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Tag: अभिषेक शुक्ला

वल्लभभाई पटेल
कविता

वल्लभभाई पटेल

अभिषेक शुक्ला सीतापुर (उत्तर प्रदेश) ******************** 'सिंह सा गर्जन और हृदय मे कोमल भाव रखते थे, वल्लभभाई पटेल जी से तो सारे दुश्मन डरते थे। बारदौली सत्याग्रह का सफल नेतृत्व आपने किया, 'सरदार' की उपाधि वहाँ की जनता ने आपको दिया। एकता को वास्तविक स्वरूप भी आपने ही दे डाला, रियासतों का एकीकरण भी पल भर मे कर डाला। प्रयास से आपने सारी समस्याओं को हल कर दिया, सबने आपको भारत का 'लौह पुरुष' था मान लिया। देश का मानचित्र विश्व पटल पर बदल कर रख दिया, लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल ने कमाल कर दिया। ३१ अक्टूबर को हम सब भारतवासी 'राष्ट्रीय एकता दिवस' मनाते है, आपकी याद मे हम 'स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी' पर श्रद्धा सुमन चढ़ाते है।' परिचय : अभिषेक शुक्ला निवासी : सीतापुर (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना...
दीवाली उसे भी मनानी है
कविता

दीवाली उसे भी मनानी है

अभिषेक शुक्ला सीतापुर (उत्तर प्रदेश) ******************** "दीवाली उसे भी मनानी है, दीपक भी उसे जलाने है। पिछ्ले साल न बिके थे दिये, इस साल भी दुकान सजा ली है। चका चौंध की इस दुनिया में, कौन पूछता है मिट्टी के दीपो को। सब मस्ती मे झूम रहे है, कौन पूछेंगा फिर इन गरीबो को। बीच बाज़ार मे है दुकान उसकी, वह तो अरमान सजाये बैठा है। आशा है बिकेंगे दीप भी उसके, वह तो टकटकी लगाये बैठा है। दीवाली उसे भी मनानी है। दीपक भी उसे जलाने है।।" परिचय : अभिषेक शुक्ला निवासी : सीतापुर (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रक...
मैं हूँ सुदामा तो मैं ही कृष्ण हूँ
कविता

मैं हूँ सुदामा तो मैं ही कृष्ण हूँ

अभिषेक शुक्ला सीतापुर (उत्तर प्रदेश) ******************** मैं हूँ सुदामा तो मैं ही कृष्ण हूँ मेरा मित्र सखा तो मैं ही स्वयं हूँ, मैं हूँ सुदामा तो मैं ही कृष्ण हूँ। मैं ही सुख-दुख का संयोग हूँ, मैं हूँ मिलन तो मैं ही वियोग हूँ। मैं माँ की ममता-सा शान्त हूँ, मैं ही द्रोपदी का अटूट विश्वास हूँ। मैं प्रलय का अन्तिम अहंकार हूँ, मैं ही भूत, भविष्य और वर्तमान हूँ। मैं नित्य ही प्रभु का वन्दन करता हूँ, परिश्रम से स्वेद को चंदन करता हूँ। विपरीत परिस्थितियों में हिम्मत रखता हूँ, जुनून से अपने उनका सामना करता हूँ। जब कभी कुण्ठा अत्यधिक व्याप्त होती है, अन्तर्मन में सुदामा से मुलाकात होती है। स्वयं ही स्वयं से स्वयं का आकलन करता हूँ, स्वयं सुदामा बन कृष्ण का अभिनंदन करता हूँ। अपनी परिस्थितियों का मैं ही कर्णधार हूँ, मैं हूँ पुष्प तो मैं ही तीक्ष्ण तलवार हूँ। मेरा मित्र...