ख़ामोश होती हरियाली
अमिता मराठे
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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बात कुछ पुरानी है, लेकिन आज जब "वटवृक्ष दे वरदान" अभियान में लोग जुड़कर वृक्ष का आभार मानकर "बरगद रोपेंगे" कहते संकल्प ले रहे हैं, तब मुझे याद आया।
हमारा घर अच्छी पाॅश काॅलोनी में था। घर के पीछे बहुत सुंदर बगीचा था। उसके बीच होलकर राज घराने का सुन्दर बंगला था।वही राधा कृष्ण का मंदिर था। लोग उसे कृष्ण मंदिर कहते थे। इसलिए उस काॅलोनी का नाम भी कृष्ण नगर था। पूरा बगीचा पीपल, नीम, आम, निबू, बरगद, गुलमोहर, जैसे वृक्षों से सज्जित था। तुलसी के पौधे तो सारे बगीचे में लगे हुए थे। बादाम तथा चिकु के पेड़ तो हमारे घर की छत पर झांकते थे।
"प्रकृति से सिर्फ मनुष्य को ही नहीं, बल्कि पृथ्वी के हर जीव को जीवन मिलता है।" यह बात इस स्थान को देखकर सिद्ध हो रहीं थीं, क्योंकि बग़ीचे में मोर, गाय, गौरैया, तोते आदि का निवास था। मौसम के अनुसार उद्यान खुबसू...