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Tag: साहिल नवांकुर

पेपर आए, पेपर आए
कविता

पेपर आए, पेपर आए

साहिल नवांकुर चरखी दादरी ******************** (अध्यापक बच्चो से) हरदम हंसने वाले बच्चे, पता नहीं कहा गुप हुए। शोर शराबा जिनकी आदत, पता नहीं क्यों चुप हुए? ये बात समझ मुझे जरा ना आई! क्यों बच्चे चिंतित दे रहे दिखाई? क्या बात हुई बच्चो बतलाओ? क्या दिक्कत है मुझको समझाओ डरे हुए, सहमें हुए, तुम अच्छे नहीं लगते हो। अचानक जैसे बड़े हुए, तुम बच्चे नहीं लगते हो। (बच्चे अध्यापक से) ये दिक्कत है बहुत पुरानी, सब बच्चो की यही कहानी। हर साल जो आती है, खुशी छीन ले जाती है। फिर से सबके मन में आए, पेपर आए, पेपर आए, जाने कैसे राहत पाए। अब एक ही अरमान है दिखता, बच्चो को भगवान है दिखता। अब सब उस प्रभु को याद करेंगे। हाथ जोड़ फ़रियाद करेंगे। अब प्रभु जी ही हमें बचाएं, पेपर आए, पेपर आए, जाने कैसे राहत पाए। परिचय :- साहिल नवांकुर निवासी : चरखी दादरी घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिक...