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Tag: सुरेखा सुनील दत्त शर्मा

ओस की बूंद
कविता

ओस की बूंद

सुरेखा सुनील दत्त शर्मा बेगम बाग (मेरठ) ********************** जीवन क्या है, सोचो अगर, ओस की बूंद ही तो है, जो झड़ जाती है, रात को, किसी भी चौड़े या छोटे पत्ते पर, अस्तित्व रहता है उसका, रात भर, लगता है ऐसे, जैसे सांस चल रही है, मानव की, लेकिन प्रातकाल जब, सूर्य बिखेरता है, अपनी किरणों को, ओस की बूंद, ना जाने, गिर जाती है कब, लगता है यूं, जैसे सब समाप्त हो गया, वह ओस की बूंद, मानव जीवन, ले गई अपने साथ, अतीत के उन मधुर क्षणों को, जिनका अस्तित्व जुड़ा हुआ था, उस बूंद के साथ..... जीवन बूंद ही तो है, ओस की....!! . परिचय :-  सुरेखा "सुनील "दत्त शर्मा जन्मतिथि : ३१ अगस्त जन्म स्थान : मथुरा निवासी : बेगम बाग मेरठ साहित्य लेखन विधाएं : स्वतंत्र लेखन, कहानी, कविता, शायरी, उपन्यास प्रकाशित साहित्य : जिनमें कहानी और रचनाएं प्रकाशित हुई है :- पर्यावरण प्रहरी मेरठ, हिमालिनी नेपाल, हिंदी रक्षक मंच (h...
रोशन कर लूं
कविता

रोशन कर लूं

सुरेखा सुनील दत्त शर्मा बेगम बाग (मेरठ) ********************** गर तू आए मुझसे मिलने, तो ये रास्ते रोशन कर लूं। गर आकर, हाथ थामे मेरा, तो दिल में छिपे जज्बात, रोशन कर लूं। तेरा इंतजार है मुझको, तू आए तो ये रास्ते, फूलों से भर दूं। गर तुझे थोड़ा सा भी, अंधेरा लगे, अनगिनत दीप जलाकर, तेरे रास्ते रोशन कर दूं। बिछा कर बैठी है "सुरेखा" पलके तेरे इंतजार में, तू कहे तो चरागों से, तेरी राहें रोशन कर दूं। गर तू आए मुझसे मिलने.... तो ये रास्ते रोशन कर लूं...!! . परिचय :-  सुरेखा "सुनील "दत्त शर्मा जन्मतिथि : ३१ अगस्त जन्म स्थान : मथुरा निवासी : बेगम बाग मेरठ साहित्य लेखन विधाएं : स्वतंत्र लेखन, कहानी, कविता, शायरी, उपन्यास प्रकाशित साहित्य : जिनमें कहानी और रचनाएं प्रकाशित हुई है :- पर्यावरण प्रहरी मेरठ, हिमालिनी नेपाल, हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) इंदौर, कवि कुंभ देहरादून, सौरभ मेरठ, काव्य त...
गरीबी पर चोट
लघुकथा

गरीबी पर चोट

सुरेखा सुनील दत्त शर्मा बेगम बाग (मेरठ) ********************** आज सुबह और दिनों की तरह ही अपने काम में लगी रही, वक्त इतनी तेजी से बीत रहा था कि पता ही नहीं चला, कब ११:०० बज गए, अचानक घर के बाहर एक ठेले वाले की आवाज आई, जो बहुत सस्ते दामों में घर के काम का सामान बेच रहा था, हम कई महिलाएं अपने अपने घर से उसकी आवाज सुनकर बाहर निकल गई, और सामान खरीदने लगी। तभी मेरी नजर मिसेज मित्तल पर पड़ी वह सामान खरीदते हुए कुछ छोटी-छोटी चीजें अपने हाथ में छुपा लेती थी, और अपनी कनखियों से देखती थी कि किसी ने देखा तो नहीं। मैंने देख कर भी अनदेखा कर दिया, सभी लोग सामान लेकर अपने अपने घर को चले गए! तब मैंने ठेले वाले भैया से कहा की अगर ऐसे ही समान बेचोगे तो तुम्हें घाटा होता रहेगा, थोड़ा सा अपनी आंखें खोल कर भी देख लिया करो कि कोई सामान तो नहीं उठा रहा। वह बिना कुछ कहे मुस्कुरा दिया और चला गया। अगली बार फिर वह...
पैमाना
कविता

पैमाना

सुरेखा सुनील दत्त शर्मा बेगम बाग (मेरठ) ********************** सबसे अलग है, मुझे आंकने का उसका पैमाना। जुदा है सबसे जहां भर में, उसका निशाना। मुझे जमाने से, बचा कर रखता है, मानो सबसे अलग, वो मुझे समझता है। मुद्दतों से नहीं देखा, "आईना" खुल ना जाए राज, यही डर लगता है। बगैर देखे आईना, आज, खुल ही गया राज! मैं खुद को नहीं, जानती जितना, वो मुझ को, जानता है उतना,.... सबसे अलग है, मुझे आंकने का, उसका पैमाना....!! . परिचय :-  सुरेखा "सुनील "दत्त शर्मा जन्मतिथि : ३१ अगस्त जन्म स्थान : मथुरा निवासी : बेगम बाग मेरठ साहित्य लेखन विधाएं : स्वतंत्र लेखन, कहानी, कविता, शायरी, उपन्यास प्रकाशित साहित्य : जिनमें कहानी और रचनाएं प्रकाशित हुई है :- पर्यावरण प्रहरी मेरठ, हिमालिनी नेपाल, हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) इंदौर, कवि कुंभ देहरादून, सौरभ मेरठ, काव्य तरंगिणी मुंबई, दैनिक जागरण अखबार, अमर उजाला ...
काश ….
कविता

काश ….

सुरेखा सुनील दत्त शर्मा बेगम बाग (मेरठ) ********************** काश एक बार तुमने हमें पुकारा होता टूटे हुए दिल को संवारा होता जिस तरह काटा है वक्त तुम्हारे बिना .... काश तुमने भी एक एक लम्हा ऐसे ही गुजारा होता उसको ये जिद थी जैसा है कबूल है उसको मेरी ये चाहत थी कि जैसा है वो सिर्फ मेरा होता.... उसके बिना खुश रहने का करती हूं दिखावा दिल में है कसक काश वो मेरे बिना, अधूरा होता उसके चेहरे पर वो शबनम की बूंदें देखकर अपने आप को थोड़ा सा हमने भी तराशा होता चांद कहा बाबू कहा और शोना भी कहा काश ... सिर्फ एक बार मेरी "सुरेखा" कहकर पुकारा होता।। . परिचय :-  सुरेखा "सुनील "दत्त शर्मा जन्मतिथि : ३१ अगस्त जन्म स्थान : मथुरा निवासी : बेगम बाग मेरठ साहित्य लेखन विधाएं : स्वतंत्र लेखन, कहानी, कविता, शायरी, उपन्यास प्रकाशित साहित्य : जिनमें कहानी और रचनाएं प्रकाशित हुई है :- पर्यावरण प्रहरी मेरठ, हिमालि...
अधूरी नन्हीं परी
कविता

अधूरी नन्हीं परी

सुरेखा सुनील दत्त शर्मा बेगम बाग (मेरठ) ********************** मैं एक अधूरी नन्ही परी हूं कूड़े के ढेर पर सड़क किनारे पड़ी हूं मेरी किस्मत तो देखो ए दुनिया वालों मुझे आंगन नहीं कूड़े का ढेर मिला मुझे जन्मते ही दुत्कार दिया ना मां मिली ना पिता मिला सिर्फ समाज का तिरस्कार मिला गलती जो की थी और ने मुझे क्यों उसका इनाम मिला कुत्तों ने खाया मुझे गिद्धों ने नोचा मुझे क्या इसीलिए अधूरा जन्म मिला था मुझे यूं तो कहते हो देवी मुझे पूजते हो मुझे फिर क्यों जन्म से पहले मारा मुझे ए समाज के रखवालों अब तो सबक लो मेरे जैसी अधूरी नन्हीं परी को बचा लो मैं एक अधूरी नन्ही परी हूं कूड़े के ढेर पर सड़क किनारे पड़ी हूं।। . परिचय :-  सुरेखा "सुनील "दत्त शर्मा जन्मतिथि : ३१ अगस्त जन्म स्थान : मथुरा निवासी : बेगम बाग मेरठ साहित्य लेखन विधाएं : स्वतंत्र लेखन, कहानी, कविता, शायरी, उपन्यास प्रकाशित साहित्य : जिनमें...
लौट आई
कविता

लौट आई

सुरेखा सुनील दत्त शर्मा बेगम बाग (मेरठ) ********************** लौट आई चेहरे की हंसी दिल की खुशी कुछ पल तेरे पास आकर रुकी हाले-ए-दिल सुनाया, फिर.... चेहरे की हंसी दिल की खुशी कुछ पल तेरे पास आकर रुकी बेचैन होकर डर कर जुदाई से लौट आई दरवाजे पर आहट के साथ तेरे पास! चेहरे की हंसी दिल की खुशी कुछ पल तेरे पास आकर रुकी...! आगे बढ़ चली . परिचय :-  सुरेखा "सुनील "दत्त शर्मा जन्मतिथि : ३१ अगस्त जन्म स्थान : मथुरा निवासी : बेगम बाग मेरठ साहित्य लेखन विधाएं : स्वतंत्र लेखन, कहानी, कविता, शायरी, उपन्यास प्रकाशित साहित्य : जिनमें कहानी और रचनाएं प्रकाशित हुई है :- पर्यावरण प्रहरी मेरठ, हिमालिनी नेपाल, हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) इंदौर, कवि कुंभ देहरादून, सौरभ मेरठ, काव्य तरंगिणी मुंबई, दैनिक जागरण अखबार, अमर उजाला अखबार, सौराष्ट्र भारत न्यूज़ पेपर मुंबई,  कहानी संग्रह, काव्य संग्रह सम्मान :...