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Tag: सुरेखा सुनील दत्त शर्मा

ये जो मेरी हिंदी है
कविता

ये जो मेरी हिंदी है

सुरेखा सुनील दत्त शर्मा बेगम बाग (मेरठ) ********************** ये जो मेरी हिंदी है कितनी प्यारी हिंदी है सजी राष्ट्र के माथे पर, जैसे कोई बिंदी है।। हजार वर्ष में युवा हुई गई षोड़शी सत्रह में पहले पन्ने मुखर हुई, जलती रही विरह में।। बनी विधान में रानी है अलंकृता हुई नागरी है धाराएँ तीन सौ निकली, ४३ से ५१ तक सारी है। पंचमुखी,दस में भाषें है दक्षिण पथ प्रतिगामी है अश्व वेग से दौड़ रही, दुनिया देती सलामी है। मान मिला तो खड़ी हुई सत्रह बोलियाँ जड़ी हुई रही कौरवी अधर अधीरा, राष्ट्र भाव में बढ़ी हुई।। शोभा इसकी बढ़ती है जन आशा में चढ़ती है कुछ दुष्टों की खातिर, इसकी आन बिगड़ती है। साहित्यभूमि में ढली हुई मानक पोषित पली हुई विश्व सोचता सीखे हम, यहाँ दुराशा मिली हुई। ये जो मेरी हिंदी है कितनी प्यारी हिंदी है सजी राष्ट्र के माथे पर, जैसे कोई बिंदी है।। परिचय :-  सुरेखा "सुनील "दत्त शर्मा उ...
मेरे कान्हा
कविता

मेरे कान्हा

सुरेखा सुनील दत्त शर्मा बेगम बाग (मेरठ) ********************** ये बांसुरी है सौतन मेरी‌, लो इसको मैंने अलग किया, आलिंगन में भर लो कान्हा, मैंने तुम को समर्पण किया। नैनो को ना मिलाओ तुम, इसमें कजरे की धार नहीं, हृदय में बसा कर मैंने तुमको, है प्रेम की नई सौगात दी। मन मंदिर में बसाकर तुमको, वो राधा तेरे नाम हुई, अब तो संभालो सांवरिया, राधा प्रेम में बेहाल हुई। अधरों पर बांसुरी सा रख लो, क्यों ह्रदय में अब हलचल हुई, वादा कर लो कान्हा मुझसे, तू मेरा श्याम और मैं तेरी राधा हुई। आलिंगन में भर के मुझको अंजुली सा मेरा साथ बनो, तुम बिन राधा बिल्कुल अकेले, तुम धड़कन मेरे नाम करो। चित चोर बने हो तुम कान्हा हमको भी अपने सम भाग करो आलिंगन में लेकर हमको, मेरे अब तो घनश्याम बनो।। परिचय :-  सुरेखा "सुनील "दत्त शर्मा उपनाम : साहित्यिक उपनाम नेहा पंडित जन्मतिथि : ३१ अगस्त जन्म स्थान : मथुरा निवासी ...
सितम
कविता

सितम

सुरेखा सुनील दत्त शर्मा बेगम बाग (मेरठ) ********************** सितम इश्क को मेरे, आजमाते क्यों हो, दर्द को मेरे, बढ़ाते क्यों हो, ख्वाबों में मेरे बार-बार, आते क्यों हो, बीते वक्त की याद, दिलाते क्यों हो, इश्क को मेरे आजमा ते क्यों हो...... इतना सितम अब, ढाते क्यों हो, सब कुछ तो लूटा मेरा, अब मेरी बर्बादियों पर, जश्न मनाते क्यों हो, इश्क को मेरे आजमाते क्यों हो.... दर्द भरी जिंदगी, जीने दे सुकून से, हर आहट पर, अब अपने आने का, एहसास कराते क्यों हो, कर दिया जब, नजरों से दूर ......बहुत दूर.... तो अपना बनाने की, खता करते क्यों हो, इश्क को मेरे आजमाते क्यों हो..... सर्द रातों में, ख्वाबों में आकर, जाते क्यों हो, बड़ा दम भरते थे, अपने इश्क का, अब अपनी मोहब्बत से, "यकीं मेरा" मिटाते क्यों हो..... इश्क को मेरे, आजमाते क्यों हो, दर्द को मेरे बढ़ाते क्यों हो।।   परिचय :-  सुरेखा "सुनील "द...
क्या याद है तुम्हें
कविता

क्या याद है तुम्हें

सुरेखा सुनील दत्त शर्मा बेगम बाग (मेरठ) ********************** आओ ना कुछ देर हमारे पास बैठो, पुरानी बातें याद करते हैं, मेरे हाथों को हाथों में लेकर , बातें करना, दुनिया से छुप छुप कर मिलना, और आंखों में डूब जाना, क्या याद है तुम्हें.... घंटों घर के बाहर घूमना, रातों को जागना, चांद को ताकना, आसमान के तारे गिनना, क्या याद है तुम्हें..... आओ ना कुछ देर हमारे पास बैठो, पुरानी बातें याद करते हैं....... दोस्तों में हो कर भी तुममें खोए रहना, वो कॉलेज बदलना वो रास्ता बदलना, क्या याद है तुम्हें..... किताबों में छिपाकर तेरा फोटो रखना, लबों पर तेरा नाम आना, अचानक किसी का आवाज लगाना, जल्दी से किताब छुपाना, क्या याद है तुम्हें..... आओ ना कुछ देर हमारे पास बैठो, पुरानी बातें याद करते हैं,...... वो तेरा दुल्हन बनना किसी और के रंग में रंगना, किसी और का होना उसके नाम की मेहंदी रचाना, तुम्हारी शादी में अ...
इंतजार
कविता

इंतजार

सुरेखा सुनील दत्त शर्मा बेगम बाग (मेरठ) ********************** मेरे इश्क के समंदर को फिर बेचैन कर गया कोई, ठहरे हुए जज्बात में फिर हलचल कर गया कोई, पत्थर मारा था उठाकर फिर किसी ने समंदर में, मेरे इश्क के शांत समंदर में फिर हिलोरे दे गया कोई। मौत को आकर देखो इस हद तक जी गया कोई, कि जीने से पहले अपने आप को हरसू कर गया कोई, उदास आंखों में फिर समंदर का सैलाब उमड़ा है , मौत से पहले ही लहरों सा आकर समंदर में पैगाम दे गया कोई। आज आंखों को बेइंतहा इंतजार दे गया कोई, आंखों से अश्कों को इस कदर बहता छोड़ गया कोई, क्या समझाऊं दिल को उसके इंतजार की वजह, दिल में उठते तूफान में फिर कसक जगा गया कोई। वक्त के पिंजरे को खोल कर सांसो का परिंदा उड़ा गया कोई, दिल में उठते तूफान को हर पल थाम गया कोई, सिमट जाती है एक-एक करके ख्वाहिशें सारी दिल में, जिंदगी की कशमकश से दूर श्मशान में इंतजार कर रहा है कोई। दर्द बढ...
वीर सपूतों
कविता

वीर सपूतों

सुरेखा सुनील दत्त शर्मा बेगम बाग (मेरठ) ********************** भारत मां के वीर सपूतों करो स्वीकार मेरा नमन देश की रक्षा के खातिर सीने पर खाते हो गोली तिरंगे का रखते हो मान सरहद पर देते हो जान हर बाधा को कर के पार देश का करते हो ना म भारत मां के वीर सपूत करो स्वीकार मेरा नमन बांधकर सर पर कफ़न सरहद पर खड़े होते हो भगत आजाद सुभाष जैसे वीर बन जाते हो मातृभूमि की रक्षा खातिर शहादत हासिल करते हो भारत मां के वीर सपूतों करो स्वीकार मेरा नमन देश की रक्षा के खातिर खाई है सीने पर गोली सीमा पर मौजूद तुम्हीं से बनती देश में होली दिवाली भारत मां के वीर सपूतों करो स्वीकार मेरा नमन।। परिचय :-  सुरेखा "सुनील "दत्त शर्मा उपनाम : साहित्यिक उपनाम नेहा पंडित जन्मतिथि : ३१ अगस्त जन्म स्थान : मथुरा निवासी : बेगम बाग मेरठ साहित्य लेखन विधाएं : स्वतंत्र लेखन, कहानी, कविता, शायरी, उपन्यास प्रकाशित साहित्य ...
क्या लिखूं
कविता

क्या लिखूं

तुम्हें जीवन की आस लिखूं, या जीवन का प्रकाश लिखूं चंचल मन की अभिलाषा, या अधर की प्यास लिखूं,। हृदय के होते स्पंदन में, तुम्हें प्रेम प्रतीक लिखूं। चंचल चितवन या हकीकत, या ख्वाबों में प्रेमरूप लिखूं। तुम मेरी देह में बसते हो, अपने हृदय के श्वासो में लिखूं। मेरे नैनो के बसते ख्वाब का, या मधुरिम एहसास लिखूं। हृदय के भावों में समाहित, तेरे प्रेम का गुणगान लिखूं। तुमको मन मंदिर में बसाकर, तेरा हर एक एहसास लिखूं। तेरी मेरी जुडीं भावना, उस पर मैं प्रेम गीत लिखूं मन स्वर्णिम स्मृतियों को, रक्त से अपने छंद लिखूं। तुम्हे मीत या प्रीत लिखूं, या अपने दिल का गीत लिखूं तुम्हे ख्वाब या तुम्हे हकीकत, या मधुरिम एहसास लिखूं। नेहदेव का रिश्ता अनोखा, या पार्थ की मैं नेह लिखूं। मनमंदिर की श्रद्धा से, तुम्हें प्रीत का पार्थ लिखूं। तुम्हें वेदना का पतझर या, तुम्हें मिलन की आस लिखूं तुम्हें प्रेम की अभिलाषा सा...
कान्हा
कविता

कान्हा

सुरेखा सुनील दत्त शर्मा बेगम बाग (मेरठ) ********************** कान्हा-कान्हा बोला, सखे! पार्थ-पार्थ बोला सखे! नेहदेव की सघन छांव सा मन वृंदावन में डोला, सखे! राधे-राधे बोला सखे, मन तेरे बिन डोला सखे। प्रीत लगाकर तेरे संग, हृदय रास रचाया सखे। पीतांबर सा रास रचा कर, मुरली धुन पर नचाया सखे। प्रीत राधा कृष्ण सी, तेरी मेरी हो गई सखे। मिलन कभी ना हो पाएगा, ये हृदय से जाना सखे। कान्हा सा अपने हृदय में, प्रेम तेरा जगा रखा सखे। अमर प्रेम है तेरा मेरा, राधा कृष्णा सा होगा सखे। . परिचय :-  सुरेखा "सुनील "दत्त शर्मा उपनाम : साहित्यिक उपनाम नेहा पंडित जन्मतिथि : ३१ अगस्त जन्म स्थान : मथुरा निवासी : बेगम बाग मेरठ साहित्य लेखन विधाएं : स्वतंत्र लेखन, कहानी, कविता, शायरी, उपन्यास प्रकाशित साहित्य : जिनमें कहानी और रचनाएं प्रकाशित हुई है :- पर्यावरण प्रहरी मेरठ, हिमालिनी नेपाल,हिंदी रक्षक मंच (hindirak...
मैं आऊंगा
कविता

मैं आऊंगा

सुरेखा सुनील दत्त शर्मा बेगम बाग (मेरठ) ********************** मैं आऊंगा...... छाएंगे जब बादल, होगा गहन अंधेरा, खोने की पीड़ा होगी बेहद, इंतजार "तुमको" होगा "मेरा" मैं आऊंगा..... बादल बनकर बरसुगां, सुखी बंजर धरती पर, प्रेम की फौव्हार बरसा कर, शीतल करने तेरा मन, मैं आऊंगा...... तारे चमकेंगे अंबर में, श्वेत चांदनी बिखरेगी, तुम बन जाना चांदनी मेरी, मैं चांद तेरा बन जाऊंगा, मैं आऊंगा..... शाम ढलेगी ज्वाला जलेगी, हुक उठेगी अरमानों की, अपना प्यार लुटाने तुझ पर, तेरी प्यास मिटाने, मैं आऊंगा.... कसम से..... मैं आऊंगा.... . परिचय :-  सुरेखा "सुनील "दत्त शर्मा उपनाम : साहित्यिक उपनाम नेहा पंडित जन्मतिथि : ३१ अगस्त जन्म स्थान : मथुरा निवासी : बेगम बाग मेरठ साहित्य लेखन विधाएं : स्वतंत्र लेखन, कहानी, कविता, शायरी, उपन्यास प्रकाशित साहित्य : जिनमें कहानी और रचनाएं प्रकाशित हुई है :- पर्यावरण प्रहरी...
तेज हवा का झोंका
कविता

तेज हवा का झोंका

सुरेखा सुनील दत्त शर्मा बेगम बाग (मेरठ) ********************** मोम के जैसा मन है उसका गर्म हवा के झोंके से पिघल गया होगा बड़ी चंचल थी कड़कती बिजली ओं की तरह तेज बारिश ने किसी के घर पर गिरा दिया होगा कभी वक्त के हाथों फिसल गया होगा नादान दिल ही तो है किसी और का हो गया होगा समंदर नहीं है नदी ही तो है किसी और नदी में समा गया होगा कब तक चलता वो कांटे भरे रास्तों पर कोई मखमली रास्ता मिल गया होगा बारिश के बाद सतरंगी जीवन उसका किसी इंद्रधनुष्य सा आसमान में समा गया होगा कोई तेज हवा का झोंका आ गया होगा हमसे दूर उड़ाकर ले गया होगा मोम के जैसा मन है उसका गर्म हवा के झोंके से पिघल गया होगा।। . परिचय :-  सुरेखा "सुनील "दत्त शर्मा साहित्यिक : उपनाम नेहा पंडित जन्मतिथि : ३१ अगस्त जन्म स्थान : मथुरा निवासी : बेगम बाग मेरठ साहित्य लेखन विधाएं : स्वतंत्र लेखन, कहानी, कविता, शायरी, उपन्यास प्रकाशित साहित...
तुम
कविता

तुम

सुरेखा सुनील दत्त शर्मा बेगम बाग (मेरठ) ********************** नींद से भरी आंखों की बोझिल सी पलकों पर बिखरी शबनम की बूंदे सुर्ख होठों पर मदहोश करने वाली कशिश इश्क का एक एक लम्हा और हर लम्हों में तुम.... ख्वाबों में तुम हकीकत में तुम आसमान के चांद में भी तुम मेरे दिल की धड़कन में तुम जिंदगी की तमाम खुशियों में तुम क्योंकि हर खुशी में हो तुम बस तुम ही तुम.... नींदों से भरी आंखों की बोझिल सी पलकों पर.... . परिचय :-  सुरेखा "सुनील "दत्त शर्मा साहित्यिक : उपनाम नेहा पंडित जन्मतिथि : ३१ अगस्त जन्म स्थान : मथुरा निवासी : बेगम बाग मेरठ साहित्य लेखन विधाएं : स्वतंत्र लेखन, कहानी, कविता, शायरी, उपन्यास प्रकाशित साहित्य : जिनमें कहानी और रचनाएं प्रकाशित हुई है :- पर्यावरण प्रहरी मेरठ, हिमालिनी नेपाल,हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) इंदौर, कवि कुंभ देहरादून, सौरभ मेरठ, काव्य तरंगिणी मुंबई, दैनिक...
जहर का प्याला
कविता

जहर का प्याला

सुरेखा सुनील दत्त शर्मा बेगम बाग (मेरठ) ********************** होठों पर है जहर का प्याला एक तुम्हारा नाम कान्हा जब मीरा के मन को भाता है स्मृति में सब आ जाता है जाने ऐसा क्यों होता है सब कुछ मन बिसराता है प्रेम भरी लगती है दुनिया प्रेम पुजारी मीरा का मन जाने क्यों कान्हा में खो जाता है एक तुम्हारा नाम कान्हा जब मीरा के मन को भाता है जहर का प्याला पी जाती है प्रेम दीवानी मीरा हो जाती है।। . परिचय :-  सुरेखा "सुनील "दत्त शर्मा साहित्यिक : उपनाम नेहा पंडित जन्मतिथि : ३१ अगस्त जन्म स्थान : मथुरा निवासी : बेगम बाग मेरठ साहित्य लेखन विधाएं : स्वतंत्र लेखन, कहानी, कविता, शायरी, उपन्यास प्रकाशित साहित्य : जिनमें कहानी और रचनाएं प्रकाशित हुई है :- पर्यावरण प्रहरी मेरठ, हिमालिनी नेपाल,हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) इंदौर, कवि कुंभ देहरादून, सौरभ मेरठ, काव्य तरंगिणी मुंबई, दैनिक जागरण अखबार, ...
इंतजार
कविता

इंतजार

सुरेखा सुनील दत्त शर्मा बेगम बाग (मेरठ) ********************** मुझे पता है बेकार है इंतजार तेरा, अब ये भी ना करूं तो क्या करूं। मुझे पता है दोस्त है तू मेरा, तेरी दोस्ती का एहसास ना करूं तो क्या करूं।। मुझे पता है प्यार है तू किसी और का, तेरे प्यार का इंतजार ना करूं तो क्या करूं। मुझे पता है दोस्त है दोस्ती है मेरी, इस वफा का इंतजार ना करूं तो क्या करूं। मुझे पता है ये सिर्फ एहसास है मेरा, इस तन्हाई में तेरा इंतजार ना करूं तो क्या करूं। मुझे पता है तू किसी और की अमानत है नहीं मिल सकता इस जन्म में मुझे, अगले जन्म की दुआओं में तेरा इंतजार ना करूं तो क्या करूं। मुझे चाहने से पहले आजमाने से पहले कुछ कहने से पहले दूरियां बना ली मुझसे, अब इन दूरियों का गम भी ना करूं तो क्या करूं। मुझे पता है बेकार है इंतजार तेरा, अब ये भी ना करूं तो क्या करूं।। . परिचय :-  सुरेखा "सुनील "दत्त शर्मा साहित्यिक...
मैंने भी
कविता

मैंने भी

सुरेखा सुनील दत्त शर्मा बेगम बाग (मेरठ) ********************** सींच कर अपनी चाहत से, प्यार का पौधा लगाया मैंने भी, खिली धूप में फुलवारी सा, शाख़ पे फूल खिलाया मैंने भी, प्यार की लता और चाहत से, तुझ पर रंग चढ़ाया मैंने भी, सींच कर अपनी चाहत से, प्यार का पौधा लगाया मैंने भी, फूलों का रस पीकर जैसे, तितली मदहोश होने लगी, फिर देखो तुम्हारी यादों से, अपनी सेज सजाई मैंने भी, फिजाएं मस्त मस्त थी, बेखौफ सारा मंजर था, तेरे आगोश में आने को, मन जो इतना चंचल था, सींच कर अपनी चाहत को, प्यार का पौधा लगाया मैंने। . परिचय :-  सुरेखा "सुनील "दत्त शर्मा साहित्यिक : उपनाम नेहा पंडित जन्मतिथि : ३१ अगस्त जन्म स्थान : मथुरा निवासी : बेगम बाग मेरठ साहित्य लेखन विधाएं : स्वतंत्र लेखन, कहानी, कविता, शायरी, उपन्यास प्रकाशित साहित्य : जिनमें कहानी और रचनाएं प्रकाशित हुई है :- पर्यावरण प्रहरी मेरठ, हिमालिनी नेपाल,...
नारी हूं
कविता

नारी हूं

सुरेखा सुनील दत्त शर्मा बेगम बाग (मेरठ) ********************** अद्भुत रचना हूँ मैं ईश्वर की, जीवंत चेतन इक नारी हूँ। रुप मिला है दुर्गा, सीता, रति-सा, पंचतत्व रचित, मैं भी नारी हूँ। अपूर्व दया, प्रेम, करुणा है मुझमें, मातृत्व का है मुझे वरदान मिला। नन्हा - सा अंकुर खिला कोख में, है प्रकृतिमयी नश्वर संसार मिला। नतमस्तक है सचराचर प्रेम में, देव - दनुज सारे नर-नारी। थे कन्हैया भी यशोदा कीअंक में, सती अनुसुइया भी थी इक नारी। नारी से है जन जीवन सारा, मै भी प्रतिनिधित्व करती नारी हूँ। प्रेमभाव निभाती हूँ सदा, समता समरसता रखती नारी हूँ।। . परिचय :-  सुरेखा "सुनील "दत्त शर्मा साहित्यिक : उपनाम नेहा पंडित जन्मतिथि : ३१ अगस्त जन्म स्थान : मथुरा निवासी : बेगम बाग मेरठ साहित्य लेखन विधाएं : स्वतंत्र लेखन, कहानी, कविता, शायरी, उपन्यास प्रकाशित साहित्य : जिनमें कहानी और रचनाएं प्रकाशित हुई है :- पर्...
रिश्ता तेरा मेरा
कविता

रिश्ता तेरा मेरा

सुरेखा सुनील दत्त शर्मा बेगम बाग (मेरठ) ********************** रिश्ता तेरा मेरा आज राधा कृष्णा सा हो गया, अपने आप से ज्यादा भरोसा आज तुझ पर हो गया। तेरा मेरे नजदीक होने का एहसास और गहरा गया, रिश्ता तेरा मेरा कान्हा की बांसुरी सा हो गया। जब हर मुश्किल में मेरी मेरा कान्हा बनकर तू साथ खड़ा हो गया, मोर मुकुट सा मेरे सर पर रिश्ता तेरा मेरा सज गया। आज तक तूने मुझे डगमगाने नहीं दिया, बनकर मेरा कृष्णा हर बार मेरा हाथ थाम लिया। मैं कहीं भी रहूं रिश्ता तेरा मेरा राधा कृष्णा सा हो गया, मेरी हर सांस मेरी रूह मेरी धड़कन मेरे कान्हा तेरी हो गई। अपना साथ देकर मुझे राधा आज बना दिया, रिश्ता तेरा मेरा रुकमणी सा बन ना पाया मगर मुझे राधा तू बना गया। रिश्ता तेरा मेरा आज राधा कृष्णा सा हो गया, कृष्णा की राधा बना होठों से बांसुरी की तरह लगा लिया। रिश्ता तेरा मेरा आज राधा कृष्णा सा हो गया, . परिचय :-  सुरेखा...
दीवाना दिल
कविता

दीवाना दिल

सुरेखा सुनील दत्त शर्मा बेगम बाग (मेरठ) ********************** ये दीवाना दिल अब मेरी सुनता कहां है, मेरी धड़कनों में जो धड़क रहा है। तनहा सफर मेरा अब गुजरता कहां है, यादों में तेरी अब तड़प रहा है। जिस्म से जान निकल जाएगी कहां है, बता इसमें मेरी खता कहां है। चांद आज पूर्णिमा का निकला है शायद, या छत पर किसी की उतर गया है। तेरे बिना अब वक्त कटता कहां है, दर्दे ए दिल अब बढ़ता जा रहा है। मचलते सागर में उफान आ गया है, जो लहरों की दीवानगी बढ़ा रहा है। हर शाम पर अब चांद ढलता नहीं है, ये दीवाना दिल अब मेरी सुनता कहां है।। . परिचय :-  सुरेखा "सुनील "दत्त शर्मा साहित्यिक : उपनाम नेहा पंडित जन्मतिथि : ३१ अगस्त जन्म स्थान : मथुरा निवासी : बेगम बाग मेरठ साहित्य लेखन विधाएं : स्वतंत्र लेखन, कहानी, कविता, शायरी, उपन्यास प्रकाशित साहित्य : जिनमें कहानी और रचनाएं प्रकाशित हुई है :- पर्यावरण प्रहरी मेरठ,...
माला
कविता

माला

सुरेखा सुनील दत्त शर्मा बेगम बाग (मेरठ) ********************** पिरोया एक एक शब्द तो कविता बन गई एहसास और जज्बात की माला बन गई धागा था इस कदर मजबूत की पक्की हो गई रिश्ते और अरमानों की हमजोली बन गई मजबूती मेरे प्यार की इसमें गण गई बिखरे शब्दों को पीरोकर एक पंक्ति बन गई मेरे विश्वास को रखकर तराजू में जो तोला समेटकर शब्दों को गूथकर जज्बातों को वजनदार बन गई पीरो या एक एक शब्द तो माला बन गई इश्क की एक मजबूत सी कविता बन गई . परिचय :-  सुरेखा "सुनील "दत्त शर्मा साहित्यिक : उपनाम नेहा पंडित जन्मतिथि : ३१ अगस्त जन्म स्थान : मथुरा निवासी : बेगम बाग मेरठ साहित्य लेखन विधाएं : स्वतंत्र लेखन, कहानी, कविता, शायरी, उपन्यास प्रकाशित साहित्य : जिनमें कहानी और रचनाएं प्रकाशित हुई है :- पर्यावरण प्रहरी मेरठ, हिमालिनी नेपाल,हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) इंदौर, कवि कुंभ देहरादून, सौरभ मेरठ, काव्य तरंगि...
अपनों के लिए
कविता

अपनों के लिए

सुरेखा सुनील दत्त शर्मा बेगम बाग (मेरठ) ********************** लोग कहते हैं मरने के बाद, मुक्ति मिल जाती है, अपनों का एहसास नहीं होता, अपनों की याद नहीं आती, कोई हमसे तो पूछे... मुक्ति के बाद एक-एक पल हमने कैसे गुजारा, हमें जलने से डर लगा पर जले हम, हमें दूर होने से डर लगा पर दूर हुए हम, मरने के बाद क्यों रहते हैं हम, अपनों के आसपास ही, अपनों ने ही जलाया हमें, अपनों ने ही भुलाया हमें, हमें भी दर्द हुआ था जलने में, खाकर सुपुर्द होने में... हम सब को देखते हैं, हमें कोई नहीं देखता, हम सबको याद करते हैं, पर हमें कोई याद नहीं करता, क्यों मर कर भी तिल-तिल मरते हैं हम, "अपनों के लिए" परिचय :-  सुरेखा "सुनील "दत्त शर्मा साहित्यिक : उपनाम नेहा पंडित जन्मतिथि : ३१ अगस्त जन्म स्थान : मथुरा निवासी : बेगम बाग मेरठ साहित्य लेखन विधाएं : स्वतंत्र लेखन, कहानी, कविता, शायरी, उपन्यास प्रकाशित साहित्य : ...
काश
कविता

काश

सुरेखा सुनील दत्त शर्मा बेगम बाग (मेरठ) ********************** काश एक बार तुमने मुझे पुकारा होता, टूटे हुए दिल को संवारा होता, जिस तरह काटा है वक्त तुम्हारे बिना, काश तुमने भी हर लम्हा ऐसे ही गुजारा होता, तुमको ये जिद थी जैसे हो कबूलू तुमको, मेरी ये चाहत थी कि जैसा है वो सिर्फ मेरा होता, तेरे बिना खुश रहने का करती थी दिखावा, दिल में है कसक काश तू मेरे बिना अधूरा होता, तेरे चेहरे पर वो शबनम की बूंदे देखकर, अपने आप को थोड़ा सा मैने भी तराशा होता, चांद कहा बाबू कहा शोना भी कहा, काश सिर्फ एक बार मेरी नेहा कहकर पुकारा होता... . परिचय :-  सुरेखा "सुनील "दत्त शर्मा साहित्यिक : उपनाम नेहा पंडित जन्मतिथि : ३१ अगस्त जन्म स्थान : मथुरा निवासी : बेगम बाग मेरठ साहित्य लेखन विधाएं : स्वतंत्र लेखन, कहानी, कविता, शायरी, उपन्यास प्रकाशित साहित्य : जिनमें कहानी और रचनाएं प्रकाशित हुई है :- पर...
मेरी रूह हो तुम
कविता

मेरी रूह हो तुम

सुरेखा सुनील दत्त शर्मा बेगम बाग (मेरठ) ********************** मेरा दिल मेरी धड़कन मेरी रूह हो तुम मेरी कलम से निकले अल्फाजों का एहसास हो तुम मैं चुप रहूं या बोल दूं मेरे दिल का जज्बात हो तुम मैं चांद बनूं चांदनी बनकर मुझ पर बिखर जाओ तुम मैं बादल तेरा और मेरी बारिश हो तुम मैं कजरा तेरा कजरे की धार हो तुम एहसास इतना है तो मैं कहता हूं तुम्हें लगता है जैसे आसपास ही हो तुम मेरी हसरत भरी पहली मुलाकात हो तुम जो मैं गुनगुनाता हूं वो प्यारा सा साज हो तुम मेरा प्यार मेरा ईमान मेरा जहां हो तुम हाथ बढ़ाया है तेरी तरफ अब थाम लो तुम आ अब लौट चलें तुझे लेकर अपने घर मेरा दिल मेरी धड़कन मेरा एहसास हो तुम मेरे सीने में उमड़े प्यार का तूफान हो तुम आगोश में समा कर इस तूफान को थाम दो तुम मेरा दिल मेरी धड़कन मेरी रूह हो तुम मेरी कलम से निकले अल्फाजों का एहसास हो तुम।। . परिचय :-  सुरेखा "सुन...
नारी शक्ति तुम्हें नमन
कविता

नारी शक्ति तुम्हें नमन

सुरेखा सुनील दत्त शर्मा बेगम बाग (मेरठ) ********************** नारी शक्ति नारी शक्ति तुम्हें नमन..... नारी तुम सत्यम शिवम सुंदरम नारी तुम संसार सबल इकाई नारी तुम संसार की इंगित केंद्र बिंदु नारी तुम क्षमा दया त्याग की मूर्ति नारी शक्ति तुम्हें नमन..... नारी तुम ओजस्व_ स्रोत_ प्रवाहित नारी तुम बंधुत्व स्नेह की पावन मंदाकिनी नारी तुम पुरुष की सहयोगिनी नारी शक्ति तुम्हें नमन.... नारी तुम तेजस्वी ओजस्वी अग्नि स्वरूपा नारी तुम खिलते पुष्प सी अभिलाषा नारी तुम सीपी में मोती नारी तुम शक्ति स्वरूपा नारी तुम एक अध्याय नारी शक्ति तुम्हें नमन.... . परिचय :-  सुरेखा "सुनील "दत्त शर्मा साहित्यिक : उपनाम नेहा पंडित जन्मतिथि : ३१ अगस्त जन्म स्थान : मथुरा निवासी : बेगम बाग मेरठ साहित्य लेखन विधाएं : स्वतंत्र लेखन, कहानी, कविता, शायरी, उपन्यास प्रकाशित साहित्य : जिनमें कहानी और रचनाएं प्रकाशित हुई...
एहसास
कविता

एहसास

सुरेखा सुनील दत्त शर्मा बेगम बाग (मेरठ) ********************** मेरा दिल मेरी धड़कन मेरी रूह हो तुम मेरी कलम से निकले शब्दों का एहसास हो तुम। मैं चुप रहूं या बोल दूं मेरे दिल का जज्बात हो तुम मैं चांद बनूं, चांदनी बनकर बिखर जाओ तुम। मैं बादल तेरा और मेरी बारिश हो तुम मैं कजरा तेरा कजरे की धार हो तुम। एहसास इतना है तो मैं कहता हूं तुम्हें लगता है जैसे आसपास ही हो तुम। मेरी हसरत भरी पहली मुलाकात हो तुम जो गुनगुनाता हूं वो प्यारा सा साज हो तुम। हाथ बढ़ाया तेरी तरफ अब थाम ले मेरा मेरा प्यार मेरा ईमान मेरा जहां हो तुम। आ अब लौट चलूंगा तुझे लेकर अपने घर मेरा दिल मेरी धड़कन मेरा एहसास हो तुम। मेरे सीने में उमड़े प्यार का तूफान हो तुम आगोश में समा कर इस तूफान को थाम दो तुम। मेरा दिल मेरी धड़कन मेरी रूह हो तुम मेरी कलम से निकले शब्दों का एहसास हो तुम।। . परिचय :-  सुरेखा "सुनील "दत...
होली
कविता

होली

सुरेखा सुनील दत्त शर्मा बेगम बाग (मेरठ) ********************** होली है मस्त होली सब ने जो मिलकर खेली यारों की मस्त टोली खेली जो सबने होली। चढ़ा दो रंग तन पर सब झूम रहे संग में खाए जो भांग पकोड़े कहीं उड़ाई जा रही ठंडाई। होली मिलन है आया बढ़ गया भाईचारा मिटा कर द्वेष सारा खुमार चढ़ गया निराला। अबीर गुलाल लगाकर सब ने जो खेली होली यारों की मस्त टोली खेली जो सब ने होली।। . परिचय :-  सुरेखा "सुनील "दत्त शर्मा जन्मतिथि : ३१ अगस्त जन्म स्थान : मथुरा निवासी : बेगम बाग मेरठ साहित्य लेखन विधाएं : स्वतंत्र लेखन, कहानी, कविता, शायरी, उपन्यास प्रकाशित साहित्य : जिनमें कहानी और रचनाएं प्रकाशित हुई है :- पर्यावरण प्रहरी मेरठ, हिमालिनी नेपाल,हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) इंदौर, कवि कुंभ देहरादून, सौरभ मेरठ, काव्य तरंगिणी मुंबई, दैनिक जागरण अखबार, अमर उजाला अखबार, सौराष्ट्र भारत न्यूज़ पे...
रोशन कर लूं
कविता

रोशन कर लूं

सुरेखा सुनील दत्त शर्मा बेगम बाग (मेरठ) ********************** रोशन कर लूं अगर तू आए मुझसे मिलने तो यह रास्ते रोशन कर लूं अगर आकर हाथ थामे मेरा तो दिल में छिपे जज्बात उजागर कर लूं तेरा इंतजार है मुझको तू आए तो य रास्ते फूलों से भर दूं अगर तुझे थोड़ा सा भी अंधेरा लगे अनगिनत दीप जला कर रख दूं बिछा कर बैठी है "सुरेखा" पलके तेरे इंतजार में तू कहे तो चरागों से, तेरी राहे रोशन कर दूं!! . परिचय :-  सुरेखा "सुनील "दत्त शर्मा जन्मतिथि : ३१ अगस्त जन्म स्थान : मथुरा निवासी : बेगम बाग मेरठ साहित्य लेखन विधाएं : स्वतंत्र लेखन, कहानी, कविता, शायरी, उपन्यास प्रकाशित साहित्य : जिनमें कहानी और रचनाएं प्रकाशित हुई है :- पर्यावरण प्रहरी मेरठ, हिमालिनी नेपाल,हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) इंदौर, कवि कुंभ देहरादून, सौरभ मेरठ, काव्य तरंगिणी मुंबई, दैनिक जागरण अखबार, अमर उजाला अखबार, सौराष्ट्र ...