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Tag: अनुपम अनूप “भारत”

बदनाम शायर
कविता

बदनाम शायर

अनुपम अनूप "भारत" रीवा मध्यप्रदेश ******************** एक वकत ऐसा भी आएगा, मेरा नाम बदनाम शायरो मे लिया जाएगा। महफिले होगीं टूटे दिलो की, वहा पर मेरा लिखा नगमा सुनाया जाएगा। आखों से नीर मुँह मे वाह होगी, तेरे शहर से जब कभी मेरा जनाज़ा जाएगा। मुझे भूलना इतना भी नही आसां, तुम्हे यह बात तेरा आने वाला वक्त बताएगा। तुम मेरी तस्वीर तो जला सकते हो, क्या करोगे जब आईने मे चेहरा नज़र आएगा। मेरी छोड़ो तुम तुम्हारी तुम बताओ, ये मुमकिन हैं मेरे रहते तुम्हे कोई याद आएगा। ये मोहब्बत नही हैं आसां अनुपम, ये किस्सा किसी रोज कही कोई और बताएगा। ये जख़्म हैं दिखता न, ही छुपता हैं, मोहब्बत की हकीकत को मेरे यारों, किसी मोड़ पे बैठा कोई गालिब बताएगा। परिचय :-  अनुपम अनूप "भारत" रीवा मध्यप्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाश...
मेरा मन
कविता

मेरा मन

======================== रचयिता : अनुपम अनूप "भारत" कई दिनों से पूछँ रहा मैं, भूले भटकें मेरे मन से। कहा गई शरारते क्यूँ, खुश रहता यूँ बेमन से। कभी हुआ करती थी बातें, क्लास रूम फुल्की ठेले में। कितना मजा आया करता था, सब संग जाते थे जब मेले मे। बेल्ट मे रस्सी बाधँ बाधँ कर, फिर सबकी पूछँ बनाते थे। बिना बताए हसँ हसँ कर, सब अपना पेट दुखाते थे। कितनी बारी ही सबसे ज्यादा, नम्बर लाने की शर्त लगाई थी। प्रभू कृपा दुआ मेहनत से, हर बार सफलता पाई थी। बड़ा मजा आया करता था, थके हुए कोमल बचपन मे। कई दिनों से पूँछ रहा मैं, इस भूले भटकें मेरे मन से। लड़ते थे खुब ताल ठोककर, खूब शरारत करते थे। काम पड़े तो बड़े प्यार से, भाई भाई कहते थे। नादानी थी मनमानी थी, कुछ हरक़त बचकानी थी। कितनी भी करें गलतियाँ, पर दिल मे न बेमानी थी। आज सोचता कभी कभी मैं, कितना बदल चुका सच से। कई दिनों से पूछँ रहा मैं, भूले ...