राजा हरिश्चंद्र की काशी
अंजनी कुमार चतुर्वेदी "श्रीकांत"
निवाड़ी (मध्य प्रदेश)
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विश्वनाथ काशी में बिराजे,
धाम बनारस प्यारा।
दिखता घाट-घाट पर सुंदर,
अनुपम सुखद नजारा।
विश्वनाथ गलियों के अंदर,
बिराजे भोले बाबा।
हिंदू संस्कृति में पावन,
जनमानस का दावा।
विश्वेश्वर भगवान यहाँ हैं,
अनुपम छटा निराली।
ज्योतिर्मय जगमग मंदिर में,
लगता यथा दिवाली।
गंगा में स्नान बनाकर,
जो दर्शन है पाता।
भक्त वही सायुज्य मोक्ष को,
काशी में पा जाता।
काशी में, जा तुलसीदास ने,
पावन ज्ञान जगाया।
रामचरितमानस लिख डाली,
जग में सुयश कमाया।
पावन गंगा जी के तट पर,
मंदिर बना मनोहर।
विश्वनाथ के दर्शन पाकर,
प्रमुदित हृदय सरोवर।
राजा हरिश्चंद्र की काशी,
सबकी मोक्ष प्रदाता।
पार्वती के साथ यहाँ हैं,
बाबा स्वयं विधाता।
जो काशी में देह त्यागता,
परमधाम पा जाता।
मिल जाता है मोक्ष मनुज को,
लौट न...