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Tag: सीमा रंगा “इन्द्रा”

हम बेवफा नहीं
कविता

हम बेवफा नहीं

सीमा रंगा "इन्द्रा" जींद (हरियाणा) ******************** त्याग देते तुझे, भाग जाते हम भी पर दिल जो तुम्हारे पास हमारा है बन फरेबी, लेक सारा झूठ का महान बनते, पर कसम तुम्हारी जो खाई रूसवा हम भी कर देते गलियारों में पर हर सांचे पर लिखा नाम तुम्हारा है बदल तो हम भी लेते तुम्हें औरों से उसे पर चित में बैठा, निकालते नहीं जुबां, निगाहें, तन दे दिया तुम्हें भला पराई चीजें बांटता कौन है? लेकर चंद पैसे लगा देते मोल हम भी मेरे लिए अनमोल रिश्ता जो तुम्हारा है लग जाते हमें भी हसीन शहर में कई पर नैन देखना ही नहीं चाहते औरों को पीछे से आवाज हमें भी मारी थी किसी ने पर कमबख्त कर्ण सिर्फ सुनते तुम्हारी आवाज है परिचय :-  सीमा रंगा "इन्द्रा" निवासी :  जींद (हरियाणा) विशेष : लेखिका कवयित्री व समाजसेविका, कोरोना काल में कविताओं के माध्यम से लोगों टीकाकरण के लिए, बेटी...
कुरुक्षेत्र
कविता

कुरुक्षेत्र

सीमा रंगा "इन्द्रा" जींद (हरियाणा) ******************** धर्म युद्ध का शंखनाद बज उठा काल चक्कर चला ऐसा यहां पर ऐसा धर्म चक्र चलाया श्री कृष्ण ने पांच पड़े सौ पर भारी यहां पर ज्योतिसर में दिया गीता उपदेश धर्म की खातिर छिड़ा ऐसा युद्ध यहां पर ब्रह्मसरोवर, शक्तिपीठ, थानेश्वर मंदिर तीर्थ, सरोवरों से भरी धरा यहां पर सांस्कृतिक विरासत समेटे हुए मारकंडा, सरस्वती की बहती धारा यहां पर उगाता गेहूं, बासमती चावल प्रदेश ये मिटती जनमानस की भूख यहां पर रौनक रहती साधु-संतों की हमेशा देश-विदेश से आते पर्यटक यहां पर लाल मिट्टी की बात अनोखी बताती भू शौर्य की गाथा यहां पर गिना जाता पावन नगरी में इसे अभिषेक करने आते सभी यहां पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की बात अनूठी विद्यार्थियों के ज्ञान का भंडार यहां पर परिचय :-  सीमा रंगा "इन्द्रा" निवासी :  जींद (हरियाणा) ...
मौजूदगी दिखाना जरूरी है
कविता

मौजूदगी दिखाना जरूरी है

सीमा रंगा "इन्द्रा" जींद (हरियाणा) ******************** बहरो को सुनाना जरूरी है मौजूदगी दिखाना जरूरी है रखवाले हम बताना जरूरी है हिम बन खड़े जताना जरूरी है जिन्हें अपना मानना जरूरी है उन्हें दिखाना भी जरूरी है घूम रहे उन्हें दिखलाना जरूरी है उनका नहीं वतन बतलाना जरूरी है मिटाने आए उन्हें भगाना जरूरी है यहां एक हजारों से मिलाना जरूरी है विभिनता में भी हंसना जरूरी है गद्दारों को रुलाना जरूरी है इश्क मोहब्बत से जताना जरूरी है नफरत को भगाना जरूरी है ना माने उन्हें उखाड़ना जरूरी है उन्हें मिट्टी में दबाना जरूरी है गर कमजोर को ताकना जरूरी है फौलादी बन फटना जरूर है परिचय :-  सीमा रंगा "इन्द्रा" निवासी :  जींद (हरियाणा) विशेष : लेखिका कवयित्री व समाजसेविका, कोरोना काल में कविताओं के माध्यम से लोगों टीकाकरण के लिए, बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ हेतु प्रचार, र...