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वो वीरानी वो तन्हाई वो गुमनामी
कविता

वो वीरानी वो तन्हाई वो गुमनामी

अनन्या राय पराशर संत कबीर नगर (उत्तर प्रदेश) ******************** हिज्र तक़दीर नहीं वस्ल का वा'दा भी नहीं हम ने खोया भी नहीं आप को पाया भी नहीं अब वो वीरानी वो तन्हाई वो गुमनामी है अब कोई मुझ से है वाबस्ता तमाशा भी नहीं कभी मुस्काए कभी रोए तिरी यादों में बिन तिरे मैं ने कोई लम्हा गुज़ारा भी नहीं वो न जाने क्यों मोहब्बत का गुमाँ रखने लगा मेरी जानिब से अभी ऐसा इशारा भी नहीं ख़ुद को दीवाना मिरा सब को बताता है मगर मेरा दीवाना मिरे नख़रे उठाता भी नहीं मेरी तन्हाई मुझे और दिखाएगी भी क्या अब मिरे आसमाँ में एक सितारा भी नहीं डूब जाना ही मुक़द्दर हुआ जाता है क्या अब मयस्सर मुझे तिनके का सहारा भी नहीं चारागर फिर तू बने क्यों है मसीहा सब का मेरे ज़ख़्मों का तिरे पास मुदावा भी नहीं दिल के सहरा को 'अनन्या' जो बनाए गुलशन ख़ुश्क आँखों में वो शादाब नज़ारा भी नही...
ज्ञान प्रकाश
कविता

ज्ञान प्रकाश

अनन्या राय पराशर संत कबीर नगर (उत्तर प्रदेश) ******************** मद की ये जो भित्ति है है बान बहुत ख़राब बली के सत्व की बलि चढ़े होय सब कृत्य बर्बाद।। कर्म की कांति से कलि में तू हो जग में तरणि समान बिन आयास न कुल मिले भीति दे अवरोध हजार।। चित्र छोड़ चरित्र का कर तू अब बखान जिससे मानवता बढ़े होवे जग कल्याण ।।। चला गया जो उसे भुलाकर कर आगत सम्मान कर कार्य कटिबध्द हो निज क्षमता पहचान।। कर दुआ मानवता अनुदिन बढ़े हो अनुदिन दानवता नाश मिटे पिचाशी मान्यता फैले ज्ञान प्रकाश, फैले ज्ञान प्रकाश।। परिचय :- अनन्या राय पराशर निवासी : संत कबीर नगर (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशि...
वनिता
आलेख

वनिता

अनन्या राय पराशर संत कबीर नगर (उत्तर प्रदेश) ******************** हे नारी !! तुम्हें भय कैसा आँखों मे अश्रु और माथे पर ये लकीरें...?? तुम्हें दुख किस बात का है...?? ऐसी कौन सी पीड़ा है जो तुम्हें अंदर ही अंदर खाये जा रही...?? मैं क्या कहूँ कैसे कहूँ, मुझसे कुछ कहा भी नहीं जा रहा। मैं इस युग में खुद का अस्त्तित्व मिटते देख रही हूँ। मैं अबला जैसे नामों से पुकारी जा रहीं हूँ। मेरे हाथों में सजी ये हरी लाल चूड़ियाँ कमज़ोर एवं नकारे इंसान के लिए प्रयुक्त होने लगी हैं। और पैरों में सजे ये पायल बेड़ियों का रूप ले चुके हैं। मेरे अपने भी मुझे भार समझ बैठे हैं। उन्हें लगता है मैं कमजोर हूँ, मैं कुछ नहीं कर सकती। तुम्ही बताओ मैं क्या करूँ। मुझे लगता है मेरा होना सच में ही व्यर्थं है। तुम्हीं बताओं मैं कैसे बतलाऊँ उन्हें अपनी महत्ता...?? लेखिका- हे देवी, आप बिलकुल भी परेशान न हो औ...
नारी
कविता

नारी

अनन्या राय पराशर संत कबीर नगर (उत्तर प्रदेश) ******************** नारी से ही जगत में, है नर का सम्मान। शक्ति बिना शिव भी बनें, पल में शव प्रतिमान।। जिसकी गोदी में पलें, उद्भव और विनाश। शक्ति पुञ्ज शिव सहचरी, काटे भव के पाश।। नारी से ही चल रहा, यह जैविक संसार। नारि बिना नर का सकल, बल विक्रम बेकार।। नारि बिना संसार का, हो न चक्र गतिमान। अतः सदा इसका रखें, सभी तरह से ध्यान।। परिचय :- अनन्या राय पराशर निवासी : संत कबीर नगर (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी...
भारत मां के वीर जवान
कविता

भारत मां के वीर जवान

अनन्या राय पराशर संत कबीर नगर (उत्तर प्रदेश) ******************** हम दिल से करते हैं बस एक ही काम भारत मां के वीर जवानों तुमको सलाम चट्टानों से डट के अड़े हैं मां के वीर सरहद पे तैयार खड़े हैं मां के वीर इस मिट्टी के कण कण में है तेरा नाम हम दिल से करते हैं बस एक ही काम भारत मां के वीर जवानों तुमको सलाम सारी कली का बाग़ यहीं है दुनिया में देश हमारा सबसे हसीं है दुनिया में देश ये अपना ईश्वर का है इक इनाम हम दिल से करते हैं बस एक ही काम भारत मां के वीर जवानों तुमको सलाम मीठी मीठी बोली में है देश का हुस्न रंगो की रंगोली में है देश का हुस्न इसकी छाया में ही मिलता है आराम हम दिल से करते हैं बस एक ही काम भारत मां के वीर जवानों तुमको सलाम संदल की खुशबू वतन का वातावरण गंगा जी से शुद्ध हुआ हर अंतःकरण चारो दिशाओं में है यहां पाकीज़ा मक़ाम हम दिल से करते...
ग़म भुलाने की
ग़ज़ल

ग़म भुलाने की

अनन्या राय पराशर संत कबीर नगर (उत्तर प्रदेश) ******************** ग़म भुलाने की बात क्यों ना करें मुस्कुराने की बात क्यों ना करें अपनी तहज़ीब है रिवायत है हम ज़माने की बात क्यों ना करें क्या ये शिकवे ज़ुबां पे रखते हैं दिल चुराने की बात क्यों ना करें बैठकर साथ हम बुजुर्गों के घर घराने की बात क्यों ना करें वो जो मरता है मेरी बातों पे उस दीवाने की बात क्यों ना करें बात क्यों कर हो आंधियों की भला आशियाने की बात क्यों ना करें इतनी ख़ामोशियां भी अच्छी नहीं गुनगुनाने की बात क्यों ना करें परिचय :- अनन्या राय पराशर निवासी : संत कबीर नगर (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, रा...
टूटी है सिंदूर दानी
कविता

टूटी है सिंदूर दानी

अनन्या राय पराशर संत कबीर नगर (उत्तर प्रदेश) ******************** पैरों में गाढ़ा महावर हाथ में मेहंदी रची है और माथे पर चमकती रेख कुमकुम की बची है बोलती बिंदिया सलोनी और होंठो पे है लाली पलकों पे सपने हजारों हाथ में पूजा की थाली आंसूओं से आचमन कर और जलाकर के दिए मांगती है वर कि पति मेरा जुग जुग जिए बस यही है कामना वो जल्द आए और क्या बीती है कैसे सब सुनाए हाथ से अपने मेरा श्रृंगार करते और मेरी मांग भी खुद ही से भरते पर नियति का खेल भी है क्या निराला ऐसे कैसे भाग्य का सिक्का उछाला एक चिट्ठी आई है लेकर कहानी टूटी है सिंदूर दानी... एक पल में है लुटा संसार सारा बेंदी बेसर और नथनी को उतारा कानो से बालों को खुद ही नोच डाला और कुमकुम हाथ से ही पोछ डाला आंख में बस आंसूओं की लड़ी थी मौन होकर एक कोने में खड़ी थी चित्र पर बस हाथ अपने धर रही थी और पति के साथ ही में ...