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Tag: अनुराधा शर्मा

मैंने कहा था
कविता

मैंने कहा था

अनुराधा शर्मा रायगढ़ (छत्तीसगढ़) ******************** मैंने कहा था, लड़का बड़ा होके सहारा होगा। बेटा समझ बैठा, पैसे से ही गुज़ारा होगा। अब सोने की छड़ी तो है, पर सहारा मिलता नहीं। मखमली बिस्तर तो है, नींद आंखों में बसती नहीं। खाने को लज़ीज़ पकवान है, भूख़ लगती नहीं पीने को मीठा पानी है, प्यास बुझती नहीं। टेहलने को बाग है, मगर दिल बेहलता नहीं। रहने को बंगला है, पर वीराना दिल से जाता नहीं। जी खुशियों का मंज़र चाहता है, पर परिवार का इंतजाम नहीं। मैंने कहा था, लड़का बड़ा होके सहारा होगा। बेटा समझ बैठा, पैसे से ही गुज़ारा होगा। परिचय : अनुराधा शर्मा निवासी : रायगढ़ (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी र...
श्रृंगार
कविता

श्रृंगार

अनुराधा शर्मा रायगढ़ (छत्तीसगढ़) ******************** तेरे झुमके संग, मेरा दिल भी झूल रहा है । लेकिन अच्छा है, इसी बहाने तेरे गालों को चूम रहा है । तेरी पाजेब के साथ, मेरी धड़कन भी थिरकती है। लेकिन इसी बहाने, मेरी सांसे तो चल रही है। तेरे नाक़ की नथनी, जो तुम्हारे नखरे उठा रही है। लेकिन इसी तरीके से, मेरी ख्वाहिशें जता रही है। तेरा मंगलसूत्र, जो गले लग शोभा दे रही है। लेकिन अच्छा है, तुझे मेरा हमसफ़र बता रही है। तेरे नगीने वाली अंगूठी, मेरे आंखों में चमक ला रही है। लेकिन, मेरे जीवन के हर लम्हे को दमका रही है। तेरी चूड़ियां, जो कलाइयों को थामे हुए है। लेकिन अच्छा है, मेरे जीवन को खनका रही है। तेरी बिछिया, जो क़दमों को चूम रही है। अच्छा है मेरे दिल-ओ-जहां, में दस्तक दे रही है। तेरी मेंहदी, जो हथेली को महका रही है। लेकिन मेरे ज़िंदगी को, प्यार के रंग से सजा...