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Tag: संजय जैन

कालचक्र
कविता

कालचक्र

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** जीवन के है तीन आधार भूत भविष्य और वर्तमान। जीना सबको पड़ता है इन्हीं तीनो कालो में। भूत बदले भविष्य बदले या बदले वर्तमान। फिर जीना पड़ता है इन्हीं कालो के साथ।। किसके भाग्य में क्या लिखा ये तो भाग्य विधाता जाने। पर मैं जो कुछ भी करता अपनी मेहनत और लगन से। तभी तो दिख रहे परिणाम मुझे इस मानव जीवन में। इसलिए मुझे आस्था है अपने भगवान के ऊपर।। बनो आशावादी तुम अपने मनुष्य जन्म में। करो भरोसा उस पर तुम जिसे तुम अपना समझते हो। और उसके लिए लड़ने को जमाने से भी तैयार हो। वो कोई और नहीं है ये तीनो ही काल है।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी...
देशवासियों को जगाऊंगा
कविता

देशवासियों को जगाऊंगा

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** प्यार की डोर लेकर मंजिल को तलाश रहा हूँ। गीत मिलन के लिखकर गाये जा रहा हूँ। पैगाम अमन चैन का गीतों में दिये जा रहा हूँ। और भारतीय होने का फर्ज निभा रहा हूँ।। दोष मुझ में लाख है पर इंसानियत को जिंदा रखता हूँ। है अगर कोई मुश्किल में तो यथा सम्भव मदद करता हूँ। मिला है मनुष्य जन्म हमें पूर्व जन्मों के कर्मो से। इसलिए इस भव में भी अच्छे कर्म कर रहा हूँ।। छोड़कर मान कषाय को शांत भाव से जीता हूँ। और मानव धर्म का निर्वाह सदा ही मैं करता हूँ। फिर भले ही चाहे मुझे मान सम्मान न मिले। पर मानवता को ऊपर रखकर देशवासियों को जागता रहता हूँ।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से ...
क्या है ये दुनिया
कविता

क्या है ये दुनिया

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** ये दुनिया बहुत सुंदर है मुझे रहना नहीं आया। ये जिंदगी बहुत खूबसूरत है मुझे इसे जीना नहीं आया। दिया क्या कुछ प्रकृति ने इसे भोगने के लिए। मगर मेरे मन में तो कुछ और चल रहा था। इसलिए छोड़कर राजपाठ निकल गया मैं वन को।। बड़े ही भाग्यशाली है जो इस दुनिया में रहते है। और खुशी से जीते है इस खूबसूरत दुनिया को। भले ही समझे न लोग मुझे इस दुनिया में। मगर मुझे तो ये दुनिया बहुत ही सुंदर लगती है। इसलिए तन्हा रह कर मैं जिंदगी को जीता हूँ।। मुझे तो बस चिंता बहुत है दुनिया को बनाने वाले की। जिसने कितनी श्रृध्दा और मेहनत से इसे बनाया था। और इसमें पशु-पक्षी के संग इंसानो को भी बसाया था। पशु-पक्षी तो स्नेह प्यार से इसमें रहने लगे। मगर इंसान ही इंसान को इसमें समझ न सका।। सच कहे तो ये दुनिया बहुत सुंदर है। इसमें जीना औ...
सुख संदेश
गीत

सुख संदेश

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** गीत मोहब्बत के लिखता हूँ बड़े प्यार से गाता हूँ। अंधेरे दिलों में प्रेम का दीपक जलता हूँ। और जीने की कला लोगों को सिखाता हूँ। गीत मोहब्बत के लिखता हूँ बड़े प्यार से गाता हूँ।। दिलों में पल रही कड़वाहट और नफरतो के बीजो को। अपने दिलों से तुम निकालो और प्यार मोहब्बत को अपनाओ। तेरे दिल की दशा और काया निश्चित ही बदल जायेगी। तेरे जीवन में खुशीयों की फिर बहार आ जायेगी।। गीत मोहब्बत के लिखता हूँ बड़े प्यार से गाता हूँ। अंधेरे दिलों में प्रेम का दीपक जलता हूँ।। रखा क्या है नफरत और कड़वाहटो को दिल में रखकर। तू इसी में उलझा रहता है और इसी को जीवन कहता है। और दफन कर रहा है अपनी नई नई उमंगो को। बस नफरतो में जीता और उसी में मरता रहता है।। गीत मोहब्बत के लिखता हूँ बड़े प्यार से गाता हूँ। अंधेरे दिलों में प्रेम का द...
महिला प्रबंधक
कविता

महिला प्रबंधक

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** बिना वेतन जो काम करे न कोई छुट्टी न कोई गम। बस समय पर काम करे और लोगों को खुश रखे। बता सकते हो ये कौन है जो निस्वार्थ भाव से करती है। ये और कोई नहीं घर की एक महिला हो सकती है।। हर मौसम की ये आदि है सबसे बाद में सोती है। पर सबसे पहले उठती है और सबका ख्याल रखती है। नित्य क्रियाओं से निवृत होकर दिया भोग प्रभु को लगती है। जिसे घर में सुख शांति और बरकत बहुत होती है।। यह सब अकेली महिला हर दिन नियम से करती है। खुद की चिन्ता कम पर सब का ख्याल रखती है। घर की कारंदा होकर अपना फर्ज निभाती है। बिना प्रबंधन की शिक्षा के भी प्रबंध अच्छे से करती है।। ये सब एक महिला ही कर सकती है. . . ।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड ...
कलयुग सतयुग लग रहा
गीत, भजन

कलयुग सतयुग लग रहा

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** कलयुग भी सतयुग जैसा लग रहा विद्यासागर जी के कामो से। कितने जीवो के बच रहे प्राण उनकी गौ शालाओं से।। जीव हत्या करने वाले अब स्वयं आ रहे उनकी शरण में। लेकर आजीवन अहिंसा का व्रत स्वयं करेंगे उनकी रक्षा अब। ऐसे त्यागी और तपस्यवी संत जो स्वयं पैदल चलते है। और जगह जगह प्राणियों की रक्षा हेतु भाग्यादोय खुलवाते।। कलयुग भी सतयुग जैसा लग रहा विद्यासागर जी के कामो से। कितने जीवो के बच रहे प्राण उनकी गौ शालाओं से।। मांस मदिरा बेचने वाले अब स्वयं रोक लगवा रहे। चारो तरफ अहिंसा का अब पाठ ये ही लोग पड़ा रहे। कलयुग को देखो कैसे अब सतयुग ये लोग बना रहे। घर घर में सुख शांति का आचार्यश्री का संदेश पहुंचा रहे।। लगता है जैसे भगवान आदिनाथ स्वंय अवतार लेकर आ गये। और छोटे बाबा के रूप में आकर सब जीवो का उद्दार कर रहे है। तभी...
डोर टूट न जाये
कविता

डोर टूट न जाये

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** रिश्तो का बंधन कही छूट न जाये। और डोर रिश्तों की कही टूट न जाये। रिश्ते होते है बहुत जीवन में अनमोल। इसलिए रिश्तो को हृदय से बनाये रखे।। जिंदगी में भले ही बदल जाए परिस्थितियां। पर थामें रखना अपने रिश्तों की डोर। पैसा तो आता जाता है सबके जीवन में। पर काम आते है विपत्तियों में रिश्ते ही।। जीवन की डोर बहुत नाजुक होती है। जो किसी भी समय टूट सकती है। इसलिए मैं कहता हूँ रिश्तो से आंनद वर्षता है। बाकी जिंदगी में अब रखा ही क्या है।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) सहित बहुत सारे अखबारों...
दिल का गुलाब हो
कविता

दिल का गुलाब हो

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** गुलाब हो या मेरा या उसका तुम हो दिल। तुम ही बतला दो अब ये खिलते गुलाब जी।। दिल में अंकुरित हो तुम। इसलिए दिल की डालियों, पर खिलाते हो तुम। गुलाब की पंखड़ियों कि, तरह खुलते हो तुम। कोई दूसरा छू न ले, इसलिए कांटो के बीच रहते हो तुम। पर प्यार का भंवरा कांटों, के बीच आकर छू जाता है। जिसके कारण तेरा रूप, और भी निखार आता है।। माना कि शुरू में कांटो से, तकलीफ होती हैं। जब भी छूने की कौशिश, करो तो चुभ जाते हो। और दर्द हमें दे जाते हो। पर तुम्हें पाने की, जिद को बड़ा देते हो। और अपने दिल के करीब, हमें ले आते हो।। देखकर गुलाब और, उसका खिला रूप। दिल में बेचैनियां बड़ा देता हैं और मुझे पास ले आता है। और रात के सपनो से निकालकर। सुबह सबसे पहले, अपने पास बुलाता है। और अपना हंसता खिल खिलाता रूप दिखता है।। मोहब्बत...
साथ
कविता

साथ

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** तेरा मेरा साथ रहे मेरा तेरा साथ रहे। दिलकी फर्याद रहे तेरे दीदार मिले। मिलने मिलाना का दौर चलता रहे। सुखदुख के साथी बने साथ जो तेरा रहे।। तेरा मेरा साथ रहे..। जब से तुम मिलो हो तकदीर गई है बदल। मेरे जीवन की तुम अब एक तस्वीर हो। इसलिए तो मैं हूँ तेरा दिवाना। अब तुम ही मेरी एक पहचान हो।। तेरा मेरा साथ रहे...।। करता हूँ ईश्वर से रोज मैं प्रार्थना। बना रहे जीवन भर अपना ये प्यारा रिश्ता। अब तुम ही हो मेरी जिंदगी की डोर। चल रही है साँसे अब तेरे साथ रह कर।। तेरा मेरा साथ रहे मेरा तेरा साथ रहे।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं...
कैसे जगह बन गई
कविता

कैसे जगह बन गई

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** दिलमें ना जाने कैसे तेरे लिए अब इतनी जगह बन गई। तेरे मन की छोटी सी चाह मेरे जीने की वजह बन गई। लोग मिलते जुलते रहते है एक दूसरे से रिश्ते बनाने। जिससे भूल जाते है वो अपने दुख दर्द जिंदगी के।। दुनियाँ का सबसे अच्छा और खूब सूरत तोहफा वक्त है। क्योंकि जब आप किसी को अपना वक्त देते है। तो आप उसे अपनी जिंदगी का वह पल देते है। जो कभी भी जीवन में लौटकर नहीं आने वाला है।। जिंदगी जीने का मकसद खास होना चाहिए। और अपने आप पर विश्वास होना चाहिए। जीवन में खुशियों की कमी नहीं होती। बस लोगो के जीने का अंदाज अपना अपना होता है।। वो रिश्तें बड़े प्यारे होते है। जिनमें न हक हो न शक हो। न जात हो न जज्बात हो। सिर्फ अपनेपन का एहसास हो।। मौका दीजिये अपने खून को। किसी के रागो मे बहन का। ये लाजबाव तरीका है। औरो के जिस्मों ...
नेताजी सुभाषचंद्र बोस
कविता

नेताजी सुभाषचंद्र बोस

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** नेताजी को याद करके श्रध्दा सुमन अर्पित करता हूँ। उन की बोली बातों को जन-जन तक पहुंचना है। और देशप्रेम की ज्वाला को युवाओं में फिरसे जलाना है। और भारत को फिरसे आजाद कराना है।। नेता जी का वो कथन युवाओं को तब भाया था। जब उन्होंने आजाद हिंद फौज को बनाया था। और कहा था की तुमहमें खून दो मैं आजादी दूंगा। और अपने हिंदुस्तान को अंग्रेजो से मुक्त करा लेंगे।। नेताजी खुद से और अपने साथीयों से कहते थे कि। कमीयां तो मुझमें बहुत है पर मैं बेईमान नहीं हूँ। मैं सबको अपना मानता हूँ और फायदा या नुकसान नहीं सोचता। शौक है बलिदान देने का जिसका मुझे गुमान नहीं। छोड़ दूँ संकट में अपनो का साथ वैसा तो मैं इंसान नहीं। सबसे आगे मैं चलूँगा दोस्तों आप लोगों को पीछे चलना हैं।। मौका दीजिये अपने खून को औरो की रगों में बहने का। ये ल...
नारी को जाने और समझे
कविता

नारी को जाने और समझे

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** दिखाये आँखें वो हमें जब मनका काम न हो उसका। तब बहाना ढूँढती रही हमें शर्मीदा करने का। यदि इस दौरान कुछ उससे पूछ लिया तुमने। तो समझ लो तुम्हारी अब खैर नहीं है।। अलग अलग तरह के रूप देखने को मिलेंगे। कभी राधा तो कभी दुर्गा और कभी-कभी शेरनी का। समझ नहीं पाता पुरुष नारी के इतने रूपों को। इसलिए शांति से वो सब कुछ सुनता रहता।। नारी की गुस्सा से पुरुष बहुत डरता है। घर की शांति के लिए वो खुद चुपचाप सा रहता। इसी बात का फायदा सदा वो उठती रहती है। और अपनी मन मानी वो घर में करती रहती है।। बहुत सहनशील धैर्यबान और कुशल प्रबंधक भी नारी होती। और अपने घर और बाहर का ख्याल भी बड़ी खूबी से रखती। तभी तो नारी को लक्ष्मी दुर्गा और अन्नपूर्णा माँ कहाँ जाता। तभी वो घर को स्वर्ग और नरक स्वयं बनाकर रखती है।। नारी के रूपों ...
बहुत कुछ खोकर भी …
कविता

बहुत कुछ खोकर भी …

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** बहुत कुछ खोकर भी बहुत कुछ पाया है। जिंदगी के हसीन पल और कुछ सपने खोया है। परंतु जीवन की सबसे बड़ी चीज प्राप्त हुई है। जिसे साधारण भाषा में लोग इंसानियत कहते है।। चलो अच्छा हुआ कि काल ऐसा भी आया। जहाँ लोगों ने लोगो को निकट से जान जो पाया। अमीर और गरीबी की खाई को भर जो पाया। और लोगों ने लोगों को इंसानियत का पाठ पढ़या।। सिखा देते है हालात इंसान को इंसान बनने को। भूलकर अपने अहंकार को नम्रभावों को जगाना पड़ा। क्योंकि इन हालातो में न दौलत न शोहरत काम आई। बस लोगों की अच्छाई ही लोगों के काम में आई।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं...
गुरु ही भगवान है
गीत

गुरु ही भगवान है

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** तर्ज : ये दिल तुम बिन कही.... गुरु बिना ज्ञान कभी मिलता नहीं हम क्या। गुरु चरणो को बारंबर हम अब नमन करे। गुरु बिना...........।। जो श्रध्दा और भक्ति से पूजते है गुरुवर को। उन श्रावक के जीवन में कभी बाधायें नहीं आती। गुरु की छाया उन पर सदा ही बनी रहती है। इसीलिए वो श्रावक गण सदा ही खुश रहते है।। गुरु बिना ज्ञान कभी मिलता नहीं हम क्या। गुरु चरणो को बारंबर हम अब नमन करे। गुरु बिना...........।। गुरुओं के बताये मार्ग पर जो भी श्रावक चलता है। आत्म कल्याण का मार्ग उन्हीं लोगों को मिलता है। जीवन जीने का आनंद भी उन सब का अलग होता है। इसलिए तो गुरुओं की शरण हम सबको चाहिए।। गुरु बिना ज्ञान कभी मिलता नहीं हम क्या। गुरु चरणो को बारंबर हम अब नमन करे। गुरु बिना...........।। गुरु दर्शन में ही अब प्रभु दर्शन दिख...
करवा चौथ
कविता

करवा चौथ

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** करवा चौथ का ये त्यौहार बहुत प्यारा है। जो पत्नी पति के आयु के लिए व्रत रखती है। और साथ पति भी पत्नी के साथ व्रत रखते है। और दोनों लम्बी आयु के के लिए पूजा करते है।। रिश्तो का बंधन कही छूट न जाये। और डोर रिश्तों की कही टूट न जाये। रिश्ते होते है बहुत जीवन में अनमोल। इसलिए रिश्तो को दिलमें सजा के रखना।। बदल जाए परिस्थितियां भले ही जिंदगी में। थाम के रखना डोर अपने रिश्तों की। पैसा तो आता जाता है सबके जीवन में। पर काम आते है विपत्तियों में रिश्ते ही।। जीवन की डोर बहुत नाजुक होती है। जो किसी भी समय टूट सकती है। इसलिए कहता हूँ में रिश्तो में आंनद बरसाए। और पति पत्नी के रिश्ते में बाहर लाये। और एकदूजे के लिए जीकर दम्पतिक धर्म निभाते है।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान...
सात जन्मों का साथ
कविता

सात जन्मों का साथ

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** मौत से पहले मैं देख लू जन्नत को। ऐसी मेरी दिलकी आरजू है। तेरे मेरी मोहब्बत को देखकर। जीने का अंदाज देख पाएंगे। और मोहब्बत को जान पाएंगे। दिलको दिल में तभी बसायेंगे।। जात पात ऊँच नीच का इसमें। कोई चक्कर कभी होता ही नहीं। क्योंकि होता है मोहब्बत में नशा। जिस को चढ़ता है ये नशा। हलचले बहुत दिलमें होने लगती है। इसलिए तो जन्नत दिखती है हमें।। मोहब्बत में जीने वाले वो जन। सात जन्मो का करते है वादा। जब भी लेंगे जन्म इस जहाँ में हम। साथ तेरे ही जीना मरना चाहेंगे। और अपनी मोहब्बत को हम। निभायेंगे सात जन्मों तक।। जैसे राधा कृष्ण की मोहब्बत को लोग आज भी याद करते है। ऐसे ही हम अपनी मोहब्बत को। यादगार बनाकर जहाँ से जायेंगे।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। कर...
माँ
कविता

माँ

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** एक अक्षर का शब्द है माँ, जिसमें समाया सारा जहाँ। जन्मदायनी बनके सबको, अस्तित्व में लाती वो। तभी तो वो माँ कहलाती, और वंश को आगे बढ़ाती। तभी वह अपने राजधर्म को, मां बनकर निभाती है।। माँ की लीला है न्यारी, जिसे न समझे दुनियाँ सारी। नौ माह तक कोख में रखती, हर पीड़ा को वो है सहती। सुनने को व्याकुल वो रहती, अपने बच्चे की किलकारी।। सर्दी गर्मी या हो बरसात, हर मौसम में लूटती प्यार। कभी न कम होने देती, अपनी ममता का एहसास। खुद भूखी रहती पर वो, आँचल से दूध पिलाती है। और अपने बच्चे का, पेट भर देती है।। बलिदानों की वो है जननी। जब भी आये कोई विपत्ति, बन जाती तब वो चण्डी। कभी नहीं वो पीछे हटती, चाहे घर हो या रण भूमि। पर बच्चों पर कभी भी, कोई आंच न आने देती।। माँ तेरे रूप अनेक, कभी सरस्वती कभी लक्ष्मी। माँ देती श...
इतनी शक्ति हमें देना
गीत, स्तुति

इतनी शक्ति हमें देना

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** इतनी शक्ति हमें देना माता। मनका विश्वास कमजोर हो न। हम चले मानवता के पथ पर, भूलकर भी कोई भूल हो न। इतनी शक्ति.......….।। दूर अज्ञान के हो अंधेरे। तुम सभी को ज्ञान की रोशनी दो। हर बुराई से बचे रहे हम सब। जितनी भी हो खुशी सभी को दो। भेद भाव करे न किसी से, मन सभी का पवित्र तुम कर दो। हम चले मानवता के पथ पर, भूलकर भी कोई भूल न हो। इतनी शक्ति....….।। हम सोचे हमें क्या मिला है। हम सोचे करे क्या हम अर्पण। मनमें श्रध्दा के भाव रखे हम। पूरी निष्ठा से कार्य करे हम । दीन दुखीयों की सेवा करे हम। ऐसी भावना सबकी बना दो। हम चले मानवता के पथ पर, भूलकर भी कोई भूल हो न। इतनी शक्ति हमें.......। ज्योत मन में धर्म की जगा दो। सेवा भाव दिलों में बढ़ा दो । हिल मिलकर रहे हम सभी जन। नफरत ईर्ष्या के भाव मिटा दो। एक नये राष्ट्र नि...
कागज पर लिखे
कविता

कागज पर लिखे

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** कोरे कागज पर लिखने को लोग। अपनी कहानीयां छोड़ जाते है। तभी तो लेखक कुछ लिख पाते है। और लोगों को जिंदगी के मायने बताते है।। प्यार मोहब्बत से, जीना चाहता हूँ। आपकी बाहों में, झूलना चाहता हूँ। जब से दिल, तुमसे लगा है। जिंदगी जीने का, अर्थ समझ आया है।। न उम्मीद होकर भी, उम्मीद से जिया हूँ। प्यार मोहब्बत के लिए, हर दिन तरसा हूँ। पर अपनी उम्मीदों, पर कायम रहा हूँ। तभी तेरा प्यार, हमें मिल पाया है।। टूट जाते है सपने तब, जब आत्मविश्वास न हो। देख कर हालात तब, छोड़कर चले जाते है। और बीच मझधार में, अकेला छोड़ देते है। और हमारी जिंदगी में, अंधेरा कर देते है।। और लेखक को कोरे कागज पर, लिखने को छोड़ देते है। और कवि लेखक को एक अच्छा सा विषय लिखने को दे देते है। और लेखक अपनी भावनाओं को कागज पर उतार देता है।। परिच...
लक्ष्य पाने के सूत्र
कविता

लक्ष्य पाने के सूत्र

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** अगर पैरो में हो चोट साथ में हो छोटी सोच। तो इंसान जिंदगी में आगे नहीं बढ़ सकेगा। इसलिए दोनों का इलाज इंसान के लिए जरूरी है। ये डाक्टर के इलाज से और खुदके आत्ममंथन ठीक होगा।। काम से पहीचान होती है इंसान की इसलिए कर्म करना जरूरी है। महंगे कपड़े तो दूकान के पुतले भी पहनाकर रखते है। इसलिए अपने जीवन को शो की चीज न बनाये। और खुदके कार्यो से अपनी एक पहचान बनाये।। कमाया गया परिग्रह को कुछ दानधर्म और परोपकार में लगाए। तो आपके परिणामों को स्वंय ही शांति मिल जायेगी। और स्वंय के स्वाध्याय से आपको आत्मबोध होगा। आत्मबोध से समाधि मिलेगी। इसलिए नियमित स्वाध्याय करे। और मोक्ष मार्ग को प्राप्त करे।। जो कार्य तपस्या से भी जिंदगी में नहीं हो सकता। वह भावना से हो जाता है। इसलिए भावों को शुध्द बनाये। और अच्छी भावनाएं आत्मा के...
अकेलापन
गीत

अकेलापन

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** तेरे प्यार का मुझको, यदि मिले जाये आसरा। तो जिंदगी हंसकर के, गुजर जाएगी मेरी। और अंधेरे दिल में, रोशनी हो जाएगी। और मेरा अकेलापन, दूर हो जाएगा।। तुझे देख कर दिल, धड़कने लगा है। बुझे हुए चिराग, फिर से जल उठे है। कुछ तो बात है तुममें, जो दिलकी धड़कन हो। और फिरसे जीने की, तुम ही किरन हो।। दिलों का मिलना भी, एक इत्तफाक ही तो है। तुमसे प्यार होना भी, एक इत्तफाक हुआ है। तभी तुम बार बार मेरे, सपनो में आते जाते हो। और मेरे अकेलापन को, दूर कर जाते हो।। बिना तेरे अब जीना मुझे आ नहीं रहा है। बिना तुझसे मिले अब रहा नहीं जा रहा है। हर पल अब तुम ही मुझे सामने दिखती हो। ये हमारा तुम्हारा प्यार नहीं तो और क्या है।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ व...
गौ माता को गोद ले
गीत

गौ माता को गोद ले

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** पितृ दिवस चल रहे है तो करो एक नेक काम। लेकर अपने पूर्वो के नाम गोद ले लो एक गौ माता को। और दे दो उस एक अभय दान सफल हो जायेंगे ये पितृ दिवस। और तभी मिलेगी उनकी आत्मा को सदा के लिए शांति।। बनकर गौ माता के रक्षक, बचाये कसाईयों से इन्हें। लेकर एक गाय को गोद, उसे जीवन आप दे सकते हो। और जीव हत्या के इस, खेल को आप रोक सकते हो। और दुनियां में जीओ जीने दो को, पुनः जिंदा हम कर सकते है।। गौ के अंदर कितने, देवी देवता बास करते है। अनेको ग्रन्थों में इसके, उदाहरण पढ़ने को मिलते है। तभी तो हर जाती और, धर्म में गौ पूजनीय है। तो क्यो न इनकी हिंसा, रोकने में हम भागीदार बने।। तो आओ आगे बढ़कर, करे संकल्प अब से हम। नहीं काटने देंगे एक भी, गौ को अब आगे से। इसी कार्य को करने का बीड़ा, उठाया है दयोदय महासंघ ने। इसमें हम सब शा...
हिन्दी मेरी माँ
गीत

हिन्दी मेरी माँ

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** मैं हिन्दी का बेटा हूँ हिन्दी के लिए जीता हूँ। हिन्दी में ही लिखता हूँ हिन्दी को ही पढ़ता हूँ। मेरी हर एक साँस पर हिन्दी का ही साया है। इसलिए मैं हिन्दी पर जीवन को समर्पित करता हूँ।। करें हिन्दी से सही में प्यार भला कैसे करें हिन्दी लिखने, पढ़ने और बोलने से इंकार। क्योंकि हिन्दी बसती है हिंदुस्तानीयों की धड़कनों में। इसलिए तो प्रेमगीत भक्तिगीत हिन्दी में लिखे जाते। जो हर भारतीयों का गौरव बहुत बढ़ाते है।। करो हिन्दी का प्रचार प्रसार तभी तो राष्ट्रभाषा बन पायेगी। और हिन्दी भारतीयों के दिलो में बस पायेगी। चलो आज लेते हैं हमसब एक शपथ, करेंगे हर काम आज से सदा हिन्दी में। तभी मातृभाषा का कर्ज उतार पाएँगे और सच्चे भारतीय कहलाएँगे।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में क...
मेरा प्रेम
कविता

मेरा प्रेम

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** बिकने नहीं दूँगा कुछ। पर हम बेच देंगे सब। यही बात में सब को। हर समय कहता रहूँगा।। क्यों न बेचे हम अब। जब आन पड़ है संकट। क्यों ढूँढ़े हम समाधान। मिला है संपत्तियों का अभयदान।। जबतक रहेगी तब तक। उसे बेचते जायेंगें हम। अपना और अपनों का पेट। बिना परेशानी के भर देंगे।। बहुत नसीब लेकर आया हूँ। इसलिए इतनी संपदा मिली। भले बनाया हो औरों ने पर। भोगने का सुख मिला हमें।। पूत कपूत तो क्यों धन का संचय करना। और पूत सपूत तो क्यों धन का संचय करना। करना आता अगर प्रबंध तो नहीं होती कोई परेशानी। और कर लेते समस्याओं का अपने प्रबंधन से समाधान।। अल्ला दे खाने को तो क्यों जाए कमाने को। मिला है सब कुछ हमें बिना हाथ पाव चलायें। तो क्यों जोर दे दिल दिमाग और अपने हाथ पावों पर। इतना तो मिला है विरासत में कि हमारा समय निकल...
देश के राज्यों की विशेषता
कविता

देश के राज्यों की विशेषता

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** सुनों सुनता हूँ तुमको देश की कहानी। जिसमें हैं २९ राज्यों का समावेश। राज्यों कि भी है अपनी अपनी कहानी। कोई विकसित है तो कोई है जंगल। पर सभी का ह्रदय है तो भारत। परंतु एकबात समान है सभी राज्यों में। अलग अलग राज्यों की भाषाएँ हैं। खाने और पहाने का तरीका भी अलग है। रीति रिवाजो का तरीका भी अलग है। परंतु तिरंगा के प्रति बहुत सम्मान है। तभी तो एक सूत्र में सभी राज्य बंधे हैं। और सभी का है एक ही संविधान। जो हर धर्म जातियों को समानता देता है। अनेकता में एकता जिसकी सबसे बड़ी विशेषता है। चलो आज प्रदेश के अनुसार सुनता हूँ। आपको देश के प्रदेशों की कहानी। तभी जान पाओंगे राज्यों को तुम। प्रथम में हम बात करते है कश्मीर की। जहाँ रहते है कश्मीरी पंडित। और वहां पर बहुत पैदा होती है केशर। बात करते है अब हिमाचल प्रदेश की। जहाँ के पू...