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Tag: अभिषेक श्रीवास्तव

गांव
कहानी

गांव

अभिषेक श्रीवास्तव जबलपुर म.प्र. ******************** गर्मी के मौसम में दोपहर के २.३० बज रहे थे, धूप सर पर थी, गांव के आंगन में नीम का पेड़ था, जिसके झड़ने वाले पत्तों से घर के छप्पर आधे से ढंक गए थे, और बीच बीच में गर्म लू चलने के कारण कुछ पत्ते लुढकते हुए, नीचे घर के आंगन में गिर जाते थे, तो कुछ पेड़ से टूटकर छप्पर पर गिरते थे। घर की दहलान पर चारपाई डाले बांई करवट लिए सुरेश सो रहा था, बीच-बीच में दो चार मख्खी, भन-भन की आवाज उसके कानों में सुना जाती थी, जिससे उसकी नींद टूटती और वह दाहिने हाथ से मख्खीयों को भगाकर फिर से सो जाता था। ऐसा ही कुछ समय से चलते हुए उसकी माॅं जो कि दहलान में चारपाई से कुछ दूर बैठे देख रही थी और हाथों में पीतल की बड़ी थाल में गेंहू लिए उसमे से कंकड अलग करती जा रही थी जब उससे न रहा गया तो उसने खिसिया के आवाज लगाई, ‘२ घंटे से सो रहा है उठ और खेत जाकर बाबा को रोटी देकर...
स्वर-संगीत
आलेख

स्वर-संगीत

अभिषेक श्रीवास्तव जबलपुर म.प्र. ******************** संगीत संगीत है शक्ति ईश्वर की, हर स्वर में बसे हैं राम। रागी जो सुनाये रागनी, रोगी को मिले आराम।। संगीत एक ऐसी शक्ति है जो कि हर किसी के मन को हरने में सक्षम है, हां सभी की पसंद अलग अलग हो सकती है। संगीत प्रकृति के कण कण में बसा हुआ है, चलती हुई मंद पवन, कल कल करके गिरते हुए झरने , बरसात में पानी की बूंदों के गिरने की आवाज, बादलों की गड़गड़ाहट एक तरह से सभी संगीत के अलग-अलग स्वर हैं जो कि प्रकृति के संगीत का परिचय देते हैं। सांसारिक संगीत को भी कई भागों में बांटा गया है, शास्त्रीय संगीत, सुगम संगीत, प्रांतीय संगीत, भक्ति संगीत इत्यादि। संगीत को जानने वाले संगीतज्ञों ने तो संगीत का आनंद लिया ही है किन्तु इसके अलावा वे वर्ग जो कि संगीत को नहीं जानते हैं वे भी संगीत सुनकर उसमें खो जाते हैं। वैसे संगीत को जानना या ना जानना मायने नहीं रखता ...