जिसका रहा ध्येय जीवन में
अंजनी कुमार चतुर्वेदी
निवाड़ी (मध्य प्रदेश)
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जिसका रहा ध्येय जीवन में,
परमपिता को पाना।
ज्ञानवान वह मानव जग में,
जिसने खुद को जाना।
उत्तम ध्येय सभी को जग में,
है सम्मान दिलाता।
हृदय सरोवर में, खुशियों के,
सुरभित कमल खिलाता।
रहा ध्येय जिनका जीवन में,
बनें, दीन हितकारी।
उनकी जीवन नैया हरदम,
प्रभु ने पार उतारी।
मन में ध्येय, देश सेवा का,
जो मानव रखते हैं।
शौर्य,पराक्रम दिखा, विजय का,
स्वाद वही चखते हैं।
जिनका ध्येय परम पद पाना,
वही परम पद पाते।
शबरी की महिमा मानस में,
बाबा तुलसी गाते।
जनहितकारी ध्येय जगत में,
पूजनीय होता है।
जिसका ध्येय अपावन होता,
यश वैभव खोता है।
रख,शुभ ध्येय, विभीषण जी ने,
शरण राम की पाई।
अशुभ ध्येय रख, दशकंधर ने,
अपनी जान गवाँई।
सदा सर्वदा निज जीवन में,
पावन ध्येय बनाएं।
पावन ध्येय प्राप्त करने को,
प्रभु ...