीं?" सीमा अपनी माँ के गले में हाथ डालते हुए बोली।" तेरी भाभी को ही फोन लगा रही थी, उसे याद दिला रही थी कल हरतालिका तीज है, व्रत कर लेना "और भाभी ने कहा होगा ठीक है मैं कर लूंगी। "हां तेरी भाभी बोल रही थी कि माँ मैं तो भूल ही गई थी अच्छा हुआ आपने याद दिला दिया।"  देख मैं उसे याद दिला देती हूं तो निधि बड़ी खुश हो जाती है। पर माँ आपको पता है न कि भाभी व्रत नहीं कर पाती हैं, उन्हें भूख सहन नहीं होती है। फिर क्यों याद दिलाती हो? अब उसकी इच्छा होगी तो कर लेगी नहीं तो कोई बात नहीं है। मैंनें अपना कर्तव्य पूरा कर दिया। पर देख बेटा मेरा मान तो रख लेती है। कभी म...
आखिर कब… ?
कविता

आखिर कब… ?

आशा जाकड़ इंदौर म.प्र. ******************** यह दुराचार कब खत्म होगा? कब तक बेटियाँ असुरक्षित रहेंगी? मासूम बेटियाँ कब तक इन दरिन्दों का शिकार होती रहेंगी। लगता है हर जगह हैवान घूम रहे हैं। जो बालाओं का अपहरण कर रहे हैं, दुष्कर्म कर रहे हैं, नोच नोच कर खा रहे हैं, बोटी-बोटी काट रहे हैं। क्या बेटियां घर से बाहर न जाए? स्कूल पढ़ने न जाए, खेलने न जाए? आखिर कब तक? कब तक वे पीड़ा सहती रहेंगी? कब तक वे अत्याचार का शिकार होंगी? उनके हिस्से की पीड़ा कोई मिटा तो नहीं सकता। जो भोगा है उन्होंने उसे मस्तिष्क से हटा तो नहीं सकता वे बेचारी कब तक शर्म से मुंह छुपाती रहेंगी कब तक दर्द से कराहती रहेंगी ? इन दरिंदों को फांसी क्यों नहीं देती ? सरकार उनके हाथ पैर क्यों नहीं काटती सरकार कहती है पर करती क्यों नहीं? सरकार की कथनी करनी कब एक होगी आखिर इन दरिंदों को फांसी कब होगी आखिर ...