सब जग शीश झुकाता है
अंजनी कुमार चतुर्वेदी "श्रीकांत"
निवाड़ी (मध्य प्रदेश)
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तब चूमेगी कदम सफलता,
जब प्रयास होगा मन से।
खुशियाँ आएंगी दामन में,
दुख जाएगा जीवन से।
उन्हें सफलता हरदम मिलती,
जो मन से प्रयास करते।
जो हर पल प्रयासरत रहते,
खुशियाँ जीवन में भरते।
स्वाद सफलता का चखना हो,
श्रमरत भी रहना होगा।
दुख हो भले पहाड़ों जैसा,
उसको भी सहना होगा।
उनको सदा सफलता मिलती,
जो निज काम सदा करते।
कर्मों के बल पर जो खुशियाँ,
अपने दामन में भरते।
सदा सफलता वे पाते जो,
गागर में सागर भरते।
उनके कदम चूमती मंजिल,
जो मन से प्रयास करते।
मंजिल तक तुमको जाना हो,
नहीं राह में रुक जाना।
नहीं आपदाओं के सम्मुख,
कभी हार कर झुक जाना।
श्रमरत रहने वाला मानव,
जगवंदित हो जाता है।
सृजनशील श्रमरत मानव को,
सब जग शीश झुकाता है।
कदमों में नतमस्तक होकर,
सदा सफलता आएगी।
कामयाब मानव ...