अबीर, गुलाल, रंग
सोनल मंजू श्री ओमर
राजकोट (गुजरात)
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अबीर, गुलाल, रंग है, होली का हुड़दंग है।
रंगों के नशे में, सबके मन मलंग हैं।।
अबीर, गुलाल, रंग है...
सबके मन को हर्षायी, फागुन की बहार आई।
जन-जन गाएं फगुआ, दिलों में उमंग है।।
अबीर, गुलाल, रंग है...
खेतों में सरसों खिले, पीले-पीले फूल हिलें।
हरी-भरी धरा पर, उड़ते विहंग हैं।।
अबीर, गुलाल, रंग है...
भर-भर लाए पिचकारी, रंग दी चुनर सारी।
साजन रंगे सजनी को, अजब ये तरंग है।।
अबीर, गुलाल, रंग है...
नीला, पीला, लाल, गुलाबी, बचे न कोई जरा भी।
प्रेम के रंग में भिगोकर, रंगों अंग-अंग हैं।।
अबीर, गुलाल, रंग है...
चिप्स खाओ, पापड़ खाओ, मीठी-मीठी गुझिया खाओ।
तरह-तरह के मिष्ठानों से, मुँह में घुला रसरंग है।।
अबीर, गुलाल, रंग है...
होली का त्योहार है, रंगों की बौछार है।
झूम-झूम के नाचों गाओ, घुटी आज भंग है।।
अबीर, गुलाल...