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Tag: अमरीश कुमार उपाध्याय

बरचस्व
कविता

बरचस्व

अमरीश कुमार उपाध्याय रीवा (मध्य प्रदेश) ******************** बरचस्व नीव जब खोता है गगन बिम्ब पर होता है, सतलुज सागर में जाते ही आदम सा हो जाता है, इस तरह ब्रम्हा ज्ञाता अपने चरम अंत तक आता है, कल की घोर गर्जना पर वो क्षितिज शून्य तक जाता है, भुज बाहु दमन करने को मानुष जग में मंडराता है, कर बाहु प्रखर दम भरता है विध्वंस राह पर बढ़ता है मैं हूँ...हूँ...हूँ...... कर गर्जन तीव्र बाहु प्रबल दिखलाता है, दम भरता, करता नित नये काम हरता विधता के रोज प्राण...। परिचय :- अमरीश कुमार उपाध्याय पिता : श्री सुरेन्द्र प्रसाद उपाध्याय माता : श्रीमती चंद्रशीला उपाध्याय जन्म तिथि : १६/०१/१९९५ निवासी : रीवा (मध्य प्रदेश) शिक्षा : एम.ए. हिंदी साहित्य, डी.सी.ए. कम्प्यूटर, पीएच.डी. अध्ययनरत घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। ...
वो कहती है
कविता

वो कहती है

अमरीश कुमार उपाध्याय रीवा (मध्य प्रदेश) ******************** वो कहती है मुझपे भरोसा मत रखना रखना मगर जमी पर पाव मत रखना, मैंने पूछा तो किधर जाऊ सारा समंदर तुम्हारा है..... पर समंदर के किनारे पाव मत रखना वो कहती है मुझपे भरोसा मत रखना.....। वो आयी ही थी चली जाने को मुझको मुझसे अलग कर जाने को, लड़ने लगा हूं खुद से कि बिछड़ने लगा हूं इसका भी भरोसा मत करना वो कहती है मुझपे भरोसा मत करना....।। परिचय :- अमरीश कुमार उपाध्याय निवासी - रीवा म.प्र. पिता - श्री सुरेन्द्र प्रसाद उपाध्याय माता - श्रीमती चंद्रशीला उपाध्याय शिक्षा - एम. ए. हिंदी साहित्य, डी. सी. ए. कम्प्यूटर, पी.एच. डी. अध्ययनरत आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कवित...
सफ़र
कविता

सफ़र

अमरीश कुमार उपाध्याय रीवा म.प्र. ******************** जो मकान किराए के है, दरो दरख़्त की परवाह नही करते, समंदर से भी गहरी दीवारें है, एक जैसी नहीं रहती, नदियों सा अपना लेते है किनारों को, ऐसे मकान दिलो पर राज करते है, बना किराए का मकान, हम सफ़र साथ नहीं रखते, घरोदा भी नहीं बनते, वो जमीन पर निगाह नहीं रखते, हौसलों की उड़ान कम नहीं रखते, वे बेपरवाह पंछी है, बादलों के नीचे उड़ान नहीं करते, जो मकान किराए के है, दरो दरख़्त की परवाह नही करते......। . परिचय :- अमरीश कुमार उपाध्याय निवासी - रीवा म.प्र. पिता - श्री सुरेन्द्र प्रसाद उपाध्याय माता - श्रीमती चंद्रशीला उपाध्याय शिक्षा - एम. ए. हिंदी साहित्य, डी. सी. ए. कम्प्यूटर, पी.एच. डी. अध्ययनरत आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर...
तनहा
कविता

तनहा

अमरीश कुमार उपाध्याय रीवा म.प्र. ******************** अब तो हर सफ़र अकेले करना है, ज़माने से अब किसे डरना है। डर रहे थे जिसकी खातिर, वो भी अब तनहा कहा रहता है। वो समझे हम टूटेंगे, मगर हौसला भी कम कहा रखता है। चल दिया अपने से अलग, अब रूबरू की कसक कहा रखता है। हौसला साथ का सफ़र कहा रखता है, वो भी तनहा अब कहा रहता है.......। ज़माने से अब किसे डरना है.....।। . परिचय :- अमरीश कुमार उपाध्याय निवासी - रीवा म.प्र. पिता - श्री सुरेन्द्र प्रसाद उपाध्याय माता - श्रीमती चंद्रशीला उपाध्याय शिक्षा - एम. ए. हिंदी साहित्य, डी. सी. ए. कम्प्यूटर, पी.एच. डी. अध्ययनरत आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी ...
खामोश
कविता

खामोश

अमरीश कुमार उपाध्याय रीवा म.प्र. ******************** उनका चुप रहना अब सहा नहीं जाता ख़त में खाली जगह छोड़ा नहीं जाता।। यहां तक आ गए साथ हम इस कदर अकेला अब चला नहीं जाता।। सफर है काट लेंगे चलते चलते मगर तेरे बगैर ये सफर भी चला नहीं जाता।। लौट गए बातों के डर से हर ख्वाब इस तरह पूरा किया नहीं जाता।। ख़त में खाली जगह छोड़ा नहीं जाता।। . परिचय :- अमरीश कुमार उपाध्याय निवासी - रीवा म.प्र. पिता - श्री सुरेन्द्र प्रसाद उपाध्याय माता - श्रीमती चंद्रशीला उपाध्याय शिक्षा - एम. ए. हिंदी साहित्य, डी. सी. ए. कम्प्यूटर, पी.एच. डी. अध्ययनरत आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें h...
सब छोड़ दिया
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सब छोड़ दिया

अमरीश कुमार उपाध्याय रीवा म.प्र. ******************** एक नाम से नाता तोड़ लिया जो खास था उसको छोड़ दिया मै रहा अब अपने अपने में वो हमको कब का छोड़ दिया कुछ रात सुबह गुजरी ऐसे फिर एक सुबह सब छोड़ दिया अब जोश जुनून नया कुछ था चल नाम नया करते फिर से वो समझ रहा है सब मुझसे एक राह भी ना निकले जिससे है दर्द बहुत इस सागर में लहरों से मचलना छोड़ दिया जाना था सागर की गहराई में नदियों में भी जाना छोड़ दिया चिल्लाकर मै भी कहता था आवाज़ न अब निकली मुझसे . परिचय :- अमरीश कुमार उपाध्याय निवासी - रीवा म.प्र. पिता - श्री सुरेन्द्र प्रसाद उपाध्याय माता - श्रीमती चंद्रशीला उपाध्याय शिक्षा - एम. ए. हिंदी साहित्य, डी. सी. ए. कम्प्यूटर, पी.एच. डी. अध्ययनरत आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर ...
तुमसे दूर
कविता

तुमसे दूर

अमरीश कुमार उपाध्याय रीवा म.प्र. ******************** माना हम बहुत दूर है तुमसे पूछ लेने में भी कंजूस है तुमसे, तुम सरेआम नाम मेरा लेते हो मै अपने में भी लेने में कंजूस हूं तुमसे, मेरा तो कल का वजूद है तुमसे यू रास्ते में मिला ना करो मुझसे, मेरे रास्ते जान लेंगे तुमसे अभी तो नाम ले के आए हैं कल मेरे नाम से जान लेंगे तुमको, हम बहुत दूर है........।। . परिचय :- अमरीश कुमार उपाध्याय निवासी - रीवा म.प्र. पिता - श्री सुरेन्द्र प्रसाद उपाध्याय माता - श्रीमती चंद्रशीला उपाध्याय शिक्षा - एम. ए. हिंदी साहित्य, डी. सी. ए. कम्प्यूटर, पी.एच. डी. अध्ययनरत आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाई...
मलाल
कविता

मलाल

अमरीश कुमार उपाध्याय रीवा मध्य प्रदेश ******************** मलाल बस इतना था खयाल बस इतना, कि अभी साथ-साथ रहना था अभी कुछ दूर तक चलना था, एक बार अभी मिलना था कुछ उनसे और भी कहना था, मलाल बस इतना था।   परिचय :- अमरीश कुमार उपाध्याय जन्म - १६/०१/१९९५ पिता - श्री सुरेन्द्र प्रसाद उपाध्याय माता - श्रीमती चंद्रशीला उपाध्याय निवासी - रीवा मध्य प्रदेश शिक्षा - एम. ए. हिंदी साहित्य, डी. सी. ए. कम्प्यूटर, पी. एच. डी. अध्ययनरत आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताए...