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सत्ता की गलियारों में
कविता

सत्ता की गलियारों में

हितेश्वर बर्मन डंगनिया, सारंगढ़ (छत्तीसगढ़) ******************** सत्ता की गलियारों में आहट नहीं होती है बिना लड़े गुलामी से राहत नहीं मिलती है हर फूल सिर्फ कीचड़ में ही नहीं खिलती है रात के अंधेरी साया के बाद ही सुबह होती है आत्मविश्वास को अहंकार मत बनने दे ! पैसा रास्ते को सिर्फ आसान बनाती है नतीजे से पहले जीत का दावा ना कर समय का रेत धीरे-धीरे खत्म हो रहा है जरा रूक जा इंतजार करना सीख जीत का इतना बेसब्री से इंतजार न कर ! अपने दिल को पत्थर सा मजबूत बना ले हार को भी हँसकर सहन करना सीख सत्ता की गलियारों में सिर्फ तू अकेला ही नहीं है अपने पीछे भी मुड़कर देख ले, बड़े ही खामोशी से तेरा पीछा कोई और भी कर रहा है। अपनी स्वार्थ को हद से ज्यादा सोपान न चढ़ा जीतने के लिए आँख मूंदकर झूठ का उफ़ान न बढ़ा तू अपनी ताकत से किसी के बढ़ते कदम को रोक सकता है उसके राह में...
लहरों की आशाएं
कविता, रोला

लहरों की आशाएं

हितेश्वर बर्मन डंगनिया, सारंगढ़ (छत्तीसगढ़) ******************** बहती नदिया अपनी रास्ता खुद से बना लेती है राह के चट्टानों को लहरों से बहा ले जाती है। दृढ़ संकल्प लिये बढ़ती सदा अपने लक्ष्य को मुड़कर कभी देखती नहीं है पीछे के दृश्य को। जोश, जुनून के साथ बहती लहरों में है उफान मंजिल की ओर बढ़ती है मन में लिए तूफान। राह बनाती बह रही है, पथरीली रास्ते को काटकर अंजाम छोड़कर हर बाधाओं से लड़ रही है डटकर। थमती नहीं है कभी एकाग्र होकर नित्य करती अपना काम वो जानती है एक दिन सागर के तट पर लिखा है अंजाम। निडर होकर हरदम बहती है चाहे मार्ग में आये कितनी बाधाएं लहरों से शंखनाद करती चल रही है मन में लिये कितनी आशाएं। परिचय :-  हितेश्वर बर्मन निवासी : डंगनिया, जिला : सारंगढ़ - बिलाईगढ़ (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। ...
देश का कानून पहले अंधा था अब काना हो गया है
आलेख

देश का कानून पहले अंधा था अब काना हो गया है

हितेश्वर बर्मन डंगनिया, सारंगढ़ (छत्तीसगढ़) ******************** कानून देश की जाति, धर्म, लिंग,‌ अमीरी-गरीबी व औदा इन सबसे सर्वोपरि होता है। कानून समाज की एक सीमा होता है, जिसकी दीवारें विभिन्न कानूनी धाराओं से मिलकर बना होता है। देश के संविधान के अनुसार कानून से बड़ा कोई भी नहीं है। इसको आम जनता से लेकर आला हुक्मरानों को भी मानना पड़ता है तथा इसी कानून के दायरे में रहकर ही जीवन निर्वाह करना पड़ता है। जो भी इंसान अपने देश या क्षेत्र में बने किसी भी कानून का उलंघन करता है या फिर उसके दायरे से बाहर अनाधिकृत कार्य करता है तो उसको विधि द्वारा स्थापित नियमों के तहत दण्ड भुगतना पड़ता है। हांलांकि कानून समय के साथ परिवर्तन होता रहता है, क्योंकि समय के साथ व्यक्ति की परिस्थितियां भी बदल जाती है। जीवन जीने का नज़रिया यहाँ तक की मनुष्य की सोच भी बदल जाती है। कानून अंधा होता है, कोई दिक्कत नहीं...
अंधे की प्रजाति
कविता

अंधे की प्रजाति

हितेश्वर बर्मन डंगनिया, सारंगढ़ (छत्तीसगढ़) ******************** आँख से अंधा जीवन भर हाथ में लाठी पकड़ कर चलता है जब भी आँख दिखता है उसी वक्त लाठी को पहले फेंकता है। स्वार्थी मनुष्य भी आँख रहते हुए अंधे की तरह काम करता है मतलब निकलने के बाद पथ प्रदर्शक को ही बदनाम करता है। इस दुनिया में दुष्ट, स्वार्थी व अहसान फरामोश भरे पड़े हैं पनाह देने वाले के ही रास्ते रोककर चट्टान की तरह खड़े हैं। आजकल लूटेरे लोग दूसरों के हक को छीनकर हरदम जोश में रहते हैं कौन कैसा है पता ही नहीं चलता यहाँ बेईमान भी सफ़ेदपोश में घूमते है। सूरज की रोशनी भी कम पड़ जाती है यदि हृदय के भीतर ही अंधेरा हो सज्जन व्यक्ति भी नजर नहीं आता यदि चारों तरफ़ बेईमानों का ही बसेरा हो। अंधे दो तरह के होते हैं, एक जो अपनी आँखों से कुछ देख नहीं सकता दूसरा वो जो आँख रहते हुए भी सच और झूठ में भेद नहीं कर सकता। प...
कारनामें नेताओं के
कविता

कारनामें नेताओं के

हितेश्वर बर्मन डंगनिया, सारंगढ़ (छत्तीसगढ़) ******************** आजकल के कुछ नेता ऐसे काम करते हैं, अपने बारे में बताना हो, तो सिर्फ अच्छाई ही बताते हैं। और जब वे दूसरे नेताओं के बारे में बात करते हैं, तो अच्छाई को भी तोड़- मरोड़ कर बुराई बताते हैं। नेताजी जनता के नजर में सिर्फ़ नेता ही होते हैं पर असल में वे पहुंचे हुये वैज्ञानिक होते हैं। कब किसके बारे में बुराई करना है, और किसको कब नीचा दिखाना है इन सब बातों के लिए वे बहुत बड़े ज्ञानी होते हैं। धनुर्धर की ताकत उसके तीर-कमान में होती है जब चाहे किसी पर लक्ष्य साध ले। नेताओं की ताकत उनकी जबान में होती है जब चाहे तब कहीं भी दंगा भड़का दे। आजकल के नेता सिर्फ नेता ही नहीं होते हैं वे एक अच्छे उन्नतशील व्यापारी भी होते हैं। पैसे लगाकर चुटकी में ओहदे प्राप्त कर लेते हैं ओहदे से पैसे को कई गुना बरकरार र...
मेरी कामना
कविता

मेरी कामना

हितेश्वर बर्मन डंगनिया, सारंगढ़ (छत्तीसगढ़) ******************** हे नारी तुम नि:संदेह बहुत शक्तिशाली हो, हजारों मर्दों की भीड़ भी तुम्हें देखकर खामोश हो जाती है। इतिहास में एक वीरांगना लक्ष्मीबाई ऐसी भी थी, जिसके सिर्फ ख्यालों से ही पूरी नारी जाति जोश में आ जाती है। हे नारी तुम बहुत ही भाग्यशाली हो, सभी व्रतों, त्यौहारों में सिर्फ तुम ही उपवास रहती हो। सभी धर्मों, परंपराओं को मर्दों ने ही बनाया है, लेकिन तुम ही परंपराओं को निभाती रहती हो। हे नारी तुझमें बहुत सहनशीलता है, तुमनें सदियों से बहुत यातनाएं झेली है। कभी सती प्रथा के नाम पर चिता में जिंदा जली है, तो कभी दहेज के नाम पर प्रताड़ना झेली है। हे नारी तुम्हारे भीतर असीम शक्ति छिपी हुई है, तुम्हें अपनी शक्ति को नये आयाम के साथ गढ़नी होगी। आज दिन पर दिन तुम पर अत्याचार हो रहें है, अपने स्वाभिमान के ...