माँ का गुणगान
अर्चना तिवारी "अभिलाषा"
रामबाग, (कानपुर)
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किन शब्दों से करूँ
माँ का गुणगान ।
सृष्टि की जो है शोभा,
है रत्नों की खान।।
जिसकी ममता से
सुरभित होता
सकल यह संसार।
शाश्वत प्रेम से परिपूरित
जिसका हृदय महान।।
रक्त की बूँदों को कर
संयोजित बनती सृजन हार।
पल्लवित होता बीज अंतस में
होता चमत्कार।।
अपने स्नेहिल वात्सल्य से
जब उसका पोषण करती है ।
वह पुष्प कुसुमित होता
पाता मां का दुलार।।
माँ की महिमा का
कोई नहीं है पार।
माँ के हाथों होता है
बच्चों का उद्धार।।
दुष्कर राहों में बन
जाती सहारा,
जब बीच भंवर में
फंसती है नाव की पतवार।
लबों पर जिसके हर पल
दुआएं सजती हैं।
साँची प्रीति हृदय में जिसके
हर पल ही पलती है।
हृदय में सच्ची आस लिए प्रतिपल
बच्चों का चिंतन करती है।।
माँ ईश्वर का है अनमोल उपहार
चरणों में जिसके स्वर्ग का द्वार....
आदर्श व त्या...