Thursday, November 7राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

Tag: अतुल भगत्या तम्बोली

उसकी छवि
कहानी

उसकी छवि

अतुल भगत्या तम्बोली सनावद (मध्य प्रदेश) ******************** सुबह चाय लेते समय मैंने उससे फोन पर बात करते हुए पूछ लिया। क्या चल रहा है आजकल? उसने दबी हुई आवाज में मुझसे कहा कि जीवन है बस जीये जा रहे है। मैंने उस आवाज को समझ लिया और उससे समस्या जानना चाहा पर वह समस्या बता नही पा रहा था। मुझे जल्द से जल्द तैयार होकर ऑफिस जाना था इसलिए मैंने ज्यादा जोर न देते हुए कुछ समय बात करके फोन काट दिया। मैं व्यस्त हो गया। ऑफिस जाने की जल्दी में मैं अपना मोबाइल जो बार बार बज रहा था। उसे उठा नही पाया। मैंने जब मोबाइल उठाया शायद उस समय काफी देर हो चुकी थी। मैंने जब मोबाइल देखा उसमें रवि के चार मिस्ड कॉल थे। उस नम्बर पर जब कॉल किया तो किसी सज्जन व्यक्ति ने उसका मोबाइल उठाया। मुझे जैसे ही पता चला रवि इस दुनिया में नही रहा। मेरे पैरों तले जमीन सरक गई। मैं अपना काम छोड़ उस जगह पर पहुँचा जह...
अधूरा प्यार
लघुकथा

अधूरा प्यार

अतुल भगत्या तम्बोली सनावद (मध्य प्रदेश) ******************** रिमझिम बारिश में झूमती हुई सत्रह-अठारह की उम्र की एक बाला शायद उन्नीस बरस की उम्र में पहुँचे केशव के सपनों की रानी है। कभी अपने पैरों से पानी को उछालती तो कभी अपने दोनों हाथों को फैलाकर, बारिश की बूँदों का अपने चेहरे पर अहसास करते हुए मुस्कुराती हुई घूमती। दूर एक पेड़ के नीचे केशव खड़ा होकर उसे देख रहा है। उसका खुशी से झूमना, मुस्कुराना बच्चों की तरह कूदना उसे भा गया था। वो उस बाला को एक टक देख रहा है तभी अचानक बारिश तेज होने लगी बिजलियाँ कड़कने लगी। बिजली की चमक और बादलों की गड़गड़ाहट से वह भयभीत हो गई और उसी जगह पहुँच गई जहाँ केशव खड़ा था। थरथराते हुए होंठ व काँपती हुई लड़की को देख केशव उससे कुछ कहना चाहता था। कुछ मिनटों के बाद ही वह उससे बात करने लगा। वह जानता है कि बातों बातों में उसका ध्यान कपकपाहट से परिवर्तित ह...
अपने विवेक का इस्तेमाल करें
कथा

अपने विवेक का इस्तेमाल करें

अतुल भगत्या तम्बोली सनावद (मध्य प्रदेश) ******************** राधा बहुत ही सुशील एवं गुणवान कन्या थी जब वह रघुवीर जी के घर उनके छोटे बेटे की वधु बनकर आई थी। लोग उसकी तारीफ करते ना थकते थे। कोई उससे गुणवंती कहता तो कोई सुकन्या। दोनों बहुओं की तुलना होने लगती कि जैसी बड़ी बहू है वैसी ही छोटी भी। हर कोई रघुवीर जी को यही कहता कि उन्हें जो बहुएँ मिली है लाखो में एक है। ऐसी बहुएँ तो सिर्फ किस्मत वालों को मिलती है। बड़ी बहू के चाल चलन व व्यवहार देखकर राधा भी हर व्यक्ति का बराबर सम्मान करती थी चाहे उसके परिवार के हो या कोई अनजान व्यक्ति। दोनों के पति भी बिल्कुल उन्हीं की तरह थे। ऐसा लगता था मानो दोनों के उनकी पत्नियों से पूरे छत्तीस के छत्तीस गुण मिलते हो। अनगिनत संपत्ति खेत-खलियान, धन-दौलत सबकुछ होने के बावजूद वह कभी किसी से गलत व्यवहार या हीन भावना नही रखता था। अहंकार उससे कोसों ...
अपना ईमान कायम रखें
लघुकथा

अपना ईमान कायम रखें

अतुल भगत्या तम्बोली सनावद (मध्य प्रदेश) ******************** नैतिक शिक्षा हमें हर प्रकार के नैतिक ज्ञान से परिपूर्ण करती है। नैतिकता जीवन में जब मुसीबतें आती है तो अपना होंसला कायम रखने का जज्बा प्रदान करती है। बात उन दिनों की है जब हरि नाम का एक गरीब व्यक्ति अपनी गरीबी से परेशान था। उसने परिश्रम करने में कोई कमी नही रखी लेकिन उसकी मेहनत सामने ना आ सकी। लंबे समय के बाद वह और उसकी मेहनत एक धनी व्यक्ति की नज़रों में आ गयी। उसने हरि को अपने घर पर आने के लिए कहा। हरि दूसरे ही दिन उस व्यक्ति के घर पहुँच गया। उसने हरि को अपने खेत खलिहानों की निगरानी एवं मजदूरों से काम करवाने का उसे काम दे दिया। हरि बड़ा खुश था। उसने कभी ये उम्मीद ही नही की थी कि उसे इस प्रकार काम भी मिल पायेगा। बड़ी शिद्दत व ईमानदारी से वह अपना काम करता था। मालिक की नज़र में उसने अविश्वसनीय स्थान पा लिया था। अब वह...
मित्र एक हो पर नेक हो
लघुकथा

मित्र एक हो पर नेक हो

अतुल भगत्या तम्बोली सनावद (मध्य प्रदेश) ******************** किसी गाँव में दो घनिष्ठ मित्र रहते थे। एक का नाम जय दूसरे का धीरेन्द्र था । दोनों ही अपने काम को बखूबी करते थे। पूरे गाँव में दोनों के चर्चे थे। एक समय ऐसा आया जब दोनों अपनी शिक्षा के लिए साथ साथ शहर में रहने लगे। शहर में रहते हुए उन्हें मात्र कुछ महीने ही हुए थे कि धीरेन्द्र गलत संगत में पड़ गया। उसे कुछ गलत आदतों ने घेर लिया था। वह अपनी आदतों के कारण घर से पढ़ाई के नाम पर लाया हुआ पैसा अपनी गलत आदतों में खर्च कर देता था। जब इस बात की भनक जय को लगी तब उसने वीरेंद्र को समझाने की बहुत कोशिश की परन्तु जिन लतों ने धीरेन्द्र को घेर रखा था वो उसका पीछा छोड़ने का नाम नही ले रही थी। अब तो धीरेन्द्र जय के सामने कभी सिगरेट तो कभी शराब पीकर आने लगा, नौबत यहाँ तक आ पहुँची कि अब वह जय की जेब से पैसे भी चुराने लगा। जय ने लाख क...
बदलाव निश्चित है चाहे समय हो या भाग्य
कहानी

बदलाव निश्चित है चाहे समय हो या भाग्य

अतुल भगत्या तम्बोली सनावद (मध्य प्रदेश) ******************** रघु बड़ा उदास लग रहा था। उसके मन में न जाने कैसे कैसे विचार जन्म ले रहे थे जिसका कारण था उसके खेत की फसल। जी तोड़ मेहनत करने के बाद भी अब हर बार उसकी फसल बहुत कम आ रही थी। निराशा उसके मन मे घर बना रही थी। अखबारों में आए दिन किसानों के आत्महत्याओं की खबरें सुन-सुनकर उसका मन पसीजने लगा था, करे भी तो क्या? सामने बेटी ब्याह लायक हो चुकी और बेटा खेती करना नही चाहता उसका मन पढ़ लिखकर अफसर बनने के सपने देख रहा था। कर्जदारों का कर्ज चुकाना है, बेटे जो पढ़ाना है और बेटी ब्याहना है। कैसे होगा सब सोच सोचकर ही वह टूटता जा रहा है। अंततः उसने भी आत्महत्या का विचार बना ही लिया लेकिन वह एक दिन वह अपने परिवार के साथ सुकून से रहना चाह रहा था तभी उसकी पत्नी उसके पास आकर कहने लगी "आप व्यर्थ चिंता करते हो। इस पूरी दुनिया में सिर्फ हम ह...
पाश्चात्य संस्कृति में माता-पिता का स्थान
आलेख

पाश्चात्य संस्कृति में माता-पिता का स्थान

अतुल भगत्या तम्बोली सनावद (मध्य प्रदेश) ******************** आँखों से निकलकर झुर्रिवाले गालों से होकर टपकते हुए आँसू, कपकपाते होंठ और मन में दर्दभरे एक जलजले ने उसकी अंतरात्मा को मानो हिला कर रख दिया हो। उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि उसने उसके पालन पोषण में कोई कमी रखी या उसने कोई गलती कर दी। पूरा एक दिन उसे अनाथ आश्रम में आए हुए हो चुका था। अपनी उम्र के सत्तर बरस पार कर चुका है वो। एक फैक्टरी में काम करने वाला एक मजदूर है रघुराम और एक पुत्र का पिता बनने पर खुशी मना रहा है। उसने अपने पुत्र को सूरज नाम दिया ये सोचकर कि वह उसका नाम रोशन करेगा। परिवारजन एवं उसके साथी उसे बधाईयाँ दे रहे है। रघुराम अपने पुत्र के लिए बड़ा आदमी बनाने के सपने देखने लगा। दिन रात काम में लगा रहता समय बीतता चला गया सूरज ने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी कर ली अब वह अब कॉलेज में प्रवेश की तैयारी कर रहा है। र...