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Tag: सरला मेहता

दो चाँद उतरे मेरे अंगने
कविता

दो चाँद उतरे मेरे अंगने

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** आज दो चाँद उतरेंगे मेरे अंगने शारदीय सुधा बरसने की बेला करवाचौथ की मैं बाट जोहूँ अंगना सजाऊँ व चौक पुराऊँ सखियाँ बुलाऊँ, बधाई बटाऊँ महावर लगाऊँ मैं मेहँदी रचाऊ लाल चूनर में अब सितारे जड़ाऊँ घेरदार लहंगा नई चोली मँगाऊँ टीको बिंदी नथनी झुमके मंगाऊँ मंगलसूत्र में मेरे हीरे मोती जड़ाऊँ सोने के भुजबंद करधूनि लटकाऊँ गोरे गोरे हाथों में चूड़ियाँ खनकाऊँ मुंदरी पे बलमा का नाम लिखाऊँ रुनझुन पायल बिछिया झमकाऊँ ऊँची अटारी पर बैठके इतराऊँ इंद्रधनुषी करवे माटी के मंगाऊँ मेवा बतासा से पूरे ही भराऊँ चाँदी की चलन खूब सजाऊँ हलवा पूरी भोग थाल सजाऊँ निर्जल रह पी की उमर बढ़ाऊँ सौलह श्रृंगार कर वारी जाऊँ हँसी ठिठौली, घड़ियाँ बिताऊँ साजन के रंग में मैं रंग जाऊँ पूजन थाल मगन हो सजाऊँ दीए में प्रेम की बाती जलाऊँ चलनी में पि...
माँ कौशिकी
स्तुति

माँ कौशिकी

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** शिव शक्तियों के स्वरूप में नौ देवियाँ अवतरित हैं हुई दुर्गा मैया करती वार पे वार दुर्गुणों का कर देती संहार अन्नपूर्णा सबकी पालनहार भरपूर रखे सदा अन्न भंडार माँ का काली का ये अवतार मिटाए संसार के सब विकार सहनशीला माता जगदम्बा है प्रेम लुटाती सब पे अपरम्पार धैर्यशीला महान सन्तोषी माँ गुण अवगुण सब हैं स्वीकार बड़ी पारखी हैं गायत्री मात न्याय का ही करती हिमायत विद्या की निर्णय की ज्ञाता ज्ञान प्रकाश से इनका नाता सबसे अलग हैं कौशिकी विस्तार को सार में बदले पार्वती की अंशिका है ये रूप लावण्य की प्रतिमूर्ति रेशम सी हैं संवेदनशीला पूरित हैं भाव लीलाओं से माँ का सौंदर्य है मन भाए उग्र तारा का प्रतिरूप धारे वचन उद्गारे महिष्मति ने उसकी हार बने जय हार सब राक्षसगण भ्रमित हुए अंगाररूप से शुम्...
सात गुण सात रोग
कविता

सात गुण सात रोग

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** सात गुण सात रोग शक्ति स्वरूपा देवियों से प्राप्त गुणों से भगाएँ रोग। स्नेह प्यार की शीतल बयार ह्रदय रोगों से बचाती संसार क्यों न प्यार दें और प्यार ले शान्ति का चहुँ ओर हो प्रसार श्वास अस्थमा नहीं आए द्वार तभी कहते शान्ति से सांस लो संतोष व सुख का करो संचार पेट रोग अपच सब मानेंगे हार सुना है, सुख से दो जून खाओ फैलाओ सदा ज्ञान का प्रकाश मानसिक रोगों का होता नाश चिंता नहीं, चिंतन में लीन रहो शरीर के दर्दों से पाओ निज़ात जाग्रत अष्ट शक्तियाँ है निदान अन्तर्निहित ऊर्जाएं न गवाओ कर्मेन्द्रियां अपना ले पवित्रता प्रतिरोधक दिलाए रोगमुक्तता सोचो-सब अच्छे, सब अच्छा संतोषी सदाचारी निर्विकारी बने परम् आंनद के अधिकारी दुआ दो, भला करो, मगन रहो परिचय : सरला मेहता निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : ...
वर्ण पिरामिड
कविता

वर्ण पिरामिड

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** वर्ण पिरामिड महादेव १... ॐ शिव ओंकार निराकार परमेश्वर त्रयम्बकेश्वर करो विश्व उद्धार २... हे शंभू त्रिचक्षु संकटी भू कल्याण कुरु बजा दो डमरू करो तांडव शुरू ३... ओ रुद्र शंकर विश्वेशर ओंकारेश्वर महाकालेश्वर आओ परमेश्वर परिचय : सरला मेहता निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु ड...
भगोड़ा
कहानी

भगोड़ा

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** चन्दन सेठजी व माधुरी जी की सर्वगुण सम्पन्न बेटी सुष्मिता की अपने घर में खूब चलती है। चले भी क्यूँ ना, छोटा भाई श्रवण ठहरा सीधा सा व शांत प्रकृति वाला। कोई भी उसे बुद्धू बना सकता है। लोगों ने दबी ज़ुबान में उसे गोबर गणेश ही नाम दे दिया। सेठ जी अक्सर सेठानी को ताना मारते, "यह तुम्हारे कारण ही ऐसा हुआ। जब वो गर्भ में था तो सेठानी जी को पूजा पाठ व दान धरम से फुर्सत नहीं थी। महापुरुषों व वीरों की कहानियाँ पढने में तुम्हारा क्या जा रहा था। इससे तो अच्छा होता भगवान उसे हमारी बेटी बना देता और सुष्मिता को बेटा।" सरलमना सेठानी बेचारी क्या बोले, "अरे, मेरा बेटा सीधा सच्चा इंसान निकलेगा, देखना आप। आपको तो व्यापार के लिए चाहिए चालबाज चालाक बेटा। ईमानदारी के किस्से आपने पढ़े ही नहीं। राजा हरिश्चंद्र, गांधी जी, शास्त्री जी जैसे लोग अपने सुकर्म...
हिंदी से हम हिदुस्तानी
कविता

हिंदी से हम हिदुस्तानी

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** इस मुई अंग्रेजी ने तो किया मातृ-देशभाषा का कबाड़ा बेनियम अपवादों में उलझाया सच हमें कहीं का ना छोड़ा अंकल आंटी का बड़ा झमेला वी व डब्ल्यू का गड़बड़झाला दादा-नाना, चाचा-मामा, भुआ सबको दिया प्रथक से सम्मान बी यू टी बट, पी यू टी पुट से सच बेहतर हमारे किंतु परंतु सी व के से क, सी एच से क भ्रमित बेचारे नन्हें नौनिहाल शी, ही हेज़, वी व दे हेव ठीक पर आय व यू हेव की गुत्थी? हिंदी में तेरे मेरे हमारे तुम्हारे सबके पास-सीधा सा सवाल निमोनिया शुरू होता है पी से सी एच से च और एच से है ह हिंदी में व्यंजनों से जोड़ो स्वर और बनालो शब्दों से वाक्य संज्ञा से लेकर सम्बोधन तक कारक संधि अलंकार समास गद्य पद्य की ये सकल विधाएं पूर्ण करते साहित्य का भंडार स्वीकारें लेखन वाचन में हिंदी हो शुद्ध वर्तनी और उच्चारण प्रचार प्...
सिमटते परिवार
कविता

सिमटते परिवार

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** सभ्य होते समाज में, सिमट रहे हैं परिवार रीनी टिंकू मम्मा पापा, छोटा सा रह गया संसार क्या इसको कहते हैं विस्तार? चाचू का वो घोड़ा बनना, दादा संग सैर पे जाना दादी ताई की कहानी, भुआ का वो लोरी गाना कहाँ गम हुए ये किरदार? पापा जाते हैं काम पर, किटी पार्टी मम्मी की है बच्चे घर स्कूल से आते, टी वी संग मौज मनाते हैं कहाँ गए सारे संस्कार? नूडल्स पिज्जा पास्ता खाकर सेहत का हो गया कल्याण ताज़े सब्ज़ी दाल चांवल, चूल्हे की रोटी गरम-गरम भूले क्यों पापड़ अचार? जब सब साथ में रहते थे, हर दिन उत्सव होता था त्यौहार मनाते मिलजुल कर खुशियों का वो जमघट था ये कैसे गुमसुम परिवार? बुजुर्ग हो या कोई बीमार, सेवा सबकी होती थी एक कमाता सब खातेथे, गुजर बसर हो जाता था क्यों टूट गए रिश्ते सारे? परिचय : सरला मेहता निवा...
घर एक मंदिर
आलेख, कविता

घर एक मंदिर

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** "घर" शब्द में जितनी मिठास भरी है, वह "मकान" में कहाँ। लोगों को अक्सर कहते सुना है, "अरे, बस अब घर पहुँच ही रहे हैं। आराम से घर पर ही सब सुकून से करेंगे।" जहाँ तक घर के संदर्भ में मेरे संस्मरण हैं, कुछ हट कर हैं। बचपन बीता हवेली में। पढ़ाई हेतु देवास में दो कमरों का किराए का मकान। रहने वाले माँ और हम पाँच भाई बहन। ऊपर से आने वाले मेहमान अलग से। पढ़ाई के साथ सबका खाना व घर के अन्य काम। बड़ी बहन तो होती ही है जिम्मेदार। सामान बहुत कम, पंखा भी नहीं। सजावट के नाम को सबकी किताबें। ब्याह के पश्चात सरकारी क्वार्टर्स मिलते रहे। एक ईमानदार पुलिसवाले के यहाँ सोफ़ा वगैरह के लिए सामान पैक करने के खोखों का उपयोग होता। उन्हें कपड़ो के कव्हर से सजा दिया जाता। एक दो साल हुए नहीं कि स्थानान्तर झेलो। बंजारों के माफ़िक़ सामान बाँध एक डेरे से दूसरे डेरे...
माँ का दिया छाता
लघुकथा

माँ का दिया छाता

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** माँ क्या स्वर्ग सिधारी कि श्रीधा के बाबा अकेले रह गए। बेटी कह कह कर हार गई, "बाबा, आप मेरे घर चलिए। वहाँ मेरे ससुर जी के साथ आपकी खूब जमेगी। माजी ने तो आपके लिए कमरा भी तैयार कर लिया है।" लेकिन अभय जी कहते, "अरे श्रीधा, मैं अकेला अवश्य हूँ पर अपना सब काम निपटा लेता हूँ। शाम को पार्क चला जाता हूँ। फिर मेरा छाता तो साथ रहता ही है। धूप बारिश आवारा कुत्तों व गुंडों से बचाने के लिए। तेरी माँ जो लाई थी मेरे लिए।" इस बार श्रीधा एक सप्ताह के लिए आई है, अच्छे से घर जमाने के लिए। पर बाबा की शामें बाहर ही गुजरती है। यह क्या भरी बरसात में भी बाबा को जाना है। जैसे ही पार्क से आए, श्रीधा पूछ बैठी, "ये क्या बाबा, छाता होते हुए भी आप एक तरफ से पूरे भीग गए और एक तरफ से सूखे।" तभी पड़ोस वाले चाचू आकर चुटकी लेते हैं, "अरे बेटी, तेरे बाबा की एक...
उपेक्षा का मलाल
आलेख

उपेक्षा का मलाल

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** सामान्य विद्यार्थियों के संदर्भ में शिक्षक कैसे हो ? विषय के संदर्भ में मेरी कहानी सरला के दिल से... एक दशक पश्चात विद्यालय की एक बेच का मिलन समारोह चल रहा है। देश विदेश से शिरकत करने आए हैं... नामी गिरामी डॉ. पत्रकार इंजीनियर्स, प्रोफेसर्स, व्यापारी आदि-आदि। सारे सहपाठी आए हैं अपने परिवारों के साथ। मिलने मिलाने का दौर चल रहा है। पहचान नहीं पा रहे हैं अपने संगी साथियों को। मज़े की बात यह कि कइयों को बच्चों में उनके माँ-पापा की झलक मिल रही है। शिक्षकों के साथ भी सब भूली-बिसरी यादें साँझा कर रहे हैं। कहाँ हैं ? कैसे है ? क्या चल रहा है ? सभी की उत्सुकताएँ बढ़ रही थी जानने के लिए। सब बड़े आदर से अपनी पसंदीदा शिक्षिका मिसेस घोष से मिल रहे हैं। वे बहुत प्रसन्न नज़र आ रही हैं अपने पढ़ाए हुए बच्चों की प्रगति जान कर। मिसेस घोष का कौन ...
बन्धन धागों का
कविता

बन्धन धागों का

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को प्रतिवर्ष आता यह त्योहार बहन चाहे दूर हो या पास सज जाते उसके रक्षासूत्र उसके भाई की कलाई पर रोली अक्षत से विजय तिलक जीत का शुभ संदेश देता है कड़वाहट, मिठाई में घुलके सब उलाहनों को बहा देती है व गाँठ नेह की बंध जाती है कहने को ये हैं मात्र धागे रेशम के, सूत या जूट के किन्तु हैं बड़े अनमोल ये पल में बाँध देते पोटली में सारे शिकवे शिकायतें भी नेह की सुई के साथ मिल कर देते हैं रफ़ू या तुरपाई सुना है दादी नानी से सदा फ़टे हुए को सिल करके रूठों को भी मना लेते हैं ये रक्षा सूत्र भी एक धागा है राखी के पावन पर्व पर इसे बाँधा जाता है कलाई पर भाई बहन के प्रेम के प्रतीक संबल बन जाता संकटों में करे एक्यूप्रेशर का काम भी परस्पर नेह के प्रतीक धागे पिरो देते हैं रिश्ते नातों को रंगबिरं...
उपन्यास सम्राट प्रेमचन्द
स्मृति

उपन्यास सम्राट प्रेमचन्द

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** वाराणसी के पूत प्रेमचन्द साहित्य के तेजस्वी नक्षत्र उपन्यास चक्र के केंद्रबिंदु भाव विचारों के महासिंधु बीसवीं सदी के युग पुरुष कला के धनी धनपत राय आदर्शों से यथार्थ की ओर नगरीय ग्रामीण सम्मिश्रण दलितों, महिलाओं, कृषकों सामाजिक परिवेश की ओर चलती रही लेखनी निरंतर कलम के नायाब सिपाही की सेवासदन से हुआ आरंभ अधूरा रह गया मंगलसूत्र कर्मभूमि रंगभूमि गोदान प्रेमाश्रम रूठीरानी गबन कायाकल्प प्रतिज्ञा आदि श्रृंखला उपन्यासों की बनी देशभक्त व मूर्धन्य वक्ता थे सफल कहानीकार भी थे जो निर्धनता स्वयं ने झेली उन्हीं के वे हिमायती थे दलित निर्धन प्रताड़ित ही सजीव हुए पात्र रूप में समाजसुधार की दिशा में विधवा शिवरानी से विवाह निर्मला पात्र बनी विमाता हर चरित्र लिया आसपास से जीवंत चित्रण समाज का समेटा पन्द्रह उप...
बूंदों की सिफारिश
कविता

बूंदों की सिफारिश

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** घटाएँ घिर आई बदरा भी गरजे चंचल चपला चमके मेघा उमड़ पड़े ऐसे में आन मिले सनम साँसों की गरमाई से तेरी बाहों के घेरे में शिकवे सारे बिखर गए इन रिमझिम बूंदों में मिले तुम और हम नज़रे जो टकराई बदल गए नज़ारे भीगे भीगे मौसम में अरमां बहके थे किनारे दरिया के दो दिल धड़के थे कश्ती के सफ़र में शहनाई लहरों की गूंजी शाम के इन लम्हों में मुझे कुछ कहना है उमंगों के गुबार इजाज़त दे तो हम अपनी बात इक दूजे से कहे यूँ मेह क्या बरसा सिफ़ारिशें बूंदों की भा गई माही को मन मयूर नाच उठा परिचय : सरला मेहता निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर ...
गुरु वंदना
स्तुति

गुरु वंदना

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** श्रीगुरु चरण वंदन करूँ करबद्ध करी गुण गाउँ देऊ बुद्धि बल सकल ज्ञान तव सेवक मैं हूँ नादान मुझ पर कृपा करो गुरु कुमार्ग पर कभी ना जाऊँ न्याय सत्य पालन करूँ पितुमात का मान बढ़ाऊं मुझको कोई नहीं चाहत सुख औरों का मेरी दौलत अश्रु पराए मैं पोछूँ सर्वदा दीनों पर लुटाऊं मैं खुशियां विश्वास आधार हो सबका संसार हो सुन्दर स्वर्ग सा कोई ना हो बीमार लाचार स्वप्न सारे हो जाए साकार परिचय : सरला मेहता निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, ले...
सरल कहानी है
गीत

सरल कहानी है

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** २२१ १२२२ २२१ १२२२ डा डा र ड रा रा डा डा डा र ड रा रा डा ई काफ़िया, है रदीफ़ धुन - इस मोड़ से जाते हैं कुछ सुस्त कदम रस्ते सरल कहानी है सरकार इनायत हो दरकार हमारी है हर दिन यह दावत हो इज़हार हमारी है ये महफ़िले अपनी नायाब करिश्मा है आदाब करें तुमको तक़दीर शुमारी है तुम कुछ न कहो तो भी हर बात इशारा है तस्वीर बसी दिल में कसमें हम खाई हैं तेरे खत पढ़ती हूँ रो रोकर सोती हूँ क्यूँ ख़्वाब न देखूँ मैं ये सरल कहानी है परिचय : सरला मेहता निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्री...
ये फुनवा मुआ
लघुकथा

ये फुनवा मुआ

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** यशोदा अपने कमरे में लेटी लेटी सोच रही है...एक ज़माना था जब घर में कितनी चहल पहल रहती थी। अम्मा जी भी सुबह जल्दी उठ जाती थी। दोनों सास बहू मिलकर पूरे घर को बुहार लेती थी। अम्मा का स्नान ध्यान प्रारम्भ हो जाता था। पूरा वातावरण अगरबत्ती की महक से सुवासित हो जाता था। वह स्वयं भी नहाकर चाय लिए पूजाघर में अम्मा जी के साथ जा बैठती। मुँह अंधेरे घूमने निकले पतिदेव प्रशांत भी पिता के साथ अख़बार में खो जाते। चाय की चुस्कियों के साथ यशोदा सब्जियों की सफ़ाई पर हाथ चलाती और दिनभर की योजनाएँ बनती रहती। दिन के खाने के टिफ़िन बन जाते किन्तु नाश्ता सब साथ साथ बतियाते हुए करते। यशोदा वर्तमान में आकर मायूस हो जाती है। घर में तो जैसे मरघटी शांति ने डेरा जमा लिया है। एकमात्र शेखर जी ही हैं जो अपनी ऐनक चढ़ाए अख़बार में मशगूल रहते हैं। हाँ, अपनी शाम वे पत्...
आप गुजरे जिस गली से
कविता

आप गुजरे जिस गली से

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** डा र डा डा डा र डा डा डा र डा डा डा र डा २१२२ २१२२ २१२२ २१२ आप गुजरे जिस गली से महफ़िलें गुलज़ार हैं चाँदनी बिखरे ज़मीं पे खुशनुमा अहसास है ये फ़िज़ाएँ गा रही हैं बानगी तारे दिखाते हर तऱफ छाया सुकूँ है रहनुमा भगवान हैं तू कदम रख दे जहाँ पर फूल खिलकर महकते हैं तू सभी का चहेता है दिलरुबा का मान है आज मेरे आँगना में माँडने की शान छाई दीप जोया साँझ आई शुभ घड़ी की शान है परिचय : सरला मेहता निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, ल...
ईमानदारी व्यर्थ नहीं जाती
आलेख

ईमानदारी व्यर्थ नहीं जाती

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** यकायक एक अनजाना सा, गुमनाम सा नाम द्रोपदी मुर्मू जी का चर्चा में आ गया है। एन डी ए से राष्ट्र के सर्वोच्च पद के लिए एक आदिवासी महिला का नाम घोषित होता है। सभी उत्सुक हैं जानने के लिए आखिर ये मोहतरमा हैं कौन ? सचमुच द्रोपदी मुर्मू जी एक साधारण महिला ही है। जैसे कभी डॉ. राजेन्द्र प्रसाद या लालबहादुर शास्त्री देहात परिवेश से आकर अपनी योग्यताओं के कारण देश के उच्च पदों पर आसीन हो गए थे। द्रोपदी मुर्मू जी का जन्म २० जून १९५८ को ओडिशा के मयूरभंज जिले के बैदापोसी ग्राम में एक सांथाल परिवार में हुआ था। पिता ने इन्हें गाँव में ही प्राथमिक शिक्षा दिलवाई थी। वे खूब पढ़ना चाहती थी ताकि परिवार की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ कर सके। घर में गरीबी इतनी थी परिवार को शौच के लिए जंगल जाना पड़ता था। उन्होंने स्नातक की शिक्षा भुवनेश्वर में रह कर अर्जित की। ...
बरखा रानी बरसो छमा छम
कविता

बरखा रानी बरसो छमा छम

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** ग्रीष्मा रानी की है विदाई बरखा रानी की अगुवाई कारे बदरा थिरक रहे हैं करती चपलाएँ रोशनाई मोर पापिहों की शहनाई शोर हो रहा है बागड़ बम बम बरखा रानी बरसो छमा छम तरुवर सारे ले अंगड़ाई फल फूलों का मौसम आया शाख शाख पे पंछी गाए भूख प्यास सबकी मिट जाए मल्हार राग छेड़े आओ हम बरखा रानी बरसो छमा छम नदियाँ देखो बहक रही हैं ताल तलैया भी उफ़न रहे हैं नौकाविहार की होड़ मची है पतवारें भी देखो उल्लसित हैं झरने झरते खूब झमा झम बरखा रानी बरसों छमा छम हलधर खेतों की ओर धाए संग गोरियाँ सजी धजी हैं झोलियों में भरे बीज हैं ज्यों मोती बिखराती जाए मुन्नू ढोल बजा रहा ढमा ढम बरखा रानी बरसो छमा छम गली गली में सारे नन्हें मुन्ने बहते नालों में धूम मचाए कश्तियाँ कागज़ की चलाए पानी बाबा के गीत गाते गाते कर रहे मौज में छपाक छप बर...
एक बार फ़िर से पापा के लिए
कविता

एक बार फ़िर से पापा के लिए

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** एक बार फ़िर से पापा के लिए नन्हीं गुड़िया बन जाऊँ चाह मुझे फ़िर एक बार बन जाऊँ सात साल की वह नन्हीं गुड़िया घर आँगन में खूब फिरू नाचती पैरों में पायल रुनझुन छनकाऊँ छोटा लाल बस्ता बगल दबाए सखियों संग पढने को जाऊँ सुनाऊँ पहाड़े मटक मटक कर बाल गीत भी सारे मैं गुनगुनाऊँ सावन में झूला पीपल पर डालूँ संजा गीत मौज में गाकर सुनाऊँ राखी भैया के हाथ में बाँधूँ मैं गुलाबी चूनर ओढ़कर इतराऊँ मैं मम्मा जैसी मीठी लोरी गाकर छोटे भैया को प्यार से सुलाऊँ मैं पापा थके जब आते ऑफिस से कड़क गरम चाय पिलाऊँ मैं गुड्डा गुड्डी खेलते सीख ही जाऊँ गोल गोल रोटी बनाना माँ जैसी घर बाहर के सारे काम मैं करके राजा बेटी बनकर तारीफ़ पाऊँ कुश्ती कराटे लड़कों वाले मैं सीखूँ बाइक पापा की भी चला पाऊँ मैं माँ जब भी चिंता में हो गमगीन भैया को ...
काव्यमय सार
कविता

काव्यमय सार

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मर्दों में मर्दानी थी वो झांसी वाली रानी थी नाम मणिकर्णिका था मनु बेटी वो कहलाती थी भाले कटार खिलौने थे संग नाना के वो खेली थी सबकी ही लाडली थी वो झाँसी वाली रानी थी वीर मनु महलों में आई लक्ष्मी गंगाधर राव बनी विधान विधि का था कैसा सूनी रानी की मांग हुई वो ना थी अबला नारी वो झाँसी वाली रानी थी ऐसे में फिरंगी आ पहुँचे डलहौज़ी वॉकर व स्मिथ व्यापारी बन पासे फ़ेंके भारत में धाक जमा बैठे हड़प नीति भी काम न आई वो झाँसी वाली रानी थी रानी नाना व साथियों ने बिगुल युद्ध का था बजाया छक्के छूटे फिरंगियों के रणभूमि में दम दिखलाया रणचंडी का रूप धारती वो झाँसी वाली रानी थी काना मंदरा सखियाँ लेकर दोनों हाथों तलवारें चली स्वामिभक्त घायल घोड़े ने रानी को अलविदा कहा घावों की परवाह किसे थी वो झाँसी वाली रानी थी...
मेवाड़ के महाराणा
कविता

मेवाड़ के महाराणा

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** 'आओ सुनाए आज तुम्हें इक गाथा राजपूताने की अकबर की चतुरंगी सेना पीठ दिखाकर भागी थी 'राजपूताने की धरती पे महाराणा प्रताप जन्मे थे वीर प्रताप,मेवाड़ राज्य मुगलों के गढ़ भी डोले थे कफ़न बाँधके केसरिया ये राणा की जय जय बोले थे 'मातृभूमि मुगलों ने छीनी जंगल में सेना बनाई थी छापामारी सिखलाते थे छुप करके तीर चलाते थे अंधियारों को चीर चीरके मशालें जीत की जलाते थे 'लोहपुरुष राजा थे उनके शौर्य वीरता का दम भरते कंदमूल और घास रोटियाँ खा खाकर जिंदा रहते थे ठंड ग्रीष्म बारिशों को भी जयकारों में ये भुलाते थे 'अकबर के अनुबंध नकारे राणा भिड़ गए मुगलों से धारदार भाले की ताकत चेतक की सवारी करते थे मुट्ठीभर सैनिक ले राणा विजय तिलक लगाते थे 'तजे प्राण घायल राणा ने मुगलों को ना पीठ दिखाई रण छोड़ते सैनिकों को लोहे के चने चबा ...
जीने का सहारा
कविता

जीने का सहारा

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** हरा भरा था देश हमारा शस्य श्यामला था थल सारा वृक्षों का झुरमुठ था न्यारा सब जीवों के जीने का सहारा पोखर ताल व नदी किनारा जल ने जीवन को था तारा यूँ तो समंदर भी है खारा देता पर्यावरण का नारा यदि चाहिए मलय मंद फूलों में मीठी सी सुगंध नृत्य करे जल में तरंग तोड़ो प्रदूषण से संबंध रोक वनों की व्यर्थ कटाई नव पौधों की कर सेवकाई शुरू करो इक नई कहानी सहेज लो बारिश का पानी कचरा प्रबंधन सहज बनाओ गीले कचरे से खाद बनाओ गंदगी यहाँ वहाँ ना फैलाओ स्वच्छता अभियान चलाओ मग बाल्टी,उपयोग बढाओ व्यर्थ जल से सब्ज़ी उगाओ टोटियां नल की ठीक कराओ बून्द बून्द पानी की यूँ बचाओ अर्ध पात्र जल दीजिए प्यासा जब कोई होय पूरा जल पी लीजिए जल जितना पात्र में होय फूल पात व जली अस्थियां देवों की विसर्जित मूर्तियां विलुप्त हो गई...
अगले जनम मोहे बिटिया ही कीजो… वाद-विवाद
आलेख

अगले जनम मोहे बिटिया ही कीजो… वाद-विवाद

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** वाद-विवाद आदरणीय निर्णायक गण, विपक्ष के प्रतिभागी एवं उपस्थित मेरे प्रिय साथियों !!! मैं सरला मेहता प्रदत्त विषय के पक्ष में अपने विचार प्रस्तुत करना चाहती हूँ। पूर्व जन्म में मैं क्या थी, मुझे नहीं पता। किन्तु अगले जन्म में भी मुझे बिटिया बनने की ही चाह है। हाँ, सुना है मैंने 'नारी सर्वत्र पूजयते'। मैं पूजित होने के लिए नहीं वरन परिवर्तन की प्रणेता बनने के लिए बेटी के रूप में पुनः आना चाहूँगी। अभी तक मैं अनुभव ही बटोरती रही। अब मैं चाहती हूँ कि उनका सदुपयोग कर सकूँ। बेटी- जन्म के प्रति सामान्यजन की सोच बदलना चाहती हूँ। अभी वह इस संसार में आई ही नहीं है। जन्म पूर्व ही उसका पोस्टमार्टम कर दिया जाता है। मैं चाहती हूँ कि मेरा स्वागत भी एक बेटे जैसा ही हो। अरे! सुने होंगे ना पारम्परिक गीत। जन्मे बच्चे के लिए गाया जाता है, "अवधपुरी...
काश बुद्ध सा कुछ करता
लघुकथा

काश बुद्ध सा कुछ करता

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** "घर सम्भालूँ कि नौकरी करूँ? बिट्टू के स्कूल की मीटिंग में अलग जाना है।" सुमेधा बड़बड़ाते हुए अपना व बेटे का टिफ़िन तैयार करती है। रिक्शा से बिट्टू को स्कूल छोड़ते हुए ऑफिस पहुँचती है। पता चला आज भी बॉस ने लेट लगवा दिया है। चाय की तलब लगने पर याद आया घर में दूध था ही नहीं। बिट्टू को देना जो ज़रूरी था। चाय को भूलकर फाइलें निपटाते दिमाग़ में विचारों का ज्वारभाटा चलने लगा, "सिद्धार्थ से प्रेम विवाह कर कितने सपने देखे थे। पति के पास काम नहीं होने पर भी दिलासा देकर उसके लेखक बनने के जुनून को हमेशा सराहा। हाथ खर्चा देती रही इस आशा में कि सब ठीक होगा। किन्तु एक रात वह सब को सोता हुआ छोड़कर अनजानी राह पर चला गया।" काम निपटाते हुए वह उदास हो जाती है। तभी एक मित्र का फोन आता है, "सुमेधा ! संयत होकर धैर्य से मेरी बात सुनना। पता चला है कि सिद्धा...