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Tag: अमोघ अग्रवाल

अमर शब्द
कविता

अमर शब्द

अमोघ अग्रवाल गढ़ाकोटा, सागर (मध्य प्रदेश) ******************** एक घर घर का एक कमरा कमरे की दीवार दीवार जिस पर टंगी है एक बड़ी तस्वीर तस्वीर में कोई मानव नहीं बस चार शब्द दिख रहे है जिसमें लिखने वाले ने लिखा है शब्द अमर रहेंगे इंतज़ार परिचय :- अमोघ अग्रवाल साहित्यिक नाम : "इंतज़ार" पिता : स्व. बी. के. अग्रवाल माता : श्रीमती आशा अग्रवाल जन्म : ०५ सितंबर १९९१ निवासी : गढ़ाकोटा, सागर (मध्य प्रदेश) शिक्षा : बी.ई. कार्यरत : निजी व्यवसाय लेखन : शांत, करुण, श्रृंगार रस, कविता, कहानी, हाइकू, टांका और अन्य सम्मान : "शतकवीर" सम्मान, "काव्य कृष्ण" सम्मान, निरंतर १२ घंटे काव्य में सम्मान, राष्ट्र कवि गुरु सत्त नारायण सत्तन जी द्वारा दो बार सम्मानित। रंजनकलश इंदौर ईकाई मीडिया प्रभारी, कई पत्र पत्रिकाओं में रचना प्रकाशित। और अन्य सम्मान। साहित्यिक गतिविधियां : वर्ष २०१...
अफवाह
कविता

अफवाह

अमोघ अग्रवाल गढ़ाकोटा, सागर (मध्य प्रदेश) ******************** कान जो सदा घिरे होते थे सुंदर-सुंदर बालियों से, झुमकों से। काली-काली, घनी-घनी, लटों से, घटाओं से, छुपे होते थे। आज वह, इस तरह घिरे हैं, अफवाहों से, कि बोल उठते हैं, चीख़ उठते है, मुझे फट जाने हो, कट कर कहीं, गिर जाने दो... परिचय :- अमोघ अग्रवाल साहित्यिक नाम : "इंतज़ार" पिता : स्व. बी. के. अग्रवाल माता : श्रीमती आशा अग्रवाल जन्म : ०५ सितंबर १९९१ निवासी : गढ़ाकोटा, सागर (मध्य प्रदेश) शिक्षा : बी.ई. कार्यरत : निजी व्यवसाय लेखन : शांत, करुण, श्रृंगार रस, कविता, कहानी, हाइकू, टांका और अन्य सम्मान : "शतकवीर" सम्मान, "काव्य कृष्ण" सम्मान, निरंतर १२ घंटे काव्य में सम्मान, राष्ट्र कवि गुरु सत्त नारायण सत्तन जी द्वारा दो बार सम्मानित। रंजनकलश इंदौर ईकाई मीडिया प्रभारी, कई पत्र पत्रिकाओं में रचना प्रक...
वेलकम कोरोना
लघुकथा

वेलकम कोरोना

अमोघ अग्रवाल गढ़ाकोटा, सागर (मध्य प्रदेश) ******************** आज सुबह लगभग सात बजे की बात है। एक छोटा सा लड़का चौराहे पर सफेद रंग से कुछ लिख रहा था। जैसे उसका लिखना खत्म हुआ वहाँ भीड़ लग गई और कुछ लोग उस लड़के को डाँटने लगे। डाँट के कारण वह लड़का वहाँ से भाग गया साथ में सफेद रंग भी ले गया। मैंने भी उसका पीछा किया और देखा वही कार्य उसने दूसरे चौराहे पर भी किया। मैं उसके पास गया और पूछा कि "क्या मैं तुम्हारी मदद करूँ और तुम यह वेलकम कोरोना क्यों लिख रहे हो?" वह गुस्से से मुझे घूरता देखता है और फिर कहने लगा कि लोगों को समझ नहीं आ रहा है, इतने समय से नेता, अभिनेता, पुलिस सब परेशान है, सब हाथ जोड़कर निवेदन करते है। और अपने गाँव के लोग सबकी मेहनत पर पानी फेरते है। न मास्क लगाते है और न ही बीड़ी, गुटखा, पान मसाला, सोशल डिस्टेंस आदि के बारे में कुछ जानकारी रखते हैं। इसलिए मैंने सोचा कि...