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Tag: स्वाति जोशी

वेणी वाली दुर्गा
लघुकथा

वेणी वाली दुर्गा

********** स्वाति जोशी पुणे देवी मंदिर के आहते में सजी छोटी सी दुकान पर स्मिता सामान ले रही थी। हार, फूल, नारियल,धूप, कपूर, प्रसाद सब ले लिया था, तभी वहाँ रखी लाल रंग की जरी बाॅर्डर की साडी पर उसकी नज़र पडी, कुछ कहने के लिये मुडी, तो देखा पति सतीश दुकान के बाहर कुछ दूरी पर मोबाईल में सिर गडाये खडा था। वहीं से आवाज़ देकर स्मिता ने पूछा, 'ये साडी भी ले लूं देवी माँ के लिये?' 'हाँ,हाँ ले लो’ सतीश ने सिर हिला कर सहमति दी। 'ये औरतें भी ना... एक तो नवरात्रि में भीड़-भाड़ में इनके साथ मंदिर चलो, और फिर, 'ये भी ले लूंँ?, वो भी ले लूँ?''... सतीश मन ही मन बुदबुदाया..मगर पत्नी से कुछ भी कहने के बजाय, हाँ कहना उसे ज्यादा आसान लगा। वैसे भी मंदिर में चारों तरफ लोग ही लोग थे, जहां जगह मिली वहाँ छोटी छोटी दुकानें भी लगा रखी थीं हार- फूल, नारियल वालों ने, कमाई का सीज़न था उनका! उपर से बारिश की चिक-चिक......
अपने पथ पर बढता चल
कविता

अपने पथ पर बढता चल

********** स्वाति जोशी पुणे समर नहीं ये महायज्ञ है अर्घ्य नहीं ये अभिषेक है तृण नहीं ये समिधाएं है अपनी आहुति देता चल, अपने पथ पर बढता चल।। प्रणव नाद का स्पंदन सुन श्वास मधुर सरगम की धुन हृदय ताल पर कर नर्तन नाद ब्रह्म में बह अविरल अपनी लय में गाता चल, अपने पथ पर बढता चल।। कर विशेष अब जो है शेष मन-मानस में हो संवेद कृति व कृत्य का दुर्गम मेल जीवन तत्वों का सारा खेल तू अपने पटल पर खेलता चल अपनी धुन में रमता चल।। अपने पथ पर बढ़ता चल... अपने पथ पर बढता चल... . लेखीका परिचय :-  नाम - स्वाति जोशी निवासी - पुणे शिक्षा - स्नातकोत्तर ( प्राणिशास्त्र), पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से स्नातक (एकवर्षीय पाठ्यक्रम) लेखन कार्य - स्वतंत्र लेखन आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच ...