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Tag: अनुराधा प्रियदर्शिनी

आ जाओ हे राम
स्तुति

आ जाओ हे राम

अनुराधा प्रियदर्शिनी प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) ******************** आज भी विपदा भारी, आ जाओ हे! नाथ। धरती पर संकट बहुत, पीड़ा हर लो नाथ।। मानव तन में घूमते, दानव दल का राज । संत जनों को कष्ट दे, करते हैं वो राज।। वचन तुम्हारा नारायण, लोगे तुम अवतार । जब जब धरती पर बढ़े, पाप औ अत्याचार ।। संत जनों के साथ में, धरती करे पुकार। धर्म की रक्षा करने वाले, सुन लो आज गुहार।। त्रिभुवन के तुम स्वामी, आ जाओ हे राम । नर के अंतस से रावण का, नाश करो श्री राम।। चैत्र मास शुक्ल पक्ष की, नवमी तिथि है आज। अवधपुरी के साथ ही, उत्सव जग में आज।। परिचय :- अनुराधा प्रियदर्शिनी निवासी : प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्...
साहस
छंद

साहस

अनुराधा प्रियदर्शिनी प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) ******************** ताँका छंद यह जीवन एक संघर्ष सदा जीत मिलेगी जो लड़ता सदैव हिय रखे साहस युद्ध क्षेत्र में मजबूत इरादे पार लगा दें हर एक बाधा से सपने साकार हों लक्ष्य मिलता मजबूत इरादे जिनके होते साहस से बढ़ते मंजिल पा जाने को सत्कर्म करो नित आगे बढ़ना मंजिल मिले सफलता मिलती खुशियों का संसार स्वेद की बूंदे मुस्कान बिखेरती हरियाली हो जीवन लहराता महकता चमन परिचय :- अनुराधा प्रियदर्शिनी निवासी : प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, ल...
बहराइच
कविता

बहराइच

अनुराधा प्रियदर्शिनी प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) ******************** भारत में उत्तर प्रदेश का एक जिला बहराइच देवीपाटन क्षेत्र का एक भाग है बहराइच घना जंगल और नदी की बहाव यहाँ पर तेज भर राजवंश की राजधानी बहराइच, भारिच प्रकृति की मनोहर छटा बहराइच की पहचान ग्यारहवीं सदी में एक राजा हुए बहुत महान सैयद सालार मसूद गा़ज़ी को दी थी शिकस्त महाराज सुहेलदेव की गौरवगाथा महान उत्तर में नेपाल की है अंतरराष्ट्रीय सीमा दक्षिण भाग में है सीतापुर और बाराबंकी पूरब में श्रावस्ती से स्पर्श करता है बहराइच पश्चिम भाग में इसके गोंडा जिला और खीरी पुरूषोत्तम श्रीराम और लव का यहाँ राज्य कतर्निया वन्यजीव अभयारण्य यहाँ शान पर्यटकों को लुभाता है यहाँ का सुंदर दृश्य ब्रह्मा जी का रचा हुआ ऋषियों का स्थल जप तप और साधना को सुंदर बसा स्थान पांडव कालीन सिद्धनाथ मंदिर यहाँ बीच पांडव को जब वनवास बह...
राष्ट्रीय प्रतीक
कविता

राष्ट्रीय प्रतीक

अनुराधा प्रियदर्शिनी प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) ******************** भारत के राष्ट्रीय पहचान प्रतीकों में राष्ट्रीय ध्वज हमारा शान तिरंगा में तीन रंगों से सजा हमारा तिरंगा है शोभित केसरिया,सफेद और हरा में केसरिया त्याग-बलिदान सिखाता है सफेद सत्य-शांति-पवित्रता द्योतक है मध्य भाग में चक्र सदैव प्रगति चिन्ह हरा रंग देश की समृद्धि का प्रदर्शक है भारत का राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तंभ है "जन गण मन" हमारा राष्ट्रगान प्यारा है "वंदे मातरम" हमारे भारत का राष्ट्रगीत राष्ट्रीय पंचांग "शक संवत्" आधारित है भारतीय बाघ हमारा राष्ट्रीय पशु है भारतीय मयूर हमारा राष्ट्रीय पक्षी है पवित्रता का प्रतीक राष्ट्रीय पुष्प कमल राष्ट्रीय फल मनभावन रसीला आम है हाथी हमारे विरासत की निशानी है गंगा डॉल्फिन राष्ट्रीय जलीय जीव है हमको गर्व हमारे राष्ट्रीय प्रतीक पर यह प्रतीक हमारे भारत की शान ह...
हर कण में मैं हूँ
भजन

हर कण में मैं हूँ

अनुराधा प्रियदर्शिनी प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) ******************** मुझको भला क्यों ढूंढ रहे हो कण-कण में मैं ही बसता हूँ साँझ-दिवस घनघोर दुपहरी जड़- चेतन में मैं ही रहता हूँ हर पल हर घड़ी में रहता हूँ समय का चक्र भी मैं ही तो हूँ घनघोर अंधेरा और प्रकाश में राह सभी को मैं दिखलाता हूँ अंतस में साथ तुम्हारे रहता हूँ सत्य का भान सदा करवाता हूँ मुझको सुन लो अपने भीतर बातें तुमसे हर पल मैं करता हूँ जंगल के वीराने में भी मैं हूँ हाट-बाजार के शोर में मैं हूँ तनहा कब छोड़ा है तुमको हर पल साथ तुम्हारे मैं हूँ परिचय :- अनुराधा प्रियदर्शिनी निवासी : प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छा...
नववर्ष का उपहार
कविता

नववर्ष का उपहार

अनुराधा प्रियदर्शिनी प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) ******************** कोहरे की चादर फैली थी जीवन में हो गया विहान सूरज आया चौबारे में आनन विहँसा कमल समान। हौले-हौले किरणें बिखरीं छँटी धुंध था स्वर्णिम काल उजला-उजला लगा दीखने रक्तिम पुष्प खिला ज्यों ताल। मादक सुगंध के प्रसरण से महक उठे गृह के कोने गौरीसुत ने आशीष दिया तन-मन के कष्ट लगे खोने। पुष्पमाल गज कण्ठ विलग ज्यों गिरे धरा पर अभयदान ऐसे ही तन-मन शून्य हुआ मिल गया तोष जीवन समान। अरुण अरुणिमा तन पर धारे गोदी में था अति प्रिय लाल मैं नेत्रांभूषित वात्सल्य भरे निरख रही ज्यों विजय माल। उपहार भरा मेरा जीवन तू वत्स! प्रफुल्लित पुष्पित हो आशीष मातृ का तुझको है सूरज-सा हर पल गौरव हो। परिचय :- अनुराधा प्रियदर्शिनी निवासी : प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुर...
दोस्त कुंदन बन जाता है
कविता

दोस्त कुंदन बन जाता है

अनुराधा प्रियदर्शिनी प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) ******************** दोस्त दिल में रहता है बिना शर्तों के आता है। खुशी हो या गम के पल हमेशा साथ रहता है। हमारे हर कदम पर साथ-साथ चलता जाता। हमारी मुस्कुराहट में भी आँसू खोज लेता है।। दोस्ती ही वो रिश्ता जिसमें कोई बंधन नहीं है। खून का नाता नहीं उससे बढ़कर दोस्त होता है। दोस्त ही है वो जिसको हम खुद से ही चुनते । दोस्त के लिए दोस्त ही तो सबकुछ लुटाता है।। दोस्त के लिए तो जान भी कुर्बान कर देते हैं। अपनी दोस्ती की मिसाल कायम कर जाते हैं। कृष्ण और सुदामा की दोस्ती आज भी मिसाल। दोस्ती में कभी दगाबाजी नहीं किया करते हैं। दोस्ती में कभीं गरीबी और अमीरी नहीं होती है। दोस्त का दिल खरे सोने सा चमकता रहता है। इसकी चमक को तुम कभी कम न होने देना। वक्त की आग में तपा दोस्त कुंदन बन जाता है।। परिचय :- अनुराधा प्रियदर्शि...
हिन्दी भारत की शान
कविता

हिन्दी भारत की शान

अनुराधा प्रियदर्शिनी प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) ******************** हिंदी की बोली में मिठास है सबको अपनी सी लगती है सात सुरों में झंकृत होती हिन्दी सबके मन को भाती हिन्दी अंग्रेजी शिक्षा बनी है जरूरत ऐसे में हमारी जिम्मेदारी बड़ी नयी पीढ़ी के बच्चों को बताना हिन्दी से उनका रिश्ता है गहरा हिन्दी हमारे भारत की शान है भारतीयों का अभिमान हिन्दी सहज सरल हमारी भाषा हिन्दी देवनागरी लिपि में लिखी जाती वैज्ञानिकता से परिपूर्ण है हिन्दी हर देश की अपनी एक भाषा है हमारे भारत की पहचान हिन्दी हिन्दुस्तान के माथे की है बिंदी चौदह सितंबर के इस शुभ अवसर एक संकल्प हम सबको करना है हिन्दी का खूब प्रचार प्रसार करना हिन्दी को विश्व जगत में फैलाना है हमारी मातृभाषा है प्यारी हिन्दी जन-जन की भाषा हमारी हिन्दी अब तक है राज भाषा हमारी हिन्दी राष्ट्र भाषा पद पर इसको बिठाना है ...
मेरे गुरु
कविता

मेरे गुरु

अनुराधा प्रियदर्शिनी प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) ******************** विद्या और ज्ञान सागर सा मेरे गुरु चुन चुन मोती देते जब भी राह भटक मैं जाती अपने हाथ पतवार थामते ईश्वर को कब जाना मैंने गुरु में उनकी छवि देखा कभीं सख्त कभी सरल हैं जग का बोध गुरु कराते हैं गलतियों को सदा सुधारते सत् पथ पर लेकर चलते हैं भ्रम के जालों को मिटाकर मन में ज्ञान ज्योति जलाते हैं जीवन में उत्कर्ष हमारा होता अनुशासन जीवन में वो लाते हर मुश्किल से लड़ने को हमें गुरु ही हमको तैयार करते हैं परिचय :- अनुराधा प्रियदर्शिनी निवासी : प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्री...
गणेश स्तवन
भजन, स्तुति

गणेश स्तवन

अनुराधा प्रियदर्शिनी प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) ******************** जय जय जय गणपति महाराजा मंगल भरण गणपति शुभ काजा विद्या बुद्धि सबको देते हैं गणेशा अंधकार उर का हर लेते महराजा गौरीसुत शिवनंदन गणपति देवा प्रथमपुज्य देवों में गणनायक देवा ऋद्धि सिद्धि के स्वामी हैं गणेशा मंगल मूरत शुभ फलदायक देवा पीताम्बर ओढ़े चार-भुजा धारी मनमोहनी सूरत भक्तन सुखकारी मोदक भोग गणेशा अति भायी मूषक वाहन की करते हैं सवारी जो भी द्वार पे तिहारे आ जाता खाली कभीं भी नहीं वो जाता विध्न-विनाशक गणनायक देवा मनवांछित फल के तुम हो दाता तेरे दर आकर मैं पुकार लगाऊँ विपदा सुना कर अरज लगाऊँ विध्न हरो हे गणेशा मैं पुकारूँ श्रद्धा पुष्प अर्पित कर मैं जाऊँ परिचय :- अनुराधा प्रियदर्शिनी निवासी : प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित...
होली पर हुड़दंग
कविता, हास्य

होली पर हुड़दंग

अनुराधा प्रियदर्शिनी प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) ******************** मोदी चाचा आए हैं सतरंगी रंगों को लाए हैं योगी भैया देखो आए हैं केशरिया चटख रंग लाए हैं अखिलेश भैया ने बैंड बजाया मायावती जी चली हैं घर को सबने होली पर हुड़दंग मचाया एक दुजे को रंग लगाया मोदी चाचा आए हैं सतरंगी रंगों को लाए हैं होली के रंग बिरंगे रंग हैं भैया बुरा न मानो होली है आओ मिलकर हम सब होली खेलें जश्न मनाने का पल सुनहरा है स्नेह प्रेम का रंग लगाकर सबको गले लगाना है देखो होली की हुड़दंग मची है रंग बिरंगी होली है हंसी खुशी से होली मना लो एक दूजे को रंग लगा लो प्रेम से गले लगाकर भेदभाव को मिटा दो परिचय :- अनुराधा प्रियदर्शिनी निवासी : प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानिय...
स्वर की पुजारन
कविता

स्वर की पुजारन

अनुराधा प्रियदर्शिनी प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) ******************** स्वर की पुजारन चली स्वर की देवी से मिलने बहुत ही कठिन पल हमारे लिए यह बहुत है ममतामई मां को हम सबने ही अब खो दिया है स्वरों की मल्लिका के गीत से हम वंचित हुए हैं स्वर कोकिला भारत रत्न लता दीदी चली हैं माता सरस्वती के धाम वो उनके संग ही गयी हैं बसंत पंचमी का उत्सव एक ओर मनाया जा रहा दूसरी ओर लता जी अनंत यात्रा को जाने लगी है जन्म मृत्यु का चक्र बहुत ही अनोखा यहां हैं जन्म जिसने लिया उसकी मृत्यु निश्चित ही होती शीश झुका बस इतना ही कहना मैं चाहूं यात्रा तुम्हारी मां अपनी पूर्णता को पाए आत्मा का मिलन आज परमात्मा से होने चला है स्वं ब्रम्ह से आज उनका मिलन हैं परिचय :- अनुराधा प्रियदर्शिनी निवासी : प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह...
अपनी-अपनी बगिया
कविता

अपनी-अपनी बगिया

अनुराधा प्रियदर्शिनी प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) ******************** सबकी अपनी-अपनी बगिया मेरी भी बगिया है सुरभित कलियाँ चटकीं महकी बगिया रौनक से भर आई बगिया। रंग-बिरंगे पुष्प खिले हैं पुलकित मन से हिले-मिले हैं इन फूलों के रंगों से मिल चेहरे पर छाई है लाली। सूरज-चाँद-सितारे झाँकें यहाँ प्रेम की खुशबू छाई दिवस-रात तुम्हीं से होता सुबह-शाम दोनों सुखदाई। पूजा-अर्चन तुमसे होता सभी तीर्थ हैं तुमसे होते सारा उपवन तुमसे महके जीवन का हर कोना बिहँसे। मन मंदिर में पूजा तुमसे हरि पद में हिय दीपक चमके साथ तुम्हारा जबसे पाया जीवन का हर पल हर्षाया। परिचय :- अनुराधा प्रियदर्शिनी निवासी : प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्...
शरद सुहावन
कविता

शरद सुहावन

अनुराधा प्रियदर्शिनी प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) ******************** देखो आया शरद सुहावन मन को भाए सुन्दर मौसम ठंडी हवा के झोंके बहते मंद समीर सुहानी चलती रंग बिरंगे फूल खिले हैं धरती दुल्हन सी सजी है ऋतुओं का राजा शरद सबके मन हर्षाने आया गुनगुनी धूप सुहानी लगती कहीं बारिश की फुहार ठंडक का एहसास कराती चाय की चुस्की अच्छी लगती रिश्तों में गर्माहट लाती थोड़ी सावधानी जो बरतता बीमारियों को दूर भगाए शरद ऋतु का आनंद वो लेता खेतों में लहलहाती फसलें धरती का श्रृंगार हैं करती शरद है ऋतुराज सुहाना नाचो गाओ धूम मचाओ परिचय :- अनुराधा प्रियदर्शिनी निवासी : प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के स...
कुछ तो बोलो न
कविता

कुछ तो बोलो न

अनुराधा प्रियदर्शिनी प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) ******************** कब तक मन ही मन घुटते रहोगे तन्हाइयों में यूं ही जीते रहोगे देखा नहीं जाता तुम्हारी खामोशी को ग़म हो या खुशी अपनों से बांटा करते हैं कुछ तो बोलो न दिल के राज खोलो ना अगर किसी ने दिल तोड़ा है तुम्हारा खता तुम्हारी भी तो कहीं रही होगी वो तुम्हारे लिए नहीं जो पास नहीं समझो न लेकिन यूं खुद से खुद की दूरी बनाओ न कुछ तो बोलो न दिल के राज खोलो न ग़म बांटकर तो देखो अश्कों में बहा दो न बुरा ख्वाब समझ जीवन में बढ़ चलो न कब तक खुद से खुद को सजा दोगे मन ही मन घुटते रहोगे थोड़ा बाहर निकलो न कुछ तो बोलो न दिल के राज खोलो न जिंदगी खूबसूरत है बहती नदिया सी उसको बहने दो जिन्दगी को यूं ठहराओ न होंठों पर मुस्कान बिखेरते आगे को बढ़ जाओ न एक पड़ाव पार कर अब आगे बढ़ मंजिल पा लो कुछ तो बोलो न दिल के राज खोलो न परिचय ...
सात जन्मों का बंधन
कविता

सात जन्मों का बंधन

अनुराधा प्रियदर्शिनी प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) ******************** जन्म-जन्म नाता हमारा साथ जन्मों का बंधन प्रेम और विश्वास से इसको सिंचित करना है। सुख-दुख के हम साथी बने मिला देव आशीष कल किसने देखा है वादा हर पल निभाना है तुम मेरे सांसों में कुछ ऐसे समाए हो साजन जैसे सरगम का संगीत तुमसे है गहरी प्रीत सारा श्रृंगार तुम्हारे लिए करूं सोलह श्रृंगार तुम्हारा प्रेम जो मिला सुगंध फैली चहुं ओर तुमको पाकर जैसे पूरी हुई है सारी ही आस रहो सलामत सदा तभी मेरे होंठों पर मुस्कान सारी दुनिया से मैं लड़ जाऊं जो तुम मेरे साथ जो तुमको हो पसंद सदा वही मैं करना चाहूं बंधन है प्यार का इसमें बंधकर सुख पाती हूं प्रेम और विश्वास से रिश्ता अनोखा निभाती हूं। परिचय :- अनुराधा प्रियदर्शिनी निवासी : प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित ...