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Tag: संजय कुमार साहू

प्रकृति का कहर
गीत

प्रकृति का कहर

संजय कुमार साहू जिला बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** देख प्रकृति का कहर.. देख प्रकृति का कहर .. फल दिया और फूल दिया, १० पीढ़ी तक कुल दिया, इस अराजकता के दौर में, तुझको प्रभुत्व सम्पूर्ण दिया।। पर तेरा जी न भरा मानव, करता खिलवाड़ प्रकृति के साथ।। तूने क्या सोच के किया था, प्रकृति का नीरव दोहन, देख तेरे इस भूल का फल भोग रहा जग आज है, प्रकृति का बदला लेने आया आज यमराज है।। जीवों की हत्या कर तूने प्रकृति को किया कुरूप, देख आज कोरोना आया प्रकृति प्रतिघात स्वरूप, आज पर्यावरण दिवस पर मान ले अब तू मेरी बात, कर प्रकृति का सम्मान, जंगल को न कर वीरान, जीवों की रक्षा तू कर, पेड़ लगा बढ़ा प्रकृति का मान, वरना कोई नहीं बचा पाएगा तुझे, प्रकृति का कहर है आज। देख प्रकृति का कहर ... देख प्रकृति का कहर..।। आज गर्मी के दिनों में सुबह चलती भाप है, शाम को पानी गिराकर देती प्रकृति श्राप है, बरसात मे...
चल मेरे साथी
कविता

चल मेरे साथी

संजय कुमार साहू जिला बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** चल मेरे साथी, दुनिया की सैर करते है, मोहब्बत की इस दुनिया में मिटाते सारे बैर चलते हैं, नवजीवन के एहसासों में, विश्वबन्धुत्व को पसारने अपने पैर देते हैं ।। चल मेरे साथी दुनिया की सैर करते है....... शाहजहां ने जैसा ताजमहल बनाया, अपनी मोहब्बत दीवारों पर लिखवाया , कुछ ऐसा ही हम करने चलते है , जीवन के महल में संगमरमर रूपी भाईचारा साथ लेकर चलते हैं।। चल मेरे साथी दुनिया की सैर करते हैं... चलो देखे सुंदरवन , पशु पक्षी के निरव रुदन, इंसान नहीं तो जानवर से ही कुछ सीख लेने चलते है मधुर मिठास हो इस जीवन में, बीज ऐसा अंकुरित करते चलते है।। चल मेरे साथी दुनिया की सैर करते हैं.... देखते है विशाल हिमालय को, अपने गर्भ में कईयों जीवन पालता है, काले, भयंकर मेघ के आगे छाती ताने खड़ा रहता है, दुनिया को कहता सीख मुझसे सभी परिस्थितियों में खड़...