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Tag: अभिजीत आनंद

बेखौफ परिंदा
कविता

बेखौफ परिंदा

अभिजीत आनंद बक्सर, (बिहार) ******************** मैं उन्मुक्त गगन का बेखौफ परिंदा हूँ, हौसलों, अरमानों, जज्बातों का पुलिंदा हूँ... कर्म को साक्षी मानकर कर लिया है प्रण, जीवन के संघर्षों से अनवरत रहेगा रण... स्वच्छंद उड़ान के सहारे आसमाँ तक जाना है, विपरित हवा के उड़कर मंजिल हमें पाना है... संघर्षों के महासमर में खड़े हुए हैं सब कुछ हारे, समाहित हैं कई उम्मीदें और शेष हैं सपने सारे... माना समीर तीव्र है फिर भी क्यूँ लौट जाऊँ मैं, समयचक्र की परिधि में उलझे सपने यूं ना छोड़ जाऊँ मैं... आपदा में अवसर तराशने को जिंदा हूँ, मैं उन्मुक्त गगन का बेखौफ परिंदा हूँ... परिचय :- अभिजीत आनंद आयु : २५ वर्ष निवासी : बक्सर, (बिहार) शिक्षा : स्नातक (आईटी)  घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि...
पिता की छांव
कविता

पिता की छांव

अभिजीत आनंद बक्सर, (बिहार) ******************** ग़र कर सकूँ समर्पित कुछ बंद उस त्याग की प्रतिमूर्ति को, जो ग़र परिभाषित कर सकूँ उतरदायित्व की उस कृति को, मेरी लेखनी आज धन्य हो जाए पितृत्व रचना से अलंकृत होकर... हर कदम पर अपने संतान के रहनुमा होते हैं पिता, परिवार की बगिया के बागबान होते हैं पिता.. संपूर्ण जीवन की धरी पूंजी संतान पर न्यौछावर कर देते हैं पिता कर्ज का आवरण ओढ़े भी बिटिया को विदा कर देते हैं पिता... विपदा में सतत संघर्ष की आँधियों में हौसलों की दीवार हैं पिता, पूरे परिवार की अटूट विश्वास, उम्मीद, और आस हैं पिता.. जिंदगी की धूप में बरगद की गहरी छांव होते हैं पिता, बेटे के लिए राजा तो बेटी के सर का ताज होते हैं पिता.. खुद के अरमानों को परे रख हर फर्ज निभाते हैं पिता, संस्कार और अनुशासन की बीज संतान में पनपाते हैं पिता... म...