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Tag: संध्या नेमा

बेटे की भावना
कविता

बेटे की भावना

संध्या नेमा बालाघाट (मध्य प्रदेश) ******************** बेटा भी कितना जहर पी लेते हैं, अपनों के लिए पहचान और सम्मान तो मिल जाता है प्यार के लिए तरस जाते हैं बेटे कहते हैं ना जो पास होता है उसकी कद्र नहीं होती है बेटी दूर रहती भी दिल के पास रहती है बेटा सामने होने के बाद भी दिल में नहीं उतरता है बेटा जीवन भर खिलाता है तो नाम नहीं होता बेटी ४ दिन क्या खिला देती है जीवन भर उसका गुणगान होता पराए घर चले जाती है ४ दिन फोन लगा कर पूछ लेती बस वही याद रहता बेटा रात-रात जग सेवा करता वह कुछ याद नहीं रहता माना शब्द कठोर होते हैं बेटा के बेटी की मीठी चार बातें से क्या जीवन चल जाता है धन मिलने की आस रहती है बेटी बेटा बिना आश के सेवा करता है ना मिले भी तो चुपचाप रहता है चार कठोर बात भी सुन लेता है बेटा चाहे बीवी बच्चे वाला भी होता बेटी नहीं सुन सकती मायके की द...
बेटी की भावना
कविता

बेटी की भावना

संध्या नेमा बालाघाट (मध्य प्रदेश) ******************** थोड़ा सा सच कह दूं क्या? ना लगे बुरा तो सच्ची बात कह दूं क्या? बेटा पाने का अरमान जगाए दिल मे आपने बेटा पाने की आश में बेटी पाए आपने क्यों दुनिया के सामने झूठी मुस्कान अपनाया दिल में बेटे की जगह बनाया बेटी आपने जब पाया ऐसा क्या है खुश हो जाते हो बेटा पाकर बेटी होने पर भी बेटा की आश लगाते हो क्यों दुनिया को बताते हो बेटी से हम खुश हैं बेटी आने के बाद भी जब बेटे की चाह रखते है सोच ही लेते हो जब पराई है पराए घर जाना है फिर क्यों अपनेपन के झूठे सपने दिखाते हो जब अपने घर के लिए बहू लाना चाहते हो। फिर क्यों बेटी को घर खिलाने में कतराते हो क्यो ऐसी रीत बनाई है जब समता का पाठ पढ़ाना है घर में ही बेटी पराई होती है, जग को तो यही बताना है फिर भी न जाने क्यों ये बेटी दिल की यू नाजुक होती है रह...
सृजन भाषा हिंदी
कविता

सृजन भाषा हिंदी

संध्या नेमा बालाघाट (मध्य प्रदेश) ******************** देश का सम्मान हिंदी भाषाओं में महान हिंदी सुंदरता भरी राष्ट्रभाषा हिन्दी मेरे अस्तित्व की पहचान हिंदी मां के प्रेम की छाया हिंदी हिंदुस्तान की धड़कन हिंदी एकता की अनुपम परंपरा हिंदी हिंदुस्तान की गौरव गाथा हिंदी मेरी अपनी भाषा हिंदी जीवन की परिभाषा हिंदी एक मजबूत धागा हिंदी देश को बांध रखे है हिंदी हमारी चेतन वाणी का वरदान है हिंदी हमारी आत्म भावना शब्द है हिंदी उठो जागो संकल्प करो विकसित करके निज भाषा को परिचय : संध्या नेमा निवासी : बालाघाट (मध्य प्रदेश) घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करती हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर...
शिक्षक
कविता

शिक्षक

संध्या नेमा बालाघाट (मध्य प्रदेश) ******************** उन शिक्षको मैं प्रणाम करती हूं उन शिक्षकों में शुक्रिया करती हूं जिन्होंने जीवन का मार्गदर्शन करवाया दीपक की तरह जीवन को रोशन बनाया संसार रूपी दुनिया से कुछ ऐसे रूबरू कराया जैसे नादान परिंदो को उड़ान भरना सिखाया कभी नारियल तो कभी फूल जैसा समझाया आत्मबल स्वाभिमान के साथ जीना सिखाया किताबी ज्ञान एवं अनुभव का पाठ पढ़ाया हर मुसीबत से निकालने का मार्ग बताया उस शिक्षक को कैसे भूल जाऊं जिससे मुझे हर पल जीना सिखाया परिचय : संध्या नेमा निवासी : बालाघाट (मध्य प्रदेश) घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करती हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मं...
बेटी हूं
कविता

बेटी हूं

संध्या नेमा बालाघाट (मध्य प्रदेश) ******************** बेटी हूं दो कुल को लेकर चलना है तो खुद के अधिकार के लिए रुक जाती हूं खुद की इच्छा को दफना देती हूं गलत ना होकर खुद को गलत पा लेती हूं खुले आसमान में तो मैं भी घूमना चाहती हूं पर चार दीवारी में ही खुद को पाती हूं खिलते फूलों और उड़ते पंछियों से मैं पूछती हूं जरा मेरा कसूर तो बता दो मैं भी तुम जैसा बनना चाहती हूं ना चाह कर भी अपनी इच्छाओं मार देती हूं मैं एक बेटी हूं यही मेरा कसूर है यही सोच कर मैं रुक जाती हूं परिचय : संध्या नेमा निवासी : बालाघाट (मध्य प्रदेश) घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करती हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच...
रक्षाबंधन में पीहर की याद
कविता

रक्षाबंधन में पीहर की याद

संध्या नेमा बालाघाट (मध्य प्रदेश) ******************** आज मैं बहुत उलझन में हूं पीहर की याद ससुराल की जिम्मेदारी में फंसी हूं ये सावन की रिमझिम बारिश मुझे पीहर के संदेश दे रही है भैया ने बुलाया है यह जता रही हैं मेरा मन पीहर में, मै ससुराल में भाई तेरा प्यार तेरी नोकझोंक वो प्यार में मेरा इतराना बहुत याद आता है चंदन, तिलक, राखी, मिठाई से सजी थाली बहुत याद आएगी पवित्र रक्षाबंधन के दिन तेरी बहुत याद आएगी तेरी याद मुझे बहुत आएगी तेरी कलाई मुझे पुकार रही होगी बहन की मजबूरी समझ लेना भैया राखी कलाई में सजा लेना भैया आज मैं बहुत उलझन में हूं पीहर की याद ससुराल की जिम्मेदारी में फंसी हूं परिचय : संध्या नेमा निवासी : बालाघाट (मध्य प्रदेश) घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करती हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कव...
स्वतंत्र संग्राम
कविता

स्वतंत्र संग्राम

संध्या नेमा बालाघाट (मध्य प्रदेश) ******************** सब देश देखते रहे गए हमारा स्वतंत्रता संग्राम युद्ध प्रारंभ हुआ १० मई १८५७ अंत हुआ १५ अगस्त १९४७ में कितनी मुसीबत आ गई थी देश में पर हमने हार नहीं मानी थी एक से बढ़कर एक ने साथ दिया था भारत में स्वतंत्र संग्राम युद्ध भी जीता था वो देश के बलिदान भूल गए थे १८५७ प्रभुत्व लार्ड डलहौजी गवर्नर थे २०० साल पहले अंग्रेज के बाद ईरान और पारसी आ गए हिंदुस्तान में देने लगे भड़काऊ भाषण एक भारतीय को दूसरे भारतीय के लिए बस गए मराठा, कानपुर, झांसी दिल्ली और अवध में मंगल पांडे, बरकत खान, बेगम , महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस आदि। जलियांवाला बाग कांड, नई दिल्ली विधानसभा बम ब्लास्ट, असहयोग आंदोलन, नमक कानून आंदोलन भारत छोड़ो आंदोलन आदि खून पसीना एक कर दिया और देश को स्वतंत्र करवा दिए सब देश देखते रहे गए हम...
आया सावन
कविता

आया सावन

संध्या नेमा बालाघाट (मध्य प्रदेश) ******************** आया सावन देखो आया सावन कितनी खुशी लेकर आया सावन प्राकृतिक स्वयं को सजा रही है कोयल गीत गा रही है ... मेंढ़कों की टर- टर लगी है नाच रहे वन में मयूर... मेरी आंखें तरस जाती है जब सावन की बारिश आती है... महादेव की पूजा, नाग पंचमी, भाई बहन का प्रेम कितना पवित्र होता है ये सावन का माह.... फूलों की खुशबू मिट्टी की महक प्रेम की उमंग मिलन की आस.... आया सावन देखो आया सावन कितनी खुशी लेकर आया सावन!! परिचय : संध्या नेमा निवासी : बालाघाट (मध्य प्रदेश) घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करती हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानिय...
प्रेम का एहसास
कविता

प्रेम का एहसास

संध्या नेमा बालाघाट (मध्य प्रदेश) ******************** मिला तू मुझे उस पल जब मुझे प्रेम के अक्षर का ज्ञान ही नहीं था सिखा दिया तूने मुझे प्यार करना जिसे मैंने कभी महसूस तक नहीं किया जताना तो तू मुझे बहुत कुछ चाहता था पर जताना सका छोड़ दिया तूने मुझे क्योंकि मुझे से प्रेम करना तो तेरी सबसे बड़ी गलती थी मुझे प्रेम का मोल ही नहीं था छोड़ चला गया तू मुझे तेरे जीवन में कोई गम नहीं था तूने मुझे बहुत कुछ सिखा दिया तेरे से होगी थी मोहब्बत मुझे फिर भी मैं इस प्रेम को नहीं कर पाई स्वीकार परिचय : संध्या नेमा निवासी : बालाघाट (मध्य प्रदेश) घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करती हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी ...
तेरी खूबी
कविता

तेरी खूबी

संध्या नेमा बालाघाट (मध्य प्रदेश) ******************** निज की लेखनी से कहती है, अपने दिल की एक एक बात। मन में तेरे भय न किसी का, करती सदा है हक़ की बात।। डरती नहीं अंधेरों से भी, न करती डरने की बात। सच्चा पथ अपनाकर कहती, दिन को दिन व रात को रात।। मेरे साथ तू हर पल रहती, हमराही सा मिलता साथ। मेरे मष्तिष्क में है बसती, अपनों संग रहती है साथ।। दोस्तों पर यदि आता संकट, सदा तू बांटे उनका हाथ। अपना खास समझती सबको, हर पल देती सबका साथ।। तेरे मन में केवल रहती, हरदम अपनों की परवाह। तू ही सदा निकाला करती, उत्तम पथ चलने की राह।। तू पी जाती है दुख अपने, खुशियां बांटे सबके संग। तू प्रभु का वरदान है लगती, खुद व सबको भरे उमंग।। तेरे सब विचार अलबेले, चिंता मुक्त हो जाते अपने। तू हरदम करती प्रयास है, सब अपनों के सच हों सपने।। नन्हे परिंदों की खातिर ही, तेरे मन...
खुद की पहचान
कविता

खुद की पहचान

संध्या नेमा बालाघाट (मध्य प्रदेश) ******************** अब वो दौर आ गया खुद की पहचान बनाते हैं ऐसे दौर में खुद के लिए कुछ कर दिखाना हैं देखे है खुली आंखों से जो सपने उनको सच कर दिखाना हैं सपने भी पूरे होंगे रास्ते का भी पता है रास्ते में आने वाली मुश्किलो का भी पता है खुद की पहचान बनाना कुछ करके दिखालाना मंजिल को भी पाना है खुद को उसके काबिल भी बनाना जब उस मंजिल को पा लूंगी तो मुझको भी बहुत खुश होंगी मेरे परिवार को भी खुशी मिलेगी मेरे चेहरे पर रौनक और होठों पे होगी मुस्कान जब मिलेगी खुद की पहचान अब वो दौर आ गया है खुद की पहचान बनाते हैं ऐसे दौर में खुद के लिए कुछ कर दिखाते हैं परिचय : संध्या नेमा निवासी : बालाघाट (मध्य प्रदेश) घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करती हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख...
बधाई
कविता

बधाई

संध्या नेमा बालाघाट (मध्य प्रदेश) ******************** बहुत आनंदमय की होती है ये बधाई जब हम किसी की खुशी में शामिल हो जाए हर खुशी की बधाई देने में जो आनंद आता है किसी के जन्मदिन या शादी या शुभ अवसर में देते हैं हम बधाई बधाई में बधाई कोई दे दे तो और आनंदमय हो जाता है वो पल ये दौर भी कितना सुहाना हो गया है दूर-दूर से बधाई एक संदेश से ही आ जाती है बधाई सब मिलकर दे दो बधाई किसी का दिन बन जाए आपकी एक बधाई से बहुत आनंदमय की होती है ये बधाई जब किसी की खुशी में शामिल हो जाए परिचय : संध्या नेमा निवासी : बालाघाट (मध्य प्रदेश) घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करती हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्...
धन्यवाद पापा
कविता

धन्यवाद पापा

संध्या नेमा बालाघाट (मध्य प्रदेश) ******************** हमारे पापा तेज़ स्वभाव एवं स्वाभिमान वाले हैं एक बार जो बोल दे वो पत्थर में लिखें के समान है कभी नहीं करते उपवास पर इनके कर्म उपवास से बड़े होते हैं रोज जाते मंदिर और मंदिर में कभी कुछ दान ही करते पापा कभी ऐसा हो नहीं सकता बिना रोटी गाय को दिए गए हो दुकान पापा कभी ऐसा हो नहीं सकता किसी ने कुछ मांगा हो तो उसको दिए ना हो किसी की खुशी में कभी नहीं जाते मां भाई को भेज देते पापा पर दुख हो या विपत्ति मैं सबसे आगे होते हो आप पापा बेटा-बेटी में कभी भेद तो करते हम नहीं देखे आपको पापा फिर बेटी हो गई सुनकर क्यों परेशान हो जाते हो आप पापा पूरे परिवार को एक डोर में बांध रखे हो आप पापा सब जानते हैं इस बात को पूरा परिवार आप ने संभाला है पापा आपकी बेटी में भी बहुत कुछ सीखा है आपसे पापा स्वभाव, स्वाभिमान ,सच्चाई ...
माता और पिता
कविता

माता और पिता

संध्या नेमा बालाघाट (मध्य प्रदेश) ******************** शुक्र है भगवान तेरा जो तूने माता पिता को बना दिया सूर्य और चंद्रमा की तरह तूने माता और पिता को बना दिया पिता को सूर्य की तरह तेज तो माता को चांद की तरह शीतल एक आशा की किरण देता तो दूजी जीवन मे शांति शुक्र है तेरा भगवान जो तूने माता पिता को बना दिया फूल और नारियल की तरह तूने माता और पिता बना दिया माता को पूजा का फूल तो पिता को नारियल के जैसा बना दिया एक पूजा को सुगंधित करती तो दूजा पूजा को पूर्ण शुक्र है तेरा भगवान तूने माता पिता को बना दिया परिचय : संध्या नेमा निवासी : बालाघाट (मध्य प्रदेश) घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करती हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, र...
बचपन के वो दिन
कविता

बचपन के वो दिन

संध्या नेमा बालाघाट (मध्य प्रदेश) ******************** वो दिन भी बचपन के थे कब चले गए पता ही नहीं चला बचपन भी कैसा था हर तरफ खुशी ही खुशी घर में कितना भी गम हो चेहरे पर मुस्कान ही होती थी बचपन में किसी चीज के लिए जिद्द करना और रोना। उस पर मां का मारना उसके बाद भी फिर मां की गोद में चले जाना दादा-दादी के पास जाना और मां पापा की बात सुनाना दादी को पूरी बात सुनाना फिर मां के पास आकर मार खाना दोस्तों के साथ दिनभर खेलना फिर घर आना फिर मां से सुनना जा घर क्यों आया उन्हीं के साथ रहना किसी दुकान में कपड़े और खिलौने के लिए मचलना और जिद करके रोना फिर वही मां का डराना घर चल फिर बताती हूं तेरे पापा को तेरी यह हरकतें वह दिन भी बचपन के थे कहां चले गए पता ही नहीं चला परिचय : संध्या नेमा निवासी : बालाघाट (मध्य प्रदेश) घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करती ह...
घमंड
कविता

घमंड

संध्या नेमा बालाघाट (मध्य प्रदेश) ******************** किस बात का घमंड मेरा घमंड बार-बार मुझे ललकारता हैं। तेरा हैं क्या जो घमंड कर सकती हैं। जन्म मरण भगवान के हाथ फिर तेरा है क्या, किस बात का घमंड... मेरा घमंड बार... मां-पिता के संस्कार भाग्य किस्मत का लिखा जोक फिर तेरा है क्या, किस बात का घमंड... मेरा घमंड बार... विद्या-धन और मान-सम्मान दूसरो से प्राप्त फिर तेरा है क्या, किस बात का घमंड... मेरा घमंड बार... ये शरीर भी मिट्टी का और एक दिन मिट्टी में समा जाएगा फिर तेरा है क्या किस बात का घमंड... मेरा घमंड बार... मेरा घमंड बार-बार मुझे ललकारता हैं। तेरा हैं क्या जो घमंड कर सकती हैं। राधे राधे... परिचय : संध्या नेमा निवासी : बालाघाट (मध्य प्रदेश) घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करती हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी...
भाई
कविता

भाई

संध्या नेमा बालाघाट (मध्य प्रदेश) ******************** भाई शब्द ही दुनिया में बहुत अनमोल हैं भाई छोटा हो या बड़ा पऱ बहन को हमेशा छोटा ही समझता हैं मेरी वो हिम्मत हैं मेरा वो सहरा हैं भाई मेरा मेरी जान से भी प्यारा हैं समय आने पऱ जो बहन से लड़ता हैं और बहन को कोई उफ़ तक कर दे तो पूरी दुनिया से लड़ता हैं मेरी वो हिम्मत हैं मेरा वो सहारा हैं भाई मेरा मेरी जान से भी प्यारा हैं खुद धूप खड़े बहन को छाँव देता हैं खुद कितनी भी मुसीबत में हो पऱ बहन के सामने हमेशा मुस्कुराता मेरी वो हिम्मत हैं मेरा वो सहारा हैं भाई मेरा मेरी जान से भी प्यारा हैं मेरा दुश्मन भी तू मेरा दोस्त भी तू मेरे लिए मुसीबत भी तू उसका हल भी तू भाई बहन से कभी नहीं नाराज होता हैं मेरी वो हिम्मत हैं मेरा वो सहारा हैं भाई मेरा मेरी जान से भी प्यारा हैं मुझ पऱ आती हैं मुसीबत तो वो संभाल लेता हैं पी...
शुक्रिया दोस्त
कविता

शुक्रिया दोस्त

संध्या नेमा बालाघाट (मध्य प्रदेश) ******************** चलो एक दोस्त को शुक्रिया करते हैं कुछ एहसान है उसके अपने ऊपर भूल गई थी मैं अपनी ही राह और शांत और चुप सी हो गई थी बातें थी मन पर मगर आंखों से देख नहीं सकती थी कानों से सुन नहीं सकती थी दिल में था लाखों बोझ पर हटा नहीं सकती थी सपने थे पर पूरे कर नहीं सकती थी दोस्त ने बहुत बातें किया और कैसे मन की बात जुबान तक ला दिया पता ही नहीं चला एक दोस्त को एक दोस्त ने सुना समझा और जाना और राह का रास्ता भी बता दिया एक दोस्त को धन्यवाद दोस्त चलो एक दोस्त को शुक्रिया करते हैं बहुत एहसान है उसके अपने ऊपर परिचय : संध्या नेमा निवासी : बालाघाट (मध्य प्रदेश) घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करती हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अ...
मां
कविता

मां

संध्या नेमा बालाघाट (मध्य प्रदेश) ******************** मां की शुरुवात कहां से करु समझ ही नहीं आ रहा मुझे मां क्यों वो तो मुझे दुनिया में लेने से पहले ही जानती है... सबको लेकर चलना पड़ता है। इस जीवन के सफर में, पापा, दादी, दादा, बुआ, बड़ी मां, बड़े पापा बेटा, बेटी सबकी सुनती है। मां कभी गलती को छुपाती तो कभी बिना गलती के ही चिल्लाती। मां कभी दोस्त बन जाती है तो कभी बहन बन जाती है मां... एक दिन भी अपने बच्चों को न देखे तो बैचेन हो जाती है तू मां इतनी चिंता क्यों करती है तू अपने बच्चों की तू मां खुद के लिए भी तो समय ले मां खुद की इच्छा का भी तो कभी कुछ बना ले मां... तू मां बस अपने बच्चों के लिए जीती है खुद के लिए भी एक बार जी ले। मां तेरे भी तो होगें कुछ सपने मां एक बार बता दें मां... एक दिन तेरी बेटी भी चले जायेगी मां जैसे तू एक घर छोड़ कर दूस...