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बेटी बना पाओगे क्या…?
कविता

बेटी बना पाओगे क्या…?

अर्जुन सिंघल जालोर (राजस्थान) ******************** बेटी बना पाओगे क्या...? बहु बनना मुझे आता नही, बेटी बना पाओगे क्या घुंगट मे रहना पसंद नही मुझे, इस प्रथा को ठुकरा पाओगे क्या मै एक बेटी थी, बेटी सा अनुभव करा पाओगे क्या बहु बनना मुझे आता नही, बेटी बना पाओगे क्या अकेली काम करना मुझे पसंद नहीं, आप हाथ बटा पाओगे क्या तवे पर रोटिया सेंकी मुझसे जाती नही, आप सिखा पाओगे क्या बहु बनना मुझे आता नही, बेटी बना पाओगे क्या हर बार मेरा चुप रहना मुझे भाता नही, कभी मेरी भी राय ले पाओगे क्या कभी मम्मी की तो कभी पापा की याद मे, उन जैसा प्यार कर पाओगे क्या बहु बनना मुझे आता नही, बेटी बना पाओगे क्या मम्मी के डाटने पर, पापा की तरह चुप करा पाओगे क्या कभी डर लगने पर, पापा की तरह गले से लगा पाओगे क्या बहु बनना मुझे आता नही, बेटी सा सम्मान दे पाओगे क्या काम करते-करते,...