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पिता की सख्ती
कविता

पिता की सख्ती

सुरेश मीणा बांसवाड़ा (राजस्थान) ******************** पिता की सख्ती बर्दाश करो, ताकी काबील बन सको। पिता की बातें गौर से सुनो, ताकी दुसरो की न सुननी पड़े।। पिता के सामने ऊंचा मत बोलो वरना भगवान तुमको निचा कर देगा। पिता का सम्मान करो, ताकी तुम्हारी संतान तुम्हारा सम्मान करे।। पिता की इज्जत करो, ताकी इससे फायदा उठा सको। पिता का हुक्म मानो, ताकी खुश हाल रह सको।। पिता के सामने नजरे झुका कर रखो, ताकी भगवान तुमको दुनियां मे आगे करे। पिता एक किताब है जिस पर अनुभव लिखा जाता है।। पिता के आंसु तुम्हारे सामने न गिरे, वरना भगवान तुम्हे दुनिया से गिरा देगा। पिता एक एसी हस्ती है ...।। माँ का मुकाम तो बेशक़ अपनी जगह है! पर पिता का भी कुछ कम नही, माँ के कदमों मे स्वर्ग है पर पिता स्वर्ग का दरवाजा है, अगर दरवाज़ा ना ख़ुला तो अंदर कैसे जाओगे ? जो गरमी हो या सर्दी अपने बच्चों की रोज़ी रोटी की फ़िक्र ...